अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे उठकर नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® से निवृतà¥à¤¤ होकर और तपà¥à¤¤à¤•à¥à¤‚ड में à¤à¤• बार फिर से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया और फिर जलà¥à¤¦à¥€ से तैयार होकर à¤à¤• दà¥à¤•ान में चाय पीने के बाद सबने अपना-2 सामान उठाया और बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड की ओर चल पड़े। गाड़ी पारà¥à¤•िंग, बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से 600-700 मीटर दूर है लेकिन हमारी टांगे चलने को बिलà¥à¤•à¥à¤² तैयार नहीं थी और हम सब इस इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° में थे कि कोई गाड़ी सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤— की ओर जाती हà¥à¤ˆ मिल जाये और हम उसमें बैठजाये। तà¤à¥€ हमें à¤à¤• खाली बस सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤— की ओर जाती हà¥à¤ˆ मिल गयी और हम सब उस में सवार हो गये। बस डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को 50 का à¤à¤• नोट देकर गाड़ी पारà¥à¤•िंग पर उतर गये। सारा सामान गाड़ी के उपर रखकर तिरपाल से ढक दिया और फिर अचà¥à¤›à¥€ तरह से रसà¥à¤¸à¥€ से बाà¤à¤§ दिया।अब हमारी मंज़िल बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम थी। यहाठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठदो रासà¥à¤¤à¥‡ थे पहला उखीमठ, चोपटा होते हà¥à¤, दूसरा वापस रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से । हम चोपटा होकर जाना चाहते थे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि चोपटा की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता के बारे मे काफ़ी कà¥à¤› पढ़ रखा था और यह रासà¥à¤¤à¤¾ छोटा à¤à¥€ था। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को चोपटा होते हà¥à¤ चलने को कह दिया।
सà¥à¤¬à¤¹-2 सड़क पर यातायात काफ़ी कम था और हम जलà¥à¤¦à¥€ से सोनपरà¥à¤¯à¤¾à¤—, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी होते हà¥à¤ उखीमठपहà¥à¤à¤š गये। उखीमठसे आगे चोपटा के मारà¥à¤— पर बढ़ते ही दोनो ओर हरे- à¤à¤°à¥‡ पेड़ो का जंगल नज़र आने लगा। यहाठसड़क काफ़ी अचà¥à¤›à¥€ बनी हà¥à¤ˆ थी। सड़क के किनारे बनी à¤à¤• छोटी सी चाय की दà¥à¤•ान पर गाड़ी रोकी और चाय का आरà¥à¤¡à¤° दिया । सà¥à¤¬à¤¹ सब ने हलà¥à¤•ा नाशà¥à¤¤à¤¾ किया था और à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी इसलिठगाड़ी से बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और मठà¥à¤ ी à¤à¥€ खाने के लिये निकाल लिये। चाय की दà¥à¤•ान पर हमारी गाड़ीं खड़ी देखकर दो-तीन और गाड़ियाठवहाठचाय के लिये आकर रà¥à¤•ी। चाय की दà¥à¤•ान के साथ ही नीचे की ओर à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¤¾ बह रहा था और कà¥à¤› लोग वहाठनहा रहे थे । चाय वाले ने हमें बताया कि सिरà¥à¤«à¤¼ चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान ही वो अपनी दà¥à¤•ान खोलता है और बाकी समय उसकी यह दà¥à¤•ान बनà¥à¤¦ रहती है।
यहाठसे थोड़ी देर के बाद हम आगे के लिठचल दिà¤à¥¤ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ तेज़ी से गाड़ी चला रहा था। इस रासà¥à¤¤à¥‡ से जाते हà¥à¤ दो और काफ़ी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सà¥à¤¥à¤² रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ते हैं जिनकी जानकारी मà¥à¤à¥‡ उस समय नही थी लेकिन बाद में जब मà¥à¤à¥‡ यातà¥à¤°à¤¾ बà¥à¤²à¤¾à¤— पड़ने का चसà¥à¤•ा पड़ा तो इनकी जानकारी मिलीं । ये महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤² हैं देवरिया ताल तथा तà¥à¤‚गनाथ मंदिर व चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ । इनके बारे में थोडी सी जानकारी मैं यहाठअवशय दूà¤à¤—ा ।
