पिछली पोसà¥à¤Ÿ में हमने नैना देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ करे और अब आगे मनाली की तरफ चलते है। नैना देवी से सà¥à¤µà¤¾à¤°à¤˜à¤¾à¤Ÿ होते हà¥à¤ हमें सà¥à¤‚दरनगर के रासà¥à¤¤à¥‡ आगे बढ़ना था, बसंती की लगाम अà¤à¥€ à¤à¥€ जीजा जी के हाथ में ही थी और हम पीछे की सीट पर मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ नजरो का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ उठा रहे थे।
सà¥à¤µà¤¾à¤°à¤˜à¤¾à¤Ÿ से आगे निकलते ही सीमेंट के बहà¥à¤¤ से टà¥à¤°à¤•ो और टà¥à¤°à¥‹à¤²à¥‹à¤‚ की बजह से आगे बढ़ने में बहà¥à¤¤ समय लग रहा था, कà¥à¤¯à¥à¤•ी इसी रासà¥à¤¤à¥‡ पर आगे 3 बड़ी कमà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤¯à¥‹ के सीमेंट पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट है जिनमे बरमाना में à¤.सी.सी., दरलाघाट में अमà¥à¤¬à¥à¤œà¤¾ सीमेंट और बिलासपà¥à¤° में à¤à¤• पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट जे.पी. सीमेंट का है। बड़े टà¥à¤°à¤•ो और टà¥à¤°à¥‹à¤²à¥‹à¤‚ की बजह से कई जगह रासà¥à¤¤à¤¾ काफी सकरा हो जाता है और कà¤à¥€-कà¤à¥€ जाम का à¤à¥€ सामना करना पड़ता है, बरमाना के बाद रासà¥à¤¤à¥‡ में टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• थोडा कम हà¥à¤† पर बरमाना पार करते-करते à¤à¥€ बहà¥à¤¤ समय बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हà¥à¤†à¥¤
लगà¤à¤— ८:३० के आसपास हमारी बसंती सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नगर पहà¥à¤šà¥€, सà¥à¤‚दरनगर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त फिर से बारिश की बूंदो ने किया, सामने बड़े-बड़े पहाड़ दिखायी दे रहे थे, रासà¥à¤¤à¥‡ के दूसरी तरफ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी बड़ी ही तेज आवाज़ के साथ बह रही थी, और ऊपर पहाड़ो पर जोरदार बिजली चमक रही थी जिसे देखकर ही मेरा दिल थोडा सा डरा हà¥à¤† था कà¥à¤¯à¥à¤•ी à¤à¤• तो हमें पहाड़ो पर गाड़ी चलाने की आदत नहीं थी और दूसरा जीजा जी को à¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ करते हà¥à¤ बहà¥à¤¤ समय हो गया था, अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ के बाद लगातार बसंती की कमान उनà¥à¤¹à¥€ के हाथ में थी जिस बजह से वो à¤à¥€ थोड़े थके हà¥à¤ महसूस हो रहे थे।
हमने गाड़ी à¤à¤• रोड साइड ढाबे पर चाय पीने के लिठरोक दी, और जब सारे लोग चाय की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहे थे मैं ढाबे वाले से बात करने लगा जिसका मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ कारन यह था की मैं रात सà¥à¤‚दरनगर में गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤•र सà¥à¤¬à¤¹ आगे बढ़ना चाहता था जिसमे की मेरी मदत ढाबे बाले ने à¤à¥€ करी और उसने किसी होटल में फ़ोन करके हमारे होटल में रà¥à¤•ने के लिठउपलबà¥à¤§à¥à¤¤à¤¾ के बारे में पूछा, होटल में जगह होने के कारन होटल वाले ने आपना à¤à¤• करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ वही ढाबे पर à¤à¥‡à¤œ दिया हमें ले जाने के लिà¤, लेकिन जब मेरे उचà¥à¤š विचारो के बारे में घरवालो को पता लगा तो दीदी ने फिर से मà¥à¤à¥‡ हमेशा की तरह डटना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया जिनका बखूबी साथ मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने à¤à¥€ निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¥à¤•ी दोनों का तरà¥à¤• था की हम किसी अनजान जगह पर à¤à¤¸à¥‡ ही किसी ढाबे बाले के कहने पर कही नहीं रà¥à¤•ेंगे और आपना सफ़र जारी रखेंगे और सीधे मनाली जाकर ही रà¥à¤•ेंगे।
