साथियों, इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली कड़ी में मैंने आपको अपनी मà¥à¤‚बई यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ और मà¥à¤‚बई की जीवन रेखा कही जाने वाली मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ के बारे में बताया था, और अब आपको लिठचलता हूठमà¥à¤‚बई के कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की ओर. मà¥à¤‚बई वैसे तो परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ की दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से इतना समृदà¥à¤§ है की इसे इतà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¾à¤¨ से निहारने के लिठकम से कम दस से बारह दिन का समय तो चाहिठही लेकिन हमारे पास समय कम होने की वजह से मेरे मितà¥à¤° विशाल ने हमारे घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठकà¥à¤› ख़ास जगहों को चà¥à¤¨ कर रखा था. वैसे विशाल ने इस मामले में मà¥à¤à¤¸à¥‡ हमारी मरà¥à¤œà¥€ à¤à¥€ जननी चाही थी, सो मैंने बचपन से मà¥à¤‚बई की जिन टूरिसà¥à¤Ÿ जगहों का नाम सà¥à¤¨ रखा था उनमें से कà¥à¤› को देखने की इचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤•ट की और इनà¥à¤¹à¥€ में से à¤à¤• जगह थी हाजी अली की दरगाह.

सबसे पहले हाजी अली दरगाह का ये सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° चितà¥à¤°.
23 मारà¥à¤š का दिन था और गà¥à¤¡à¥€ पड़वा (हिनà¥à¤¦à¥‚ नव वरà¥à¤·) का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°, आप सब जानते ही होंगे की गà¥à¤¡à¥€ पड़वा महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का ही तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है और महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में इसे बहà¥à¤¤ ही धूम धाम और हरà¥à¤·à¥‹à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ के साथ मनाया जाता है. आज सà¥à¤¬à¤¹ से हमने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ किया की सबसे पहले मà¥à¤‚बई के सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजायेंगे. अतः सà¥à¤¬à¤¹ होते ही हम मà¥à¤‚बई दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठविशाल के घर से निकल गà¤, कà¥à¤› और जगहें घूमते हà¥à¤ (जिनका जिकà¥à¤° मैं अपनी आनेवाली पोसà¥à¤Ÿà¥à¤¸ में करूà¤à¤—ा) हम दोपहर तक मà¥à¤‚बई लोकल, ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ तथा टेकà¥à¤¸à¥€ की सवारी का आनंद लेते हà¥à¤ हम बà¥à¤°à¥€à¤š केंडी पहà¥à¤à¤š गठजहाठपर महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. जैसे ही हम टेकà¥à¤¸à¥€ से उतर कर मंदिर के नजदीक पहà¥à¤‚चे तो हमने देखा की मंदिर के सामने बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥€ लाइन लगी है, इतनी लमà¥à¤¬à¥€ की कम से कम पांच घंटे में नंबर आने का चांस था. बाद में हमें पता चला की गà¥à¤¡à¥€ पड़वा होने की वजह से आज यहाठइतनी à¤à¥€à¤¡à¤¼ है.
वैसे हमें मंदिरों की लमà¥à¤¬à¥€ लाइनों से कतई डर नहीं लगता है या कह लीजिये की हम इसके आदि हो चà¥à¤•े हैं, लेकिन चूà¤à¤•ि हमारे साथ शिवम à¤à¥€ था और उस दिन वो कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही परेशान कर रहा था. वासà¥à¤¤à¤µ में वह धà¥à¤ª और गरà¥à¤®à¥€ से बेहाल था अतः रोये जा रहा था, इसलिठहमने ये निरà¥à¤£à¤¯ लिया की महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ हम कल सà¥à¤¬à¤¹ दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ आकर कर लेंगे और अà¤à¥€ हाजी अली की दरगाह के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लिठजाà¤à¤. और फिर वहां से टेकà¥à¤¸à¥€ लेकर हम लोग लाला लाजपत राय मारà¥à¤— पहà¥à¤à¤š गठजहाठसे हाजी अली की दरगाह तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का मारà¥à¤— शà¥à¤°à¥‚ होता है.
वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ हमारे आराधà¥à¤¯ देव à¤à¤—वान शिव हैं लेकिन हम सà¤à¥€ देवी देवताओं में आसà¥à¤¥à¤¾ रखते हैं. और जहाठतक धरà¥à¤® की बात है हमें अपने सनातन धरà¥à¤® में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ है लेकिन हम दà¥à¤¸à¤°à¥‡ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का और उनके देवताओं का à¤à¥€ बहà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं तथा किसी à¤à¥€ धरà¥à¤® और किसी à¤à¥€ à¤à¤—वान की वंदना करने में कà¤à¥€ कोई कंजूसी नहीं दिखाते.
आपने देखा ही होगा मेरी à¤à¤• पिछली पोसà¥à¤Ÿ में, जब हम नांदेड़ में तखत सचखंड हजूर साहिब के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगठथे, वहां हमने बड़ी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से तखत साहिब के दरà¥à¤¶à¤¨ किये तथा लंगर में खाना à¤à¥€ खाया. तो हम लोग “सरà¥à¤µ धरà¥à¤® समà¤à¤¾à¤µ” में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते हैं अतः हमारे लिठहाजी अली दरगाह के दरà¥à¤¶à¤¨ करना à¤à¥€ बड़े ही हरà¥à¤· का विषय था.
हाजी अली तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठमेनरोड से कà¥à¤› आगे चलकर à¤à¤• अंडरगà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड रासà¥à¤¤à¥‡ से होते हà¥à¤ हम उस जगह आ पहà¥à¤‚चे जहाठसे हाजी अली दरगाह के लिठसमà¥à¤¦à¥à¤° में रासà¥à¤¤à¤¾ बनाया गया है.

दरगाह का जलमारà¥à¤— शà¥à¤°à¥‚ होने से पहले हार फूल की दà¥à¤•ानें.

दरगाह का जलमारà¥à¤— शà¥à¤°à¥‚ होने से पहले हार फूल की दà¥à¤•ानें.
चलिठअब समय है आपको हाजी अली दरगाह के बारे में जानकारी देने का, तो लीजिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है हाजी अली दरगाह का परिचय.
कà¥à¤¯à¤¾ है यह हाजी अली दरगाह?
आपने अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ की à¤à¤• सà¥à¤ªà¤° हिट फिलà¥à¤® “कà¥à¤²à¥€“ तो देखी ही होगी, इस फिलà¥à¤® के कà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤®à¥‡à¤•à¥à¤¸ सीन की शूटिंग यहीं इसी जगह पर की गई थी. अगर याद नहीं आ रहा तो आपको फिलà¥à¤® फिजा की वह कवà¥à¤µà¤¾à¤²à¥€ “पिया हाजी अली“ तो ज़रूर याद होगी, इसकी शूटिंग à¤à¥€ यहीं की गई है.
हाजी अली दरगाह à¤à¤• मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ तथा दरगाह है जो की मà¥à¤‚बई के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤— में वरली के समà¥à¤¦à¥à¤° तट से करीब 500 मीटर समà¥à¤¦à¥à¤° के अंदर à¤à¤• छोटे से टापू पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मि से यह टापू à¤à¤• कंकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ के जलमारà¥à¤— के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है. यह दरगाह इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का à¤à¤• नायाब नमूना है. दरगाह के अंदर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® संत सैयद पीर हाजी अली शाह बà¥à¤–ारी की कबà¥à¤° है.
शायद दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में यह अपनी तरह का à¤à¤•मातà¥à¤° धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² है जहाठà¤à¤• दरगाह और à¤à¤• मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ समà¥à¤¦à¥à¤° के बीच में टापू पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और जहाठà¤à¤• ही समय पर हजारों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤• साथ धरà¥à¤®à¤²à¤¾à¤ ले सकते हैं.
कौन थे ये संत?
