कफनी गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° यातà¥à¤°à¤¾- पांचवां दिन (दà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€-कफनी-दà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€-खाती)
तà¤à¥€ सामने कà¥à¤› दूर सफेद सी आकृति दिखीं। सोचा गया कि वे तमà¥à¤¬à¥‚ हैं। चलो, वहां तक चलते हैं। जाकर देखा तो तमà¥à¤¬à¥‚ वमà¥à¤¬à¥‚ कà¥à¤› नहीं था, बलà¥à¤•ि कà¥à¤› पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का मलबा सा पडा था। गौर से देखने पर पता चला कि यह फाइबर है यानी à¤à¤• तरह का मजबूत पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤•। कम से कम सौ मीटर के घेरे में यहां वहां बिखरा पडा था यह मलबा। इसमें लकडी के दरवाजे à¤à¥€ थे जो आदमकद थे। दिमाग खूब चलाकर देख लिया कि यह बला कà¥à¤¯à¤¾ है। आखिरकार नतीजा निकला कि यहां कà¤à¥€ कोई हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° गिरा होगा, यह उसका मलबा है।
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