नमसà¥à¤•ार मितà¥à¤°à¥‹à¤‚, जैसा कि आपको धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही होगा, हम सहारनपà¥à¤° से 27 मारà¥à¤š की सà¥à¤¬à¤¹ उदयपà¥à¤° के लिये निकले थे। गाज़ियाबाद तक कार तक, फिर नई दिलà¥à¤²à¥€ से उदयपà¥à¤° तक à¤à¤¯à¤° डेकà¥à¤•न के विमान से ! पांच दिन तक उदयपà¥à¤° और माउंट आबू घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ के लिये हमें मिला हसीन नाम का à¤à¤• टैकà¥à¤¸à¥€ चालक जिसने हमें बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€ पोल में वंडर वà¥à¤¯à¥‚ पैलेस से परिचित कराया जहां हमें अपने मनपसनà¥à¤¦ कमरे मिले। शाम को हमें सहेलियों की बाड़ी दिखाई, रात को हमें अंबराई रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट पर ले जाकर छोड़ा जहां हमने राजपूती आन-बान-शान से डिनर लिया और अपने होटल में आकर सो गये।  अब आगे !
अंबाजी माता मंदिर, उदयपà¥à¤° ! हर रोज़ आयेंगे यहां !
सामान टैकà¥à¤¸à¥€ में लाद कर हम होटल के रिसेपà¥à¤¶à¤¨ पर आये और पà¥à¤¨à¤ƒ अपनी बà¥à¤•िंग नोट कराई कि ३० मारà¥à¤š को शाम को आयेंगे और १ अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को सà¥à¤¬à¤¹ चैक आउट करेंगे और हमें ये ही कमरे पà¥à¤¨à¤ƒ चाहियें।  वहां से चल कर सबसे पहले अंबा जी माता मंदिर पहà¥à¤‚चे! होटल से संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ पांच मिनट के सफर के बाद ही, उदयपà¥à¤° के à¤à¤• शांत इलाके में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ कर मन को बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा। मंदिर में अधिक à¤à¥€à¥œ नहीं थी, पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी के नखरे à¤à¥€ नहीं थे। हमने जो पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ मंदिर के बाहर à¤à¤• दà¥à¤•ान से लिया था, वह वासà¥à¤¤à¤µ में हमारी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में ही अंबा माता जी को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया। हमारी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी तो यह देख कर बहà¥à¤¤ तृपà¥à¤¤ और धनà¥à¤¯ हो गई अनà¥à¤à¤µ कर रही थीं। आम तौर पर बड़े – बड़े विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ मंदिरों में हमें यही अनà¥à¤à¤µ होता है कि वहां शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को धकियाया जाता है, पैसे वालों की पूछ होती है, दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये à¤à¥€ पैसे मांगे जाते हैं। जो पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है, वह कà¥à¤› ही घंटों में पà¥à¤¨à¤ƒ मंदिर के बाहर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दà¥à¤•ानों को बेच दिया जाता है। मंदिरों में à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨ कम और वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤•ता के दरà¥à¤¶à¤¨ अधिक होते हैं तो मन उदास हो जाता है। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने तो निशà¥à¤šà¤¯ कर लिया कि माउंट आबू से लौट कर जितने दिन उदयपà¥à¤° में रà¥à¤•ेंगे, हर सà¥à¤¬à¤¹ इस मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥ आया करेंगे।
पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ देना à¤à¤¾à¤ˆ ! अंबा जी माता मंदिर, उदयपà¥à¤°
वहां से निकल कर अगला पड़ाव था – जगदीश मंदिर ! मैं चूंकि à¤à¤• घंटा पहले यहां तक आ चà¥à¤•ा था अतः मà¥à¤à¥‡ बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ सा लग रहा था कि अब मैं अपने परिवार के लिये गाइड का रोल निरà¥à¤µà¤¹à¤¨ कर सकता हूं। परनà¥à¤¤à¥ पहली बार तो मैं मंदिर की सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नीचे से ही वापिस चला गया था। ऊपर मेरे लिये कà¥à¤¯à¤¾ – कà¥à¤¯à¤¾ आकरà¥à¤·à¤£ मौजूद हैं, इसका मà¥à¤à¥‡ आà¤à¤¾à¤¸ à¤à¥€ नहीं था। मंदिर की सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नीचे दो फूल वालियां अपने टोकरे में फूल – मालायें लिये बैठी थीं । माला खरीद कर हम सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर बॠचले। à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¹à¤¬ का कई वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ à¤à¤•à¥à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट हà¥à¤† था, तब से उनको सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ चà¥à¤¨à¥‡ में असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ होती है। वह बोले कि मैं टैकà¥à¤¸à¥€ में ही बैठता हूं, तà¥à¤® लोग दरà¥à¤¶à¤¨ करके आओ। मैने कहा कि टैकà¥à¤¸à¥€ में बैठे रहने की कोई जरूरत नहीं।  मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ मालूम है मैं आपको वहां से मंदिर में ले चलूंगा। उसमें दो-तीन सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ही आयेंगी। वह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित हो गये कि मà¥à¤à¥‡ इस मंदिर के रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बारे में इतनी गहन जानकारी कैसे है। वासà¥à¤¤à¤µ में, जब मैं पैदल घूम रहा था तो à¤à¤• बहà¥à¤¤ ढलावदार रासà¥à¤¤à¥‡ से होकर मैं मंदिर के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° तक आया था। उस ढलावदार रासà¥à¤¤à¥‡ पर à¤à¥€ जगदीश मंदिर के लिये छोटा सा पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° दिखाई दिया था। à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¹à¤¬ इतनी सारी सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नहीं चॠसकते थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनका घà¥à¤Ÿà¤¨à¤¾ पूरा नहीं मà¥à¥œ पाता परनà¥à¤¤à¥ ढलावदार रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलने में कोई दिकà¥à¤•त नहीं थी। मेरी जिस ’आवारागरà¥à¤¦à¥€â€™ को लेकर सà¥à¤¬à¤¹ ये तीनों लोग खफा नज़र आ रहे थे, अब तीनों ही बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ थे। आखिर इसी ’आवारागरà¥à¤¦à¥€â€™Â (जिसे मैं घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी कहना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसनà¥à¤¦ करता हूं) की वज़ह से à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¹à¤¬ को मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ जो हो गये थे।
जगदीश मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किसी राज मिसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ या मज़दूर ने नहीं बलà¥à¤•ि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•ारों ने किया है। मंदिर की पूरी ऊंचाई तक सà¤à¥€ दीवारों पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं में मानव आकृतियां निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं। इस विशाल मंदिर की सà¤à¥€ दीवारों पर कितनी मानव आकृतियां अंकित हैं, यह सही सही गिनती करनी हो तो गà¥à¤‚बद की ऊंचाई तक पहà¥à¤‚चने के लिये मचान बनवानी पड़ेंगी। यदि इन सà¤à¥€ आकृतियों का गहन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना हो तो कई सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ या मास लगेंगे। à¤à¤¸à¥‡ में इन सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कलातà¥à¤®à¤• मानव आकृतियों को बनाने के लिये कितना समय लगा होगा, कितना धन और परिशà¥à¤°à¤® वà¥à¤¯à¤¯ हà¥à¤† होगा, इसका कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना à¤à¥€ कठिन है। उन अनाम कलाकारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हम सिरà¥à¤« शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से सिर ही à¤à¥à¤•ा सकते हैं। कला को पà¥à¤°à¤¶à¥à¤°à¤¯ देने वाले, उस पर खरà¥à¤š करने की नीयत रखने वाले इन राजपूत राजाओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ करना चाहूंगा! जगदीश मंदिर के बारे में अनेकों वेबसाइट पर सूचनाओं का अथाह à¤à¤‚डार उपलबà¥à¤§ है, तथापि विकीपीडिया से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जानकारी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°â€¦
