Dev Bhoomi Uttarakhand ….4

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  Dev Bhoomi Uttarakhand : Devprayag बद्रीनाथ में साढे ग्यारह बजे बैरियर खुलने के इंतजार में दो घण्टे लाइन में लगे रहना पड़ा। रुद्रप्रयाग…

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Devbhoomi Uttarakhand ….3

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Devbhoomi Uttarakhand Yatra …3    : Badrinath   26 अक्टूबर 2010 चायवाले के पास चाय पीते समय एक युवक आया और अपनी बस छूट…

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Devbhoomi Uttarakhand …..2

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….2      देवभूमी उत्तराखण्ड यात्रा – केदारनाथ-बद्रीनाथ स्वामीजी से अनुमति ले 23-अक्टूबर-2010 की सुबह मैं वहां से केदारनाथ के लिये रवाना हुआ। हलकी…

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Dev Bhoomi Uttarakhand

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मेरी चारधाम यात्रा – यमुनोत्री मेरी बहुत समय से उत्तराखण्ड-यात्रा की इच्छा थी और बीतते समय के साथ आशंका बलवती होती गई कि इस…

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Chhatikara Maa Vaishno Devi छटीकरा माँ वैष्णोदेवी मन्दिर

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दाँई ओर छटीकरा मुड़ते ही कुछ फासले पर ही, दाँई तरफ क्रुद्ध शेर पर सौम्य देवी माँ की विशाल मूर्ति का दर्शन होता है, पास ही हाथ जोड़े ध्यानमग्न हनुमानजी बैठे हैं। यह माँ वैष्णोदेवी का नवनिर्मित विशाल मन्दिर हैं। मन्दिर की तरफ कुछ हटकर हलकी सी छाँह में गाड़ी पार्क की। चार बजे गेट खुलने में दसेक मिनट की देर थी और भीड़ खड़ी थी। बोर्ड पर जूतों को जमा करने के विषय में पढ हमने जूतों को कार में खोल दिया। गेट खुलने पर संगीता व खुशी महिला द्वार से अन्दर चले गये। पुरुष लाईन चेकिंग में बेल्ट पर ऐतराज होने से मैने उसे खोल दिया परंतु पर्स पर भी ऐतराज पाने पर मैं बेल्ट बाँधते हुये लौट पड़ा कि दर्शन तो हो ही गये हैं, वृन्दावन भी जाना है, संगीता के लौटते ही रवाना हो जायेंगें, विचार करते हुये ऑफिस-काउण्टरों के सामने खड़ा हो गया जहां दर्शनार्थियों के लिये कम्प्युटराइज्ड स्लिपें जारी की जा रही थीं। इनके आधार पर ही सामने स्थित लॉकरों पर सामान जमा किया जाता है। खाली काउंण्टर देख मैने अपने नाम से स्लिप ले ली। लॉकर काउण्टर पर सुझाव मिला कि मैं पर्स सामग्री को जेब में रख पर्स व बेल्ट जमा करवा दूँ। अनदेखी आज्ञावश जमा करने का कार्य किया। अन्दर हरियाली में कुछ उपर जाने पर सामने नीचे चौक में उतरने के लिये सीढियाँ थीं जहां एक तरफ गंगाजी की मूर्ति जिसके दोनों तरफ मगरमच्छों के मुँह से पानी की धार तथा दूसरी तरफ यमुनाजी जिनके दोनों तरफ कछुओं के मुँह से पानी की धार बह रही थी, वहाँ खुशी मेरा इंतजार कर रही थी और मुझे देखते ही खुशी से चिल्लाई कि नानू देखो… उसकी खुशी व उत्साह का कोई पारावार न था। बच्चों के लिये यह मन्दिर प्रांगण वास्तव में बहुत ही खुशी देनेवाला व उत्साहवर्धक है।

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