आज की यह यातà¥à¤°à¤¾ मेरे जीवन की सबसे यादगार और रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं मे से à¤à¤• है जिसमे हमे à¤à¤• ही दिन मे तरह तरह के खटà¥à¤Ÿà¥‡ मीठे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ चखने को मिला. कल की अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ रात उमरा नारायण मंदिर मे बिताई गई जो कि पास ही बसे गà¥à¤°à¤¾à¤® सनà¥à¤¨ के ईषà¥à¤Ÿ देवता को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है और आदि गà¥à¤°à¥ शंकराचारà¥à¤¯ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया माना जाता है. à¤à¤• छोटी सी पहाड़ी पर बसा ये मंदिर खूबसूरत घने नैसरà¥à¤—िक जंगलों से घिरा हà¥à¤† है और मेरे लिठयहाठका मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ था यहाठमौजूद à¤à¤• छोटा सा à¤à¥‚मिगत जल कà¥à¤‚ड जो à¤à¤• अवीरल पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक धारा के निरà¥à¤®à¤² जल से हमेशा à¤à¤°à¤¾ रहता है. यातà¥à¤°à¥€ कà¥à¤‚ड के जल से विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पाने के बाद ही मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं. à¤à¤• अनियोजित यातà¥à¤°à¤¾ मे समय का बड़ा महतà¥à¤µ होता है, वैसे à¤à¥€ पहाड़ों मे यातà¥à¤°à¤¾ का à¤à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® नियम होता ‘सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ उठकर यातà¥à¤°à¤¾ करना और रात को जलà¥à¤¦à¥€ ठिकाना ढूà¤à¤¢à¤•र सो जाना’, मैं अकà¥à¤¸à¤° इस नियम पर चलने की कोशिश करता हूà¤. इसी को मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤¼à¤° रखते हà¥à¤ हम लोग मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ करने और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देने के बाद निकल पड़े अपनी अगली मंज़िल पर.
खूबसूरत घने जंगलों से घिरा उमरा नारायण का पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण
मंदिर के अंदर विराजमान à¤à¤—वान लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ नारायण
जाने से पहले मैं और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के साथ
आज के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हमारा आज का नाशà¥à¤¤à¤¾ मेरी मौसी के घर पर गà¥à¤°à¤¾à¤® सनà¥à¤¨ मे होना था और उसके बाद हमें कारà¥à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ मंदिर की चढ़ाई करनी थी. उमरा नारायण से कारà¥à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की दूरी लगà¤à¤— 35 किमी है और हमारी आज की दà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¸à¥€ योजना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूरी पैदल ही पार करने की थी. आज मौसम ख़à¥à¤¶à¤—वार लग रहा था, मंदिर से निकलते ही जंगल की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ à¤à¥‚ल à¤à¥à¤²à¥ˆà¤¯à¥à¤¯à¤¾ और हलà¥à¤•ी फà¥à¤²à¥à¤•ी चढ़ाई के बाद हम लोग सड़क के रासà¥à¤¤à¥‡ पर सनà¥à¤¨ बेंड आ पहà¥à¤à¤šà¥‡ थे जो सनà¥à¤¨à¤—ाà¤à¤µ के लिठबस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª था. मेरे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का सà¥à¤¬à¤¹ का जोश व मौसम का मिज़ाज दोनो इस चढ़ाई के बाद कà¥à¤› फीके से पड़ते लग रहे थे, सामूहिक चरà¥à¤šà¤¾ के बाद ये निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया के कारà¥à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तक की दूरी बस/जीप के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की जाà¤à¤—ी और आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पैदल जारी रखी जाà¤à¤—ा, à¤à¤¸à¥‡ मे मौसी के घर का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® रदà¥à¤¦ करना पड़ा.
