
रोहतांग की कठीन राह…..बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ पहाड़ और पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र सोलांग घाटी (à¤à¤¾à¤—- 2)
पिछली कड़ी में मैं आपसे जिकà¥à¤° कर रहा था की किस तरह से मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ को पार करते हà¥à¤ अंततः हम लोग रहाला फाल पहà¥à¤‚च ही गà¤, और फिर सिलसिला शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† बरà¥à¤« में खेलने का, बरà¥à¤« में फिसलने का. उमà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾à¤œ पà¥à¤°à¥Œà¤¢à¤¼ दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह बरà¥à¤« से खेलते हà¥à¤ देखने में जो मज़ा आ रहा था उसका वरà¥à¤£à¤¨ करना मà¥à¤¶à¥à¤•िल है. लगà¤à¤— सà¤à¥€ लोग बचà¥à¤šà¥‡ बने हà¥à¤ थे, हर कोई इन यादगार पलों को जी लेना चाहता था. हम सब à¤à¥€ अपनी ही मसà¥à¤¤à¥€ में खोठहà¥à¤ थे, किसी को किसी का होश नहीं था. बचà¥à¤šà¥‡ अपने तरीके से बरà¥à¤« से खेल रहे थे और बड़े अपने तरीके से, मकसद सबका à¤à¤• था….आनंद आनंद और आनंद.
Read More