“मरता कà¥à¤¯à¤¾ ना करता” आखिर मà¥à¤à¥‡ सबकी बात माननी ही पड़ी और होटल के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ से माफ़ी मांग हम आगे के रासà¥à¤¤à¥‡ पर बढ़ने लगे, जीजा जी को आराम करने की सलाह देते हà¥à¤ अब गाड़ी की कमान मैंने संà¤à¤¾à¤² ली थी, मेरी गाड़ी की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° तो हमेशा ही कम रहती है, और यहाठतो मैं पहाड़ो पर था जहाठपर रात के समय मोड़ के दूसरी तरफ पता ही नहीं होता था की रासà¥à¤¤à¤¾ सीधा है या कोई और à¤à¥€ मोड़ है, बरहाल ९:३० बजे के आसपास हम मणà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤šà¥‡ जहाठपर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर हमें रासà¥à¤¤à¥‡ के दोनों तरफ बहà¥à¤¤ ही गजब की सजाबट मिली और बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ दिखायी दी, थोडा और आगे बढ़ने पर पता चला कि वहाठपर “मातारानी†का बहà¥à¤¤ ही शानदार जागरण हो रहा था और मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ से कोई बड़ा गायक वहाठà¤à¤œà¤¨ गाने के लिठआया हà¥à¤† था, हम पंडाल में अंदर तो नहीं जा पाये कà¥à¤¯à¥à¤•ी à¤à¤• तो à¤à¥€à¤¡à¤¼ बहà¥à¤¤ थी दूसरा हमे à¤à¥‚ख तेजी से लग रही थी सो हमें कही ढाबे पर रà¥à¤•कर à¤à¥‹à¤œà¤¨ करना था और उसके आगे बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ तय करना था इसीलिठबही सड़क किनारे कà¥à¤› देर गाड़ी रोककर माता रानी को नमन करके और कà¥à¤› फ़ोटो खीचकर हम आगे चल दिà¤à¥¤
लगà¤à¤— ११ बजे के आसपास à¤à¥à¤‚तर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर à¤à¤• आचà¥à¤›à¤¾ ढाबा देखकर हमने खाना खाने के लिठगाड़ी रोक दी, ढाबे बाले ने हिमाचली गाने बजा रखे थे जो की हमें समठतो नहीं आ रहे थे पर अचà¥à¤›à¥‡ लग रहे थे, यहाठमà¥à¤à¥‡ à¤à¤• बात बड़ी आजीब लग रही थी की जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° ढाबे ऊà¤à¤šà¥€ पहाड़ियो के किनारे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी की तरफ थे, जहाठपर रात में नदी की आवाज़ सà¥à¤¨à¤•र ही डर लग रहा था, खैर वहाठउस ढाबे का खाना आचà¥à¤›à¤¾ था जिसे खाने के बाद हम फिर से मनाली की तरफ चल दिठलगà¤à¤— १ बजे हम मनाली पहà¥à¤š गठजहा à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ के लिठ₹ ३००/- की परà¥à¤šà¥€ कटवानी पड़ती है।
परà¥à¤šà¥€ कटवाने के बाद हम माल रोड की तरफ आगे बड़े यहाठपर रात बहà¥à¤¤ ठंडी होने के बाद à¤à¥€ सड़क पर बहà¥à¤¤ चहल पहल थी जो की यहाठके लोकल रहने वालो की थी, इनमे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° नयी उमà¥à¤° के लड़के थे जो की यहाठदेर रात में पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ वाले लोगो को होटल मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ करवाते थे, हमारी गाड़ी के माल रोड सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड तक पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही कà¥à¤› लड़के गाड़ी के पास आये और हमे होटल में रूम दिलवाने की जिद करने लगे, होटल की जरà¥à¤°à¤¤ तो हमें à¤à¥€ थी पर हम à¤à¤¸à¥‡ ही किसी à¤à¥€ होटल में उनके कहने पर रà¥à¤•ने के मूड में नहीं थे पर फिर à¤à¥€ उनमे से २ लड़को के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जिद करने पर हमने आपनी गाड़ी उनकी बाईक के पीछे दौड़ा दी जो की हमें à¤à¤• होटल में लेकर गà¤, ये होटल रोहतांग वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के उलटे हाथ की तरफ था जो की हमें कà¥à¤› ठीक नहीं लगा इसीलिठहम वहाठना