इस यातà¥à¤°à¤¾ में वे सà¤à¥€ जगहें जहाठहमें मà¥à¤«à¥à¤¤ रहने का ठिकाना मिला हमारे लिठसबसे यादगार रही, चाहे वो रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के साथ उमरा नारायण मंदिर हो या करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में मासà¥à¤Ÿà¤° सलीम का आशियाना या पिछली रात आशà¥à¤°à¤® में जोगियों संग, ये ना सिरà¥à¤« रहने के ठिकाने थे बलà¥à¤•ि यहाठहमें सीखने को à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› मिला और ये किसी à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी को काफी हद तक सारà¥à¤¥à¤• बनाता है. आज सà¥à¤¬à¤¹ जब हम उठे तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने बताया कि कल रात आशà¥à¤°à¤® के बाहर किसी जीव की आवाजें सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दी थी और समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ ये à¤à¤¾à¤²à¥‚ ही था, à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤•र हमारे तो रोंगटे खड़े हो गठथे. रोजमरà¥à¤°à¤¾ की जरà¥à¤°à¥€ गतिविधियों को अंजाम देकर, हम लोग आशà¥à¤°à¤® के किचन में नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिठआमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किये गठजहाठहरियाणा से आये यà¥à¤µà¤¾ मसà¥à¤¤ मलंग जोगी महाराज अपने मोबाइल में à¤à¤œà¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हà¥à¤ रोटियां सेक रहे थे…हाई-टैक जोगी…वैसे इस आशà¥à¤°à¤® के सà¤à¥€ जोगी साधक जीवन का सही मायनों में अनà¥à¤¸à¤°à¤£ कर रहे थे.
वासà¥à¤¤à¤µ में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ की असली नà¥à¤®à¤¾à¤ˆà¤‚दगी तो ये जोगी ही करते हैं, ना कहीं पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ की चिंता ना कहीं ठहरने की, ना खाने की फ़िकà¥à¤° ना पहनने की, ना समय की टेंशन ना किसी वाहन की, ना कोई सरà¥à¤¦à¥€ ना कोई गरà¥à¤®à¥€, बस चलते रहते हैं इसी आशा में कि उपरवाला कà¥à¤› ना कà¥à¤› बंदोबसà¥à¤¤ तो कर ही देगा. अपनी पिछली यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ जोगियों से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात हà¥à¤ˆ जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कोनों से देशाटन पर निकले थे और इनमे से कई तो मीलों मीलों की दूरी पैदल ही नाप जाते हैं और यहाठपर à¤à¥€ सà¤à¥€ साधू देश के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से आये थे, धनà¥à¤¯ हो à¤à¤¸à¥‡ महान घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़! खैर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद अब वकà¥à¤¤ था आशà¥à¤°à¤® और जोगियों को अलविदा कहने का, वैसे ये जगह इतनी पावन और दिलकश लगी कि यहाठसे जाने का मन ही नहीं कर रहा था. यहाठहमें इतना कà¥à¤› मिला और इसपर जाते जाते à¤à¤• और उपहार, रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाने के लिठà¤à¤• गाइड (à¤à¤• पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ सा डॉगी) और वो à¤à¥€ मà¥à¤«à¥à¤¤, घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों की हो गई बलà¥à¤²à¥‡ बलà¥à¤²à¥‡! तो बस फिर कà¥à¤¯à¤¾, गाइड साब आगे आगे और हम सब पीछे पीछे चल पड़े इन खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत फिज़ाओं का मजा लेते हà¥à¤.
मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤ गाइड साब और उनके पीछे पà¥à¤¨à¥€à¤¤, दीपक और मैं…
आशà¥à¤°à¤® से मंदिर तक का रासà¥à¤¤à¤¾ घनी à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत है जहाठकहीं कहीं बहते हà¥à¤ मीठे जल की धारा ना चाहते हà¥à¤ à¤à¥€ आपको दो पल रà¥à¤•ने को मजबूर कर देती है. चढाई इस कदर थी कि योगियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ दृशà¥à¤¯ अà¤à¥€ à¤à¥€ आà¤à¤–ों से दूर ही लग रहे थे जबकि हम मंदिर के आस पास ही थे. à¤à¤¸à¤¾ सोचते हà¥à¤ हम लोग चले ही जा रहे थे कि अचानक से à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤ ख़तà¥à¤® सी होने लगी और ये कà¥à¤¯à¤¾…ओह माय गॉड…आà¤à¤–ों के सामने à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ दृशà¥à¤¯ था मानो कोई खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सा ‘पिकà¥à¤šà¤° पोसà¥à¤Ÿà¤•ारà¥à¤¡â€™ देख रहे हों! à¤à¤¸à¤¾ मनमोहक नज़ारा आज से पहले कà¤à¥€ नहीं देखा था, दूर दूर तक फैला विशाल कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ हरा कारपेट, उसके पीछे असंखà¥à¤¯ पेड़ों के à¤à¥à¤°à¤®à¥à¤Ÿ और उसके à¤à¥€ पीछे सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ कर देने वाली हिमालय की बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियाअअविसà¥à¤®à¤°à¤¨à¥€à¤¯ व अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ नज़ारा! यहाठआने पर हमें पà¥à¤°à¤•ृति की गोद में à¤à¤¸à¤¾ शानदार तोहफ़ा मिलेगा इसकी हमने कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की थी, ना जाने कहाठसे पूरे शरीर में à¤à¤• नई उरà¥à¤œà¤¾ की लहर सी दौड़ पड़ी. और हम लोग बावलों की तरह उस कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ मंज़र को à¤à¤•टक निहारते हà¥à¤ उसका मजा लेने लगे.
उस समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ से थोडा बाहर आये तो महसूस किया कि अरे ये सब तो दिख गया पर à¤à¤ˆ à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¶ कहाठछà¥à¤ªà¥‡ बैठे हैं…सामने à¤à¤• छोटी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ दिखाई दी तो बढ़ चले उसी ओर, पूछà¥à¤¤à¤¾à¤¤ करने. कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ के बाहर à¤à¤• à¤à¤¾à¤ˆ साहब सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ में मगà¥à¤¨ थे, हमने आवाज़ लगाई और मंदिर के बारे में पूछा तो बोले “रà¥à¤•ो कपड़े पहनकर आता हूà¤â€. à¤à¤¾à¤ˆ साहब अपने साथ कà¥à¤› सामगà¥à¤°à¥€ लिठकà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ से बाहर आये और बोले “चलो मैं ले चलता हूठमंदिर, पूजा à¤à¥€ करवा दूंगाâ€. बाद में पता चला à¤à¤¾à¤ˆ साहब पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ थे और अपने साथ पूजा की सामगà¥à¤°à¥€ लेकर आये थे. यहाठमंदिर के पास पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही à¤à¤• बड़ा असà¤à¥à¤¯ सा अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤† हमारे साथ, जिस समय हम लोग मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° जा रहे थे तो वहीठपास à¤à¤• कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ के बाहर खड़े à¤à¤• साधू ने à¤à¤¸à¥‡ अपशबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के बाण चलाने शà¥à¤°à¥‚ किये कि कà¥à¤› समय के लिठतो हमारे होश ही उड़ गठथे. पहले तो हमें लगा कि कोई पागल है लेकिन बाद में पता चला कि कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन अघोरी साधू का चेला है. à¤à¤¸à¤¾ पता चलने पर हमें पिछली रात अघोरियों के बारे में बताई गई बातों का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिलने लगा. मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद जब हम लोग कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ के समीप गठतो वो चेला हमें à¤à¥€ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से कहने लगा कि बाबा अà¤à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन हैं, थोड़ी देर सबà¥à¤° करो, अà¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ देंगे. हमने मन ही मन सोचा जिसका चेला à¤à¤¸à¤¾ है तो गà¥à¤°à¥ कैसा होगा…à¤à¤¸à¤¾ सोचते हà¥à¤ हम लोग बिना अघोरी बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ किये आस पास घूमने लगे.