जंगल को पार करके सनà¥à¤¨ बेंड के पास का दृशà¥à¤¯
सनà¥à¤¨ बेंड पर सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ गाड़ी का इंतेज़ार करने लगे, पर ये कà¥à¤¯à¤¾! जो à¤à¥€ गाड़ी आती, रोकने को कोई राज़ी ही नही होता. लगà¤à¤— पौना घंटा बीत जाने पर à¤à¥€ कोई रोकता ना दिखाई दिया तो हमने गाड़ी रोकने के लिठरोड के बीच मे खड़े होने का निशà¥à¤šà¤¯ किया और à¤à¤• दूध बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ वाली जीप ने रोक à¤à¥€ दिया. पर जीप वाले के पास हमे बिठाने की जगह नही थी, पर हमे तो किसी à¤à¥€ तरह अपनी मंज़िल पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था. इसलिठहमने उसे जीप की छत पर बिठाने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की (कृपया पहाड़ों मे यातà¥à¤°à¤¾ करते समय कà¤à¥€ जीप/बस की छत पर ना बैठे, ये ख़तरनाक हो सकता है), शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ ना नà¥à¤•à¥à¤° के बाद वो मान गया और हम निकल पड़े इस रोमांचक सफ़र पर. ये अनà¥à¤à¤µ हमारी आशा से कà¥à¤› ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही ख़तरनाक साबित हो रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम नीचे से उपर की और जा रहे थे. पहाड़ी घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° मोडों पर इस तरह का सफ़र रोंगटे खड़े करने वाला हो सकता है. इसके अलावा इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ à¤à¥€ इस सफ़र मे अपनी à¤à¥‚मिका अदा करने के लिठआतà¥à¤° से पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहे थे और देखते ही देखते मोटी मोटी बारिश की बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ ने हमारे सà¥à¤¬à¤¹ के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ की कमी पूरी कर दी और हमे पूरी तरह से à¤à¤¿à¤—ो दिया. à¤à¤¸à¤¾ होने पर थोड़ा जोखिम सा लगने लगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ठंड और गीलेपन के कारण जीप के डंडों पर से हमारी पकड़ कमजोर हो रही थी जिससे फिसल कर नीचे खाई मे गिरने का ख़तरा महसूस हो रहा था. पर शायद à¤à¤—वान कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय जिनके हम दरà¥à¤¶à¤¨ करने जा रहे थे हमारी परीकà¥à¤·à¤¾ ले रहे थे, खैर थोड़ी ही देर मे कà¥à¤› यातà¥à¤°à¥€ जीप मे से उतरे और हमे जीप के अंदर बैठने की जगह मिली. थोड़ा आगे चलकर, मौसम ने फिर करवट ली और हमने अपने आपको घने कोहरे के बीच घिरे हà¥à¤ पाया, ये मंज़र वैसे तो बड़ा जादà¥à¤ˆ सा लग रहा था लेकिन असल मे था बड़ा डरावना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¥‡ मौसम मे जीप चलाना बड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रहा. कई जगह तो पता ही नही चल पता था की मोड़ कहाठपर है और दूसरी और से आ रही गाड़ियों का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाना à¤à¥€ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रहा था. खैर पीछे बैठे बैठे हम इन नज़ारों का à¤à¤°à¤ªà¥‚र मज़ा लिठजा रहे थे और चालक के कहने पर लोगों को दूध à¤à¥€ बाà¤à¤Ÿà¥‡ जा रहे थे. कनक चौरी जहाठसे कारà¥à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की 3 किमी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है, पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ तेज़ धूप निकल आई थी. जीप वाले à¤à¤¾à¤ˆ को शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कहकर जीप से उतरते ही सबसे पहले नाशà¥à¤¤à¤¾ किया गया जिसका à¤à¥€à¤—ने के बाद सबको बेसबà¥à¤°à¥€ से इंतेज़ार था.
