सप्त्श्रींगी देवी, नाशिक-त्रैम्बकेश्वर , की यात्रा

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जैसे ही मैं अंतिम सीढ़ी से उतरा, मेरे ध्यान स्थानीय लोगों की एक टोली पर गया, जो निचली सीढ़ी पर अजीबो-गरीब हरकतें कर रहे थे. मेरी पत्नी तो आगे बढ़ गयीं, पर मैं अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु उस टोली की ताराग चला गया. वहां एक स्त्री, जिसके बाल बिखरे हुए थे, बड़े जोरों से चिल्ला रही थी. वह हांफ भी रही थी और बड़ी बेचैन लग रही थी. वहीँ खड़े लोगों ने मुझे बताया कि उस स्त्री पर देवी आ गयीं हैं और वह तब-तक ठीक नहीं होगी, जब तक इस मंदिर के सामने उसकी पूजा न की जाये. उसके घरवाले भी वहीँ मौजूद थे. कोई ओझा उसकी तथाकथित पूजा कर रहा था. इस पूजा की पूजन सामग्री कोई भिन्न नहीं थी. वही अगरबत्ती, नारियल, फूल, मिठाई इत्यादि. पर एक बकरा भी वहीँ खड़ा था,

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हाजी अली दरगाह का बाज़ार , मुम्बई

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“बालू-शाही”, “गुड़पारा” तथा “बूंदी के लड्डू” भी दिखे. इनमें गुड़पारा ही विशेष था. बालूशाही और बूंदी के लड्डू तो अब तक जाने कितनी बार और कितने जगहों पर खा चुका था कि अब वहां चखने में तो कोई दिलचस्पी थी नहीं. दिमाग तो तब भी शकरपारा में ही दौड़ रहा था. आखिर इतना शक्कर और गुड़ इस प्रदेश में आता कहाँ से है? याद करने की कोशिश की तो याद आया शिर्डी से शनि सिग्नापुर का वो रास्ता, जिसके दोनों तरफ ईख के बड़े बड़े खेत देखे थे. गाँव वालों ने सडकों के दोनों तरफ ईख-के-रस की दुकानें लगायीं थीं. हर दुकान का नाम चाहे कुछ भी हो, पर टाइटल एक ही था..”रसवंती”.

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Crowning glory of Shekhawati: Haveli of Nadine Le Prince (Fatehpur)

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Then Lia brought us to the cultural center. It had mainly three sections. The first section was dedicated to paintings and the tribal art. Each frame was magnificent. Nevertheless, two pictures really attracted me. The first was the paining on goat skin, depicting of “Ram hunting”. The richness of its colour was excellent. It was done by an unknown tribal artist.

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Cherishing Shekhawati Cuisine: Food Tour

Cherishing Shekhawati Cuisine: Food Tour

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The all-India favourite dish called “पानीपूरी” (a flatbread filled with water) was also prevalent in Shekhawati. It has retained its charm over the masses because of its tangy taste and mouth-watering recipe. Many a times, this street food had to face the wrath of the puritans

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