आज हमारा छोटा सा काफिला करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— संगम दरà¥à¤¶à¤¨ करके जोशिमठ, विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— होते हà¥à¤ à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरबार मे हाज़िरी लगाने वाला था. हम लोग आज सà¥à¤¬à¤¹ के सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ अनà¥à¤à¤µ (जिसकी बà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾ आप पिछले लेख मे पढ़ चà¥à¤•े हैं) की आपस मे चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ बाज़ार के रासà¥à¤¤à¥‡ संगम की ओर बढ़ रहे थे जिसके दरà¥à¤¶à¤¨ हमने कल अंधेरे मे किठथे. वैसे तो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की यातà¥à¤°à¤¾ करने वाले हर साथी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ को करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के बारे मे पता होगा पर जो लोग ये यातà¥à¤°à¤¾ अà¤à¥€ तक नही कर पाठहैं उनके लिठसंगम दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की थोड़ी सी जानकारी. à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से आने वाले हर यातà¥à¤°à¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡ मे माठअलकनंदा के पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— आते हैं जहाठमाठअलकनंदा का संगम à¤à¤¾à¤—ीरथी (देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), मंदाकिनी (रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), पिंडर (करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—), नंदाकिनी (नंदपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—) और धौलीगंगा (विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—) से होता है. इनà¥à¤¹à¥€ पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—ों मे से à¤à¤• करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— दो पावन नदियों का मनमोहक संगम सà¥à¤¥à¤² होने के अलावा उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के दो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ (गढ़वाल और कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊ) का à¤à¤• बड़ा जंकà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ है. यहीं से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ जोशिमठहोते हà¥à¤ à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¤¿à¤¶ के दरबार की ओर जबकि दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥à¤¦à¤® होते हà¥à¤ बागेशà¥à¤µà¤° व कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊ के अनà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की ओर जाता है. यहाठसे रानीखेत की दूरी लगà¤à¤— उतनी ही बताई जाती है जितनी की यहाठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की, है ना रोचक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨! करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— का ये नाम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• वीर और दानी योदà¥à¤§à¤¾ करà¥à¤£ के नाम पर पड़ा है, à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— दानवीर करà¥à¤£ की तपसà¥à¤¥à¤²à¥€ थी जहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपने तप से सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करके उनसे अमोघ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कवच पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था. यहाठसंगम के किनारे करà¥à¤£ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• मंदिर à¤à¥€ है जहाठपिछली रात हम लोग खà¥à¤²à¥‡ मे सोने आठथे.
अलकनंदा (बाà¤à¤¯à¥€ ओर) और पिंडर (दाà¤à¤¯à¥€ ओर) का लà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ संगम दृशà¥à¤¯
शानदार घाटियों को चीरते हà¥à¤ बदà¥à¤°à¤¿à¤§à¤¾à¤® से आती हà¥à¤ˆ माठअलकनंदा
संगम को इंगित करते हà¥à¤ पà¥à¤¨à¥€à¤¤ (पिंडर) और मैं (अलकनंदा)
संगम पर मसà¥à¤¤à¥€ करते 3 ईडियटà¥à¤¸ (बाà¤à¤¯à¥‡ से दीपक, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और मैं)
मंज़िल की और इशारा करता साइनबोरà¥à¤¡, कà¤à¥€ नीचे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर à¤à¥€ जाà¤à¤à¤—े!