कनक चौरी के पास पेड़ों के à¤à¤°à¥‹à¤–े से बादलों का दृशà¥à¤¯
कनक चौरी à¤à¤• छोटा सा बाज़ार है जहाठकà¥à¤› à¤à¤• दà¥à¤•ाने हैं और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यहीं से पूजा का सामान ख़रीदकर à¤à¤—वान कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय को चढ़ाने को ले जाते हैं. यहाठपहà¥à¤à¤šà¤•र सà¥à¤¬à¤¹ का खोया हà¥à¤† जोश और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ मानो लौटता हà¥à¤† सा लग रहा था और इसी जोश को कायम रखते हà¥à¤ चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚ हो गयी. लगà¤à¤— 2 किमी का सफ़र खूबसूरत नज़ारों का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ लेते हà¥à¤ हरे à¤à¤°à¥‡ जंगल से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ ना जाने कैसे कट गया पता ही नही चला, लेकिन आख़िरी के कà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¥‡ वाकई थका देने वाले थे. मंदिर तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ वाली कà¥à¤› अंतिम सीढ़ियाठजहाठसà¥à¤µà¤°à¥à¤— का सा अहसास दिलाती हैं वहीं मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण मे पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही आप अपने आप को बादलों से उपर पाते हैं.
हरे à¤à¤°à¥‡ जंगल बादलों की चादर ओढ़ने की तैयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ मे
खूबसूरत वनà¥à¤¯ मारà¥à¤— से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥‡ दो दीवाने
समà¥à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤² से 3048 मी. की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बना सà¥à¤‚दर मंदिर à¤à¤—वान शिव के बड़े पà¥à¤¤à¥à¤° कारà¥à¤¤à¤¿à¤•े जी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है जहाठवे à¤à¤• छोटी शीला पर वास करते हैं. मंदिर के चारों ओर घंटियों की कतारें सी लगी थी जो इस बात की सूचक थी की ये तीरà¥à¤¥ à¤à¤• मनोकामना सिदà¥à¤§à¤¿ सà¥à¤¥à¤² है. कई हज़ार फीट गहरी खाईयाà¤, हरी चादर ओढ़े परत दर परत फैली मनमोहक पहाड़ियाठऔर सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ कर देने वाले हिम शिखर इस पावन धाम की पहरेदारी करते पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं. अगर आप à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हो और मौसम साफ़ हो तो इस पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤² से बंदरपूंछ, केदारनाथ, सà¥à¤®à¥‡à¤°à¥‚, चौखंबा, नीलकंठ, दà¥à¤°à¥‹à¤¨à¤¾à¤—िरी, नंदा देवी आदि परà¥à¤µà¤¤ शिखरों के à¤à¤µà¥à¤¯ व मनोहारी दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं. हम à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ तो थे जो हमे इस तीरà¥à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने को मिले, पर मौसम ने हमारा साथ नही दिया और घने बदल इन बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियों पर काफ़ी देर तक मंडराते रहे. मंदिर के कपाट अà¤à¥€ बंद थे और हम तीनो के सिवाय वहाठकोई और मौजूद नही था, तो हम तीनो वहीं आस पास की जगह का मà¥à¤†à¤¯à¤¨à¤¾ करने लगे. असीम शांति और खूबसूरत कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ नज़ारे पूरे माहौल को à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व अलौकिक रूप दे रहे थे, वासà¥à¤¤à¤µ मे सà¥à¤µà¤°à¥à¤— जैसा. थोड़ी देर बाद हमे कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ के साथ आते दिखाई दिठजिनके आने पर मंदिर खोला गया.
अरे नही, अà¤à¥€ तो कà¥à¤› और सीढ़ियाठबाकी हैं!
हम लोग मंदिर मे à¤à¤—वान कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताठगये कà¥à¤‚ड की तलाश मे निकल पड़े. यह कà¥à¤‚ड मंदिर के पीछे à¤à¤• गहरी खाई की ओर था, हम जैसे जैसे कà¥à¤‚ड की और बढ़ते रासà¥à¤¤à¤¾ कठिन व सà¤à¤•रा होता जाता. à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बहà¥à¤¤ ही सà¤à¤•रा व फिसलन à¤à¤°à¤¾ मारà¥à¤— और नीचे हज़ारों फीट खाई देखकर कदम सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही रà¥à¤• गये और हम सà¤à¥€ बिना कोई जोखिम उठाठवहीं से वापिस हो लिà¤. हमे यहाठपर लगà¤à¤— तीन घंटे बीत चà¥à¤•े थे, लेकिन à¤à¤¸à¤¾ लगता था मानो अà¤à¥€ थोड़ी देर पहले ही आठहों. वापिस जाने का तो किसी का à¤à¥€ जी नही कर रहा था लेकिन आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पैदल करने का विचार था इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ उतराई शà¥à¤°à¥‚ कर दी.
