???? ?????? ???? ?????? – Mata Vaishno Devi Yatra

माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग -५ (धनसर बाबा, झज्जर कोटली, कोल कंडोली)

माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग -५ (धनसर बाबा, झज्जर कोटली, कोल कंडोली)

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हम लोग करीब नो बजे कटरा से १७ किलोमीटर का सफर तय करके बाबा धनसर पहुँच जाते हैं. सड़क से करीब २०० मीटर  पैदल उतराई करके हम लोग बाबा धनसर के धाम पहुँच जाते हैं. यह क्षेत्र बहुत ही सुरम्य स्थान पर पहाडियों के बीच जंगल से घिरा हुआ हैं. एक छोटी सी झील हैं जिसमे एक झरना लगातार गिरता रहता हैं. एक और एक गुफा बनी हुई हैं जिसमे शिव लिंगम के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. झील में कहा जाता हैं की साक्षात् शेषनाग वासुकी विराज मान हैं. यंही पर ही उनका एक मंदिर भी बना हुआ हैं.पौरौनिक विश्वास हैं की जब भगवान शिव, माता पार्वती के साथ, उन्हें अमर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ  जी की गुफा की और जा रहे थे, तब भगवान शिव ने अपने नागराज वासुकी को यंही पर छोड़ दिया था. नागराज वासुकी एक मनुष्य के रूप में यंही पर रहने लगे थे. उनका नाम वासुदेव था. बाबा धनसर इन्ही वासुदेव के पुत्र थे. कंही से एक राक्षस यंहा पर आ गया था. और इस क्षेत्र के लोगो को परेशान करने लगा था. तब बाबा धनसर ने भगवान शिव की तपस्या की थी. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर यंहा पर उस राक्षस का संहार किया था. बाबा के आग्रह पर भगवान शिव यंही पर विराजमान हो गए थे. यंहा पर स्थित झील पवित्र मानी जाती हैं. एक  झरना लगातार प्रवाहित होता रहता हैं. इस झील में नहाना शुभ नहीं माना जाता हैं. कभी कभी इस झील के स्वच्छ जल में नागों की आकृति भी दिखाई देती हैं. हर वर्ष यंहा पर, महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव और धनसर बाबा की याद में एक वार्षिक महोत्सव व मेले का आयोजन होता हैं .

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माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग – ४ (माता का भवन और  भैरो घाटी)

माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग – ४ (माता का भवन और भैरो घाटी)

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ऐसी मान्यता है कि बाणगंगा (बाण: तीर) में स्नान करने पर, देवी माता पर विश्वास करने वालों के सभी पाप धुल जाते हैं.नदी के किनारे, जिसे चरण पादुका कहा जाता है, देवी मां के पैरों के निशान हैं, जो आज तक उसी तरह विद्यमान हैं.इसके बाद वैष्णो देवी ने अधकावरी के पास गर्भ जून में शरण ली, जहां वे 9 महीनों तक ध्यान-मग्न रहीं और आध्यात्मिक ज्ञान और शक्तियां प्राप्त कीं. भैरव द्वारा उन्हें ढूंढ़ लेने पर उनकी साधना भंग हुई. जब भैरव ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो विवश होकर वैष्णो देवी ने महाकाली का रूप लिया. दरबार में पवित्र गुफ़ा के द्वार पर देवी मां प्रकट हुईं. देवी ने ऐसी शक्ति के साथ भैरव का सिर धड़ से अलग किया कि उसकी खोपड़ी पवित्र गुफ़ा से 2.5 कि.मी. की दूरी पर भैरव घाटी नामक स्थान पर जा गिरी.

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माता वैष्णोदेवी यात्रा-भाग १ (मुज़फ्फरनगर से कटरा – KATRA VAISHNODEVI)

माता वैष्णोदेवी यात्रा-भाग १ (मुज़फ्फरनगर से कटरा – KATRA VAISHNODEVI)

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हमारी ट्रेन का समय ठीक ६.३० शाम को था. हम लोग ठीक ६ बजे स्टेशन पहुँच गए. स्टेशन पर भी प्रतीक्षा करने का एक अलग ही आनंद होता हैं. पता चला की ट्रेन १५ मिनट लेट हैं. दरअसल मेरठ से मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर के बीच में सिंगल लाइन हैं. जिस कारण से करीब करीब सभी ट्रेन लेट होती हैं. हमारा आरक्षण S-6 डिब्बे में था. डिब्बे में चढ़ने के बाद वही समस्या जो की पूरे हिन्दुस्तान में रेलवे में हैं. दैनिक यात्री आरक्षित डिब्बों में घुसे रहते हैं. और बड़ा अहसान जताते हुए वे हमें हमारी सीट पर बैठने देते हैं. कहते है की सहारनपुर, यमुनानगर तक की ही तो बात हैं. पता नहीं रेलवे से ये समस्या कब दूर होगी. खैर सहारनपुर के बाद आराम से एडजस्ट हुए, हम घर से आलू ,पूरी, अचार आदि खाने में लेकर के आये थे. खाना खाकर के लंबी तान कर सो गए. सुबह ठीक पांच बजे ट्रेन जम्मू पहुँच गयी. स्टेशन पर अन्धेरा छाया हुआ था. हम लोग अपने सामान सहित बाहर बस स्टैंड पर आ गए.

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