हाजी अली की दरगाह का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1431 में à¤à¤• अमीर (धनवान) मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€ सैयद पीर हाजी अली शाह बà¥à¤–ारी की याद में करवाया गया था, जिसने अपनी सारी धन दौलत तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर मकà¥à¤•ा की यातà¥à¤°à¤¾ (हज) का रà¥à¤– किया. हाजी अली मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से परà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ (अब उजà¥à¤¬à¥‡à¤•िसà¥à¤¤à¤¾à¤¨) के बà¥à¤–ारा नमक जगह के रहने वाले थे तथा पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सैर करते हà¥à¤ अंत में 15 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ के लगà¤à¤— मà¥à¤‚बई में आकर बस गठथे.
उनके जीवन से जà¥à¤¡à¥€ à¤à¤• किवदंती के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤• बार संत हाजी अली ने à¤à¤• गरीब महिला को सड़क पर रोते हà¥à¤ तथा विलाप करते देखा जिसके हाथ में à¤à¤• खली डिबà¥à¤¬à¤¾ था, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस महिला से पूछा की उसको कà¥à¤¯à¤¾ तकलीफ है, उसने सà¥à¤¬à¤•ते हà¥à¤ जवाब दिया की वह तेल लेने गई थी और ठोकर लगने से उसका सारा तेल जमीं पर ढà¥à¤² गया है और अब उसका पति उसे बहà¥à¤¤ पीटेगा, संत ने उस महिला से कहा की मà¥à¤à¥‡ उस जगह पर लेकर चलो जहाठतà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ तेल गिरा है, वह महिला उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उस जगह पर लेकर गई संत उस जगह पर बैठगठऔर अपने ऊà¤à¤—ली से जमीन को कà¥à¤°à¥‡à¤¦à¤¨à¥‡ लगे, कà¥à¤› ही देर में जमीन से तेल की à¤à¤• मोटी धार फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के रूप में निकली. महिला ने ख़à¥à¤¶à¥€ से à¤à¥‚मते हà¥à¤ अपना पूरा डिबà¥à¤¬à¤¾ तेल से à¤à¤° लिया.
बाद में हाजी अली को à¤à¤• घबराहट पैदा करने वाला सपना बार बार आने लगा की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤–ी महिला की मदद करने के लिठधरती मां को कà¥à¤°à¥‡à¤¦à¤•र उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तकलीफ पहà¥à¤‚चाई है. पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª की आग में जलते हà¥à¤ वे बà¥à¤°à¥€ तरह से बीमार पड़ गठतथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आदेश दिया की उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ उनके शारीर को à¤à¤• कोफीन में à¤à¤°à¤•र अरब सागर में छोड़ दिया जाये.
हाजी अली ने अपनी मकà¥à¤•ा यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान अपना शरीर तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया तथा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• रूप से वह ताबà¥à¤¤ जिसमें उनका मृत शरीर रखा था तैरते हà¥à¤ इस जगह पहà¥à¤à¤š गया तथा मà¥à¤‚बई में वरली के समीप à¤à¤• छोटे से टापू की चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में अटककर रà¥à¤• गया जहाठआज उनकी दरगाह है, जिसे हम हाजी अली की दरगाह कहते हैं.
गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤° तथा शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को यहाठपर कम से कम 40,000 लोग दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआते हैं. आसà¥à¤¥à¤¾ और धरà¥à¤® को दरकिनार करके यहाठहर जाति तथा धरà¥à¤® के लोग आकर इस महान संत की दà¥à¤†à¤à¤‚ लेते हैं.
समà¥à¤¦à¥à¤° के अंदर पगडणà¥à¤¡à¥€? कà¥à¤¯à¤¾ आप कà¤à¥€ पैदल चले हैं समà¥à¤¦à¥à¤° में?
