गढ़वाल घुमक्कडी: रुद्रप्रयाग – कार्तिक स्वामी – कर्णप्रयाग
उपर के नज़ारों ने शरीर को तरो ताज़ा कर दिया था, इसलिए उतरते वक्त ज़्यादा समय नही लगा और उतरते ही पैदल यात्रा आरंभ. कुछ एक किलोमीटर ही चले थे कि दोस्तों को थकान लगने लगी, सोचा चलो जो साधन मिल जाए आगे तक उसी मे चल पड़ेंगे. अब चलते चलते हर एक आगे जाने वाली गाड़ी को हाथ दिखाकर रोकने की कोशिश करते रहे, पर सब बेकार. किस्मत से थोड़ी देर बाद एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया, आधे मन से इसे हाथ दिखाया और ये क्या! ट्रक तो थोड़ा आगे जाकर रुक ही गया था.
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