
गढ़वाल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•डी: बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ – माणा – वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ – जोशिमà¤
चलो अब चलते हैं मà¥à¤šà¥à¤•ूंद गà¥à¤«à¤¾, ‘अरे नही यार ये तो बहà¥à¤¤ उपर लगता है’ दीपक बोला. ‘अरे नही à¤à¤¾à¤ˆ, पास ही तो है’, मैं बोला. ‘3 किमी तो दूर है à¤à¤¾à¤ˆ, फिर हम लोग वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ नही जा पाà¤à¤à¤—े, देख लो’, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ बोला. बात सबको ठीक लगी, हम लोग वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ को नही छोड़ना चाहते थे, गà¥à¤«à¤¼à¤¾à¤à¤ तो सबने देख ही ली थी अब वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने को सब बड़े बेकरार थे. इसलिठबिना समय गवाठहम लोग नीचे à¤à¥€à¤® पà¥à¤² की ओर बढ़ चले. à¤à¥€à¤® पà¥à¤² के पास आकर सबसे पहले à¤à¤• बड़ी à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚ति टूटी जो थी ‘सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो जाने की’, हमने तो सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले केवल यही सà¥à¤¨ रखा था की यह नदी अब विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी है और शायद à¤à¥‚मिगत होकर बहती है.
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