इस वरà¥à¤·Â 2012 मे जब पता लगा की गंगोतà¥à¤°à¥€Â – यमनोतà¥à¤°à¥€Â   के पाट 24 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को खà¥à¤² रहे है ,मन मे विचार आया की इस बार दरà¥à¤¶à¤¨ अवशà¥à¤¯ हो जाà¤à¤à¤—े. . पिछले साल ही जाना था पर कà¥à¤› कारण वश जा नही सका. अब जबकि दà¥à¤µà¤¾à¤° अपà¥à¤°à¥ˆà¤²  मे खà¥à¤² रहे थे इसलिठउमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी कि ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही होगी.आराम से दरà¥à¤¶à¤¨ होंगे और ठहरने आदि की  à¤à¥€ कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नही आà¤à¤—ी. कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि जैसे- जैसे à¤à¥€à¤¡à¤¼ बढ़ती है तà¥à¤¯à¥‹Â –तà¥à¤¯à¥‹ ही हर तरह की परेशानी à¤à¥€ आती है, आपको टॅकà¥à¤¸à¥€ कार , होटेल मà¤à¤¹à¤—ा मिलता है, , और सबसे बड़ी बात है कि आप तो दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठवहाठजा रहे है अगर वही ढंग से ना हो तो यातà¥à¤°à¤¾ अधूरी लगती है. मन को संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नही मिलती है . यही सोंच कर मै अपना पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® या तो शà¥à¤°à¥‚ मे बनाता हूठया यातà¥à¤°à¤¾ के आख़िर मे जब ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ होने की गà¥à¤‚जाइश कम हो ,
पिछली साल मै अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर गया था. जब वहाठके फोटो फेसबà¥à¤• पर अपलोड किठतब हमारे कà¥à¤› मितà¥à¤°à¥‹ ने कहा कि अगली बार जब à¤à¥€Â यातà¥à¤°à¤¾ पर जाओ तो हमे à¤à¥€ साथ ले चलना. अब जब मैने गंगोतà¥à¤°à¥€-यमनोतà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया तो उनसे पूछा  पर कोई à¤à¥€ साथ चलने को तैयार  नही हà¥à¤†. à¤à¤•ला चलो रे की तरà¥à¤œ पर मै   अपनी फैमिली के साथ 5 मई  को सà¥à¤¬à¤¹Â 7 बजे से पहले ही मोहन नगर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने के लिठपहà¥à¤à¤š गया. अगले दिन पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ थी इस  कारण से कई बस वगैर रà¥à¤•े चली जा रही थी,टॅकà¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ नही जा रही थी. à¤à¤¸à¤¾ पहली बार हà¥à¤† वरना मोहन नगर से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने की कà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ नही होती है. हम हर बार आराम से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š जाते थे , खैर à¤à¤• बस रूकी. बस मे काफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी. चारो लोगो को अलग –अलग सीट मिल गई. कà¥à¤› सवारी तो खड़े-खड़े सफ़र कर रही थी. 1 बजे हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤š गये. होटेल पहले ही बà¥à¤• कर लिया था ठहरने की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नही थी. अà¤à¥€ 20-25 दिन पहले मै  अपने और अपने साले के परिवार के साथ यहाठआठथे. और इसी होटेल हेवेन मे ठहरे थे. यह होटेल हर की पौड़ी  के पास गंगा के सामने है. सामने बहती हà¥à¤ˆ गंगा के दरà¥à¤¶à¤¨ होते रहते है. होटेल साधारण है पर वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट अचà¥à¤›à¤¾ है. इस बार à¤à¥€ यहाठही ठहरने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया था. रूम का किराया उसने 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ चारà¥à¤œ किया.  