देवरिया ताल: देवरिया ताल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में ऊखीमठ– चोपटा मारà¥à¤— पर सारी गाà¤à¤µ के पास à¤à¤• पहाडी पर छोटा सा ताल है। इसके चारों तरफ जंगल हैं। यह समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 2387 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। देवरिया ताल आने वाले परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को 150 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤²à¥à¤• देना होता है। यह शà¥à¤²à¥à¤• उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का वन विà¤à¤¾à¤— लेता है। लेकिन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के निवासियों के लिये कोई शà¥à¤²à¥à¤• नहीं है। ऊखीमठसे मसà¥à¤¤à¥‚रा गांव तक नियमित जीपें है। मसà¥à¤¤à¥‚रा गांव मà¥à¤–à¥à¤¯ ऊखीमठ– चोपटा मारà¥à¤— पर ही है और इस गांव से कà¥à¤› किलोमीटर दूर मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— से हटकर सारी गाà¤à¤µ पड़ता है और à¤à¤• सडक सारी गांव तक à¤à¥€ आती है। यानी सारी तक अपनी गाडी से आया जा सकता है। सारी गांव तक लोकल जीपें à¤à¥€ आती है लेकिन ये नियमित नहीं हैं ।
देवरिया ताल अपने सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी के लिये पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। यहॉ खाने-पीने के इंतजाम लिये à¤à¤• दो दà¥à¤•ान à¤à¥€ है। देवरिया ताल इसकी विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ 300 ° चितà¥à¤°à¤®à¤¾à¤²à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। किंवदंती है कि देवता इस à¤à¥€à¤² में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते थे इसलिठइसका नाम देवरिया ताल है। यह à¤à¥€ माना जाता है कि यह वही जगह है जहां पराकà¥à¤°à¤®à¥€ पांडवों को यकà¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूछे गये पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का जबाब देना पड़ा।
तà¥à¤‚गनाथ मंदिर व चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ : तà¥à¤‚गनाथ मंदिर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में सबसे अधिक ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिव मंदिर है। इसकी समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ऊंचाई 3680 मीटर है। यह पंचकेदारों में दूसरे नंबर का केदार है। यह रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जिले में तà¥à¤‚गनाथ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। मंदिर 1000 साल से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ माना जाता है और à¤à¤• किंवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ महाकावà¥à¤¯ के नायक पांडवों से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। चोपटा से तà¥à¤‚गनाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की दूरी चार किलोमीटर है। पकà¥à¤•ा पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ बना हà¥à¤† है। सà¤à¥€ पंच केदार यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— में से तà¥à¤‚गनाथ के लिठमारà¥à¤— सबसे कम है। चंदà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ तà¥à¤‚गनाथ से डेढ किलोमीटर दूर तà¥à¤‚गनाथ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में à¤à¤• चोटी है यह समà¥à¤¦à¥à¤° के सà¥à¤¤à¤° से 4,000 मीटर (13,000 फीट) की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। à¤à¤• कथा का कहना है कि à¤à¤—वान चनà¥à¤¦à¥à¤° ने तपसà¥à¤¯à¤¾ में यहाठकाफ़ी समय बिताया. यह शिखर हिमालय की à¤à¤• शानदार तसà¥à¤µà¥€à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है, विशेष रूप से नंदा देवी, तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल, केदार पीक, बनà¥à¤¦à¤°-पूà¤à¤› और चौखमà¥à¤¬à¤¾ चोटियों की।â€