दरगाह तक पहà¥à¤‚चना बहà¥à¤¤ हद तक समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों की तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ पर निरà¥à¤à¤° करता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जलमारà¥à¤— पर रेलिंग नहीं लगी हैं. जब कà¤à¥€ समà¥à¤¦à¥à¤° में उचà¥à¤š तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ की लहरें आती हैं तो यह जलमारà¥à¤— पानी में डूब जाता है तथा दरगाह तक पहà¥à¤‚चा मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाता है अतः दरगाह पर निमà¥à¤¨ तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ की लहरों के दौरान ही पहà¥à¤‚चा जा सकता है.
इस जलमारà¥à¤— से आधा किलोमीटर का यह पैदल सफ़र बड़ा ही मोहक तथा रोमांचकारी होता है, कम लहरों के दौरान पà¥à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ के सफ़र के दौरान तीन चार बार तो यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पैर जलमगà¥à¤¨ हो ही जाते है, इस सफ़र के दौरान कई बार लहरें à¤à¤• बड़े फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के रूप में आती है तथा हमें à¤à¥€à¤—ा कर चली जाती हैं. यह सफ़र इतना सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ होता है की कदमों समय की मांग के अनà¥à¤°à¥‚प आगे की ओर धकेलना पड़ता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम इस सफ़र को ख़तà¥à¤® होने नहीं देना चाहते.
कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये आप à¤à¤• पगडणà¥à¤¡à¥€ पर चल रहे हैं और आपके दोनों ओर से असीम समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें आपके करीब आकर आपको छूना चाह रहीं हो. पà¥à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ में छोटी छोटी खिलोनों तथा साज सजà¥à¤œà¤¾ के सामान की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सजी दà¥à¤•ानें. खाने पीने की दà¥à¤•ानें, जो कà¤à¥€ कà¤à¥€ आधी जल में डूबी हà¥à¤ˆ दिखाई देती हैं.
कैसी है दरगाह?Â
दरगाह सफ़ेद रंग से पà¥à¤¤à¥€ तथा करीब 4500 सà¥à¤•à¥à¤µà¥‡.मीटर के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में फैली है और à¤à¤• 85 फिट ऊà¤à¤šà¥€ मीनार से शोà¤à¤¾à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है. à¤à¤• बड़े से दरवाज़े (पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°) के अंदर मà¥à¤–à¥à¤¯ दरगाह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. दरगाह के अंदर मकबरा à¤à¤• चटख लाल तथा हरे रंग की चादर से ढंका होता है. मà¥à¤–à¥à¤¯ हॉल में पिलरों पर कांच की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नकà¥à¤•ाशी की गई है. मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® पंथ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यहाठपर à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ तथा महिलाओं के लिठपà¥à¤°à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ सà¥à¤¥à¤² बनाये गठहैं. लगà¤à¤— 400 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ इस दरगाह का जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤—ति पर है. दरगाह का पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण खादà¥à¤¯ सामगà¥à¤°à¥€ की दà¥à¤•ानों तथा अनà¥à¤¯ दà¥à¤•ानों से सजा हà¥à¤† है, जो इस जगह की गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ तथा नीरसता को दूर करती हैं. हाजी अली की दरगाह मà¥à¤‚बई की विरासत तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ की संसà¥à¤•ृति का à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग है.

और ये हैं राऊड़ी राठोड़................ राऊड़ी à¤à¤²à¥‡ न सही पर राठोड़ जरà¥à¤° हैं.
दरगाह के पीछे चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से टकरातीं समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें: Â
दरगाह के पीछे चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¤• समूह है जिनसे समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें टकराती हैं और à¤à¤• करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती हैं और à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤‚त रोचक दृषà¥à¤¯Â उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ करती हैं. यहाठसे à¤à¤• ओर दूर दूर तक बाहें फैलाये समà¥à¤¦à¥à¤° तो दूसरी ओर मायानगरी की गगनचà¥à¤®à¥à¤¬à¥€ अटà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¤¿à¤•ाà¤à¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨ देतीं हैं. दरगाह के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ यहाठपर इन नजारों को देखने के लिठकà¥à¤› समय बिताते हैं.