चूà¤à¤•ि आज हमे सिरà¥à¤«à¤¼ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ ही पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था (जो की यहाठसे मातà¥à¤° 125 किमी ही है), इसलिठहम संगम पर काफ़ी देर बैठे मसà¥à¤¤à¥€ करते रहे. संगम का आनंद लेकर और दोनो नदियों के जल से विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व उरà¥à¤œà¤¾ पाकर हम लोग आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलने को तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° थे. ढाबे पर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद, हम लोग सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की बस लेने आ पहà¥à¤à¤šà¥‡. थोड़ी देर इंतेज़ार के बाद, à¤à¤•ाध बसें आई पर सब खचाखच à¤à¤¾à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ, पाà¤à¤µ रखने तक की जगह नही थी, यातà¥à¤°à¤¾ सीज़न मे ये à¤à¤• आम नज़ारा है. काफ़ी देर तक à¤à¤¸à¤¾ होने से कà¥à¤› बैचेनी सी होने लगी और अंत मे ये निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया की अब जो à¤à¥€ बस आठअगर उसमे खड़े होने की à¤à¥€ जगह हो तो चल पड़ेंगे. इस बैचेनी की मà¥à¤–à¥à¤¯ वजह थी जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के मारà¥à¤— पर यातायात को सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ रखने वाली ‘गेट पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€â€™. अब ये कà¥à¤¯à¤¾ बला है, अरे à¤à¤ˆ बला नही à¤à¤²à¤¾ है! जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के बीच के रासà¥à¤¤à¥‡ कà¥à¤› जगहों पर ख़तरनाक व संकरे हैं जिस कारण इस मारà¥à¤— पर दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं को नà¥à¤¯à¥‚नतम करने व यातायात को काबू मे रखने के लिठ‘गेट पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€’ अपनाई जाती है. इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस मारà¥à¤— पर यातायात को à¤à¤• निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर दोनो और से (जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से जोशिमठ) à¤à¤• तरफ़ा करके बारी बारी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ रूप से छोड़ा जाता है. इसका मतलब जब à¤à¤• तरफ से गेट खोला जाता है और गाड़ियों की आवाजाही शà¥à¤°à¥‚ होती है तो दूसरी और गेट बंद करके यातायात को कà¥à¤› देर के लिठरोक लिया जाता है ताकि दूसरी ओर से आ रही गाड़ियाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रूप से रासà¥à¤¤à¤¾ तय कर सकें. जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के लिठपहला गेट लगà¤à¤— सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे और फिर कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ 9 बजे, 11:30 बजे, 2 बजे और अंतिम गेट लगà¤à¤— 4 बजे (कृपया इस जानकारी को जाने से पूरà¥à¤µ à¤à¤• बार सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लें) खोला जाता है और लगà¤à¤— à¤à¤¸à¤¾ ही बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से जोशिमठआते समय à¤à¥€ होता है.
थोड़ी देर मे हमे à¤à¤• बस आती दिखाई दी, लेकिन ये कà¥à¤¯à¤¾ ये तो केवल जोशिमठतक ही थी. हमने सोचा चलो जोशिमठतक ही सही वहाठसे तो कोई जीप आदि à¤à¥€ मिल जाà¤à¤—ी लेकिन अगर गेट बंद हो गया तो रात जोशिमठमे ही बितानी पड़ेगी. खà¥à¤¶à¤•िसà¥à¤®à¤¤à¥€ से चढ़ते ही थोड़ी देर मे बैठने की सीट à¤à¥€ मिल गयी और हमारे रोमांचक सफ़र के पहिठफिर दौड़ने लगे. शानदार हरे à¤à¤°à¥‡ पहाड़, घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° मोड़, माठअलकनंदा का साथ और उस पर बस मे बज रहे मधà¥à¤° पहाड़ी गीतों का तड़का सब मिलकर इसे à¤à¤• रूहानी सफ़र बना रहे थे, लगता था मानो ये सफ़र बस यूठही चलता रहे. वाकई मंज़िल से खूबसूरत तो ये सफ़र लग रहा था, à¤à¤¸à¤¾ सोचते हà¥à¤ हम लोग चले ही जा रहे थे कि अचानक बस रà¥à¤•ने सी लगी, पूछा तो पता चला की दूसरी तरफ से वाहनों की आवाजाही की वजह से इस तरफ का यातायात रोक दिया गया था. जिस जगह पर हमारी बस रà¥à¤•ी थी, ये जगह थी बिरही जो की चमोली और पीपलकोटी के बीच à¤à¤• छोटा सा दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है और यहीं पर अलकनंदा का संगम बिरही गंगा से होता है. यहाठहमारी बस लगà¤à¤— 1 घंटे खड़ी रही और इस बीच हम आसपास की खूबसूरती का मज़ा लेते रहे.
