
Mt. Abu – Sunset Point – Nakki Lake
सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ होगया तो मैने कहा कि चलो, खेल खतम, पैसा हज़म ! अब यहां से पैदल ही नीचे चलेंगे। लà¥à¥à¤•ते – लà¥à¥à¤•ते हम नीचे पहà¥à¤‚चे और टैकà¥à¤¸à¥€ में बैठकर नकà¥à¤•ी लेक की ओर चल दिये। इससे पहले मैं 2003 और 2005 में à¤à¥€ माउंट आबू गया था। वरà¥à¤· जून 2003 में तो नकà¥à¤•ी लेक सूखी हà¥à¤ˆ मिली थी और उसमें हज़ारों मज़दूर पà¥à¤°à¥à¤· और महिलाà¤à¤‚ तसले सिर पर लिये हà¥à¤ घूम रहे थे। (उस समय की खींची हà¥à¤ˆ à¤à¤• फोटो à¤à¥€ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से मिल गयी है जो अपने पाठकों के सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ के लिये संलगà¥à¤¨ किये दे रहा हूं ।) परनà¥à¤¤à¥ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से इस बार नकà¥à¤•ी में à¤à¤°à¤ªà¥‚र पानी था और नावों में लोग सवारी कर रहे थे। हमने à¤à¥€ à¤à¤• नाव ले ली जिसे पैडल बोट कहते हैं । बेचारे दो पà¥à¤°à¥à¤· पैडल मारते हà¥à¤ नाव को आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हैं और पीछे दो बीवियां आराम से à¤à¥€à¤² का नज़ारा देखती हà¥à¤ˆ चलती हैं। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ à¤à¤• घंटे तक हम नकà¥à¤•ी में यूं ही पैडल मारते घूमते रहे। इस नकà¥à¤•ी लेक के बारे में बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किंवदंती, जो अकà¥à¤¸à¤° पà¥à¤¨à¥‡ को मिलती है वह ये है कि देवताओं ने à¤à¤• खूंखार राकà¥à¤·à¤¸ से बचने के लिये नख से धरती में à¤à¥€à¤² बना डाली थी । यही नहीं, नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² को लेकर à¤à¤• और रोमांटिक कहानी रसिया बालम की à¤à¥€ चली आ रही है जिसने à¤à¤• राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ से विवाह की लालसा में à¤à¤• रात में ही आधा किलोमीटर लंबी और चौथाई किमी चौड़ी और २०-३० फीट गहरी à¤à¥€à¤² खोद डाली थी। हे à¤à¤—वान, कैसे – कैसे राजा होते थे उस जमाने में! मà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¥€ करा दी कि जो कोई à¤à¤• रात में नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² खोद देगा, उससे अपनी बिटिया का बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ रचा दूंगा ! सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से इस à¤à¥€à¤² को खोदने के बाद à¤à¥€ रसिया बालम फिर à¤à¥€ कà¥à¤‚वारा ही रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि राजा की घोषणा को रानी ने वीटो कर दिया। राजा को रानी से डांट पड़ी सो अलग!
नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² माउंट आबू के हृदय सà¥à¤¥à¤² में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और यहां का पà¥à¤°à¤®à¥à¤–तम आकरà¥à¤·à¤£ है। माउंट आबू के बाज़ार मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² के आस-पास ही केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ हैं। बात सही à¤à¥€ है, जब सारे टूरिसà¥à¤Ÿ नकà¥à¤•ी पर ही आने हैं तो दà¥à¤•ान कहीं और खोलने का कà¥à¤¯à¤¾ लाà¤? à¤à¤• और बड़ी विशेष जानकारी जो विकीपीडिया से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ है, वह ये कि 12 फरवरी 1948 को यहां पर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ विसरà¥à¤œà¤¿à¤¤ की गई थीं और गांधी घाट का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था। पर मà¥à¤à¥‡ याद नहीं पड़ता कि हमने नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² पर कहीं गांधी घाट के दरà¥à¤¶à¤¨ किये हों! सॉरी बापू ! अगली बार जायेंगे तो à¤à¤¸à¥€ गलती पà¥à¤¨à¤ƒ नहीं होगी! नकà¥à¤•ी à¤à¥€à¤² के आस-पास के à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में à¤à¥‹à¤œà¤¨ लेकर (कहां, ये याद नहीं ! à¤à¥‹à¤œà¤¨ कैसा था, ये तो कतई याद नहीं)। हम लोग वापिस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर में आ पहà¥à¤‚चे और अपने – अपने कमरों में नींद के आगोश में समा गये। (किसी इंसान के आगोश में समाने की तो वहां अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ à¤à¥€ नहीं थी !)
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