दरगाह में हम: Â
जैसा की मैंने बताया की हम हर धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¥‡ दिल से समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं. अतः हमने हाजी अली बाबा को चढाने के लिठबाहर से ही à¤à¤• चादर खरीदी और चल पड़े जल में आधी डूबी उस पगडणà¥à¤¡à¥€ पर जो हमें दरगाह तक लेकर जाने वाली थी. पà¥à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ हम समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों का आनंद लेते हà¥à¤ और फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ और विडियोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करते हà¥à¤ दरगाह तक पहà¥à¤‚चे. दरगाह पहà¥à¤à¤š कर वहां की खूबसूरती देखकर हम अà¤à¤¿à¤à¥‚त हो गà¤. अंदर मजार पर जाकर अपना माथा टेका, यहाठपर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मौलाना जी ने मेरी पीठपर मोरपंख से गठा हà¥à¤† à¤à¤• लटà¥à¤ ा मारकर कहा “जा खà¥à¤¦à¤¾ के बनà¥à¤¦à¥‡ आज तेरी सारी बलाà¤à¤ बाबा ने अपने ऊपर ले ली हैं और तà¥à¤à¥‡ दà¥à¤† दी है की तू हमेशा खà¥à¤¶ रहे ” ………………….मौलाना के यह शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤•र मेरी आà¤à¤–ों से अनायास ही आंसà¥à¤“ं की बूंदें टपक पड़ीं.
दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद कà¥à¤› देर दरगाह के पीछे समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों का आनंद लेने के बाद हम उसी ख़ूबसूरत रासà¥à¤¤à¥‡ से वापस अपनी अगली मंजिल की ओर चल दिअ……………………

फिर आयेंगे बाबा तेरे दर पे, ग़र तà¥à¤¨à¥‡ बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ तो........
पिया हाजी अली, पिया हाजी अली, पिया हाजी अली पिया हो…………………………………………………………
फिर मिलते हैं जलà¥à¤¦à¥€ ही अगली कड़ी में मà¥à¤‚बई की à¤à¤¸à¥€ ही किसी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह पर.
बढिए ज्ञान से भरी पोस्ट रही, पानी वाला मार्ग जब ज्वार भाटे के समय पानी में डूब जाता होगा तो बहुत अच्छा लगता होगा, सिद्दीविनायक भी देखना है, और बहुत कुछ ढेर सारा उसे भी दिखाओ,
अपुन का जब भी इधर जाना हुआ तो जरुर यहाँ भी जाना होगा, फिलहाल तो इंदौर आ रहा हूँ
संदीप भाई,
सुन्दर शब्दों में की गई इस प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. जी हाँ पुरे रास्ते में कई बार समुद्र की लहरें यात्रियों के कपडे भिगो देती है. बड़ा सुन्दर नज़ारा होता है यह. मुंबई की और भी बहुत सारी जगहें आनेवाली पोस्ट्स में सिलसिलेवार दिखाऊंगा, बस थोडा सा इंतज़ार.
वाह ! मुकेश जी ,
भले ही मैं आपको हाजी अली दरगाह पर ले गया लेकिन इसकी सही अध्यात्मिक यात्रा आपने करवाई. मुझे हाजी अली कहाँ स्थित है , यही पता था . लेकिन उसकी क्या कहानी है कौन है हाजी अली , यह सब आपने बताया.इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद . आपको पता है की मुझे किसी भी स्थल के इतिहास के बारे में जानने की कितनी रूचि है. हाजी अली ने अंत में मुंबई शहर में बसकर यहाँ के लोगो पर काफी मेहेरबानी की. लोग आज भी जाते है एक विश्वास लेकर की उनकी मुराद पूरी हो जायेगी………..
बाकी चित्र बहुत अच्छे है और विवरण भी बढ़िया है………………..
