
गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी- जय विलास पैलेस
इन सीढ़ियों से उतर कर हम महल के दूसरे à¤à¤¾à¤— में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं।  यहाठपर उस समय सवारी में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाल तरह -तरह की बगà¥à¤˜à¥€ रखी हà¥à¤ˆ हैं। यहाठपर उस समय सवारी में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाल तरह -तरह की बगà¥à¤˜à¥€ , डोली आदि रखी हà¥à¤ˆ हैं।
इसके साथ  ही महल के दूसरे à¤à¤¾à¤— में हम पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं जिसे दरबार हाल के नाम से जाना जाता है।  यहाठपर राजसी à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ है जहाठपर à¤à¤• साथ बहà¥à¤¤ सारे लोगो के खाने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है।  मेहमानों के  साथ यहीं पर खाना खाने का पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ है।  दरबार हाल की चकाचौंध उस समय के राज घराने के वैà¤à¤µ और विलासिता की दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨ कह रहे थे।  इसकी छत में लटके विशालकाय à¤à¤¾à¤¡à¤¼ – फानूस का वजन लगà¤à¤— तीन – तीन टन है।  इसकी छत इसका वजन उठा पायेगी या नहीं इसलिठछत के ऊपर दस हाथियो को चढ़ा कर छत की मजबूती की जाà¤à¤š की गई थी।  दरबार हाल में जाने की सीढ़ियों के किनारे लगी रेलिंग कांच के पायो पर टिकी हà¥à¤ˆ है।  à¤à¤• गारà¥à¤¡ यहाठपर बैठा दरà¥à¤¶à¤•ो को यही आगाह करवा रहा था कि रेलिंग को न छà¥à¤à¥¤
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