रूककर वापस मॉल रोड की तरफ आ गठऔर हिडिमà¥à¤¬à¤¾ मंदिर वाले रोड पर हमें à¤à¤• आचà¥à¤›à¤¾ होटल दिखायी दिया, मैं उस होटल में पूछताछ के लिठगया और वहाठपता लगा की २ कमरे तो मिल जायेंगे पर ₹२००० /- पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कमरे के हिसाब से, रात जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होने और बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थकान होने की बजह से हमने वहाठरà¥à¤•ने का फैसला करा, यही सोचकर की अगर अगली सà¥à¤¬à¤¹ कोई दूसरा आचà¥à¤›à¤¾ होटल ससà¥à¤¤à¥‡ में मिल जाता है तो हम वहाठपर शिफà¥à¤Ÿ कर जायेंगे। हमने होटल के बराबर से खली जगह पर गाड़ी पारà¥à¤• करी और सामान निकालकर अपने अपने कमरे में सोने चल दिà¤à¥¤
अगली सà¥à¤¬à¤¹ लगà¤à¤— ६ बजे जीजा जी ने मà¥à¤à¥‡ फ़ोन करके होटल के बहार का नजारा देखने के लिठकहा, आपने कमरे की बालकनी में आकर जो नजारा मà¥à¤à¥‡ देखने को मिला मेरे लिठउसे शबà¥à¤¦à¥‹ में लिखना बड़ा ही कठिन कारà¥à¤¯ है कà¥à¤¯à¥à¤•ी वो à¤à¤• अनà¥à¤à¥‚ति थी जो की मैंने उससे पहले कà¤à¥€ à¤à¥€ महसूस नहीं करी थी, सà¥à¤¬à¤¹ ६ बजे होटल की बालकनी में बड़ी ही ठंडी हवा चल रही थी जो कि शरीर में कपकपी पैदा कर रही थी, होटल के नीचे की तरफ जहाठहमारी गाड़ी खड़ी थी उसके पास ही “सेब का बाग़” था, और हमारी आà¤à¤–ों के ठीक सामने बरà¥à¤« के बड़े बड़े पहाड़ थे जिनà¥à¤¹à¥‡ की हम रात को अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ की बजह से देख नहीं पाये थे, बरà¥à¤« के उन पहाड़ों पर सूरज की किरणों के पड़ने के कारण वो à¤à¤•दम चाà¤à¤¦à¥€ की तरह चमक रहे थे उनका रंग सफ़ेद ना होकर सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¤¾ महसूस हो रहा था, इससे पहले मैंने पहाड़ों पऱ कà¤à¥€ à¤à¥€ बरà¥à¤« नहीं देखी थी पर आज तो पूरा बरà¥à¤« का पहाड़ ही मेरे सामने था, à¤à¤• पल के लिठà¤à¥€ उस चमकदार परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¤‚खला से नजरें हटाने का दिल नहीं कर रहा था शायद कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ ही अनà¥à¤à¥‚ति साथ वाली बालकनी में जीजा जी à¤à¥€ कर रहे थे।
कà¥à¤› देर तक à¤à¤¸à¥‡ ही उस मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ दृशà¥à¤¯ को देखते हà¥à¤ मैं और जीजा जी मनाली à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की तथा दूसरे होटल में रà¥à¤•ने के लिठजानकारी लेने की योजना बनाने लगे, लगà¤à¤— १ घंटे बाद दैनिक कारà¥à¤¯à¥‹ से निबृत होकर हम सà¤à¥€ जीजा जी के कमरे में नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिठमिले, वहाठनाशà¥à¤¤à¤¾ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ में और जीजा जी दूसरे होटल की जानकारी के लिठचल दिठजबकि बचे हà¥à¤ लोग वहीं होटल में आराम कर रहे थे। होटल से बहार निकलते ही हिडिमà¥à¤¬à¤¾ मंदिर की तरफ चलते हà¥à¤ हमें à¤à¤• होटल दिखायी दिया जहाठपता करने पर हमें वहाठके कमरे और किराया दोनों ही सही लगे ₹१२००/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कमरे के हिसाब से हमने यहाठ२ कमरे ले लिà¤, और पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ होटल से चेक आउट करने के बाद लगà¤à¤— ११ बजे हमने आपना सामान दूसरे होटल में शिफà¥à¤Ÿ कर दिया।