होटेल वाले से पहले ही बता चà¥à¤•े थे कि हमे आगे यमञोतà¥à¤°à¥€Â – गंगोतà¥à¤°à¥€ जाना है और वहाठजाने के लिठबस, टॅकà¥à¤¸à¥€ का इंतज़ाम कर दे. आम तौर पर हर होटेल वाले के टॅकà¥à¤¸à¥€Â , बस ऑपरेटर वालो से कमीशन तय होता है और यह लोग इस तरह का इंतज़ाम ठीक करवा देते है,  मेरे पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही होटेल वाले ने कई जगह फोन मिलाने शà¥à¤°à¥‚ कर दिà¤. फिर बोला इस समय छोटी कार से यमञोतà¥à¤°à¥€Â – गंगोतà¥à¤°à¥€ जाना ठीक नही है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि रासà¥à¤¤à¤¾ काफ़ी खराब है आपको बड़ी गाड़ी बेलोरो, सà¥à¤•ॉरà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¥‹ . टाइप लेनी होगी. उसने दोबारा à¤à¤• दो लोगो से बात कर के बताया की बेलोरो गाड़ी तय की है जिसका मà¥à¤à¥‡Â 5 दिन का किराया 2100  के हिसाब से 10500 देना होगा. मà¥à¤à¥‡ लगा यह ठीक मोंग रहा है , मैने हाठकर दी. वेलोरो मे 8 लोग टà¥à¤°à¥…वेल कर सकते है पर हम 4 लोग ही थे, मैने दिलà¥à¤²à¥€  मे अपने कà¥à¤› à¤à¤• मितà¥à¤°à¥‹ को फोन à¤à¥€ किया कि  4 सीट खाली है आ जाओ पर कोई à¤à¥€ इतने शॉरà¥à¤Ÿ नोटिस पर चलने को तैयार  नही हà¥à¤†. होटेल वाले ने बताया अगले दिन यानी रविवार को सà¥à¤¬à¤¹Â 8 बजे कार आ जाà¤à¤—ी, चलने के लिठतैयार   रहे. अब सब लोग आराम करने लगे ,   शाम को हर की पौड़ी पर पहà¥à¤à¤šà¥‡Â , पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ पर गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठकाफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ होती है. हर की पौड़ी पर काफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ हो रही थी. अà¤à¥€ आरती मे देर थी, फटाफट गंगा मे डà¥à¤¬à¤•ी लगा ली. गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के थोड़ी देर बाद आरती शà¥à¤°à¥‚ हो गई. इतनी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी ना तो आरती दिख रही थी और ना ही खड़े होने की जगह थी. पहले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° मे गंगा आरती मे इतनी à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही होती थी पर अब तो हर जगह à¤à¥€à¤¡à¤¼ ही à¤à¥€à¤¡à¤¼ नज़र आती है. आरती के बाद बाहर आने मे आधे घंटे से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वकà¥à¤¤ लग गया . रात मे होशियारपà¥à¤° के नाम से à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट  मे खाना खाया. इस रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट  का काफ़ी नाम है , खाना à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ होता है. दूसरे दिन यमञोतà¥à¤°à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करना था हम लोग 10 बजे होटेल पहà¥à¤à¤š सोने की तैयारी करने लगे.
06.05.2012.
आज रविवार को पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ थी, हमारा होटेल गंगा के किनारे था , सà¥à¤¬à¤¹  उठकर देखा, दूर-दूर तक गंगा मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने वालो की à¤à¥€à¤¡à¤¼ लग रही थी. हम à¤à¥€ नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® से निवृत हो कर सà¥à¤¬à¤¹Â 7 बजे  गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठपहà¥à¤à¤š गये. हर की पौड़ी  पर नहाने वालो का हजूम लगा था. हर की पौड़ी  के सामने जो बीच मे टैरेस बना हà¥à¤† है वहाà¤Â à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ कम होती है और पानी à¤à¥€ कमर तक गहरा होता है. आराम से डà¥à¤¬à¤•ी लगा सकते है. यहाठपर à¤à¥€ नहाने के लिठकाफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी. नहाने के लिठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ढूंड      रहा था की तà¤à¥€ देखा 4-5 यरोपियन   लेडी और 1-2 पà¥à¤°à¥à¤·Â à¤à¥€ वहाठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठआठथे. उतà¥à¤¸à¥à¤•ता जागी,  रà¥à¤• कर देखने लगा, वह लोग à¤à¤•-à¤à¤• कर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे थे और उनके दूसरे साथी कपड़े  का करà¥à¤Ÿà¤¨ बना कर कपड़े बदलने मे मदद कर रहे थे. तà¤à¥€ देखा à¤à¤• पंडा उनके पास गया फिर कà¥à¤› बात कर वापस आ कर वहाठघूम रहे 2 गंगा सेवा दल के नाम पर चंदा उगाहने वालो के साथ उनके पास  पहà¥à¤à¤š  गया. थोड़ी देर के बाद देखता हूठ500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का नोट ले कर सेवादल के लोग विजये मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ मे वापस लौट रहे थे.