मंदिर से दिखते कà¥à¤› गाà¤à¤µ और सीढ़ीदार खेत
कà¥à¤‚ड का शà¥à¤°à¥‹à¤¤ यहीं कहीं इस बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² के आस पास था
उपर के नज़ारों ने शरीर को तरो ताज़ा कर दिया था, इसलिठउतरते वकà¥à¤¤ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नही लगा और उतरते ही पैदल यातà¥à¤°à¤¾ आरंà¤. कà¥à¤› à¤à¤• किलोमीटर ही चले थे कि दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को थकान लगने लगी, सोचा चलो जो साधन मिल जाठआगे तक उसी मे चल पड़ेंगे. अब चलते चलते हर à¤à¤• आगे जाने वाली गाड़ी को हाथ दिखाकर रोकने की कोशिश करते रहे, पर सब बेकार. किसà¥à¤®à¤¤ से थोड़ी देर बाद à¤à¤• टà¥à¤°à¤• आता हà¥à¤† दिखाई दिया, आधे मन से इसे हाथ दिखाया और ये कà¥à¤¯à¤¾! टà¥à¤°à¤• तो थोड़ा आगे जाकर रà¥à¤• ही गया था. खà¥à¤¶à¥€ के मारे थकान के बावजूद à¤à¥€ पैरों मे जान आ गयी थी और दौड़कर टà¥à¤°à¤• मे लद गये. लेकिन टà¥à¤°à¤• चालक से बात करते करते पता चला की उसकी सेवा केवल पोखरी तक ही उपलबà¥à¤§ थी जो कि यहाठसे लगà¤à¤— 20 किमी. ही दूर था और हमे आज शाम रूकने के लिठकरà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था जो पोखरी से लगà¤à¤— 28 किमी. और आगे था. खैर जैसे तैसे कचà¥à¤šà¥‡ उबड़ खाबड़ रासà¥à¤¤à¥‡ से पोखरी तक पहà¥à¤à¤šà¥‡, पर अà¤à¥€ और à¤à¥€ इमà¥à¤¤à¥ˆà¤¹à¤¾à¤¨ बाकी थे. पहले तो यहाठपहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर यहाठके पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नागनाथ मंदिर को देखने की इचà¥à¤›à¤¾ हà¥à¤ˆ, पर अचानक ही पà¥à¤¨à¥€à¤¤ के पेट मे à¤à¤¯à¤‚कर दरà¥à¤¦ शà¥à¤°à¥‚ हो गया, कà¥à¤› देर के लिठहमारी तो जैसे जान ही निकल गई थी. लेकिन थोड़ी देर के विशà¥à¤°à¤¾à¤® के बाद, वो पहले की तरह चलने के लिठबिलà¥à¤•à¥à¤² तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° था. हम लोगों ने फिर अगली गाड़ी ना मिलने तक गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ नंबर की गाड़ी से ही सफ़र जारी रखा. थोड़ा आगे चलने पर à¤à¤• सेना के जवान ने हमे रोका और बेरूख़े ढंग से पूछतात करने लगा. जब हमने उसे अपनी इस पैदल यातà¥à¤°à¤¾ के बारे मे बताया तो उसे सà¥à¤¨à¤•र उसे हम पर कà¥à¤› शक सा हà¥à¤† और वो हम सबसे हमारे पहचान पतà¥à¤° माà¤à¤—ने लगा. जब उसे पूरी तरह यकीन हो गया कि हम लोग किसी à¤à¤¸à¥€ ही यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रहे थे तो उसने हमे बधाई देते हà¥à¤ हमारा मारà¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ किया. à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ने à¤à¤• बार फिर हमारा साथ दिया और कà¥à¤› à¤à¤• किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमे à¤à¤• यातà¥à¤°à¥€ जीप मिल गयी जो करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तक जा रही थी. जीप मिलते ही थकान के मारे दीपक और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ तो à¤à¤ªà¤•ी लेने लगे और मैं हिम शिखरों को देखने की लालसा मे जगा रहा. मेरा जागना सफल रहा, थोड़ी आगे चलने पर ही हमे कà¥à¤› बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियों की à¤à¤²à¤• मिलने लगी और मन खà¥à¤¶à¥€ के मारे à¤à¥‚म उठा. दोनो दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को जगाया तो वो à¤à¥€ खà¥à¤¶à¥€ के मारे उछल पड़े और कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के इस करिशà¥à¤®à¥‡ का मज़ा लेने लगे.
