हरिद्वार से केदारनाथ
रुद्रप्रयाग से 9 किलोमीटर आगे तिलवारा है यहाँ हम लोगो ने चाय पी. 10 मिनट का रेस्ट किया और फिर आगे के लिए चल दिए. तिलवारा से 19 किलोमीटर आगे अगस्तमुनि है . यहाँ अगस्तमुनि का आश्रम है.यहाँ पहुँचते हुए शाम ढलने लगी थी. हमारे बाईं ओर मंदाकिनी सड़क के साथ साथ पत्थरो के बीच अठखेलियाँ करती हुई बह रही थी. बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक द्रशय था. सामने के पहाड़ो की चोटियो पर सूर्यास्त की किरणे पड़ने से सुनहरे रंग से चमक रही थी.मन तो कुछ समय यहाँ पर रुक कर प्राक्रतिक सौंदर्य को देखने को हो रहा था पर ड्राइवर को अपनी मंज़िल पहुँचने की थी. अगस्तमुनि से 19 किलोमीटर आगे कुंड है यहाँ पहुँचते हुए अँधेरा छा गया था. अब ड्राइवर अँधेरे मे बस चला रहा था. गुप्त काशी को पार कर लगभग 8 बजे सोन प्रयाग से 7 किलोमीटर पहले हम सीतापुर पहुँच गये. यहाँ ड्राइवर ने रात मे रुकने के लिए एक होटेल के सामने बस रोक दी और बोला रात यहीं रुकेंगे , आप लोग सामने होटेल मे जाकर अपने लिए कमरा देख कर तय कर लो. यह होटेल बहुत ही साधारण था कमरो मे एक अजीब सी गंध आ रही थी. मन मे विचार आया ड्राइवर को यहाँ से कमीशन मिलता होगा तभी यहाँ रोका है. मैने अपने लड़के से नज़दीक के दूसरे होटेल देखकर आने को कहा और स्वयं दूसरी तरफ जाकर होटेल देखने लगा. मुझे इस होटेल से 100 गज पहले एक नया बना हुआ साफ सुथरा होटेल मिल गया. इस समय सीजन ना होने के कारण बिल्कुल खाली था. इस समय तक इतने बड़े होटेल मे हमारा ही परिवार था. हमे 400 रुपये के हिसाब से 2 डबल बेड का एक रूम मिल गया. मैने बस के दूसरे यात्रियों से भी बोला इस बेकार से होटेल मे ना ठहर कर मेरे वाले होटेल मे ठहरे.पर वह सारे उसी होटेल मे ही ठहरे. रात मे जब हम खाना खाने बाहर निकले , मेरे से कुछ घोड़े वाले घोड़ा तय करने के लिए कहने लगे. पहले तो मैने यह सोंचा था कि गौरी कुंड से एक-दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद अगर नहीं चला जाएगा तो घोड़े कर लेंगे पर अब जब यह लोग जिस तरह की बाते कर रहे थे उससे लगा कि तय ही कर लेना चाहिए. आने जाने के लिए 800 रुपये प्रति घोड़ा तय हुआ.
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