बिरही मे यातायात खà¥à¤²à¤¨à¥‡ का इंतेज़ार करते हà¥à¤
हम लोग पैदल घूमते घूमते कà¥à¤› आगे तक निकल आठथे कि यातायात खà¥à¤²à¤¤à¤¾ दिखाई दिया और हम लोग अपनी बस का इंतेज़ार करने लगे. जैसे ही बस नज़दीक आई, हम लोगों ने अपनी अपनी सीटों पर वापिस क़बà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर लिया. यहाठसे जोशिमठकी दूरी लगà¤à¤— 37 किमी थी जिसका मतलब हमे अà¤à¥€ 2 घंटे और बस का सफ़र करना था जोशिमठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिà¤. खैर हम लोग सही समय पर जोशिमठपहà¥à¤à¤š गये और यहाठउपर जाने वाली गाड़ी का इंतेज़ार करने लगे जो संयोगवश हमे थोड़ी ही देर मे मिल गयी. हमारी जीप मे दो विदेशी यà¥à¤—ल à¤à¥€ मौजूद थे जो पà¥à¤¨à¥€à¤¤ के लिठà¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ टाइम पास साबित हà¥à¤†. पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ वह उन लोगों से हà¤à¤¸à¥€ मज़ाक करता रहा, यहाठतक की उसने यà¥à¤µà¤¤à¥€ से हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤® का गाना तक गवा डाला. इन दोनो विदेशियों की à¤à¤• रोचक कहानी हमे अगले दिन बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मे पता चली जिसका बà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¾ अगले लेख मे दिया जाà¤à¤—ा. जोशिमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के खूबसूरत रासà¥à¤¤à¥‡ मे हमे पाà¤à¤š पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—ों मे अंतिम विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं जो जोशिमठसे लगà¤à¤— 12 किमी की दूरी पर है और अलकनंदा व धौलीगंगा का सà¥à¤‚दर संगम सà¥à¤¥à¤² है. संगम से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ हैरान कर देने वाली खूबसूरत उà¤à¤šà¥€ उà¤à¤šà¥€ पहाड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से होता हà¥à¤† जाता है और अलकनंदा à¤à¥€ यहाठइन विशाल चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤• छोटी सी धारा के समान पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है.
धौलीगंगा (बाà¤à¤¯à¥‡) और अलकनंदा (दाà¤à¤¯à¥‡) का सà¥à¤‚दर संगम सà¥à¤¥à¤² – विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— (किसी अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लिया गया फोटो)
उà¤à¤šà¥€ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच से बहती अलकनंदा की अविरल धारा (किसी अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लिया गया फोटो)
सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ सफ़र की गवाही देते सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡
इन खूबसूरत रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से पहले अगला दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है गोविनà¥à¤¦à¤˜à¤¾à¤Ÿ जहाठसे अलकनंदा को पार करके सिखों के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बसे गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ शà¥à¤°à¥€ हेमकà¥à¤‚ड साहिब जी और मनमोहक फूलों की घाटी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है. हमारे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® मे वैसे ये दोनो खूबसूरत सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€ शामिल थे लेकिन यहाठआने पर पता चला की इन जगहों की यातà¥à¤°à¤¾ तब तक खà¥à¤²à¥€ नही थी, इसलिठइन जगहों को किसी और यातà¥à¤°à¤¾ के लिठछोड़ दिया गया (इन दोनों जगहों की रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾ इस साल पूरी कर ली गयी है जिसका लेखा जोखा किसी और दिन पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया जाà¤à¤—ा). बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से कà¥à¤› पहले हमारी जीप रासà¥à¤¤à¥‡ मे 2/3 बार थोड़ी थोड़ी देर के लिठरà¥à¤•ी जिसकी वजह थी रासà¥à¤¤à¥‡ मे पड़ी बरफ. पहले बार जीप काफ़ी देर तक खड़ी रहे तो मैने बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ तक पैदल चलने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जिसे खारिज कर दिया गया. हम वहीं खड़े खड़े बरà¥à¤« का मज़ा लेने लगे और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होते रहे.  खैर सांठढलने से कà¥à¤› पहले हम लोग बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š गये.