ये लो कर लो दरà¥à¤¶à¤¨, हिम शिखरों के (जीप से लिया गया फोटो)
खूबसूरत घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° मोडों और उà¤à¤šà¥‡ उà¤à¤šà¥‡ पेड़ों से घिरे शानदार जंगलों से गà¥à¤œà¤° ही रहे थे की अचानक दीपक को मितली की शिकायत हà¥à¤ˆ, हमने चालक को बोलकर गाड़ी रà¥à¤•वाई और फिर आगे बढ़ चले. à¤à¤¸à¤¾ रासà¥à¤¤à¥‡ मे दीपक के साथ à¤à¤•ाद बार फिर हà¥à¤† जिस कारण हमे करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ लगà¤à¤— अंधेरा सा हो गया था. दिन लगà¤à¤— ख़तà¥à¤® हो चà¥à¤•ा था पर यातà¥à¤°à¤¾ का रोमांच अà¤à¥€ à¤à¥€ बाकी था. खाना खाने के बाद, अब आज का आख़िरी काम था रात को रà¥à¤•ने की जगह ढूà¤à¤¢à¤¨à¤¾. चूà¤à¤•ि हम इस यातà¥à¤°à¤¾ पर कà¥à¤› नये अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ की तलाश मे निकले थे, इसलिठसोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना आज रात खà¥à¤²à¥‡ आसमान के नीचे बिताई जाà¤. जगह ढूà¤à¤¢à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¥‚ की तो सबसे उपयà¥à¤•à¥à¤¤ जगह लगी संगम किनारे बने करà¥à¤£ मंदिर का खà¥à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण जहाठना सिरà¥à¤«à¤¼ सोने की परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जगह थी बलà¥à¤•ि साथ ही साथ उपर à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤² सितारों से जगमगाता आकाश और नीचे कलकल बहती दो पावन नदियों के संगम का लोरी सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† सà¥à¤µà¤° जो की दिन à¤à¤° की थकान को मिटाने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था. सोने से पहले संगम की और à¤à¤¾à¤à¤•ती दीवारों पर बैठकर रातà¥à¤°à¤¿ मे संगम के दृशà¥à¤¯ का आनंद ले ही रहे थे की पास की à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मे कà¥à¤› सरसराहट सी होने लगी. हम लोग तरह तरह की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤à¤‚ कर ही रहे थे की घà¥à¤ªà¥à¤ª अंधेरे मे à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से थोड़ा दूर किसी जानवर को नदी की ओर जाते हà¥à¤ देखा. इस अनोखे जानवर को देखकर, मन मे थोड़ी शंका पैदा हà¥à¤ˆ की à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पास और à¤à¥€ तरह तरह के जीव हो सकते हैं जो हमे हानि पहà¥à¤à¤šà¤¾ सकते हैं ख़ासतौर पर साà¤à¤ª या बिचà¥à¤›à¥‚ आदि. लेकिन थकान सब पर इतनी हावी थी की इस जगह से जाने का मन ही नही किया और बिसà¥à¤¤à¤° बिछाने की तैयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ करने लगे. सोने वाली जगह पर पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो à¤à¤• साधॠको बैठे पाया, बात करनी चाही तो अजीब अजीब से उतà¥à¤¤à¤° देने लगा. और थोड़ी ही देर मे वो अपना पिटारा खोलकर कà¥à¤› नशीली दवाईयों का सेवन करने लगा, अब तो जानवरों से कम लेकिन इस बंदे से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ डर लगने लगा और थके होने के बावजूद à¤à¥€ हमने कोई दूसरी जगह ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ की ठान ही ली. रात काफ़ी हो चà¥à¤•ी थी और यातà¥à¤°à¤¾ सीज़न की वजह से सà¤à¥€ धरमशालाà¤à¤ व होटल खचाखच à¤à¤°à¥‡ पड़े थे.
