à¤à¤¾à¤—2 – ऋषिकेश – चोपता – तà¥à¤‚गनाथ
कà¥à¤› देर फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने के बाद हम लोग चोपता की और निकल पड़े। आराम से चलते-चलते करीब à¤à¤• घंटे बाद हम नीचे पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ सीधे जाकर दà¥à¤•ान मे घà¥à¤¸à¥‡ और चाय का ऑरà¥à¤¡à¤° दिया और दà¥à¤•ानदार को बोल दिया कि हमारे फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के लिठगरà¥à¤® पानी à¤à¥€ कर देना। इस समय यहाठपर à¤à¤• जीप कà¥à¤› सवारियों के साथ रà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ थी। लगà¤à¤— अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने ही वाला था à¤à¤• अजीब सा सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ था। देख कर ही समठमे आ रहा था की ये सवारियों की आखरी जीप होगी इसके बाद यहाठकोई नहीं आà¤à¤—ा। सामान वाला बैग रखने के बाद हम लोग रूम के बाहर आ गà¤à¥¤
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