मà¥à¤à¥‡ देख कर बहà¥à¤¤ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया. यह विदेशी तो हमारे मेहमान है हमे इस तरह से उनसे चंदा वसूलने का कोई अधिकार नही. गंगा के नाम पर इन लोगो ने हर की पौड़ी  पर लूट मचा रखी है. जबकि इस  तरफ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के कपड़े बदलने की कोई वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤¾ नही है. हज़ारो लोग नहा रहे होते है और सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के कपड़े बदलने के लिठकेवल हर की पौड़ी   पर ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. अब हर कोई तो हर की पौड़ी   पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर नही सकता.
इससे पहले मै जब कà¤à¥€ हर की पौड़ी    जाता था तब उन लोगो को दान अवशà¥à¤¯ करता था पर इस बार इन लोगो की हरकत देख कर मन वितृषà¥à¤£à¤¾ से à¤à¤° गया. कई बार इन लोगो ने दान माà¤à¤—ने की  चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की पर मैने निशà¥à¤šà¤¯ कर लिया था की इन पड़े लिखे à¤à¤¿à¤–ारियो को à¤à¤• पैसा à¤à¥€ नही दूà¤à¤—ा. बताते है लाखो रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दान के रूप मे बटोरते है पर हर की पौड़ी के आस-पास कपड़े बदलने की वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤¾ नही कर सकते. यहाठमैने देखा है अगर आप यहाठथोड़ी देर ठहरते है और दान दे कर रसीद ले à¤à¥€ लेते है पर थोड़ी- थोड़ी देर के बाद दूसरा आ जाà¤à¤—ा, फिर तीसरा  आ जाà¤à¤—ा. जब तक आप हर की पौड़ी  पर रहते है यह कà¥à¤°à¥à¤® चलता रहता है. आप को बार-बार रसीद दिखानी होती है. बताना होता है à¤à¤¯à¥à¤¯à¤¾ हम दान कर चà¥à¤•े है, पर यह यही पीछा नही छोड़ते है फिर कहेंगे हम à¤à¤‚डारा चलाते है उसकी रसीद कटवा लो. इस विषय पर मैने वहाठके डी. म.  को मेल  à¤à¥€ à¤à¥‡à¤œà¥€ पर कोई जबाब नही आया. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद वापस होटेल पहà¥à¤à¤š कर  यमञोतà¥à¤°à¥€ जाने के लिठसमान पॅक करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. लगà¤à¤— 9 बजे टॅकà¥à¤¸à¥€ आई हमने जलà¥à¤¦à¥€ से समान रखा और टॅकà¥à¤¸à¥€ मे बैठगये. यमञोतà¥à¤°à¥€ जाने के लिठ दो रासà¥à¤¤à¥‡ है à¤à¤• तो ऋषिकेश-चमà¥à¤¬à¤¾Â – धारासू होकर है दूसरा देहरादून- मसूरी केंपटि  फॉल हो कर है. देहरादून वाला रासà¥à¤¤à¤¾ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सही है इसलिठमैने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को देहरादून हो कर चलने के लिठकहा.. अब हमारी कार देहरादून के बाहर से होती हà¥à¤ˆ 12 बजे मसूरी  पहà¥à¤à¤šà¥‡. हमे यहाठरूकना तो था नही , मसूरी का चकà¥à¤•र लगते हà¥à¤Â कार केंपटि  फॉल वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से आगे  बढ़  गई. केंपटि  फॉल जो की मसूरी से 18 किलोमीटर  है. पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ मे आधा- पौना घंटा लगा. दोपहर का वकà¥à¤¤ था अà¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही थी. अकà¥à¤¸à¤° छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ के दिनो मे यहाठतो काफ़ी  बड़ा जाम लग जाता है. केंपटि फॉल 40 फिट की उà¤à¤šà¤¾à¤¨ से गिरता है .  8 साल पहले ऑफीस के टूर पर यहाठआया था , तब और अब मे बहà¥à¤¤ अंतर नज़र आ रहा था. अब तो पूरा à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ही कॉमरà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤²à¤¾à¤‡à¤œà¤¼à¥à¤¡ हो गया है , कई होटेल सड़क के किनारे नये बन गये है.