चोपटा पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमे अपने बाई ओर वरà¥à¤«à¤¼ से आचà¥à¤šà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¤–लाà¤à¤ दिखने लगी. जà¥à¤¯à¥‹-जà¥à¤¯à¥‹ गाड़ी आगे बढ़ रही थी परà¥à¤µà¤¤à¥‹ की चोटियाठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होती जा रही थी। बहà¥à¤¤ ही मोहक दà¥à¤°à¥à¤¶à¥à¤¯ था। चोपटा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर गाड़ी डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी रोक दी। सामने ही तà¥à¤‚गनाथ मंदिर जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ था। सड़क के दोनो ओर वरà¥à¤«à¤¼ से ढकी चोटियाठनज़र आ रही थी । चोपटा के बारे मे पढ़ा था , सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤¼à¤°à¤²à¥ˆà¤‚ड ऑफ इंडिया है। कोई शक नही हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ मे चोपटा की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता नायाब है। कोसानी के बारे मे महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ ने सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¥à¤œà¤¼à¤°à¤²à¥ˆà¤‚ड ऑफ इंडिया कहा था। वहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अपना आशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ बनाया परनà¥à¤¤à¥ चोपटा की सà¥à¤‚दरता के आगे कोसानी कहीं नही टिकता है। जो à¤à¥€ चोपटा आता है वह यहाठकी खूबसूरती को à¤à¥‚ल नही सकता। यहाठपर हम लोग लगà¤à¤— आधा घंटा रà¥à¤• कर आस पास के नज़ारे देखते रहे। यहाठकी सà¥à¤‚दरता देख कर बार-बार सब कहने लगे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ किया जो हम इस रासà¥à¤¤à¥‡ से आठवरना हमे पता ही नही चलता कि कितनी खूबसूरत यह जगह है।
चोपटा से चमोली का रासà¥à¤¤à¤¾ हरे-à¤à¤°à¥‡ जंगलो से घिरा हà¥à¤† है। इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वाहन नही चल रहे थे। हमलोग दोपहर तीन बजे चमोली पहà¥à¤à¤š गये। हमे उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी कि अगर हम 5 बजे तक जोशीमठपहà¥à¤à¤š जाठतो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ मिल जाà¤à¤—ा। फिर हमे रासà¥à¤¤à¥‡ मे कहीं ना रà¥à¤• कर सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤à¤—े। चमोली से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का मारà¥à¤— काफ़ी चौड़ा था और डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ तेज़ी से गाड़ी चला रहा था। रासà¥à¤¤à¥‡ मे टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम की थोड़ी बाधा के बावजूद हम लोग 5 बजे जोशीमठपहà¥à¤à¤š गये। अà¤à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ था. हमारी गाड़ी के निकलने बाद ही बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ बंद कर दिया गया। जोशीमठसे आगे का मारà¥à¤— संकरा है इस कारण दो –दो घंटे के इंटरवल से जोशीमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खोला जाता है.
चमोली से कà¥à¤› आगे ही सड़क के किनारे अलकनंदा पर कà¥à¤› अनà¥à¤¯ विधà¥à¤§à¥à¤¤ परियोजनाओ पर काम चल रहा था। जोशीमठसे आगे बढ़ते ही हमे सड़क के किनारे लगे हà¥à¤ J.P. के सैकड़ो बोरà¥à¤¡ नज़र आने लगे. हर à¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर बड़ा-बड़ा .†NO DREAM TOO BIG†लिखा हà¥à¤† था। à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था, अब हम किसी की पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ मे से होकर गà¥à¤œà¤° रहे है। जà¥à¤¯à¥‹-जà¥à¤¯à¥‹ हम विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की ओर बढ़ रहे थे अलकनंदा मे जल कम होता जा रहा था। विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के पास तो अलकनंदा मे जल ही नही नज़र आ रहा था. बाद में विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर पता लगा की यहाठपर Jaypee ने अपनी विधà¥à¤§à¥à¤¤ परियोजना लगाई हà¥à¤ˆ है और इस कारण अलकनंदा का जल विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे रà¥à¤•ा हà¥à¤† है । विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से पहले जब हम गोबिनà¥à¤¦ धाम पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो वहाठटà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम लगा हà¥à¤† था। गोबिनà¥à¤¦ धाम से ही हेमकà¥à¤£à¥à¤¡ साहिब की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है जहाठहमारा वापसी में जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था। सड़क से नीचे