जगदीश मंदिर का मूल नाम जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ राय मंदिर है, सिटी पैलेस कामà¥à¤ªà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस बहà¥-मंजिला à¤à¤µà¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ वरà¥à¤· 1651 में पूरà¥à¤£ हà¥à¤† था। यह महाराणा जगत सिंह जी पà¥à¤°à¤¥à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया था। इस मंदिर की पूरी à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को देख पाने के लिये इससे काफी दूरी पर खड़ा होना पड़ता है – तà¤à¥€ इसकी सà¤à¥€ मंजिलों को आप à¤à¤• साथ सही परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में (perspective) देख सकते हैं। इसका मà¥à¤–à¥à¤¯ गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦ 79 फीट ऊंचा है और उदयपà¥à¤° की skyline का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अंग है। बताया जाता है कि इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पर उस जमाने में 15 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ वà¥à¤¯à¤¯ आया था।  पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर बने हà¥à¤ दो विशाल हाथी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करते पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। वहीं सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गरà¥à¥œ – मानव की à¤à¤• पीतल की आकृति मानों इस मंदिर की रकà¥à¤·à¤¾ कर रही है! इसकी दीवारों पर नृतà¥à¤¯à¤¾à¤‚गनाओं, हाथियों, घà¥à¥œà¤¸à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ और संगीतजà¥à¤žà¥‹à¤‚ की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कलातà¥à¤®à¤• आकृतियां उकेरी गई हैं जो इस मंदिर को à¤à¤• अदà¥â€Œà¤à¥à¤¤ गरिमा और सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं।
जगदीश मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करके जब हम बाहर निकले तो पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 10 बजने को थे। अब हमें अपनी लगà¤à¤— 170 किलोमीटर की लंबी यातà¥à¤°à¤¾ पर (जो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 76 और 27 से होकर संपनà¥à¤¨ होनी थी), निकलना था अतः अपने – अपने पेट की टंकी फà¥à¤² करने के मूड से खसà¥à¤¤à¤¾ कचौरी की दà¥à¤•ान पर जा पहà¥à¤‚चे जो आस-पास में ही थी और हसीन के बताये अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बहà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ कचौरी उपलबà¥à¤§ कराती थी।  कचौरी खा कर, कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क की बड़ी बाटली, बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, नमकीन आदि साथ में लेकर हम अपनी यातà¥à¤°à¤¾ पर आगे बà¥à¥‡! हमारी ये यातà¥à¤°à¤¾ बहà¥à¤¤ मनोरंजक रही हो, à¤à¤¸à¤¾ मेरी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में नहीं है। कार का सà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤°à¤¿à¤‚ग मेरे हाथ में होता तो बात कà¥à¤› और ही होती ! राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 76 पर कारà¥à¤¯ चल रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसे सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ योजना के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त देश के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— के रूप में विकसित किया जा रहा था। दो लेन के बजाय 4-लेन बनाने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ जे.सी.बी. और टà¥à¤°à¤• रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° दिखाई देते रहे। जिन पहाड़ियां के मधà¥à¤¯ में से मारà¥à¤— विकसित किया जा रहा था, वह सब लाल रंग की थीं। लाल पहाड़, लाल सड़क, लाल मिटà¥à¤Ÿà¥€ में से गà¥à¥›à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हमारी सफेद इंडिका टैकà¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ लाल हो गई थी और हमारे बालों व वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का रंग à¤à¥€ काफी कà¥à¤› लाल हो गया था। ’लाली देखन मैं चली, मैं à¤à¥€ हो गई लाल!â€
à¤à¤• गाड़ी और हम हैं सौ ! अब कà¥à¤¯à¤¾ हो ? कà¥à¤› तो करो !!!
पिंडवारा में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ परिधान में महिलाà¤à¤‚ !
