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Patal Bhuvaneshwar caves: Treasure trove of Indian Mythology

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While we were planning the Kumaon itinerary, research on the net did not convince us to include the cave complex in the trip. Few bloggers felt it was unsafe, slippery, and muddy and for those who liked it, I was not sure if it was due to their religious inclination or were the caves really worth a visit for a secular tourist.

I discussed these apprehensions with my friend Mona, who belongs to that region. She insisted that we must include them in the itinerary and added that some of her old relatives visited the caves and found them scintillating. So even with all the reservations, Patal Bhuvaneshwar was not completely striked out from the plan.

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अमरनाथ यात्रा ( शेषनाग – पंचतर्णी – अमरनाथ गुफा – पहलगाम)

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शाम को हम लोग एक रेस्टौरेंट मे बैठे थे, मैने देखा एक पुलिस ऑफीसर भी वहाँ रेफ्रेशमेंट ले रहा है, तभी एक और ऑफीसर भी उसके पास आ कर बात  करने लगा, मेरी नज़र उस पर टिक गयी मॅ  देखना चाहता था की यहाँ होटेल वाले को खाने-पीने का बिल पेमेंट करते है या नही, थोड़ी देर मे देखा दोनो ऑफीसर  होटेल वाले के पास गये और पर्स निकाल कर पेमेंट करने लगे.ऐसे ही मार्केट मे टहलते हुए मैने देखा 2-4 खोँछे वाले सड़क किनारे खड़े है, यह यहाँ के मूल निवासी नही थे, यात्रा पर रोज़गार के चक्कर मे यहाँ पहुच गये थे, जिगयसा वश मैने उनसे पूछा  क्या यहाँ खड़े होने पर यहाँ की पुलिस तो नही परेशान करती है, उन लोगो ने  बताया  की म्युनिसिपल बोर्ड वाले डेली . 20 रुपये की रसीद काट देते है और कोई परेशान नही करता है.  सोचने लगा देहली और उसके आस-पास के शहरो मे सरकार को तो इन खोँछे वालो से कुछ मिलता नही है  हाँ पुलिस वालो की ज़रूर जेब गर्म हो जाती है. यहाँ आकर इस बात का अहसास होता है की अमरनाथ  की यात्रा के दौरान लोखो कश्मीरियो को रोज़गार मिलता है, स्टेट की इनकम बदती है,  हम 7 लोगो का घोड़े का खर्च 37500/- हुआ था जबकि कई स्थानो पर हम पैदल भी चले थे. इसके अलावा टॅक्सी , टेंट, होटेल, आदि कितने खर्चे. हम लोगो का प्रति व्यक्ति लगभग 8000 से 10000 खर्च आया था. एक तरह से यह यात्रा कितने कश्मीरियो के लिए आय का बड़ा साधन है,  परंतु फिर भी कुछ कश्मीरी लीडर वहाँ की जनता को गुमराह करके यात्रा के खिलाफ भाषण वाजी , विरोध प्रदर्शन करवाते रहते है. बहुत तकलीफ़ होती है जब इंसान अपने स्वार्थ के कारण दूसरो की रोज़ी रोटी  पर लात  मारता है.

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अमरनाथ यात्रा (पहलगाम – चंदनवाड़ी – शेषनाग )

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पिस्सू टॉप की चढ़ाई वास्तव मे एक  कठिन चढ़ाई   है. घोड़े  पर बैठे हुए डर  लग रहा था. इससे  पिछले  वर्ष हम केदारनाथ यात्रा पर गये थे , वाहा 14 किलोमीटर की चढ़ाई  है, हम उस रास्ते को देख कर सोचते  थे कि कितना कठिन रास्ता है परंतु यहा तो रास्ता ही नही था रास्ते के नाम पर उबड़ -खाबड़ पगडंडी है, कई जगह पर तो ऐसा लगा की अब गिरे तो तब गिरे. सबसे बरी दिक्कत तो तब होती है जब घोड़ा पहाड़ से नीचे को उतरता  है.ऐसा लगता है , कई लोग गिर भी जाते है, पिस्सू टॉप से शेषनाग के बीच एक बहुत सुंदर झरना गिर रहा है उसके थोड़ा पहले हमे घोड़े  वाले ने उतार दिया और बताया यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर . आगे तक पैदल चलना होगा क्योकि घोड़े  से जाने का रास्ता नही है. अब हम पैदल आगे चल दिए, रास्ते  मे वर्फ़ के  ग्लेसियार के बाद  खूबसूरत झरना बह रहा था, 

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