लग रहा था छोटा सा शहर बन गया है. अब हमारी कार यमà¥à¤¨à¤¾ के किनारे चली जा रही थी. यमà¥à¤¨à¤¾ नदी जो की दिलà¥à¤²à¥€Â पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡Â –पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ इतनी विशाल हो जाती है, पर यहाठतो वहूत कम पानी था. हमारी कार पहाड़ की घà¥à¤®à¤¾à¤µ दर रासà¥à¤¤à¥‡ से आगे  बढ़  रही थी. करीब 2 बजे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बरकोट से पहले यमà¥à¤¨à¤¾ नदी के किनारे बने à¤à¤• छोटे से होटेल पर खाना खाने के लिठरोका. सà¥à¤‚दर दà¥à¤°à¥à¤¶à¥à¤¯  था , नीचे गहरी घाटी मे यमà¥à¤¨à¤¾ बह रही थी. मौसम à¤à¥€ खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ था, ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी. इस माहौल मे खाना खाना अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था. 15-20 मिनट मे हम खा पी कर कार मे बैठगये. अब कार  बरकोट के लिठचल दी. बरकोट तक रासà¥à¤¤à¤¾ साफ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ था पर बरकोट के बाद सड़क टूटी-फूटी थी. कई जगह तो रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ खराब था. बरकोट से सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ चटà¥à¤Ÿà¥€ तक à¤à¤• दो जगह सड़क सही मिली वरना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° टूटी सड़क पर ही कार चल रही थी. अब समठमे आया कà¥à¤¯à¥‹ होटेल मॅनेजर मेरे से बड़ी गाड़ी से जाने को कह रहा था. इस खराब रासà¥à¤¤à¥‡ पर हलà¥à¤•ी गाड़ी से चलना अपने लिठà¤à¤• परेशानी लेना होता है. सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ चटà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡- पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ मौसम बदलने लगा था. वारिश का मौसम हो गया था. थोड़ी ही देर मे हलà¥à¤•ी हलà¥à¤•ी वारिश à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हो गई . सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ चटà¥à¤Ÿà¥€ से आगे की सड़क साफ सà¥à¤¥à¤°à¥€  बनी थी. सड़क के किनारे हारे-à¤à¤°à¥‡ पेड़ लगे थे. सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ चटà¥à¤Ÿà¥€ से करीब 21 किलोमीटर  जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ है . जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ तक सड़क बन जाने के कारण अब लोग वहाठठहरते है पहले फूल चटà¥à¤Ÿà¥€Â , हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चटà¥à¤Ÿà¥€ से पैदल यमनोतà¥à¤°à¥€Â   तक जाना होता था. घंटे à¤à¤° मे हम सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ चटà¥à¤Ÿà¥€ से जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤š गये. शाम के 7 बाज रहे थे पर अà¤à¥€ अंधेरा नही हà¥à¤† था. यहाठपर होटेल वालो के à¤à¤œà¥‡à¤‚ट घूम रहे थे बात चीत से पता लग गया 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे अचà¥à¤›à¤¾ होटेल मिल जाà¤à¤—ा. हमे सबसे लासà¥à¤Ÿ मे जहाठसे चढ़ाई  शà¥à¤°à¥‚ होती है 4 बेड का काफ़ी मोल à¤à¤¾à¤µ कर के 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन के हिसाब से मिला. हालाà¤à¤•ि होटेल वाले ने 1000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ माà¤à¤—े थे. शाम ढल चà¥à¤•ी थी और मौसम à¤à¥€ ठणà¥à¤¡à¤¾à¤¹à¥‹ गया था. सारे दिन के सफ़र के बाद थकान महसूस हो रही थी. होटेल के सामने होटेल वाले का रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट  था जहाठहोटेल वाले ने बताया जाकर खाने का ऑरà¥à¤¡à¤° लिखवा दो रूम सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ इन जगहो पर कम ही मिलती है. यहाठपर पहले से ऑरà¥à¤¡à¤° देना पड़ता है. तब जा कर खाना मिलता है
हम देर से पहà¥à¤šà¥‡ थे हमे देर से   रात के 9.30 बजे जाकर खाना मिला.
