
Back to Udaipur-LokKala Mandal and Shilpgram
शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® से हम बाहर निकले तो बाबू ने पास में ही, न जाने किस पारà¥à¤• में गाड़ी ले जाकर खड़ी कर दी। बीच में à¤à¤• फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, अचà¥à¤›à¤¾ हरा – à¤à¤°à¤¾ लॉन, अचà¥à¤›à¥‡ – अचà¥à¤›à¥‡ चेहरे थकान मिटाने के लिये काफी उपयà¥à¤•à¥à¤¤ सिदà¥à¤§ हà¥à¤à¥¤ घास पर लेटे रहे, कोलà¥à¤¡-डà¥à¤°à¤¿à¤‚क पीते हà¥à¤ चिपà¥à¤¸ खाते खाते घंटा à¤à¤° वहीं बिताया। जब सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ हो गया तो महिलाओं को फिर हà¥à¥œà¤• उठी कि बाज़ार चलते हैं। बाबू कà¥à¤› à¤à¤‚पोरियम में ले कर गया पर हम हर जगह यही शक करते रहे कि पता नहीं, कैसा सामान होगा, पता नहीं कितना महंगा बता रहे होंगे। मैने à¤à¤• बार à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी को जिद नहीं की कि ये सामान अचà¥à¤›à¤¾ है, खरीद लो! हम लोगों ने पहले ही तय कर रखा था कि यदि हम में से कोई कà¥à¤› खरीदना चाहेगा और दूसरा मना कर देगा तो वह चीज़ नहीं खरीदी जायेगी। इसके बाद पà¥à¤¨à¤ƒ हाथी पोल आये और शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने दो जयपà¥à¤°à¥€ रजाइयां खरीद ही डालीं जो वज़न में बहà¥à¤¤ हलà¥à¤•ी थीं और पैक होने के बाद उनका आकार à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम रह गया था !
खाना पà¥à¤¨à¤ƒ बावरà¥à¤šà¥€ में ही खा कर हम वापिस होटल वंडरवà¥à¤¯à¥‚ पैलेस में पहà¥à¤‚च गये जहां हमारे नाम के दोनों कमरे बà¥à¤• थे। अगला दिन हमने तय कर रखा था – सिटी पैलेस, बागौर की हवेली, नेहरू पारà¥à¤•, और नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंदिर देखने के लिये।
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