की ओर गाड़ियों के लिये पारà¥à¤•िंग बनी हà¥à¤ˆ है जो पà¥à¤°à¥€ तरह से à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ थी। मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क के दाà¤à¤ और बायें की खाली जगह को à¤à¥€ पारà¥à¤•िंग के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाया हà¥à¤† था लेकिन फिर à¤à¥€ हेमकà¥à¤£à¥à¤¡ साहिब के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण गाड़ियों की संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी जो टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम का कारण बनी हà¥à¤ˆ थी । कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿ लोगों के कारण, जो थोडी सी जगह मिलते ही अपनी गाड़ी तेज़ी से चलाकर आगे ले जाकर आगे खड़ी गाड़ी के बराबर लगा रहे थे, समसà¥à¤¯à¤¾ बद से बदतर होती गयी। à¤à¤¸à¥‡ महà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ की मौजूदगी ना के बराबर थी जो हमें काफ़ी हैरान कर रही थी।
जब लोगों का धैरà¥à¤¯ ज़बाब देने लगा तो बहà¥à¤¤ से लोगों ने à¤à¤•ठà¥à¤ ा होकर टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• को खà¥à¤¦ सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया और काफ़ी मशà¥à¤•à¥à¤•त के बाद टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ हो सका। हम लोग शाम के 5:30 बजे जाम में फ़से थे और निकलते -2 रात के दस बज गये और हमारा आज शाम/रात को बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम दरà¥à¤¶à¤¨ करने का पहले से तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® फ़ेल हो गया। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चटà¥à¤Ÿà¥€ से आगे का रासà¥à¤¤à¤¾ काफ़ी खतरनाक था और रात में à¤à¤¸à¥‡ लैंड सà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से निकलते हà¥à¤ काफ़ी डर à¤à¥€ लग रहा था । हम लोग à¤à¤—वान को याद करते-2, रात 11:30 बजे के करीब बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम पहà¥à¤à¤š गये। इतनी कठिन और दà¥à¤°à¥à¤—म चढाई के बाद à¤à¤• विशाल नगर बसा देखकर खà¥à¤¶à¥€ à¤à¥€ हà¥à¤ˆ और हैरानी à¤à¥€à¥¤ वहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद ठà¥à¤¹à¤°à¤¨à¥‡ के लिये कमरो की तलाश शà¥à¤°à¥ कर दी। मैं और हरिश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ बाकी सà¤à¥€ लोगों को गाड़ी पर छोड़कर कमरे ढूढ़ने लगे । यातà¥à¤°à¤¾ सीजन शबाब पर होने के कारण यहाठà¤à¥€ कमरा मिलने में काफ़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रही थी, 15-20 मिनट के बाद 5 बेड का à¤à¤• कमरा 1800 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन के हिसाब से ले लिया और सामान कमरे मे रख दिया। à¤à¤• तो कल केदारनाथ की à¤à¤• ही दिन में 28 किलोमीटर कि चढाई / उतराई और आज लगातार 16 घंटे गाड़ी में, उस पर आज दोपहर का खाना à¤à¥€ नही खाया था और रात का खाना à¤à¥€ मिलने की कोई उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं थी कयोंकि इस समय खाने की कोई à¤à¥€ दà¥à¤•ान खà¥à¤²à¥€ नही थी, लगता था à¤à¤—वान हमारी परीकà¥à¤·à¤¾ ले रहा था। सबके शरीर की à¤à¤¸à¥€ की तैसी हो रखी थी और सब को à¤à¥à¤– लग रही थी इसलिये हाथ-मà¥à¤à¤¹ धोकर, आपातकालीन सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिये बैग में मौजà¥à¤¦ बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और मठà¥à¤ ी खाये और सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठà¥à¤¨à¥‡ का आलरà¥à¤® लगा कर हम सब सो गये ।
Very nice.
Mandakini river, Deoriataal, Chopta…Pictures are too good…
I am jealous of all of you who keep on posting your trip to such beautiful places and I am not able to go there…and so many places are in my wishlist…just pray to God to save my knees till I visit all these places…
waiting for your next
Thanks Amitava for liking the Post..
Don’t worry, you will be able to visit these places for sure..
Where there is a will, there is a way..