07.05.2012
मै  सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे ही उठगया. à¤à¤²à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• केटली मे 2 कप चाय बनाई. बाहर देखा हलà¥à¤•ा सा दिन निकालने लगा है , कॅमरा ले कर होटेल की दूसरी मंज़िल पर पहà¥à¤à¤š गया और आस-पास के खूबसूरत नजारो के फोटो खींचे. 7-7.30 बजे यमञोतà¥à¤°à¥€ के लिठचलना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. होटेल के बाहर ही दà¥à¤•ाने थी जहाठडंडे मिल रहे थे. पहाड़ो पर चढ़ते समय इन डंडो  से बहà¥à¤¤ आराम रहती है. 50 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡Â के चारो के लिठ4 डंडे लिà¤Â दà¥à¤•ानदार ने बताया की वापस करने पर आधे पैसे वापस मिल जाà¤à¤à¤—े. जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ से यमञोतà¥à¤°à¥€ मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर है. हमे लगा की ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूरी तो है नही आसानी से चढ़ जाà¤à¤à¤—े पर थोड़ी देर बाद ही लग गया कि  चढ़ाई  इतनी आसान नही है. मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगा कि  यमनोतà¥à¤°à¥€Â   की चढ़ाई  वैषà¥à¤£à¥‹ देवी की पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वाले रासà¥à¤¤à¥‡ जैसी  है. सीढ़ी नà¥à¤®à¤¾. 6 किलोमीटर की चढ़ाई हमने 3 , घंटे मे पूरी की. केदारनाथ के रासà¥à¤¤à¥‡ से काफ़ी सही है.पूरी चढ़ाई  यमà¥à¤¨à¤¾ के किनारे – किनारे है. रासà¥à¤¤à¤¾ काफ़ी सà¥à¤‚दर हरा à¤à¤°à¤¾ है. रासà¥à¤¤à¥‡ मे फोटो खिचते हà¥à¤  बदते रहे. à¤à¤• बात मैने महसूस की, कि पैदल आप पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿ का जो आनंद ले सकते है वह घोड़े या पालकी से कà¤à¥€ नही. रासà¥à¤¤à¥‡ मे देख रहा था कई नवयà¥à¤µà¤• घोड़े पर चले जा रहे थे. और कà¥à¤› तो पालकी से जा रहे थे. देख कर आशà¥â€à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤† और अफ़सोस à¤à¥€ की आज कल के इन नौजवानो को कà¥à¤¯à¤¾ हो गया है जो अपने शरीर का बोठà¤à¥€ अपने पैरो पर नही उठा सकते. अपने शरीर को दूसरे के कंधो पर ले कर जा रहे है. पता नही अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पैसे  ने उनको इतना आराम तलब बना दिया है कि  अब उनका शरीर  इस लायक नही रहा कि  वह अपना बोठले कर चल सके. सबसे बड़ी बात कि उनके चेहरे पर कोई शिकन नही थी.
मंदिर पहà¥à¤à¤š कर गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. यहाठपर काफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी. पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ मे कोई दिकà¥à¤•त नही हà¥à¤ˆ. कà¥à¤‚ड का  जल ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गरà¥à¤® ना हो इसलिठठंडे पानी की  पतली धार कà¥à¤‚ड मे गिर रही थी. और यह ज़रूरी à¤à¥€ था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि इस कà¥à¤‚ड से उपर दिवà¥à¤¯Â शिला पर जो कà¥à¤‚ड है उसमे तो इतना गरà¥à¤® पानी है कि सà¤à¥€ लोग पूजा के चावल उसमे पकाते है. जैसा कि  मैने पढ़ा था की दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले मंदिर के बाहर दिवà¥à¤¯à¤¾Â शिला का पूजन करते है उसके बाद दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजाते है. गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर के कपड़े बदल ही रहा था कि  तà¤à¥€ पंडा लोग आ कर पूजा करने का आगà¥à¤°à¤¹ करने लगे. पूजा तो करनी ही थी मैने पूजा से पहले पंडा से पूछ  लिया की कितने पैसे लोगे पर सà¤à¥€ कह रहे थे आप अपनी शà¥à¤°à¤§à¤¾  से दे देना. कई लोगो ने डरा दिया था की यहाठपंडा लोग बहà¥à¤¤ पैसे  ले लेते है. इसलिठमैने पहले ठहरा लेना उचित समà¤à¤¾. जब वह शà¥à¤°à¤§à¤¾  की बात करने लगे तो मैने कहा 201 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दूà¤à¤—ा. वह बोले ठीक है अब हम अपने परिवार के साथ उनके मंदिर के पास बने पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‹à¤°à¥à¤® पर पहà¥à¤šà¥‡. यहाठपर बहà¥à¤¤ सारे लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे à¤à¤• जगह बैठा कर पूजा करनी शà¥à¤°à¥‚ की. मै  समà¤à¤¾ करता था कि   कोई शिला  होगी पर शिला तो कोई नज़र नही आई तब मैने पंडा जी से पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बताया की जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठे है यही दिवà¥à¤¯à¤¾Â शिला है. पूजा के बाद पंडा जी ने कहा, अब आप लोग माठ यमà¥à¤¨à¤¾ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लो जब तक आपके चावल à¤à¥€ पक जाà¤à¤à¤—. यमञोतà¥à¤°à¥€ मे पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦  के रूप मे चावल गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे पका कर यातà¥à¤°à¥€ ले जाते है. मंदिर मे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही थी माठयमà¥à¤¨à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ काले पतà¥à¤¥à¤° की  बनी है उनके साथ माठ गंगा की à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. दरà¥à¤¶à¤¨ कर के बाहर आया तब तक पंडा गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड मे पके हà¥à¤ चावल की पोटली ले कर आ गये. मैने कही पढ़ा था की यहाठà¤à¤• ऋषि रहते थे जो रोज गंगा नहाने पहाड़ पार कर के गंगोतà¥à¤°à¥€ जाते थे जब वह काफ़ी उमà¥à¤°  के हो गये और पहाड़ पार  कर जाना संà¤à¤µ नही हà¥à¤† तब माठ गंगा से उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤¨à¤¾ की तब गंगा वही पà¥à¤°à¤•ट हो गई . कहते है यहाठयमनोतà¥à¤°à¥€ मे à¤à¤• धारा गंगा की à¤à¥€  बहती है. मैने जब इस बारे मे पंडा जी से पूछा तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अनà¤à¥€à¤—à¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•ट की. अब मैने सोचा की यहाठतक आठहै तो यमà¥à¤¨à¤¾ जी का जल तो ले चलना चाहिà¤. मंदिर के साथ से ही यमà¥à¤¨à¤¾ जी बह रही है. 1-2 लोग वहाठपर जल ले रहे थे मैने à¤à¥€ à¤à¤• बोतल मे जल à¤à¤°à¤¾,  पतà¥à¤¨à¥€ और बचà¥à¤šà¥‹ को à¤à¥€ बà¥à¤²à¤¾ कर यमà¥à¤¨à¤¾ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ कराà¤. à¤à¤• तरह से यहाठपर यमà¥à¤¨à¤¾ जी पहले दरà¥à¤¶à¤¨ होते है. यमà¥à¤¨à¤¾ जी का जल à¤à¤• दम सà¥à¤µà¤šà¥à¤›  पारदरà¥à¤¶à¥€ है और पीने मे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा यही जल दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤š कर किस अवसà¥à¤¥à¤¾ मे हम कर देते है यह तो दिलà¥à¤²à¥€ वाले ही जानते है. जल इतना ठंडा था कि   बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से बोतल मे à¤à¤° पाया. वहाठपर à¤à¤• और मंदिर है राम सीता और हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का जिसके पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी पूरे साल वही रहते है. हम à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ करने गये.
अब हम सब वापस चल दिà¤. मै  समà¤à¤¤à¤¾ हू तेज़ी से नीचे उतरना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आसान होता है   नीचे उतरते हमे 4.30 बज गये. अब  आगे जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® मैने कॅनà¥à¤¸à¤² कर दिया रात मे यही जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ मे रà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया. मंदिर जाते समय à¤à¤• बात और देखने को मिली जब हम à¤à¥ˆà¤°à¥‹ मंदिर के पहले पहà¥à¤à¤šà¥‡, यहाठ4-5 लोग हर घोड़े, पिटढू, पालकी वाले से रसीद चेक कर रहे थे. पता लगा की यह रसीद नीचे जब यातà¥à¤°à¥€ इन लोगो को तय करता है तब कटनी होती है. 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घोड़ा, या पिटढू के हिसाब से यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ को देना होता है. हम लोग तो पैदल चल रहे थे और अपना समान अपने कंधो पर था हमने पिटढू किया नही था इसलिठहमे तो पता ही नही लगता परंतॠवहाठà¤à¤•  सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¤—ड़ा  हो रहा था, उसका कहना था कि उसने  रसीद कटवाई थी पर उस पर कटिंग होने के कारण वह लोग 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ और माà¤à¤— रहे थे. . मतलब यह की अगर आप यमञोतà¥à¤°à¥€ मे घोड़ा, पिटढू, पालकी करते है तो आपको 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टॅकà¥à¤¸ à¤à¤°à¤¨à¤¾ होगा. सोंच कर गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आया कि  à¤à¤•  तो यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ से यहाठके लोगो को रोज़गार मिलता है और उपर से यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ से टॅकà¥à¤¸ à¤à¥€ वहाठकी पंचायत वसूल रही है. और कोई à¤à¥€ इस टॅकà¥à¤¸ वसूली के खिलाफ आवाज़ à¤à¥€ नही उठा रहा है. मेरी नज़र में  तो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की सरकार वासà¥à¤¤à¤µ मे बहà¥à¤¤ ग़लत कारà¥à¤¯ कर रही है.
