Sirmour

हिमाचल डायरी : दो पल के जीवन से… (Sirmour, Camp Rox)

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कुछ क्षण पहले तक जिस स्थान पर हमारे बीच मौन का साम्राज्य था वहाँ अब चुहलबाजी शुरू हो गयी है | जल में डूबे और उभरे पत्थरों पर बड़े ध्यान से पाँव जमा जमा कर, जगह बनाते बनाते तीनो इधर से उधर जा रहे है | नदी का ठंडा पानी, सुबह की शाँत, नीरव और पवित्र शान्ति और इस सबके बीच जिन्दगी की ख़ुशी और किलकारियाँ, शायद इससे बेहतर एक नये दिन की शुरुआत की परिकल्पना आप नही कर सकते !
कैम्प में लोग जाग रहे हैं, सुबह की चाय बन चुकी है, चाय की चुस्कियों के बीच टीवी पर समाचार चल रहे है कि यहाँ वहाँ पहाड़ो पर भारी बरसात जारी है और भूस्खलन से 50 से ज्यादा जाने जा चुकी हैं, तो उधर मैदानी क्षेत्रों में यही पानी बाढ़ का प्रकोप धारण कर तबाही मचा रहा है | इधर, इस हाल में जितने लोग हैं उनकी बातचीत का केंद्र भी यही परिस्थितीयां हैं | एक समूह इस बात से चिंतित है कि उन्हें आगे नारकंडा जाना था और कहीं अगर बीच राह में इस भूस्खलन की वजह से मार्ग ठप्प मिले तो ? बहरहाल, चाय के बाद अब समय है नहां धोकर तैयार होने का, जिससे दस बजे तक सब नाश्ते के लिये तैयार हो जायें | आज नाश्ते में आलू के परांठे, ब्रेड-जैम, उबले अंडे और चाय है | नाश्ते के बाद का समय एक्टिविटीज के लिए नियत है | ग्यारह बजे के लगभग, जो भी गेस्ट इसमे रुचि रखते हैं, एक नियत स्थान पर एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं | जहाँ पहले सबको सुरक्षा उपकरणों पर एक डेमो दिया जाता है, और फिर एक के बाद एक पाँच ऐसी एक्टिविटीज हैं जिन से सभी प्रतिभागी गुजरते हैं, दो एक्टिविटीज शाम को चार बजे करवाई जायेंगी | एक्टिविटीज पूरी होने पर जलजीरा का पेय हाजिर है, जिसकी एक एनर्जी ड्रिंक के तौर पर सभी को बहुत आवश्यकता भी थी |

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