फिर से हाजी अली के दर्शन के लिए धन्यवाद……………
महालक्ष्मी मंदिर का इन्तेज़ार……………
विशाल जी,
कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. इस यात्रा में आपका सहयोग भी अतुलनीय रहा. पोस्ट आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी, मेरे लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है. एक बार फिर से इस प्यारी सी कमेन्ट के लिए आभार.
पहली बार हाजी अली के चित्र पूरी इतिहास कहानी के साथ देखे …..अगर एक ही लेख में पूरा वर्णन हो तो अच्छा लगता हे . शायद आगे भी आप मुंबई के दर्शनीय स्थानों के इसी प्रकार यात्रा करवाएँगे .
कुछ फोटो धुंधले थे
सर्वेश जी,
पोस्ट पढने तथा प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आभार. मैं भी आपसे सहमत हूँ, किसी एक जगह का वर्णन एक ही पोस्ट में आ जाये तो अच्छा लगता है.
धन्यवाद.
बढिया ज्ञान से भरा लेख , हाजी अली पर मैने ऐसा आलेख चित्रो सहित पहले नही पढा है और अक्षय कुमार की मूंछो की तरह अपने विशाल का ट्रेडमार्क गले में मोबाईल भी बढिया है
आगे के इंतजार में
मनु,
पोस्ट को पसंद करने तथा टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद. हाँ यात्रा के दौरान विशाल जी अपनी विशिष्ट वेश भूषा में होते हैं, टी शर्ट, केपरी,गले में लटकता मोबाइल फ़ोन और केमेरा.
very good post,good pics.great personalities are always welcome and respected.It doesn’t matter, which specific religion they follow.most important is the humanity which all of them believe in.keep travelling and sharing your valuable experiences and go on spreading love and happiness that we all need a lot.
Ashok Sir,
Thank you very much for your really sweet words. Your comments encourages us to write better always. Do you recollect long ago I had requested you to write your post on ghumakkar, also you had assured me to do so but so far I didn,t see any story of yours on Ghumakkar.
Very informative post !
I have been to Haji Ali around 03 years back. Use to cross through it while gong to Jaslok Hospital at least 3-4 times in a year when ever I visit Mumbai for my official work.
https://www.ghumakkar.com/2009/07/13/an-evening-in-haji-ali-dargah-mumbai/
Mahesh ji,
Thanks for your lovely comment.
Yes I had gone through your post on Haji Ali, It was too nice.
Thanks.
वाह वाह मुकेश जी आपने सचमुच में हाजी अली दरगाह के दीदार करवा दिए. फोटो बहुत ही उमदा और सराहनीय हैं. वर्णन कमाल का है . मुझे तो मुंबई में टेक्सी वाले ने रोड पर से ही बता दीया था कि सामने हाजी अली दरगाह है. कभी दिन में आ कर दर्शन कर लेना क्योंकि उस समय लेट नाइट का टाइम था. आप का बहुत बहुत धन्याबाद .
शर्मा जी,
आपके इन सुन्दर शब्दों के लिए ह्रदय से आभार. अब कभी मुंबई जाएँ तो ज़रूर दर्शन कीजियेगा हाजी अली दरगाह के, सचमुच बड़ी सुन्दर जगह है.
धन्यवाद.
मुकेश जी मुंबई घूमना तो हमेशा से ही अच्छा लगता है. पर मुंबई यात्रा की शुरुआत यदि आप महालक्ष्मी मंदिर, या फिर सिद्धि विनायक मंदिर से करते तो और भी अच्छा लगता. मुंबई और समुन्द्र के फोटो बहुत अच्छे हैं. रौडी राठोर जी का फोटो अच्छा हैं. उम्मीद हैं अगली कड़ी में सिद्धि विनायक और महालक्ष्मी जी के दर्शन होगे.
प्रवीण जी,
उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे ख़ुशी है की आप भी घुमक्कड़ के उन चुनिन्दा लोगों में शामिल हो गए जो अपनी बहुमूल्य कमेंट्स के माध्यम से हर लेखक के प्रयास की सराहना करते हैं, और उत्साहवर्धन करते हैं (घुमक्कड़ पर ऐसे बहुत कम लोग हैं).
धन्यवाद.
डियर मुकेश,
बहुत ही अच्छा विवरण है. इस से पहले मुझे हाजी अली दरगाह की कोई ख़ास जानकारी नहीं थी. आपने बहुत ही प्यार, श्रद्धा ,भक्ति और पूरे समर्पण के साथ अपना बेस्ट दिया. इसी तरह से आगे भी जानकारियों के साथ यात्रा वर्णन लिखते रहिये………… : )
Best of Luck……….. :)
Thanx…….:)
कविता,
सुहाने शब्दों से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए धन्यवाद. मेरे हर अच्छे कार्य और सफलता की प्रेरणा तो तुम ही हो, तुम्हारे लगातार उत्साहवर्धन और प्रेरणा की वजह से ही यह सब संभव हो पाता है.
थैंक्स.
Hiee Papa,
Nice place and nice post………
Though being in Mumbai for 2-3 days i could not visit to Haji Ali and am feeling guilty for this…………
Really missing myself in this post ………..Amazing place !!! :)
Thanxx…..
Sanskriti,
Thanks for comments. Yeah we too were missing you there, but no problem its due for next time, If lord call us.
Thanks.
मुकेश जी…..
हाजी अली की दरगाह मुंबई के प्रसिद्ध स्थानों में से इक हैं और हाजी अली के दरगाह को टेलीविजन और फिल्मो कई बार देख चुके हैं…..पर इस दरगाह की एतिहासिक जानकारी कही नहीं सुनी थी…पर आज इस पोस्ट के माध्यम से यह कमी भी दूर हो गयी और आपने बहुत अच्छे सुन्दर शब्दों के साथ हाजी अली दरगाह की जानकारी दी….मुझे तो बहुत अच्छा लगा जानकार |
आपके विचार “सर्व धर्म समभाव” को जानकर अच्छा लगा और कुछ ऐसे ही विचार मेरे भी हैं…..हमें अपने धर्म का सम्मान सर्वोपरि रखते हुए दूसरे धर्मो का भी भरपूर सम्मान करना चाहिये ….क्योंकि हमें विश्वास हैं की सबका पालन हार और सबका मालिक इक हैं |
दरगाह तक जाने का समुंदरी रास्ता बड़ा सुरम्य लगा और बड़ा ही दिलचस्प नजारा रहता होगा | हाजी अली की दरगाह में मत्था टेकने और चादर पोशी को जाते भक्तो के पैर समुंद्र के द्वारा पखारे जाते हैं, सुनकर अलग ही श्रद्धा भाव का एहसास हुआ ……… |
मुंबई की हाजी अली दरगाह से परिचय कराने के लिए बहुत – बहुत धन्यवाद…..|
रितेश जी,
एक बात कहना चाहूँगा, मुझे और कविता हम दोनों को आपकी कमेन्ट बहुत अच्छी लगती है, विषय से पूर्णतः सम्बंधित (To the point), संयमित एवं संतुलित भाषा, सौम्य शब्दों में त्रुटियों की ओर ध्यानाकर्षण, विवादों से सर्वथा दूर, उचित प्रशंसा और उत्साहवर्धन से परिपूर्ण, विस्तृत समीक्षा सबकुछ होता है आपकी कमेन्ट में जो लेखक के दिल को छू जाता है.
धर्म के बारे में आपके विचार जानकर बहुत अच्छा लगा …………………..”हमें अपने धर्म का सम्मान सर्वोपरि रखते हुए दूसरे धर्मो का भी भरपूर सम्मान करना चाहिये” हम भी इसी सिद्धांत का पालन करते हैं.
अंत में आपकी रत्नजडित बहुमूल्य टिप्पणी के लिए धन्यवाद.
मुकेश जी….