यहाठमें सà¤à¥€ पाठको को ये जानकारी à¤à¥€ देना चाहूंगा की जिस होटल में हम रात ₹२००० देकर रà¥à¤•े थे उसका नाम होटल कनिषà¥à¤•ा था जो की हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी मंदिर वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर ही था और यहाठके कमरे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ और साफ सà¥à¤¥à¤°à¥‡ थे, इसके बाद हम जिस दूसरे होटल में रà¥à¤•े थे उसका नाम था सोलिटेयर इन था, ये à¤à¥€ हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी मंदिर वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर है और यहाठके कमरे à¤à¥€ बड़े और साफ सà¥à¤¥à¤°à¥‡ थे, बाथरूम में गरà¥à¤® पानी की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ थी, पारà¥à¤•िंग की अचà¥à¤›à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी और यहाठका सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कà¥à¤¶à¤² था । दोनों ही होटल माल रोड से पैदल की दà¥à¤°à¥€ पर हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी के मंदिर की तरफ उलटे हाथ पर है पहले होटल कनिषà¥à¤•ा पड़ता है उसके बाद में सोलिटेयर इन।
सोलिटेयर इन में सामान रखने के बाद हम लोग हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी के मंदिर गठजो की यहाठका सबसे मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ मंदिर है, यह मंदिर देवदार के बहà¥à¤¤ से लमà¥à¤¬à¥‡ लमà¥à¤¬à¥‡ पेड़ो के मधà¥à¤¯ घिरा हà¥à¤† है और मंदिर के à¤à¤µà¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ लकड़ी से ही हो रखा है, यहाठकी दीवारो पर तरह तरह के जंगली जानवरो के सींग à¤à¥€ लगा रखे है और गरà¥à¤ गृह में à¤à¤• शिलाखंड के नीचे की तरफ हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी विराजमान है जिनके दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठशिलाखंड के नीचे की तरफ à¤à¥à¤•ना या बैठना पड़ता है।
हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के काल से बताया जाता है और जैसा की हमारी जानकारी में आया हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी ५ पांडवो में से à¤à¤• à¤à¥€à¤® की पतà¥à¤¨à¥€ थी, हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी मंदिर की संरचना १५५३ में देवदार के जंगल के मधà¥à¤¯ à¤à¤• बड़ी सी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ के ऊपर के ऊपर हà¥à¤ˆ थी, यहाठगरà¥à¤ गृह में à¤à¤• शिलाखंड के नीचे जहाठहिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी विराजमान है उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर देवी के पैरों की छाप की पूजा की जाती है, लकड़ी से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ इस मंदिर में बड़ी ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नकà¥à¤•ाशी की गयी है और à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है की जिस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में यह मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है वहाठनिकट के संपूरà¥à¤£ घाटी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• विशाल पैर की छाप देखी जा सकती है।

लमà¥à¤¬à¥€ लाइन हिडिमà¥à¤¬à¤¾ देवी के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिà¤
जिस समय हम मंदिर पहà¥à¤à¤šà¥‡ वहाठपर वहाठदरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठलाईन लग रही थी पर हमारा à¤à¥€ नंबर जलà¥à¤¦ ही आ गया था और हमने à¤à¥€ देवी के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का लाठउठाया और कà¥à¤› देर तक वहीं मंदिर के आसपास शोरगà¥à¤² से दूर पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सोंदरà¥à¤¯ का लाठउठाया।
Beautiful description in details……but only few clicks……..requires more to post……Thanks a lot Jatinder Ji….Awaiting remaining post.