दीपक (बाà¤à¤¯à¥‡) और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ (दाà¤à¤¯à¥‡) बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर
दीपक à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को दिखाते साइनबोरà¥à¤¡ के साथ
चूà¤à¤•ि आज सिरà¥à¤«à¤¼ मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ से रहने का ठिकाना ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ लगे जिसमे काफ़ी देर लग गयी. आज की रात हम लोग डौरमैटà¥à¤°à¥€ मे गà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤° रहे थे, यहीं अपना सारा सामान छोड़कर हम लोग दरà¥à¤¶à¤¨ करने से पहले सलà¥à¤«à¤° यà¥à¤•à¥à¤¤ तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के जल मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने निकल पड़े. सबसे पहले हम तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के पास गये पर उसका जल इतना गरà¥à¤® था की हम लोगों की उसमे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने की हिमà¥à¤®à¤¤ नही पड़ी इसलिठहम लोग à¤à¤• दूसरे कà¥à¤‚ड नारद कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने लगे जो की खà¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मे था और कम गरà¥à¤® था. नारद कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना उस ठंडे माहौल मे इतना ताज़गी देने वाला और सà¥à¤–द अहसास था कि कà¥à¤‚ड से बाहर आने का मन ही नही कर रहा था.
तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के पास रंग बिरंगा पà¥à¤² और पीछे बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियाà¤
जैसे जैसे सूरज ढल रहा था ठंड बढ़ती जा रही थी à¤à¤¸à¥‡ मे पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और दीपक ने अपने गरà¥à¤® कपड़े निकाल लिà¤, पर ये कà¥à¤¯à¤¾ जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¤¼à¥€ मे मैं तो अपनी जैकेट लाना ही à¤à¥‚ल गया था. सोचा चलो कोई बात नही यहीं बाज़ार से गरम कपड़े ले लेंगे, पर जैसे ही सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद हम लोग रंग बिरंगे बाज़ार से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजा रहे थे तो ठंड ने अपना असर दिखना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और शरीर मे कà¤à¤ªà¤•पी होने लगी. à¤à¤¸à¥‡ मे तो राहत तब ही मिली जब हमने बाज़ार से कà¥à¤› गरम कपड़े लिà¤. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ (3133 मी.) उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के चारधामों मे से à¤à¤• है जहाठà¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ à¤à¤• रंग बिरंगे आकरà¥à¤·à¤• मंदिर के अंदर विराजमान हैं. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ आकर वकà¥à¤¤ जैसे रà¥à¤• सा जाता है और यहाठकी बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ हसीन वादियाठआप को इन वादियों मे खो जाने पर मजबूर कर देती हैं.
हम लोग मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपहà¥à¤à¤šà¥‡ तो à¤à¤• लंबी कतार देखकर पहले तो लगा कि आज दरà¥à¤¶à¤¨ हो पाना लगà¤à¤— मà¥à¤¶à¥à¤•िल ही है लेकिन ये सोचकर लाइन मे लगे रहे कि हो सकता है कि कल à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¥€à¤¡à¤¼ हो और अगले दिन हमे काफ़ी कà¥à¤› देखना था और वापस जोशिमठà¤à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था. खैर मंदिर बंद होने से कà¥à¤› पहले ही हमे मंदिर मे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने और à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†. दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम लोग à¤à¥‚ख से आतà¥à¤° à¤à¤• ढाबे मे लज़ीज़ खाने का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेने पहà¥à¤à¤šà¥‡ और फिर घूमते घामते अपने रात के ठिकाने पर पहà¥à¤à¤šà¥‡. आज ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ना चलने के बावजूद à¤à¥€ थकान से हम सà¤à¥€ बेहाल थे इसलिठडौरमैटà¥à¤°à¥€ मे आते ही कल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठने के वादे के साथ बिसà¥à¤¤à¤° पर लमलोट हो गये और ना जाने कब आà¤à¤– लग गयी पता ही नही चला. आज के लिठइतना ही लेकिन ये रोमांचक सफ़र आगे à¤à¥€ जारी रहेगा अगले लेख मे…