आपने तो मेरी ढेर सारी प्रशंसा ही कर डाली..उसके लिए धन्यवाद….|
एक बात और मेरे दिल में जो कुछ भी आता या होता हैं उसे मैं एक विषय वस्तु पर रहते हुए टिपण्णी रूप उजागर कर ही देता हूँ | मुझे लेख से सम्बन्धित टिप्पणी करने में ही बड़ा आनंद आता हैं…| वैसे आप मेरे पसंदीदा लेखक हो और मुझे आपके संतुलित और हिंदी के चुने हुए सुन्दर शब्दों में लिखे गए लेख मेरे मन को बहुत भाते हैं….|
great post indeed…with full details too..ur last mumbai local was also fantastic…hope u njoyed a lot..and really my heart wishes u greeting,as u respect all the religons.. i wish all Indians to be same one day..njoy..god bless you… :)
m on facebook with email id- [miss.you.hamesha@gmail.com]
Abhishek,
Thank you very much for going through and liking my post. Keep visiting ghumakkar.com and keep commenting.
Thanks.
हिन्दू कोई धर्म नहीं अपितु जीवन पद्यति तथा जीवन विज्ञानं है. सनातन धर्म एकेश्वर को मान्यता देता है इसलिए प्रत्येक हिन्दू पद्यति को मानाने वाला किसी भी धर्मं में अविश्वाश कर ही नहीं सकता. ‘जैन’, ‘बौद्ध’, ‘सिक्ख’, ‘शैव’, ‘वैष्णव’ आदि सभी धर्मं जो हिन्दू पद्यति से प्रेरित हैं, किसी भी धर्मं में अविश्वास नहीं करते. यह तो मानव को जीवन से मोक्ष तक ले जाने की श्रेष्ठतम तथा वैज्ञानिक पद्यति है जिसको कुछ ‘तलवारों’ तथा ‘हथियारों’ के दम पर विकसित तथाकथित धर्मो ने कलुषित किया जिस की वजह से हम इस श्रेष्ठतम जीवन पद्यति को जान ही नहीं पाए हैं. कृपया महान लेखक ‘नंदलाला दशोरा’ जी का साहित्य पढ़ें तथा जाने की कितनी महान है ‘सनातन धर्मं संस्कृति’ और गर्व करें की आप इस को मानते हैं ….. गर्व करें की आप सभी धर्मों को मानते हैं….. गर्व से कहें ‘हम हिन्दू हैं’ .
कौस्तुभ जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपकी कमेन्ट से धर्म के बारे में आपका विस्तृत ज्ञान झलक रहा है. कमेन्ट की अंतिम दो पंक्तियाँ अत्यंत प्रभावी तथा आकर्षक थीं.
मुकेश, हाजी अली के बारे में मेरी जानकारी कितनी सतही थी ये मैं ये लेख पढ़ कर जाना | :-) धन्यवाद | मेरे हिसाब से कुछ फोटोस कम किये जा सकते थे उससे शायद लेख और कसा हुआ रहता | आगे कहाँ लेकर जा रहे हैं ?
नंदन,
आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. इसके बाद आपको लेकर जा रहा हूँ मुंबई के महालक्ष्मी मंदिर और उसके बाद मुंबई की कुछ और झलकियाँ.
धन्यवाद.
इतना सुन्दर और मोहक विवरण ! मुआलाना का आशीर्वाद और आपके आंसू के बारे में पढ़ कर मेरी भी आखें भर आयीं.
प्रयाग जी,
इतने भावुक शब्दों में प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए धन्यवाद.
The location of majar is eye catching and your fotos have shown the real beauty of the area.
about religious/spiritual – no comments
thanks ……for visiting it throw urs …it’s a beautiful journey….thanks
Dear Mukesh Bhai,
Although I have been to Mumbai several times, it seems quite unintentional that we never made a plan to visit Haji Ali Dargah. Whenever we passed from that road which leads to the Dargah, we had a glimpse of it from distance but didn’t venture to go there.
However, after reading this post of yours, I have put it in my wish list and during my next visit to Mumbai, I will definitely plan a visit to Haji Ali. Thank you for generating an interest in me for this place.
Thanks Indian SS Ji for reading and liking this old post.