आग़ाज़ लद्दाख का ………….. – भाग1

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Rs. 2000/day के हिसाब से तेय हो गया, जिसमे की डीजल का खर्चा अलग से हमे ही देना था। अंदाजे से 10 दिन का 20000 + 15000(डीजल) = 35000 का खर्चा होने का अनुमान लगाया गया। इसके अलावा अतिरिक्त 5000/- हर एक आदमी को रखना था अपने दस दिन के खाने-पीने, रुकना, इत्यादि। सब कुछ जोड़ दिया गया और 70000/- का अनुमानित बजट तैयार हो गया।

इसको सात हिस्सों में बाँट दिया जाये तो प्रतेक आदमी का योगदान मात्र 10000/- आ रहा था जो की लद्दाख जाने के हिसाब से ठीक ही था। सब ये जान कर खुश थे। गाड़ी को फाइनल करने के बाद लद्दाख जाने का सफ़र 9-सितम्बर से 18-सितम्बर का तय हो गया था। हमारे साउथ इंडियन बंधुओं ने झट-पट दिल्ली तक की एयर टिकट बुक करा ली थी। सेंट्रल वाले भाई लोग भी दिल्ली तक आने के लिए रेलवे की टिकट बुक करने मे जुट गए थे। बाकी बचे हम तीनों को तो नोएडा से ही जाना था तो बस 9-सितम्बर के इंतज़ार मे लग गए थे। बहुत ही मुश्किल से बीत रहा था एक-एक दिन। सब लोग शांत थे ऐसा लग रहा था जैसे किसी आने वाले तूफ़ान का इंतज़ार कर रहे हों। और ऐसा ही हुआ जाने से एक सप्ताह पहले तीन लोगों ने आलतू-फालतू बहाने लगा कर मना कर दिया। अब सात नहीं केवल चार लोग जाने वाले थे। फिर भी हम खुश थे की अब तो और आराम से जाएंगे। एक बात समझ मे आ गई थी की दूर के ट्रिप मे ज्यादा लोगों की भसड नहीं पालनी चाहिये। वैसे ये बात तो पहले से ही मालूम थी पर और लोगों से पूछना भी जरूरी था अन्यथा बाद मे ये सुनने को मिलता की “लद्दाख से हो आये, एक बार हमें भी पूछ लिया होता”। एसा अक्सर हुआ है मेरे साथ। एक बात थी की अब बजट 10000/- से बढ़ कर 17500/- प्रतेक वक्ति हो गया था। लेकिन किसी को इस बात से कोई फरक नहीं पड़ा, बस जाने की धुन सवार थी। ट्रिप मे जाने वाले चार लोग थे मैं(अनूप), राहुल, हरी और मनोज। माफ़ कीजियेगा दरअसल पांच थे एक ड्राईवर अंकल भी थे। परिचय के लिए एक फोटो लगा रहा हूँ। इसमें राहुल नहीं है क्यूंकि फोटो उसी ने ली है।

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भाग1 – नॉएडा से ऋषिकेश।

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इन दो धोकेबाजो का नाम गौरव और हुज़ेफा है। ये दोनों हमारी कंपनी की इंदौर वाली शाखा मे काम करते थे। बाकि के दो लोग मैं और राहुल नॉएडा वाली शाखा मे थे। प्लान के मुताबिक इंदौर निवासियों को 19-नवम्बर-2010 को नॉएडा पहुँचना था। हमारी शिफ्ट शाम के 05:30 बजे से सुबह के 02:30 बजे खत्म होती थी। ये दोनों 18 तारीख गुरुवार की रात की ट्रेन पकड़ कर 19 तारीख शुक्रवार सुबह दिल्ली पहुँच चुके थे। जैसी की मैंने बताया था की कंपनी मे “वर्क फ्रॉम होम” की सुविधा थी तो इन लोगों ने एक भी छुट्टी नहीं ली थी। ट्रेन से ही datacard के माध्यम से ऑफिस का काम भी कर डाला और सकुशल दिल्ली भी पहुँच गए।

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नोएडा से चन्द्रताल वाया मनाली – भाग 2

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Tenzin और balli ने मेरा मोबाइल नंबर लिया। मैंने भी उनका नंबर माँगा तो उन्होंने कहा ये नंबर तो हम अब बंद कर देंगे। अब तो सीजन खत्म होने वाला है। हम लोग नवंबर-दिसंबर मे दिल्ली चले जाएँगे। Tenzin दिल्ली ISBT मजनू का टीला के पास Tibet Colony जाने वाला था। balli नोएडा मे सेक्टर-34 मे Tibet market मे दुकान लगाने वाला था। balli ने कहा दिसंबर मे मार्किट आना वहीँ मिल जाऊँगा।

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नोएडा से चन्द्रताल वाया मनाली – भाग 1

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कुल्लू से बस मे भीड़ हो गई। मैंने भी शराफ़त से सीट छोड़ दी और खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। वैसे तो कुल्लू से मनाली करीब डेढ़ (1hr 30mins ) घंटे का ही रास्ता है लेकिन भीड़ देख कर मैं समझ गया था कि टाइम ज्यादा लगने वाला है। मेरे आगे वाली सीट पर स्कूल के बच्चे बैठे हुए थे। मैंने उनको कैमरा दिया और मेरी एक फ़ोटो खींचने के लिए बोला। कैमरा देख कर बच्चे खुश हो गए और झट से तैयार हो गए।

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