
केदारनाथ यातà¥à¤°à¤¾ 2014 – सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से केदारनाथ।
रामबाड़ा पहà¥à¤à¤š तो होश उड़ गà¤à¥¤ सिरà¥à¤« रामबाड़ा नाम के अलावा पर सही माने मे कà¥à¤› नहीं बचा था। अà¤à¥€Â मैं मंदाकनी नदी के बाà¤à¤ ओर चल रहा था लेकिन रामबाड़ा बाद आगे का पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ जिस पहाड़ पर बना था वो पहाड़ पिछले साल ढह गया था। सीधा बोलूठतो रामबाड़ा बाद पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ नया रासà¥à¤¤à¤¾ बनाया था। नठरासà¥à¤¤à¥‡ पर जाने लिठबाà¤à¤ ओर से मंदाकनी को à¤à¤• पà¥à¤² के जरिठपार करके दाà¤à¤ ओर जाना था। और अà¤à¥€ तक इस पà¥à¤² पर काम चल रहा था।
कितने à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप से जलजला आया होगा। रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा दिया। मेरी पिछली यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं मे मैं और मेरा साथी यहीं पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया करते थे और पेट à¤à¤° पराà¤à¤ े खाया करते थे। यहाठपर रात को सोने का इंतज़ाम à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। à¤à¤¸à¥€ ही मेरी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ मे केदारनाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ से लौटते वक़à¥à¤¤ हमने रात के 2 बजे यहीं रामबाड़ा पर à¤à¤• दूकान वाले से विनती करके कà¥à¤› खाने की पेशकश की थी। उस वक़à¥à¤¤ उसके पास सिरà¥à¤« आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ थी। हम उस साल 6 दोसà¥à¤¤ गठथे। सà¤à¥€ à¤à¥‚खे थे हमारी हालत पर दà¥à¤•ानदार को तरस आया और बोला कि चलो ठीक है अंदर आ जाओ और पहले चाय पी लो तबतक मैं आटा गूà¤à¤¦ देता हूà¤à¥¤ गरà¥à¤®-गरà¥à¤® रोटी और आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ खाकर मज़ा आ गया था। तो मेरा ये वाकà¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि रामबाड़ा अपने आप मे à¤à¤• समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कसबे की तरह था। जहाठपर यातà¥à¤°à¤¾ सीजन मे लोग हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे होते थे।  यहीं पर खचà¥à¤šà¤° सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। लेकिन इस बार सब खतà¥à¤®à¥¤ जो पहली बार गया होगा वो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और यकीन अà¤à¥€ नहीं कर सकता कि रामबाड़ा पर कैसा कहर टूटा था।
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