टोली पूजा सामगà¥à¤°à¥€ लिठहà¥à¤ पंडित जी के साथ…
अघोरी बाबा की कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ के बाहर दीपक, à¤à¤—वा वसà¥à¤¤à¥à¤° पहने उनका चेला और सà¥à¤µà¥‡à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤° धारी à¤à¤• बाबा जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिंदी नहीं आती थी…
अब जरा मंदिर के बारे में जानकारी! घने जंगलात के बीच à¤à¤• साधारण और छोटा सा पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ का ढ़ांचा जिसके अनà¥à¤¦à¤° विराजमान हैं शिलारूप में à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¶. इस शिला के बारे में यहाठà¤à¤• कथा पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार à¤à¤• गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ अपनी गाय को ढूंढ़ते ढूंढ़ते इस शिला के पास पहà¥à¤‚चा जहाठउसकी गाय आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• रूप से शिला पर दूध अरà¥à¤ªà¤£ करती पायी गई. à¤à¤¸à¤¾ निरंतर रूप से कà¥à¤› दिनों तक चलता रहा तो गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‡ ने पाया कि इस शिला पर कोई आकृति सी उà¤à¤° रही थी और जब धीरे धीरे इस बात की खबर लोगों तक पहà¥à¤à¤šà¥€ तो लोगों ने इसे दिवà¥à¤¯ चमतà¥à¤•ार मानते हà¥à¤ यहाठइस शिला को à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¶ के रूप में पूजना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. यहाठका मंदिर व माहौल हर मायने में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर से बिलकà¥à¤² विपरीत है, चाहे वो मंदिर का à¤à¤µà¤¨ हो, मंदिर की साज सजà¥à¤œà¤¾ हो, à¤à¤—वानॠकी मूरà¥à¤¤à¤¿ की साज सजà¥à¤œà¤¾ हो, मानवीय हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª हो, या इसके आस पास की अचंà¤à¤¿à¤¤ कर देने वाली खूबसूरती, इस पावन सà¥à¤¥à¤² पर देखने में सब कà¥à¤› बिलकà¥à¤² साधारण व बिलकà¥à¤² सरल सा लगता है, पर महसूस करने में अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ जिसकी कहीं कोई बराबरी नहीं, à¤à¤—वानॠबिलकà¥à¤² अपने अछूते रूप में, नà¥à¤¯à¥‚नतम मानवीय साज सजà¥à¤œà¤¾ के साथ. यहाठआकर लगता है मानो à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¶ मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° और माता बाहर, पà¥à¤°à¤•ृति के रूप अपने शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤® और साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ रूप में विराजमान हैं, ईशà¥à¤µà¤° के इस रूप में दरà¥à¤¶à¤¨ पाकर वाकई हम लोग अपने आप आप को धनà¥à¤¯ समà¤à¤¤à¥‡ हैं! शायद इनà¥à¤¹à¥€ सब वजहों से इस घाटी को तपोवन कहा जाता है. लेकिन शायद आने वाली पीढ़ियों को ये दृशà¥à¤¯ और इस तरह का मंदिर देखने को ना मिले.
साधारण से लगने वाले à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ मंदिर के बाहर विपिन और पà¥à¤¨à¥€à¤¤…
चलिठअब जरा इस मंदिर के धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ की जानकारी à¤à¥€ पहà¥à¤‚चा दें आप तक. जैसा कि नाम से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ है à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ (2744 मी), अथारà¥à¤¤ à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¶ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का ठिकाना. पर à¤à¤ˆ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? जब à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ में विराजमान हैं तो इस मंदिर की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता? वो इसलिठकि à¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जोशीमठके वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ नरसिंह मंदिर में रखी à¤à¤—वानॠनरसिंह की सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ शिलारूपी मूरà¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤• हाथ धीरे धीरे पतला होता जा रहा है और जिस दिन ये हाथ पूरी तरह से गायब हो जायेगा उसी दिन बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ में मौजूद नर नारायण परà¥à¤µà¤¤ आपस में मिल जायेंगे और इसी के साथ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाना लोगों के लिठअसंà¤à¤µ हो जायेगा. à¤à¤¸à¤¾ होने पर à¤à¤—वानॠको अपने नठघर à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ में पूजा जायेगा.