रस्तोगी जी ,
बहुत सीधा सरल वर्णन . पाठक को पढने के लिए प्रेरित करता हैं सुन्दर लेख और सुन्दर फोटो .
अगले लेख के बारे में आपने कुछ नहीं लिखा .उम्मीद हैं अगला लेख भी बहुत जल्दी पढने को मिलेगा .
धन्यवाद .
कविता जी
धन्यवाद , यमनोत्री से गंगोत्री का लेख तैयार है. एक दो दिन मे प्रकाशित हो जायगा.
सटीक लेखन रस्तोगी जी | हर की पौड़ी पर इन चंदा मांगने वालों को मैने कभी चंदा नहीं दिया | बड़ी व्यवस्था (चेंजिंग रूम्स वगैरह) तो छोडिये, ये लोग साफ़ सफाई भी नहीं रख पातें हैं | दुःख की बात है प्रशाशन की तरफ से कोई जवाब नहीं है | अक्सर सफ़र से वापस आने के बाद, दोस्तों और रिश्तेदारों की शिकायत रहती है की उन्हें साथ चलने को क्यों नहीं कहा पर अगला अवसर आने पर लोग फिर से किसी न किसी सांसारिक गतिविधि में फँस जाते हैं और साथ नहीं चल पाते |
यमुनोत्री के फोटोस लाजवाब हैं | अब चलें गंगोत्री की ओर ?
नंदन जी
जानकार खुशी हुई कि आप भि मेरे विचार से सहमत है, सच तो यह है कि यहाँ के ट्रस्टी के ढा ट बांट देखते ही बनते होंगे. इतने कम समय मे पूरा लेख पद कर प्रकाशित करने के लिए बहुत धन्यवाद.
रस्तोगी जी, बड़ी ही सरल तथा तन्मयता की लेखन शैली है आपकी, पाठक को एक ही प्रवाह में बहाते ले जाते हो. चित्र भी सुंदर तथा विस्तृत हैँ. जवानों के बारे में आपने जो कहा ठीक है. मैं जिस लॉज में ठहरा था वहाँ चार लड़के जिनमें तीन घोड़ों पर तथा एक पालकी पर यात्रा करके वापिस आए मैं उनसे पीछे था, लॉज पर पहुँचा तो क्या देखता हूँ कि दो बूडे माल्शिये उनकी टाँगों कि मालिश कर रहे हैँ मैंने हँसी-2 में उनसे पुछा क्यों बेटा घोड़े-पालकी पर भी थक गए. कहने लगे बाबा आप लोगों ने बादाम-कुश्ते खाएँ हैँ, हमें तो थकान होगी ही. रस्तोगी जी शायद हम इन्हें अच्छे संस्कार नहीँ दे पा रहे इसीलिये इन्हें पश्चिम विलासिता ही भा रही है.
त्रिदेव जी
आपको यात्रा विवरण पसंद आया. बहुत धन्यवाद , जहाँ तक आज के नवयुवको के संस्कार की बात है तो इनका ख़ान पान और सेहत के प्रति सचेत ना रहना ही है.साथ ही साथ पैसे का नशा तो होगा
bahut accha likha rastogi sir
कटारिया जी
यात्रा विवरण पसंद आने के लिए धन्यवाद ,
very nice story
रस्तोगी जी , क्या सुंदर लिखते हैं , बहुत अच्छे रूप में यात्रा का वर्णन किया . हर की पैरी पर अव्यवस्था पूरी तरह है सफाई नहीं है जानवरों का मल मूत्र गन्दा करता है. … यमुनोत्री रास्ते को साफ़ सुंदर बनाने के लिए यहाँ की सर कार टैक्स लेती है. वहां पर घोड़े वाले बिहार नेपाल के हिन्दू है
तथा वहां के रास्ते केदारनाथ के मुकाबले बहुत सुंदर साफ रहते हैं . इसीलिए टैक्स देना बुरा नहीं लगता , घोड़े के रेट भी फिक्स हैं
poha ji
यात्रा विवरण पसंद आया. बहुत-बहुत धन्यवाद ,
हो सकता है आप उचित समझते हो, पर यह मेरा द्रष्टिकोण है कि 400-500 रुपये के पिट्टू पर 100 रुपये का टॅक्स किसी भी माने मे उचित नही है.
रस्तोगी जी ,
बहुत सुंदर वर्णन है,फोटो बहुत सुंदर हैं, १०० रूपये टैक्स वाली बात, पंचयत को लगता है घोड़े पालकी पर जाने वाले आमीर अमीर लोग हैं, एक भाई बता रहे थे, मुस्लमान शासक सोने की मुहर धार्मिक यात्रा की वसूला करते थे .
धन्यवाद.
शर्मा जी
आपको यात्रा संस्मरण पसंद आया , धन्यवाद ,
रस्तोगी जी,
बहुत ही विस्तृत, प्रभावी एवं ओजपूर्ण लेख. चित्र भी बहुत सुन्दर. कुल मिला कर एक सम्पूर्ण संतुष्टिदायक यात्रा वृत्तान्त. देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर अब तक अपने कदम नहीं पड़े हैं अतः ज्यादा कुछ टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. आपके साथ यमनोत्री की काल्पनिक यात्रा की, आपको धन्यवाद.
मुकेश जी
आप लोगो के विचार ही हमे यात्रा की विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रेरित करते है.
धन्यवाद
सबसे समझदारी का काम यही है कि आप पंडे से क्या हर आदमी से सब बात पहले तय कर लो बाद में श्रद्धा के नाम पर आपको क्या क्या सुनना पड सकता है इसकी कोई सीमा नही ।
फोटोज काफी सुंदर आये हैं । और आपकी लेखन शैली का जबाब नही
पहाडो में यही रोजगार है लोगो का भी और सरकार की यही आय है । कभी कभी गुस्सा आता है पर कभी कभी सोचते हैं कि अगर हम लोग नही देंगे तो कौन सी यहां पर खेती हो रही है
प्रिय मनु
बहुत खुशी हुई आप को मेरा यात्रा विवरण, मेरी आदत पसंद आई. कुछ लोग अन्यथा भी ले सकते है.
धन्यवाद
Very nice, aap ne kikha ki aap last year amarnath yatra pe gaye, pls uska vistar puravak lekh prakasit kijeya
dear RAJ
मेरा पहला लेख तो अमरनाथ यात्रा ही था जो कि अभी 10-15 दिन पहले ही प्रकाशित हुआ है.
आपने बहुत ही अच्छी भाषा में बहुत ही अच्छे से आपनी यमुनोत्री यात्रा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया….फोटो भी बहुत ही सुन्दर और शानदार लगे |
मेरे हिसाब से यात्रियों पर टैक्स लगाना गलत हैं, पर क्या करे …. किसी पर इतना समय तो नहीं की वह उनसे लड़ सके…|
अगले लेख के प्रतीक्षा में …..
Dear Ritesh
आप को यात्रा विवरण पसंद आया बहुत खुशी हुई .
धन्यवाद
aapki live yatra vivran pad kar yamunoti dekhne ki ichcha ho rahi hai.
dear arvind ji
यात्रा विवरण पसंद आया खुशी हुई, समय मिले तो अवश्य जाए
achha vivran or bahot hi achhi pics hi, aisa laga jaise hum hi ghoom rahe hon……..
geeta ji
बहुत खुशी हुई आप को मेरा यात्रा विवरण पसंद आया , अमरनाथ यात्रा, जो कि अभी 10-15 दिन पहले ही प्रकाशित हुआ है.
समय निकल कर देखे
बहुत बढ़िया विवरण और फोटो हैं. आपके विचार भी बहुत अच्छे हैं. दान भी सुपात्र को ही करना चाहिए.