
इनà¥à¤¦à¥Œà¤° – पैदल सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¥à¤°à¤®à¤£!
संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ तीसरी मंजिल पर जाकर à¤à¤• ओर खेल कूद की दà¥à¤•ानें और दूसरी ओर खाने पीने के रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ दिखाई दिये। जेब में हाथ मार कर देखा तो पता चला कि मेरे सारे पैसे तो होटल में ही छूट गये हैं। अब दोबारा किसी à¤à¥€ हालत में होटल जाने और वापिस आने का मूड नहीं था। पैंट की, शरà¥à¤Ÿ की जेब बार – बार देखी पर à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® कारà¥à¤¡ के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤› नहीं मिला। कैमरे के बैग की à¤à¤• जेब में हाथ घà¥à¤¸à¤¾à¤¯à¤¾ तो मà¥à¥œà¤¾ तà¥à¥œà¤¾ सा १०० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का à¤à¤• नोट हाथ में आ गया। उस समय मà¥à¤à¥‡ ये १०० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ इतने कीमती दिखाई दिये कि बस, कà¥à¤¯à¤¾ बताऊं ! छोले à¤à¤Ÿà¥‚रे का जà¥à¤—ाड़ तो हो ही सकता था। वही खा कर मॉल से बाहर निकल आया। सोचा इस बार सड़क के दूसरे वाले फà¥à¤Ÿà¤ªà¤¾à¤¥ से वापस होटल तक जाया जाये। सड़क का डिवाइडर पार कर उधर पहà¥à¤‚चा तो à¤à¤• छोटा सा अषà¥à¤Ÿà¤•ोणीय (या शायद षटà¥â€Œà¤•ोणीय रहा होगा) à¤à¤µà¤¨ दिखाई दिया जिसकी छत पर à¤à¤• सà¥à¤¤à¤‚ठà¤à¥€ था। सà¤à¥€ दीवारों पर जैन धरà¥à¤® से संबंधित आकृतियां उकेरी गई थीं। यह जैनियों की किसी संसà¥à¤¥à¤¾ का कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ था, जिसमें छोटे-छोटे दो कमरे बैंकों ने à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® के लिये किराये पर à¤à¥€ लिये हà¥à¤ थे। à¤à¤Ÿà¥€à¤à¤® देख कर मेरी जान में जान आई और मैने तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ कà¥à¤› पैसे निकाल लिये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरी जेब में अब सिरà¥à¤« १० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का ही à¤à¤• नोट बाकी था।
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