लोजी आप à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ करलो शिलारूप में à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€ नारायण के!
मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ मेरे मन में तीवà¥à¤° इकà¥à¤›à¤¾Â थी जंगलों के पीछे बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियों की ओर जाने की. मेने साथियों को चलने को कहा तो थकान के मारे दोनों ने साफ़ ना कर दी, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ वैसे ही जखà¥à¤®à¥€ था. मैंने उनसे कहा कि तà¥à¤® लोग रà¥à¤•ो मैं जरा ऊपर तक होकर आता हूà¤, यहाठà¤à¥€ हमारे गाइड साब (पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ डॉगी) ने हमारा साथ नहीं छोड़ा और उनके मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में हम लोग घने जंगल की ओर बढ़ने लगे, जंगल के पास आते ही à¤à¤• अजीब तरह का डराने वाला सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ सब तरफ पसरा पड़ा था. गाइड साब मà¥à¤à¤¸à¥‡ लगà¤à¤— 20 – 30 मी आगे ही रहते मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठऔर बीच बीच में पीछे मà¥à¤¡à¤¼à¤•र देखते कि बंदा आ रहा है कि नहीं. जंगल इतना घना था कि कà¥à¤› डर सा लगने लगा और पिछली रात वाली à¤à¤¾à¤²à¥‚ की घटना à¤à¥€ रह रहकर मन में आती रही और फिर पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और दीपक को à¤à¤¸à¥‡ अकेले छोड़ना à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लग रहा था. इसलिठइस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को यहीं रदà¥à¤¦ करके गाइड साब को आवाज़ लगाई और वापिस अपनी टोली में शामिल होने चल पड़े.
जंगलों की बीच से à¤à¤¾à¤à¤•ती बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियाअ
जंगल से लिया गया हरे कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ कारपेट का à¤à¤• फोटो…
नीचे उतरते हà¥à¤ à¤à¤• जलधारा के पास दीपक और विपिन…
मंदिर से वापसी à¤à¥€ कà¥à¤› कम रोमांचकारी नहीं थी, उतरते वकà¥à¤¤ हम किसी दूसरी पगडंडी पर थे यहाठà¤à¥€ रासà¥à¤¤à¥‡ में हमें कà¥à¤› छोटे आशà¥à¤°à¤® मिले, इसलिठयहाठरà¥à¤•ने के लिठइन आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के आलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. अगर कोई चाहे तो रात को तपोवन रूककर जहाठरà¥à¤•ने के लिठकà¥à¤› अतिथि विशà¥à¤°à¤¾à¤® गृह और लॉज उपलबà¥à¤§ हैं, अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ चढ़ाई करके और दरà¥à¤¶à¤¨ करके शाम तक रà¥à¤•ने के जोशीमठया आगे जा सकता है, कोई à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ नहीं है इसलिठआराम से दरà¥à¤¶à¤¨ किये जा सकते हैं.
