यमुनोत्री यात्रा- दिल्ली से हनुमानचट्टी
अब मुझे कम से कम नौ घण्टे तक देहरादून में ही रहना था। समय बिताने के लिये मैं सहस्त्रधारा चला गया। चूंकि रात का सफर था, यह सोचकर मैं सहस्त्रधारा से वापस आकर देहरादून रेलवे स्टेशन पर खाली पडी बेंच पर ही सो गया। शाम को सात बजे सोया था, आंख खुली साढे दस बजे। वो भी पता नहीं कैसे खुल गयी। मन्द मन्द हवा चल रही थी, मुझे कुछ थकान भी थी और सबसे बडी बात कि मच्छर नहीं थे।
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