खुबसूरत चित्रण और लेखन, नरेश भाई….चोपता वाला रास्ता वाकई कुदरती खूबसूरती से भरपूर है, अपनी यात्रा के दौरान हमने देवरिया ताल से चंद्रशिला तक पद यात्रा की थी जो आज तक हमारे लिए अविस्मरनीय है, इस दौरान ऐसा लगता है मानो आप किसी जंगल सफारी पर हों….हिमशिखरों के चित्र हमारी पिपासा को बढ़ा रहें हैं, अब तो बस रहा नहीं जाता….साझा करने के लिए शुक्रिया…
धन्यवाद विपिन,
सचमुच यह रास्ता कुदरती खूबसूरती से भरपूर है, एक बार जाकर बार-2 जाने का मन करता है।
बहुत खूब |
मुझे केदारनाथ ओर बद्रीनाथ की यात्रा में सबसे सुंदर जगह चोपटा ही लगी , बद्रीनाथ में होटेल काफ़ी महेंगे हैं| चारों धाम में बद्रीनाथ ही ऐसी जगह है जहाँ लगसरी (Luxury) होटेल भी हैं |
यात्रा के दौरान कालीमॅट ओर तुंगनाथ जाने की काफ़ी इच्छा काफ़ी थी पर समय की कमी के कारण छोड़ना पड़ा | घूमने की लिस्ट इतनी लंबी है की पता नही उस रास्ते पे जाने का मोका कब मिलेगा
धन्यवाद महेश जी,
कई बार मुझे लगता है कि अपना भारत ही अच्छी तरह देखने के लिये एक जीवन काफ़ी नही है…॥ दुनिया देख्न्ने के लिये के लिये तो कई जन्म लेने होंगें ।
A very long and arduous drive Naresh Jee. You were in-time to cross the gate at Joshimath and I was hoping that you would reach BN in time for a good dinner.
Details around Chopta and Dewaria tal are very useful. Thanks for taking us along.
Thanks Nandan Ji,
We escaped lunch so that we can reach in time at Joshimath Gate but our dinner was scarified due to heavy traffic Jam at Govind Ghat.
beautiful travelogue and captivating fotos… did you go to Devaria Taal ? how you shot fotos of this taal?
Thanks SilentSoul Ji..
Actually , one of my friend visited the Devaria Taal and these two Photographs for reference has been taken from him.
बहुत बढ़िया और रोमांचक सचित्र यात्रा विवरण………| चोपता और तुंगनाथ के बारे जानकार और फोटो देखकर अच्छा लगा…| लेख के हिसाब से आप देवरिया ताल तो गए नहीं फिर आपने यह फोटो कहाँ से लगा दिए…?
आपका यात्रा लेख पढ़कर और फोटो देखकर हमे भी अपनी यात्रा याद हो आई….हम लोग हरिद्वार से सीधे जोशी मठ गए और एक रात वहाँ गुजार कर दूसरे दिन बद्रीनाथ जी के दर्शन के लिए गए थे…| बद्रीनाथ जी के रास्ते में हेमकुंड और फूलो की घाटी मुख्य पड़ाव का सही नाम “गोविन्द घाट ” हैं |
धन्यवाद रीतेश जी,
देवरिया ताल के बारे में आपने ठीक पकड़ लिया। असल में मेरा एक दोस्त पिछ्ले साल देवरिया ताल गया था और यह फोटो उसी से लिये हैं और हेमकुंड और फूलो की घाटी के मुख्य पड़ाव का सही नाम “गोविन्द घाट ” ही है, मैं गल्ती से यहाँ गोबिन्द धाम लिख दिया लेकिन अगली पोस्ट में यह गोविन्द घाट ही है। अभी तो आपको वापसी में हेमकुन्ड घुमाकर लाना है।
Very nice and down to earth narration Naresh Ji… The pictures are also very nice….
Thanks Harish bhai..
Naresh
This is one of the best series I have read here . It is very informative. Whenever I will go here I will once again go through your posts. Thanks for sharing.
Vishal Ji ,
thanks for liking the series..
Jai Bhole ki..