लगà¤à¤— 11 बजे का वकà¥à¤¤ था और घूमते घूमते 1 घंटे से उपर हो गया था, सारी सड़कें सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ हो चà¥à¤•ी थी और सड़कों पर हम तीनों ईडियटà¥à¤¸ के अलावा केवल कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡, बिलà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और गाà¤à¤‚ ही मौजूद थी. थोड़ा निराश होकर वापस मंदिर की ओर कदम बढ़ाते हà¥à¤ à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गली मे चले ही जा रहे थे कि तीन लोग à¤à¤• दà¥à¤•ान के बाहर सोने की तैयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ करते हà¥à¤ मिले, सोचा इनसे कà¥à¤› मदद माà¤à¤—ी जाà¤. उनसे पूछा तो कहने लगे “à¤à¤¾à¤ˆ साब हम लोग इस शहर के नही हैं और हम à¤à¥€ बाहर खà¥à¤²à¥‡ मे सोफे पर सो रहे है हम जगह कहाठसे लाà¤à¤ à¤à¤²à¤¾, नीचे बाज़ार मे पता कर लो, शायद कोई जगह मिल जाà¤â€, हमने à¤à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ देखते हà¥à¤ वहाठसे चलना मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤¬ समà¤à¤¾. मà¥à¤¶à¥à¤•िल से लगà¤à¤— 30 मीटर ही चले होंगे की पीछे से आवाज़ आई “अरे à¤à¤¾à¤ˆ साब रूको, यहाठआओ ज़रा, मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ बà¥à¤²à¤¾ रहे हैंâ€. पीछे मà¥à¤¡à¤¼à¤•र देखा तो शायद उनà¥à¤¹à¥€ तीनों मे से कोई हमे आवाज़ दे रहा था, पास आकर देखा तो लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ 3 से बढ़कर 6 हो गयी थी. उस सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ रात के à¤à¤¸à¥‡ पहर 6 वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से घिरे होने पर थोड़ा सा à¤à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ होना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• था, उनमे से à¤à¤• अधेड़ उमà¥à¤° का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमसे पूछतात करने लगा कि कहाठसे आठहो और इस सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गली मे इतनी रात को कà¥à¤¯à¤¾ कर रहे हो. आस पास के माहौल का जायज़ा लेकर, हम लोग उनà¥à¤¹à¥‡ अपनी योजना और यातà¥à¤°à¤¾ के बारे मे बता ही रहे थे की हमारा दोसà¥à¤¤ दीपक अचानक से उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पूछ पड़ा “मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ आप कौन सी कà¥à¤²à¤¾à¤¸ के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पढ़ाते होâ€, उसका ये पूछना था कि पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और मेरी हà¤à¤¸à¥€ छूटने लगी. अब आप पूछेंगे इसमे à¤à¤²à¤¾ हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ की कà¥à¤¯à¤¾ बात थी, दरअसल मैने और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ ने दà¥à¤•ान के बाहर लगे à¤à¤• साइनबोरà¥à¤¡ को देख लिया था जिस पर लिखा था ‘सलीम बैंड मासà¥à¤Ÿà¤°â€™. मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ à¤à¥€ हंसते हंसते बोले “अरे à¤à¤¾à¤ˆ, मे तो बैंड मासà¥à¤Ÿà¤° हूठऔर पढ़ाता नही बैंड बजाता हूà¤â€. हमारी कहानी सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बाद, मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ हमे दà¥à¤•ान के अंदर ले गये जहाठढोल और बाजों से à¤à¤°à¥‡ 2 कमरे थे और कई नौज़वान ज़मीन पर यतà¥à¤° ततà¥à¤° लेटे पड़े थे. मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ बोले “देखो à¤à¤¾à¤ˆ, अगर तà¥à¤® तीनो यहाठइस ज़मीन पर थोड़ी जगह मे सो सको तो ठीक है, फ़िलहाल तो इतना ही कर सकता