Nehru Park

Nathdwara-Bagaur Haveli-Return from Udaipur

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उदयपुर अपनी जिन झीलों के कारण विश्व प्रसिद्ध है उनमें फतेह सागर झील भी एक है। अगर आप सोच रहे होंगे कि फतेह सागर झील का निर्माण महाराणा फतेह सिंह ने किया होगा तो आप सरासर गलत हैं। इस कृत्रिम झील का निर्माण 1678 में महाराणा जय सिंह ने किया था। पर बाद में महाराणा फतेह सिंह ने इसका विस्तार किया और यह झील उनके नाम को समर्पित हो गई। उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में और पिछोला झील के उत्तर में स्थित यह झील जयसमंद झील के बाद दूसरी कृत्रिम झील है जिसका निर्माण निश्चय ही उदयपुर को रेगिस्तानों के लिये प्रसिद्ध राजस्थान को सूखे से बचाने के लिये किया गया होगा। ढाई किमी लंबी, डेढ़ किमी चौड़ी और साढ़े ग्यारह मीटर तक गहराई वाली इस झील के मध्य में स्थित तीन टापुओं में से सबसे बड़े टापू पर नेहरू पार्क है। इस पार्क में जाने के लिये नाव का सहारा लिया जाता है। इन झील को पानी तीन मार्गों से मिलता है और एक मार्ग का उपयोग मानसून के दिनों में पानी की अधिकता से निपटने के लिये किया जाता है ताकि झील में से फालतू पानी को निकाला जा सके।

दूसरे वाले टापू पर सुन्दर सुन्दर से पानी के फव्वारे लगाये गये हैं और तीसरे टापू पर नक्षत्रशाला (solar observatory) है। हम लोग सिर्फ नेहरू पार्क तक ही सीमित रहे जिसमें नाव की आकार का एक रेस्टोरेंट भी बनाया गया है। लोग बताते हैं कि वहां पर एक चिड़ियाघर भी है, जिसकी अब मुझे याद नहीं है। हो सकता है उस समय वह न रहा हो या उसमें जानवर न होकर सिर्फ चिड़िया ही हों !

नेहरू पार्क से आप चाहें तो बोटिंग के मजे ले सकते हैं। वहां पर बहुत तेज़ भागने वाले हॉण्डा वाटर स्कूटर भी थे जिस पर जाट देवता जैसे पराक्रमी घुमक्कड़ झील की परिक्रमा कर रहे थे। वैसे यदि आप उस स्कूटर की सवारी करना नहीं जानते तो भी कोई दिक्कत नहीं है। उनका आपरेटर आपको ड्राइविंग सीट पर बैठा कर खुद सारे कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है। आप यदि स्टीयरिंग भी ठीक से नहीं पकड़ सकते तो मेरी तरह से आप भी इन सब झंझटों से दूर ही रहें।

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