बात जब सड़क की हो रही है तो ट्रेफ्फिक और पुलिस की भी कर लें, यूँ लगता है जैसे जयपुर का सारा पुलिस अमला केवल परिवहन की व्यवस्था के लिए ही जिम्मेदार हो ! और ऐसे में यदि आपकी गाडी की नम्बर-प्लेट हरियाणा की है तो सावधान रहिये ! सीट-बेल्ट, मोबाइल पर बात करना, रेड लाइट पार कर जाना… भले ही आपके आस-पास से राजस्थान की अनेक गाड़ियाँ निकल जाएँ पर रोका केवल आपको ही जाएगा ! जयपुर में ऐसे बहुत से खट्टे-मीठे अनुभव हुए और कई बार तो ना चाहते हुए कुछ समझौते भी करने पड़े, एक तो पराया शहर, ऊपर से गाड़ी किसी और की… अपना शहर हो तो झेल भी लें पर यहाँ… समय की भी बंदिश है, परिवार भी साथ है, और इस कमज़ोर नस को हमारे भाई लोग भी बखूबी पहचानते हैं… एक बार तो थक हार कर एक हवलदार से तंज़ भी करना पड़ा, यूँ तो कहते हो ‘पधारो म्हारे देस’ और जब कोई सचमुच पधार ही जाये तो सारे मिलकर उसे लूटने में ही लग जाते हो…. बहरहाल ये बातें तो देश के हर हिस्से में हर किसी के साथ घटती ही रहती हैं, तो आइये अब आगे बढ़ते हैं…
चलिए ऐसा करते हैं, ज़रा शुरू से शुरुआत करते हैं, सोमेश एक छोटे भाई के अलावा एक बेहतरीन मेहमान नवाज़ भी निकला और साफ़ कह दिया कि बिना नाश्ते के नही जाना, दो-दो भाभियाँ हैं मिलकर बना लेंगी बाकी दिन भर आप जो मर्जी खाते रहना और फिर उसने हमे एक कागज़ पर घूमने की जगहों के अलावा उन सभी मशहूर जगहों और खान-पान के ठिकानों का पता भी दे दिया जो जयपुर में अपनी विशिष्टता रखते हैं ! इनमे से सबसे बेहतरीन था ‘स्टेचू सर्कल’ पर रात को क़ाफ़ी पीते हुये ‘हैंग आउट’ करना, जिसे आप जयपुर का मिनी इंडिया-गेट भी कह सकते हैं | सवाई जय सिंह का बुत लगा यह चौक स्थानीय तथा पर्यटकों के लिये एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है |
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