हूà¤â€, à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ था की हमारे चेहरे पर खà¥à¤¶à¥€ की लहर दौड़ पड़ी. मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ ने ज़मीन पर बिछाने को चादर दी और हम à¤à¥€ बिना समय गवाठवहाठपर लोट गये. हमे सोने की जगह तो मिल गयी थी पर मन मे अà¤à¥€ à¤à¥€ कोई डर हमे सोने नही दे रहा था, मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ और कà¥à¤› अनà¥à¤¯ लोग अà¤à¥€ à¤à¥€ जाग रहे थे और दà¥à¤•ान के बाहर आपस मे कà¥à¤› बतिया रहे थे. इतने मे à¤à¤• परिचित शबà¥à¤¦ ने हमारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अपनी और आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया और हमारे कान खड़े हो गये. मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ किसी से फोन पर बात करते हà¥à¤ कह रहे थे कि हमने कल के पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® के लिठदिलà¥à¤²à¥€ के कोटला मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•पà¥à¤° से 3 लड़के बà¥à¤²à¤µà¤¾à¤ हैं. à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤•र हमारी तो जैसे साà¤à¤¸ ही अटक गयी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमने उनà¥à¤¹à¥‡ बताया था की हम दिलà¥à¤²à¥€ मे कोटला मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•पà¥à¤° के आस पास ही रहते थे.
à¤à¤¸à¥‡ मे दिमाग़ मे कई तरह के विचारों की आवाजाही शà¥à¤°à¥‚ हो गई और हम अगले दिन होने वाली संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ घटनाओ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ के सागर मे गोते लगाने लगे. लेकिन थकान के मारे ना जाने कब आà¤à¤– लग गयी की पता ही नही चला. सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही आà¤à¤– खà¥à¤² गयी और अपने आप को ठीक हालत मे पाकर बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा, बाहर जाकर देखा तो कà¥à¤› लोग सोफे पर बैठे गपà¥à¤ªà¥‡ मारते मिले. हमारे आने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हमे बताया की वो तीनो ही रात को बाहर सोठथे, हमने और पूछतात की तो à¤à¤• उनसोची बात पता लगी, दरअसल ये तीनो लोग दिलà¥à¤²à¥€ मे कोटला मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•पà¥à¤° से आई थे आज होने वाले किसी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® मे ढोल बजाने. जानकार हम सबके चेहरे पर à¤à¤• मà¥à¤¸à¥à¤•ान सी आ गयी और उन देवता सà¥à¤µà¤°à¥‚प मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मन आदर से à¤à¤° गया. हमने मासà¥à¤Ÿà¤°à¤œà¥€ से मिलना चाहा तो पता लगा की वो तो आज के समारोह के लिठकà¥à¤› ज़रूरी समान लेने कहीं गये थे और लगà¤à¤— 2/3 घंटे मे लौटेंगे, ये सà¥à¤¨à¤•र थोड़ी निराशा ज़रूर हà¥à¤ˆ उनसे दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ ना मिल पाने की. ये इस संपूरà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ के सबसे यादगार अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ मे से सबसे खूबसूरत था जहाठà¤à¤• देवता सà¥à¤µà¤°à¥‚प मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤ˆ ने अपने हिंदू à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ के समय ना सिरà¥à¤«à¤¼ अपने घर मे बलà¥à¤•ि अपने दिल मे à¤à¥€ जगह देकर मानवता की à¤à¤• खूबसूरत मिसाल कायम की. खैर इन बेहतरीन यादों के साथ हम तीनो निकल पड़े अपनी अगली मंज़िल à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¶ के दरबार की ओर कà¥à¤› और रोमांचक और यादगार पलों की तलाश मे…