गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤ अपने पूरे शबाब पर हैं । आखिर कà¥à¤¯à¥‚ठना हों, मई का महिना जो ठहरा । अगर à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¥€ सूरà¥à¤¯ देव अपना रौदà¥à¤° रूप हम सबको ना दिखा पायें तो फिर लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देवताओं की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ से ही हटा दें :)। अब आपके शहर की गरà¥à¤®à¥€ तो मैं कम कर नहीं सकता, कम से कम इस चिटà¥à¤ े पर ही ले चलता हूठà¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह जहाठपिछले महिने तमाम ऊनी कपड़े à¤à¥€ हमारी ठंड से कपकपीं कम करने में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ असमरà¥à¤¥ थे।
बात 7 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² की है जब हमारा कà¥à¤¨à¤¬à¤¾ रांची से रवाना हà¥à¤† । अगली दोपहर हम नà¥à¤¯à¥‚ जलपाईगà¥à¥œà¥€ पहà¥à¤à¤šà¥‡ । हमारा पहला पड़ाव गंगतोक था जो कि सड़क मारà¥à¤— से सिलीगà¥à¥œà¥€ से 4 घंटे की दूरी पर है । घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ होने के पहले आई इस रेलवे कà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¿à¤‚ग पर जब हमारी जीप रà¥à¤•ी तो हाथ पैर सीधे करने के लिठहम सà¤à¥€ नीचे उतरे..

सिलीगà¥à¥œà¥€ से 30 किलोमीटर दूर चलते ही सड़क के दोनों ओर का परिदृशà¥à¤¯ बदलने लगता है पहले आती है हरे à¤à¤°à¥‡ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की कतारें जिनके खतà¥à¤® होते ही ऊपर की चà¥à¤¾à¤ˆ शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है।

