adventure trip

गढ़वाल घुमक्कडी: बद्रीनाथ – माणा – वसुधारा – जोशिमठ

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चलो अब चलते हैं मुचुकूंद गुफा, ‘अरे नही यार ये तो बहुत उपर लगता है’ दीपक बोला. ‘अरे नही भाई, पास ही तो है’, मैं बोला. ‘3 किमी तो दूर है भाई, फिर हम लोग वसुधारा नही जा पाएँगे, देख लो’, पुनीत बोला. बात सबको ठीक लगी, हम लोग वसुधारा को नही छोड़ना चाहते थे, गुफ़ाएँ तो सबने देख ही ली थी अब वसुधारा के दर्शन करने को सब बड़े बेकरार थे. इसलिए बिना समय गवाए हम लोग नीचे भीम पुल की ओर बढ़ चले. भीम पुल के पास आकर सबसे पहले एक बड़ी भ्रांति टूटी जो थी ‘सरस्वती के लुप्त हो जाने की’, हमने तो सरस्वती दर्शन से पहले केवल यही सुन रखा था की यह नदी अब विलुप्त हो चुकी है और शायद भूमिगत होकर बहती है.

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गढ़वाल घुमक्कडी: दिल्ली – रुद्रप्रयाग – कोटेश्वर महादेव

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खैर यहाँ लगभग 2 घंटे मस्ती करने के बाद, 5 बज चुके थे इसलिए अन्य मंदिरों के जल्दी से दर्शन करके चढाई शुरू कर दी वापसी के लिए. यहाँ से हमारा अगला पड़ाव होना था, उमरा नारायण मंदिर जो की यहाँ से लगभग 4 किमी आगे था. मंदिर तक पहुँचते पहुँचते अंधेरा सा होने लगा था, इसलिए सोचा की रात यहीं बिताई जाए. यह मंदिर यहाँ से कुछ दूर बसे सन्न नामक गाँव के ईष्ट देवता उमरा नारायण को समर्पित है.

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गढ़वाल घुमक्कडी: कर्णप्रयाग – विष्णुप्रयाग – बद्रीनाथ

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चूँकि आज हमे सिर्फ़ बद्रीनाथ ही पहुँचना था (जो की यहाँ से मात्र 125 किमी ही है), इसलिए हम संगम पर काफ़ी देर बैठे मस्ती करते रहे. संगम का आनंद लेकर और दोनो नदियों के जल से विशुद्धि व उर्जा पाकर हम लोग आगे की यात्रा पर निकलने को तैय्यार थे. ढाबे पर नाश्ता करने के बाद, हम लोग सीधे बद्रीनाथ की बस लेने आ पहुँचे. थोड़ी देर इंतेज़ार के बाद, एकाध बसें आई पर सब खचाखच भारी हुई, पाँव रखने तक की जगह नही थी, यात्रा सीज़न मे ये एक आम नज़ारा है.

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