आबू रोड से जब माउंट आबू के लिये पहाड़ी मारà¥à¤— आरंठहोता है तो वहीं पर अपà¥à¤¸à¤°à¤¾ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट नाम से à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट है। इस रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट के बोरà¥à¤¡ को पॠकर मैं हंसते-हंसते पागल हो गया। लॉरà¥à¤¡ मैकाले अगर इस बोरà¥à¤¡ को देख लेता तो निशà¥à¤šà¤¯ ही या तो आतà¥à¤®-हतà¥à¤¯à¤¾ कर लेता या फिर इस बोरà¥à¤¡ को बनाने वाले को गोली से उड़ा देता। पर à¤à¤¸à¥‡ मज़ेदार बोरà¥à¤¡ तो हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के हर à¤à¤¾à¤— में देखे जा सकते हैं। हमारे सहारनपà¥à¤° में à¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर मैने लिखा देखा – “फीन†डà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤° ।  मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› पलà¥à¤²à¥‡ नहीं पड़ा कि ये फीन कà¥à¤¯à¤¾ बला है। दूसरी तरफ कà¥à¤› और à¤à¥€ लिखा दिखाई दिया जो साफ – साफ नहीं पà¥à¤¾ जा रहा था। धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखा तो “डोल†हेयर लिखा हà¥à¤† महसूस हà¥à¤†! बहà¥à¤¤ सारा दिमाग खरà¥à¤š किया तब जाकर समठआया कि बोरà¥à¤¡ किसी नाई का है जिसने अपनी दà¥à¤•ान का नाम “डॉलà¥à¤«à¤¿à¤¨ हेयर डà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤°â€ तय किया था पर उसने पेंटर से लिखवाया – डोल फीन हेयर डà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤° !  ’डोल’ और ’फीन’ के बीच में और ’हेयर’ और ’डà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤°â€™ के बीच में à¤à¥€ लगà¤à¤— 8 फीट का फासला था।
खैर जी, हमने वहां पर रà¥à¤• कर अपने ऊपर चà¥à¥€ हà¥à¤ˆ रासà¥à¤¤à¥‡ की धूल साफ की, मà¥à¤‚ह – हाथ धोकर à¤à¥‹à¤œà¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया और फिर शेष बच रही लगà¤à¤— 23 किमी की यातà¥à¤°à¤¾ पूरà¥à¤£ की जो पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ पहाड़ी मारà¥à¤— पर थी।  अपà¥à¤¨ चूंकि देहरादून के बाशिंदे हैं और मसूरी कई बार सà¥à¤•ूटर, मोटर साइकिल और कार से आते – जाते रहे हैं, अतः हमें यह पहाड़ी मारà¥à¤— कोई बहà¥à¤¤ कठिन पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ नहीं हो रहा था।
माउंट आबू में हम पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर परिसर में रà¥à¤•ने का मन बना कर आये थे और इसके लिये सहारनपà¥à¤° से ही अपने बारे में à¤à¤• परिचय पतà¥à¤° लिखवा कर लाये थे। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर में मैं à¤à¤• बार पहले à¤à¥€ चार दिन तक रà¥à¤• चà¥à¤•ा था और उसके समà¥à¤®à¥à¤– मà¥à¤à¥‡ और कोई à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जमता ही नहीं था। दिन में लगà¤à¤— दो बजे हम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर परिसर में पहà¥à¤‚चे और रिसेपà¥à¤¶à¤¨ पर पहà¥à¤‚च कर वहां बैठे à¤à¤• à¤à¤¾à¤ˆ जी को पतà¥à¤° दिया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें सोफों की ओर इशारा करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने के लिये कहा।   पांच मिनट ही बीते होंगे कि वहां की संचालिका गीता बहिन जी ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बाहर आकर हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और कहा कि à¤à¤• अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सेमिनार होने जा रही है अतः विशà¥à¤µ à¤à¤° से अतिथि आ रहे हैं फिर à¤à¥€ आप चिंता न करें, आपके लिये समà¥à¤šà¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करते हैं। दस मिनट में ही हमें दो कमरे आबंटित कर दिये गये और à¤à¤• à¤à¤¾à¤ˆ हमें हमारे कमरे दिखाने ले गये। टैकà¥à¤¸à¥€ चालक के लिये à¤à¥€ à¤à¤• कमरा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने टà¥à¤°à¤¾à¤‚सà¥à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ विà¤à¤¾à¤— में दे दिया जहां पर इस संसà¥à¤¥à¤¾ के दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ वाहन चालक रहते हैं। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ में समसà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° की है और सब कà¥à¤› निःशà¥à¤²à¥à¤• ही है। वहां बाबा के कमरे में शिव बाबा की à¤à¤• à¤à¤‚डारी यानि, गà¥à¤²à¥à¤²à¤• रखी रहती है। जिसकी जो इचà¥à¤›à¤¾ हो, वह उस में डाल देता है। à¤à¤• गà¥à¤²à¥à¤²à¤• और à¤à¥€ होती है जिसमें à¤à¤¾à¤ˆ – बहनें शिव बाबा (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥â€Œ परमपिता परमातà¥à¤®à¤¾) को पतà¥à¤° लिख कर उसमें डाल देते हैं। आप अपनी समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚, पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, इचà¥à¤›à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ आदि पतà¥à¤° के रूप में à¤à¤—वान शिव के साथ शेयर करते हैं। आपके पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° आपको सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥‡à¤µ ही सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ में मिल जाते हैं।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ केनà¥à¤¦à¥à¤° में रà¥à¤•ने के कà¥à¤› नियम à¤à¥€ हैं जिनका पालन हर किसी से अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है। हमें ये नियम पता हैं और सà¥à¤µà¥€à¤•ारà¥à¤¯ हैं – यह इस बात से ही सिदà¥à¤§ हो गया था कि हमारे लिये सहारनपà¥à¤° केनà¥à¤¦à¥à¤° ने à¤à¤• परिचय पतà¥à¤° लिख कर हमें दे दिया था जिसमें हमारे ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ हेतॠअनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया गया था। शांति, पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन हमसे अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ था। पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ का अरà¥à¤¥ ये कि हम पà¥à¤¯à¤¾à¤œ, लहसà¥à¤¨, शराब, तंबाखू, गà¥à¤Ÿà¤•ा आदि का सेवन नहीं करते हैं! बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ केनà¥à¤¦à¥à¤° पर जो पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ होते हैं – उनको ककà¥à¤·à¤¾ कहा जाता है और जो पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ देती हैं वे सब शिकà¥à¤·à¤¿à¤•ायें हैं। जो बातें समà¤à¤¾à¤ˆ जाती हैं – उनको à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही कहा जाता है। यह सब सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• à¤à¥€ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस संसà¥à¤¥à¤¾ का नाम à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो शिकà¥à¤·à¤¾ दी जाती हैं उनमें से तीन का  परिचय यहां देने का मन है – “ 1- आप यदि मंदिर नहीं जाते तो कोई दिकà¥à¤•त नहीं पर अपने घर का वातावरण इतना शà¥à¤¦à¥à¤§, सातà¥à¤µà¤¿à¤• और पवितà¥à¤° बना लीजिये कि कोई मेहमान आये तो उसे à¤à¤¸à¤¾ आà¤à¤¾à¤¸ हो कि वह मंदिर में पदारà¥à¤ªà¤£ कर रहा है!  2- आपका वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤¸à¤¾ होना चाहिये कि कोई आपसे मिले तो उसे लगे कि आज à¤à¤• देवता के दरà¥à¤¶à¤¨ हो गये। 3- आप केवल वह चीज़ें खायें और पियें जो आप अपने आराधà¥à¤¯ देवता को पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहेंगे !  पहले अपने à¤à¤—वान को खिलायें और फिर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ परिवार के साथ बैठकर खायें। यानि, घर में जो कà¥à¤› à¤à¥€ बनायें वह पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ है – इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से बनायें।“ शिकà¥à¤·à¤¿à¤•ा महोदया ने विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ दिलाया था कि यदि हम इन तीन बातों को ही अपने जीवन में गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लें और अंगीकार कर लें तो लगà¤à¤— सà¤à¥€ कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ से, कà¥à¤·à¥‹à¤ से और बीमारियों से बचे रहेंगे और इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¤• बेहतर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बना सकेंगे।
इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर की à¤à¥Œà¤—ोलिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ अदà¥â€Œà¤à¥à¤¤ है और सच पूछें तो काफी कà¥à¤› खतरनाक à¤à¥€à¥¤ कहते हैं कि माउंट आबू में जब इस संसà¥à¤¥à¤¾ को अपनी गतिविधियों के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° के लिये और बड़े परिसर की आवशà¥à¤¯à¤•ता महसूस हà¥à¤ˆ तो वांछित आकार का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° वांछित मूलà¥à¤¯ में जो उपलबà¥à¤§ हो सका वह à¤à¤• जंगली कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° था जिसमें पहाड़ियां और खाइयां ही थीं – समतल à¤à¥‚मि कहीं थी ही नहीं! जिस किसी आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ को à¤à¥€ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ के लिये बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ जाता वही इस संसà¥à¤¥à¤¾ के संचालकों को ’पागल’ बता कर चला जाता था। इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जंगली जानवरों का आतंक à¤à¥€ काफी था। बाद में मà¥à¤‚बई के à¤à¤• आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ जो इस संसà¥à¤¥à¤¾ के सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ थे, उनको आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया और कहा गया कि यहां पर अपने परिसर का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करना है।  परिसर से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ था – लगà¤à¤— 250 अतिथियों के सà¥à¤–पूरà¥à¤£ आवास के लिये आवासीय परिसर। à¤à¤• इतना बड़ा ऑडिटोरियम जिसमें लगà¤à¤— 1600 शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ 16 à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में और वातानà¥à¤•ूलित वातावरण में पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨ सकें!  लगà¤à¤— 2000 वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ हेतॠà¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाया जा सके, इतनी बड़ी रसोई जो सौर ऊरà¥à¤œà¤¾ से संचालित हो। 13 सेमिनार à¤à¤• साथ चल सकें इसके लिये 13 गोषà¥à¤ ी ककà¥à¤· जिनमें से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• में 150 तक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤— ले सकें। à¤à¤• गोलाकार धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ककà¥à¤· (बाबा का कमरा) जो सौर और वायॠऊरà¥à¤œà¤¾ से संचालित हो और जिसमें किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार का शोरगà¥à¤² न हो और जिसमें साल à¤à¤° à¤à¤• जैसा तापमान बना रहे !  चौबीसों घंटे अनवरत विदà¥à¤¯à¥à¤¤ आपूरà¥à¤¤à¤¿à¥¤Â à¤à¤• हाई-टैक, लेज़र तकनीक पर आधारित आरà¥à¤Ÿ गैलरी। इसके अतिरिकà¥à¤¤ उपयोग किये गये पानी और ठोस कचरे के लिये टà¥à¤°à¥€à¤Ÿà¤®à¥ˆà¤‚ट पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट à¤à¥€ चाहिये जो 2,00,000 लीटर पानी को टà¥à¤°à¥€à¤Ÿ करके दोबारा पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाये जाने योगà¥à¤¯ बना सके। अंतिम इचà¥à¤›à¤¾ ये कि  जो पेड़ जहां पर है, वह वहीं रहे, उसे काटना न पड़े।
जब आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ महोदय से कहा गया कि इस 25 à¤à¤•ड़ के जंगल में यह सब कà¥à¤› चाहिये और दादी (यानि इस संसà¥à¤¥à¤¾ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संचालिका) की इचà¥à¤›à¤¾ है कि डेॠवरà¥à¤· बाद डायमंड जà¥à¤¬à¤²à¥€ महोतà¥à¤¸à¤µ से पहले यह सब सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ यहां उपलबà¥à¤§ हो जायें तो à¤à¤• ठंडी सांस लेकर आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ महोदय ने कहा कि दादी की इचà¥à¤›à¤¾ हम सब के लिये आदेश है और जब आदेश है तो किनà¥à¤¤à¥ – परनà¥à¤¤à¥ का कोई पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं है। अब तो बस, आज से ही जà¥à¤Ÿ जाना होगा।  आज इस विशाल और à¤à¤µà¥à¤¯ परिसर को देख कर यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करना असंà¤à¤µ सा है कि केवल 18 महीने में à¤à¤• जंगली कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को इस रूप में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ किया सका ! यदि यह सरकारी पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ होता तो इस कारà¥à¤¯ को पचà¥à¤šà¥€à¤¸ वरà¥à¤· में à¤à¥€ पूरा करना असंà¤à¤µ होता ! असà¥à¤¤à¥!
दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ तो हम अपà¥à¤¸à¤°à¤¾ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में ले ही चà¥à¤•े थे और 176 किलोमीटर की खराब सड़क पर टैकà¥à¤¸à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ से थकान à¤à¥€ हो रही थी अतः कमरों में जाकर लेट गये। हसीन से कह दिया गया था कि शाम को नकà¥à¤•ी लेक पर घूमने चलेंगे और कल का पूरा दिन माउंट आबू को देखने में खरà¥à¤š किया जायेगा।