हाà¤, à¤à¤• बात तो बतानी रह ही गई कि सिलीगà¥à¥œà¥€ से निकलते ही हमारे इस समूह को इक नयी सदसà¥à¤¯à¤¾ मिलने वाली थीं। वो यहाठसे जो साथ हà¥à¤ˆà¤‚….कà¥à¤¯à¤¾ बताऊठपूरा सफर उसकी मोहक इठलाती तो कà¤à¥€ बलखाती अदाओं को निहारने में ही बीता। खैर,कà¥à¤› à¤à¥€ हो उसकी वजह से पूरी यातà¥à¤°à¤¾ खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ रही ।
कà¥à¤¯à¤¾ कहा आपने नाम कà¥à¤¯à¤¾ था उनका? अजी छोड़िठनाम में कà¥à¤¯à¤¾ रखा है पर फिर à¤à¥€ आप सब की यही इचà¥à¤›à¤¾ है तो बताये देते हैअ.नाम था उनका तीसà¥à¤¤à¤¾ । कहीं आप कà¥à¤› और तो उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं लगाये बैठे थे ?
खैर तीसà¥à¤¤à¤¾ की हरी à¤à¤°à¥€ घाटी और घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में चलते चलते शाम हो गई और नदी के किनारे थोड़ी देर के लिये हम टहलने निकले। नीचे नदी की हलà¥à¤•ी धारा थी तो दूर पहाड़ पर छोटे छोटे घरों की बगल से निकलती उजले धà¥à¤à¤ की लकीर।
गंगतोक से अà¤à¥€ à¤à¥€ हम 60किलोमीटर की दूरी पर थे। करीब 7.30 बजे हमें ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बसे शहर की जगमगाहट दूर से ही दिखने लगी । पर गंगतोक में तो हमारी इस यातà¥à¤°à¤¾ का संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ ठहराव था । हमें अà¤à¥€ बहà¥à¤¤ दूर और बहà¥à¤¤ ऊपर जाना था ……
गंगतोक पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही हमने होटल में अपना सामान रखा । दिन à¤à¤° की घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ ने पेट में हलचल मचा रखी थी। सो अपनी कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾ शानà¥à¤¤ करने के लिये करीब ९ बजे मà¥à¤–à¥à¤¯ बाजार की ओर निकले । पर ये कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤®. जी. रोड पर तो पूरी तरह सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छाया हà¥à¤† था। दà¥à¤•ानें तो सारी बंद थीं ही कोई रेसà¥à¤¤à¤°à¥‰ à¤à¥€ खà¥à¤²à¤¾ नहीं दिख रहा था ! पेट में उछल रहे चूहों ने इतà¥à¤¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ सो जाने वाले इस शहर को मन ही मन लानत à¤à¥‡à¤œà¥€ ।मà¥à¤à¥‡ मसूरी की याद आई जहाठरात १० बजे के बाद à¤à¥€ बाजार में अचà¥à¤›à¥€ खासी रौनक हà¥à¤† करती थी । खैर à¤à¤—वन ने उन चूहों की सà¥à¤¨ ली और अंततः घूमते घामते हमें à¤à¤• बंगाली à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ खà¥à¤²à¤¾ मिला । वैसे à¤à¥‹à¤œà¤¨ यहाठअनà¥à¤¯ परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में ससà¥à¤¤à¤¾ था ।
सà¥à¤¬à¤¹ हà¥à¤ˆ और साथ वालों ने खबर दी की बाहर हो आओ अचà¥à¤›à¤¾ नजारा है । फिर कà¥à¤¯à¤¾ था निकल पड़े कैमरे को ले कर। होटल के ठीक बाहर जैसे ही सड़क पर कदम रखा सामने का दृशà¥à¤¯ à¤à¤¸à¤¾ था मानो कंचनजंघा की चोटियाठबाहें खोल हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त कर रही हों । आप à¤à¥€ देखें !
सà¥à¤¬à¤¹ का गंगतोक शाम से à¤à¥€ पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ था । पहाड़ों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहाठमौसम बदलते देर नहीं लगती । सà¥à¤¬à¤¹ की कंचनजंघा १० बजे तक तक बादलों में विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी थी । कà¥à¤› ही देर बाद हम गंगतोक के ताशी विउ पà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट (५५०० फीट MSL) पर थे । यहाठसे दो मà¥à¤–à¥à¤¯ रासà¥à¤¤à¥‡ कटते हैं । à¤à¤• पूरब की तरफ जो नाथू ला जाता है और दूसरा उतà¥à¤¤à¤°à¥€ सिकà¥à¤•िम जिधर हमें जाना था ।
यातà¥à¤°à¤¾ की अगली कड़ी में ले चलूà¤à¤—ा आप सबको ताशी विउ पà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤‚ट से चà¥à¤¨à¥à¤—थांग तक जहाठसे तीसà¥à¤¤à¤¾ नदी दो जल संधियों के जà¥à¥œà¤¨à¥‡ से शà¥à¤°à¥‚ होती हैं ।




अच्छी जानकारी सहित आला दर्जे का लेखन
Shukriya !
Manish Jee…nice blog,,,,
more dis kinda blog Expecting from u….
next time kindly mujhe bhi apne saath lekal chalein accha lagega……
Take care
Rajan singh
I hope the coming parts will met ur expectations.
It ended so soon :-). Been to Gangtok on a very touristy trip and never beyond.
Waiting for next kadi real soon Manish.
Now one has to book advance dates for writing a piece. Anyway will come back shortly.
There are ways to get it early for seasoned Ghumakkars :-). Please talk to Vibha.
nice way of presenting……….photos are also quite attractive…………..had been to sikkim myself 15 years back on a sch
Thx Nandini !
अच्छा लेखन है. फोटो भी अच्छे लगे. आगे के लेख का इंतज़ार रहेगा.
आपका ब्लॉग देखा, काफी अच्छा है, जैसे जैसे समाय मिलेगा पढूंगा.
इसी नाम से मैंने भी ब्लॉग बनाया हुआ है…
http://musafirhoonyaro.blogspot.com/
मैंने तो जब तीन साल पहले अपना ब्लॉग बनाया था तो घुमक्कड़ी के नाम से परिचय का ये ही गीत याद आया था। ख़ैर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी जानकर खुशी हुई।
Beautifully described the beauty of Gangtoke and Himalayan range
Thx Anand !