बहुत बढ़िया यात्रा चल रही है नरेश जी, बद्री केदार की कृपा से आगे भी बढ़िया ही रहेगी…. वैसे चोपटा का सही नाम ” चोपता ” है ! जो की मेरा सबसे पसंदीदा स्थान है वो आप मेरे परिचय में भी लिखा पायेंगे! चोपता और देवरिया ताल मैं लगभग हर मौसम में जा चुका हूँ! लेकिन आपकी फोटो देख और वृत्तांत पढ़, मन में एक एक पल याद हो उठा …लगा रहा है अभी गाडी उठाऊ और चल पडूँ….बहुत बहुत शुक्रिया …यात्रा जारी रखो हम भी साथ है ….
Thanks Pankaj Ji.
Beauty is spread all over the Uttrakhand but some places are special.
bilkul sahi ,chopta jaisi khubsurat jagah mujhe nahi lagta,uttarakhand me koi aur hai.mujhe lagta hai gandiji ne chopta ke baare me suna nahi hoga varna kousani ko switzerland nahi kehte.(mera maksad bapu ke pasand ko challenge karna nahi hai,meri rai me chopta behtarin jagah hai)main 2009 me chopta me raat gujara tha,tab wahan bijli nahi thi, chhote-2 hotel the jo battery se chalnewali emergency light dee thi.ab pata nahi wahan bijli aaee hai ya nahi? aapke post me bahut maza aa raha hai, mere tour ka revival ho raha hai.
Thanks Rajesh Ji..
dear naresh
आज अचानक घुमक्कड़ पर घूमते हुए आपका यह लेख पढने लगा। बहुत ही सुन्दर लेख व् फोटो हैं।
लेख पढ़ते हुए मुझे ऐसा लगा कि कुछ एक पंक्तियाँ मेरे द्वारा लिखे गए लेख से प्रभावित हैं। मै वापस अपने लेख पर गया और उन पंक्तियों को नीचे कापी पेस्ट कर रहा हूँ।
इस बात को आप अन्यथा न ले , मुझे ख़ुशी है कि आपने मेरा लेख ध्यान से पढ़ा तभी अनजाने में कुछ न कुछ प्रभाव आ जाता है।
सुन्दर प्रस्तुति
जोशीमठ से आगे बढ़ते ही हमे सड़क के किनारे लगे हुए jaypee के सैकड़ो बोर्ड नज़र आने लगे. हर एक बोर्ड पर बड़ा-बड़ा .” NO DREAM TOO BIG” jaypee लिखा हुआ था. ऐसा लग रहा था, अब हम किसी की प्राइवेट एस्टेट मे से होकर गुजर रहे है. ज्यो-ज्यो हम विष्णु प्रयाग की ओर बढ़ रहे थे अलकनंदा मे जल कम होता जा रहा था. विष्णुप्रयाग के पास तो अलकनंदा मे जल ही नही जज़र आ रहा था. विष्णुप्रयाग पहुँचने पर पता लगा की यहाँ पर jaypee ने अपनी विदूत परियोजना लगाई हुई है . इस कारण अलकनंदा का जल विष्णु प्रयाग मे रोक रखा था. चारो ओर jaypee..” NO DREAM TOO BIG” के बोर्ड लगे थे .
चोपटा के बारे मे पढ़ा था , स्विट्ज़रलैंड ऑफ इंडिया है. कोई शक नही हिन्दुस्तान मे चोपटा की प्राक्रतिक सुंदरता नायाब है.कोसानी के बारे मे महात्मा गाँधी ने स्विट्ज़रलैंड ऑफ इंडिया कहा था. वहाँ उन्होने अपना आश्रम भी बनाया परन्तु चोपटा की सुंदरता के आगे कोसानी कहीं नही टिकता है. जो भी चोपटा आता है वह यहाँ की खूबसूरती को भूल नही सकता.
Rastogi Ji,
Thanks for going through the Post.
Sir, you are right, I read your post and but I write only that part in my post which I also saw and common ….Like JP sign boards.. If I have not read your post , I would not mentioned them .
I accepts that some lines or words may be inspired by your post..
Thanks Rastogi Ji..
dear naresh
आपने बिना किसी लाग -लपेट के स्वीकार किया, बहुत ख़ुशी हुई। और उससे बड़ी बात यह कि मेरी बात को अन्यथा नहीं लिया।