Thank u Sir
उपाध्याय जी
आपकी यात्रा काफी रोचक रही है और आप द्वारा सभी उपयोगी जानकारी दी गई है , पर पूर्व के लेख कि तरह ही इसमे भी लेखन कि गलतिया काफी है शायद आपने पूर्व में भालसे जी के सुझाव को अनदेखा कर दिया है और लेख लिखने के बाद आपने इसको वापस पढ़ कर गलतियों को नहीं सुधार गया है जो कि लेख का मजा किरकिरा कर देती है।
हमें उम्मीद थी कि इस लेख में फोटो शानदार आयेगे पर शायद आपका केमरा आपका साथ नहीं दे रहा है।
आशा है कि अगली कड़ी में पाठकों को कोई शिकायत नहीं रहेगी।
Laddha Jee,
ऐसा नहीं है की मैंने भालसे जी की बात पर अमल नहीं करा, मैंने पोस्ट लिखने के बाद कई बार पढ़ा था , अगर इसके बाद भी कोई गलती रह गयी हो तो उसके लिए माफ़ी, जैसा की नरेश जी ने अपनी एक पोस्ट में कहा था की हिंदी बोलना जितना आसान है लिखना उतना ही कठिन। अगर आप मेरे द्वारा गलत लिखे कुछ शब्द भी बताते तो शायद उन्हें सुधारने में ज्यादा मदत मिलती।
फ़ोटो के लिए अपने पहले लेख में मैंने लिखा था की प्रोफेशनल की तरह फ़ोटो खीचना नहीं आता क्युकी किसी साइट पर यात्रा की कहानी लिखने और फ़ोटो लगाने की सोचकर हमने फ़ोटो नहीं खीचें थे पर आगे से इसका ख्याल जरुर रखूँगा।
सुझाव देने के लिए धन्यवाद।
So finally after a real long drive, you reached Manali. For such long distance trips, I guess it is important to keep a strong tab of time and probably one can better plan the stops. From what I have experienced, night driving in hills is safer than day since one can sense an oncoming vehicle from a distance (because if headlights) but in general we try to avoid driving in night.
Thanks for giving information about the hotels. It is a very useful information to have.
So where do you take us in Manali now , after Hidimba temple.
नंदन जी बहुत बहुत धन्यवाद, आगे के लेख में हम वन विहार और माल रोड जायेंगे और उसके बाद मढ़ी में बर्फ का और एक बहुत बड़े प्राकृतिक झरने का मजा लेंगे।
Welldone boss, keep writing…..
Dear Jitendra,
Nice log and good information. But ,There are many mistakes which irritates. I have picked some of them so that they can be avoided in next post.I have tried to write the correct word in brackets. Please don’t take it otherwise.
सकरा (संकरा ), ट्रेफिक (ट्रैफिक), क्युकी (क्योंकि), मुख्या (मुख्य), कारन (कारण), मदत (मदद), आपना (अपना) , डटना (डांटना) ,बरहाल( बहराल), पहुचे (पहुँचे) ,बही (वँही) ,आच्छा (अच्छा) ,आजीब (अजीब) ,खली (खाली) ,बहार (बाहर) ,कपकपी (कंपकपी) , निबृत (निवृत)
नरेश जी,
धन्यवाद इतनी गलतियाँ बताने के लिए, आगे से कम से कम ये शब्द तो आपको सही मिलेंगे, मैं भविष्य में कोशिश करूँगा कि लेख को प्रकाशन में देने से पूर्व किसी अन्य से भी चेक करवा सकू जिससे की गलती की सम्भावना कम हो जाये। सहयोग के लिए एक बार फिर से धन्यवाद।
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान
भैया, आप और कोई सुधार करो या ना करो, लेकिन सबसे पहले “किया” को “करा” लिखना बंद करो. “मैने काम करा” के बजाय “मैने काम किया” लिखना सही होता है.
Dear Jitendra,
At the outset let me thank to all the fellow Ghumakkars who have taken the pain to read your log so sensibly and pointed the petty mistakes. Its a great feeling that people in this site are so supportive that they try their bits to promote and excel others too with so much of humility and generosity. Hats off to all such critics. Hope you take it in a very positive manner and be open to learn from all. About your post, its well written and good amateur pics. Manali is an all time favorite to all and knowing about as many times is as good as the first time. Keep it up dear.
Keep traveling
Ajay