रासà¥à¤¤à¥‡ से नीति घाटी का à¤à¤• विहंगम दृशà¥à¤¯…
नीचे उतरते वकà¥à¤¤ हम लोग फिर उसी आशà¥à¤°à¤® से होते हà¥à¤ गà¥à¤œà¤°à¥‡ जहाठरात बसेरा किया था तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने à¤à¥‹à¤œà¤¨ का नà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¾ à¤à¥€ दे डाला. चलिठà¤à¤• बार फिर सही, कà¥à¤› और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जायेगा. जब हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मंदिर पर घटी चेले वाली घटना के बारे में बताया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा कि वो अघोरी हैं और उनके लिठये à¤à¤• आम बात है. फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूछा कि कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ किये? हमने कहा ‘नहीं’ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसका कारण à¤à¥€ बताया तो वे बोले कि अरे वो अघोरी बाबा नहीं, वहाठà¤à¤• और गà¥à¤«à¤¾ है जिसमे à¤à¤• सिदà¥à¤§ तपसà¥à¤µà¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ साधना करते हैं. इसके आलावा जब मैंने उनसे उन जंगलों के पीछे के माहौल के बारे में पूछा तो वो बोले “तà¥à¤® लोग वहाठà¤à¥€ नहीं गà¤?â€. वे बोले जितनी खूबसूरती तà¥à¤® लोगों में इस तरफ देखी थी उससे कहीं अदà¥à¤à¥à¤¤ मंज़र तो जंगल के उस पार है, खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत खास के मैंदान और आà¤à¤–ों के सामने साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ खड़ी बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ हिमालयी चोटियाà¤. à¤à¤¸à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤¨à¤•र मà¥à¤à¥‡ उस तरफ ना जा पाने का थोडा मलाल जरà¥à¤° रहा, पर हमेशा की तरह इसे दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ यहाठआने का à¤à¤• अवसर मान कर मन को किसी तरह मना लिया.
आशà¥à¤°à¤® में à¤à¥‹à¤œà¤¨ का इंतज़ार करते पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और विपिन…
à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤, साधà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ देकर हम लोग नीचे उतरने लगे. हमारे गाइड साब अà¤à¥€ à¤à¥€ हमारा साथ छोड़ने को राज़ी नहीं थे, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने à¤à¥€ कहा कि कोई बात नहीं तà¥à¤® लोगों को नीचे छोड़कर चला आयेगा वापिस. यहाठसे नीचे के रासà¥à¤¤à¥‡ में हम कई बार रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤•े यहाठतक कि हमारे गाइड साब à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤• गà¤, कई बार तो हमें à¤à¤¸à¥€ तीखी ढलानों से अपना रासà¥à¤¤à¤¾ बनाना पड़ा जहाठकोई रासà¥à¤¤à¤¾ था ही नहीं, थोडा डर तो लग रहा था उतरने में, पर था बड़ा रोमांचकारी, à¤à¤¸à¥‡ रोमांच में पà¥à¤¨à¥€à¤¤ à¤à¥€ जैसे अपना सारा दरà¥à¤¦ à¤à¥‚ल गया था और उतरने का आनंद ले रहा था.
à¤à¤• बिना रासà¥à¤¤à¥‡ के तीखी ढलान जिस पर से हमारी टोली नीचे उतरी थी…
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ टोली सड़क पर जीत का जशà¥à¤¨ मनाती हà¥à¤ˆ…
जीत को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ à¤à¤• और खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत साथी जिसे हमने ‘विकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ माउंटेन’ का नाम दिया…
पà¥à¤¨à¥€à¤¤ गाइड साब को वापिस जाने के लिठकहता हà¥à¤†…
वासà¥à¤¤à¤µ में हम à¤à¤• गलत मारà¥à¤— पर आ गठथे जो कि सलधार (जहाठसे हमने चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚ की थी) से à¤à¥€ करीब 4 – 5 किमी आगे नीति घाटी की ओर था. खैर जैसे जैसे हमें सड़क मारà¥à¤— नज़र आने लगा और हम लोग यतà¥à¤° ततà¥à¤° रासà¥à¤¤à¤¾ बनाते बनाते आखिरकार सड़क मारà¥à¤— तक आ ही गठथे. à¤à¤• निरà¥à¤œà¤¨ सड़क जहाठहमारे सिवाय कोई मानव नहीं दिख रहा था, सड़क पर आकर अपनी विजय की ख़à¥à¤¶à¥€ में कà¥à¤› फोटो खींचने लगे और फिर…
कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ…