सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठà¥à¤•र नितà¥à¤¯-करà¥à¤® से निपट कर फिर गंगा जी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के लिये नीचे गये । नहाने के बाद जलà¥à¤¦à¥€ से तैयार होकर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में गये। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में आरती चल रही थी। आरती खतम होने के बाद महाराज जी मिले ओर चलने कि इजाजत माà¤à¤—ीं। महाराज जी ने नाशà¥à¤¤à¤¾ करके जाने को कहा, लेकिन नाशà¥à¤¤à¤¾ तà¥à¤¤à¥ˆà¤¯à¤¾à¤° होने में अà¤à¥€ समय लगना था। इसलिये हम वहाठसे बिना कà¥à¤› खाठही लगà¤à¤— सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे निकल लिये। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन दिनो हेमकà¥à¤¨à¥à¤ साहिब की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ चल रही थी, रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤› जगह लोगों ने यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये à¤à¤¨à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥‡ लगाये हà¥à¤ थेà¥à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• à¤à¤¨à¥à¤¡à¤¾à¤°à¤¾ हमें आशà¥à¤°à¤® से थोड़ा आगे चलने के बाद मिला, जहां चाय, पकोडे और शकà¥à¤•र-पारे मिल रहे थे। à¤à¤¨à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥‡ के सेवक गाड़ियाठरà¥à¤•वा-2 कर वहाठआने के लिये कह रहे थे। हमने à¤à¥€ अपनी गाड़ी से उतर कर सड़क के किनारे लगे इस à¤à¤¨à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥‡ में चाय, पकोडे और शकà¥à¤•र-पारे खाये। पेट पूजा करने के बाद हमने आगे की यातà¥à¤°à¤¾ जारी की।
थोडी ही देर बाद मौसम खà¥à¤°à¤°à¤¾à¤¬ होने लगा और हलकी बारिश होने लगी। रासà¥à¤¤à¤¾ पूरी तरह पहाडी था और इसलिये गाड़ी à¤à¥€ धीरे चल रही थी। धीरे-2 बादल काले होने लगे और अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ छा गया तथा मà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤§à¤¾à¤° बारिश होने लगी। इतना अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ छा गया कि हमें सà¥à¤¬à¤¹ 7:30 बजे à¤à¥€ गाड़ी की लाईट जलानी पडी। बहà¥à¤¤ सी गाड़ियाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ पर रà¥à¤• गयी, लेकिन हमारी गाड़ी धीरे-2 चलती रही। लगà¤à¤— à¤à¤• घंटे के बाद बारिश बनà¥à¤¦ हà¥à¤ˆ तथा मौसम साफ़ हो गया। ठीक 9 बजे हम देवपरà¥à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤š गये । वहाठपहà¥à¤à¤š कर गाड़ी रोकी और हम थोड़ी देर घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिये गाड़ी से बाहर निकले।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पंच पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, ननà¥à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तथा विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मà¥à¤–à¥à¤¯ नदियों के संगम पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं । नदियों का संगम à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बहà¥à¤¤ ही पवितà¥à¤° माना जाता है विशेषत: इसलिठकि नदियां देवी का रूप मानी जाती हैं। पहला पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है जहाठअलकनंदा से धौली गंगा मिलती है। दूसरा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— ननà¥à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है यहाठननà¥à¤¦à¤•िनी नदी अलकनंदा मे मिलती है। तीसरा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— करà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है यहाठपिंडर नदी अलकनंदा मे मिलती है। चौथा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे मंदाकिनी अलकनंदा से मिलती हैं और पाà¤à¤šà¤µà¤¾ देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में अलकà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾ और à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी का संगम होता है और यहीं से गंगा नदी की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ à¤à¥€ होती है। मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— से देखें तो बायीं तरफ़ से à¤à¤¾à¤—ीरथी जी आती हैं और दायी तरफ़ से अलकà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾ जी। संगम सà¥à¤¥à¤² पर अलकà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾ में जल-पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ à¤à¤¾à¤—ीरथी की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में काफ़ी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है लेकिन पानी à¤à¤¾à¤—ीरथी जी का जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ साफ़ है। à¤à¤¾à¤—ीरथी जी सीधे गंगोतà¥à¤°à¥€ से आ रही हैं और अलकà¥à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾ जी बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से। थोड़ी देर वहाठरà¥à¤•ने के बाद शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की तरफ़ चल दिये।
थोडा आगे चलते ही à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ ने हाथ देकर गाड़ी रà¥à¤•वा ली। वहाठपहले से ही कई गाड़ीयां खडी थी और वाहनों के दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥‹à¤‚ की जाà¤à¤š हो रही थी। सड़क के किनारे पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की गाड़ी खडी थी और काफ़ी पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ à¤à¥€à¥¤ हमने अपने चालक से दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के बारे में पूछा और उसने बताया कि उसके पास पूरे दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ हैं । हमसे आगे वाली गाड़ी पंजाब से थी और जैसे ही पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ ने उससे गाड़ी के दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ मांगे, गाड़ी चालक ने उसे 50 का नोट पकड़ा दिया।पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ ने à¤à¥€ उसे जाने दिया। पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ हमारी गाड़ी पर आया और दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ मांगे। चालक ने सारे दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ दिखाये लेकिन पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤•रà¥à¤®à¥€ ने उसे बाहर आने को कहा और उसे अपने अफ़सर के पास ले गया। इसे देखते ही हमारे सीटी जी उरà¥à¤«à¤¼ ASI साहिब तà¥à¤‚रत हरकत में आये और चालक के साथ चले गये और थोड़ी देर बाद निपट कर वापिस आये तथा चालक को चलने को कहा। चलने के बाद हम सीधा शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤šà¥‡à¥¤
देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की दूरी लगà¤à¤— 34 किलोमीटर है। पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ में सड़क के साथ-2 अलकनंदा नदी बहती है।शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र शहर à¤à¥€ अलकनंदा नदी के किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । शहर से बाहर निकलते ही अलकननà¥à¤¦à¤¾ नदी पर जल विधà¥à¤¤ परियोजना का कारà¥à¤¯ चल रहा था, वहीं जाकर रà¥à¤•े। 2-4 फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤« खिंचने के बाद हम रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की और चल दिये। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की दूरी लगà¤à¤— 33 किलोमीटर है और दोपहर à¤à¤• बजे के करीब हम रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤š गये। वहाठहम सबने खाना खाया, चाय पी और आगे की यातà¥à¤°à¤¾ जारी की। यहीं से à¤à¤• मारà¥à¤— बायीं तरफ़ मà¥à¤¡à¤¼ कर केदारनाथ के लिठजाता है और दà¥à¤¸à¤°à¤¾ दायीं तरफ़ से मà¥à¤–à¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— सीधा बदà¥à¤°à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ के लिये।
“रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— : मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । संगम सà¥à¤¥à¤² के समीप चामà¥à¤‚डा देवी व रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ है । रà¥à¤¦à¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— ऋषिकेश से 137 किमी० की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । यह नगर बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मोटर मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । यह माना जाता है कि नारद मà¥à¤¨à¤¿ ने इस पर संगीत के गूढ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने के लिये “रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ महादेव” की अराधना की थी। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में इस तीरà¥à¤¥ का वरà¥à¤£à¤¨ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से आया है। यहीं पर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ की आजà¥à¤žà¤¾ से देवरà¥à¤·à¤¿ नारद ने हज़ारों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की तपसà¥à¤¯à¤¾ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शंकर का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार कर सांगोपांग गांधरà¥à¤µ शासà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था। यहीं पर à¤à¤—वान रà¥à¤¦à¥à¤° ने शà¥à¤°à¥€ नारदजी को `महती’ नाम की वीणा à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। संगम से कà¥à¤› ऊपर à¤à¤—वान शंकर का `रà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°’ नामक लिंग है, जिसके दरà¥à¤¶à¤¨ अतीव पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ बताये गये हैं। यहीं से यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— केदारनाथ के लिठजाता है, जो ऊखीमठ, चोपता, मंडल, गोपेशà¥à¤µà¤° होकर चमोली में बदरीनाथजी के मà¥à¤–à¥à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— में मिल जाता है â€à¥¤
ऋषिकेश से लेकर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तक के रासà¥à¤¤à¥‡ में पहाडो पर काफ़ी कम हरियाली है और ये काफ़ी रेतीले लगते हैं लेकिन रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से केदारनाथ की तरफ़ मà¥à¤¡à¤¤à¥‡ ही दृशà¥à¤¯ à¤à¤•दम बदल जाता है। चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली है ,घाटियॉ बहà¥à¤¤ खà¥à¤¬à¤¸à¥à¤°à¤¤ हैं। हम इन खà¥à¤¬à¤¸à¥à¤°à¤¤ वादियों का आनंद लेते हà¥à¤ अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ से होते हà¥à¤ गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी पहà¥à¤à¤š गये ।वहाठगाड़ी रà¥à¤•वा कर चाय पी और आस पास के सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नजारों को निहारने लगे। गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी से घाटी के दूसरी तरफ़ ऊखीमठसाफ़ दिखाई देता है। चाय वाले ने हमें बताया कि आगे सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में आपको काफ़ी देर रà¥à¤•ना पड़ सकता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गौरीकà¥à¤‚ड में पारà¥à¤•िंग की जगह बहà¥à¤¤ कम है और जितनी गाड़ीयाठवहाठसे आती हैं उतनी ही गाड़ीयाठको आगे जाने दिया जाता है। उसकी यह बात सà¥à¤¨à¤•र हम जलà¥à¤¦à¥€ से गाड़ी में बैठे और गौरीकà¥à¤‚ड की तरफ़ चल दिये । जैसा कि चाय वाले ने हमें बताया था वैसा ही हà¥à¤†à¥¤ सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में बहà¥à¤¤ सी गाड़ीयाठलाइन में लगी हà¥à¤ˆ थी और अपने गौरीकà¥à¤‚ड जाने का इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° कर रही थी। बसें तथा अनà¥à¤¯ बडी गाड़ीयाठगौरीकà¥à¤‚ड जाकर वहाठयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को उतार कर वापिस सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में आकर खडी हो रही थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि गौरीकà¥à¤‚ड में पारà¥à¤•िंग की जगह खाली नही थी । लगà¤à¤— दो घनà¥à¤Ÿà¥‡ बाद हमारी गाड़ी à¤à¥€ गौरीकà¥à¤‚ड कि ओर चल दी। जब हम गौरीकà¥à¤‚ड पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था और हमारी गाड़ी तवेरा को पारà¥à¤•िंग में जगह à¤à¥€ मिल गयी। गौरीकà¥à¤‚ड में बस अडà¥à¤¡à¤¾ इतना छोटा है कि à¤à¤• समय में à¤à¤• ही बस घूम सकती है। अब थोडी सी जानकारी रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौरीकà¥à¤‚ड के रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ने वाले महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ के बारे में …
“ अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ : रूदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ की दूरी 18 किलोमीटर है। यह समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह मंदाकिनी नदी के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह वहीं सà¥â€à¤¥à¤¾à¤¨ है जहां ऋषि अगसà¥â€à¤¤à¥â€à¤¯ ने कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक तपसà¥â€à¤¯à¤¾ की थी। इस मंदिर का नाम अगसà¥â€à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤°à¤µà¤° महादेव ने ऋषि अगसà¥â€à¤¤à¥â€à¤¯ के नाम पर रखा था। बैसाखी के अवसर पर यहां बहà¥à¤¤ बड़ा मेला लगता है। यहां दूर-दूर से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ आते हैं और अपने इषà¥â€à¤Ÿ देवता से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं।
गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी- गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी का वहीं महतà¥â€à¤µ है जो महतà¥â€à¤µ काशी का है। à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद पांणà¥â€à¤¡à¤µ à¤à¤—वान शिव से मिलना चाहते थे और उनसे आरà¥à¤¶à¥€à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ करना चाहते हैं। लेकिन à¤à¤—वान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे इसलिठवह गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤¾à¤•ाशी से केदारनाथ चले गà¤à¥¤ गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह à¤à¤• सà¥â€à¤¤à¥‚प नाला पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है जो कि ऊखीमठके समीप सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। कà¥à¤› सà¥â€à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी इसे राणा नल के नाम से बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। इसके अलावा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ विशà¥â€à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर, अराधनेशà¥à¤°à¤µà¤° मंदिर और मणिकारनिक कà¥à¤‚ड गà¥à¤ªà¥â€à¤¤à¤•ाशी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आकरà¥à¤·à¤£ केनà¥â€à¤¦à¥à¤° है।
सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—- सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 1829 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह केदारनाथ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। सोन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पà¥à¤°à¤®à¥à¤– धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥â€à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि सोन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के इस पवितà¥à¤° पानी को छू लेने से बैकà¥à¤ धाम पंहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में मदद मिलती है। सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से केदारनाथ की दूरी 19 किलोमीटर है। सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥à¤—ीनारायण की दूरी बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 14 किलोमीटर है और इसके बाद पांच किलोमीटर पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करनी होगी। तà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥à¤—ीनारायण वहीं सà¥â€à¤¥à¤¾à¤¨ है जहां à¤à¤—वान शिव और पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का विवाह हà¥à¤† था।
गौरीकà¥à¤‚ड- सोन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौरीकà¥à¤‚ड की दूरी 5 किलोमीटर है। यह समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 1982 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। केदारनाथ मारà¥à¤— पर गौरीकà¥à¤‚ड अंतिम बस सà¥â€à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है। केदारनाथ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के बाद लोग यहां पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤¨à¥à¤¡ में सà¥â€à¤¨à¤¾à¤¨ करते हैं। इसके बाद गौरी देवी मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजाते हैं। यह वहीं सà¥â€à¤¥à¤¾à¤¨ है जहां माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¤—वान शिव को पाने के लिठतपसà¥â€à¤¯à¤¾ की थी। यहाठसे केदारनाथ की दूरी 14 किमी. है, जो पैदल अथवा घोड़े, डाà¤à¤¡à¥€ या कंडी में तय करते हैं। â€
गौरीकà¥à¤‚ड पहà¥à¤à¤š कर सारा सामान गाड़ी से बाहर निकाल कर à¤à¤• जगह इकटà¥à¤ ा किया और ठà¥à¤¹à¤°à¤¨à¥‡ के लिये कमरो की तलाश शà¥à¤°à¥ कर दी। मैं और हरिश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ बाकी सà¤à¥€ लोगों को सामान के पास खडा करके कमरे ढूढ़ने लगे । यातà¥à¤°à¤¾ सीजन शबाब पर होने के कारण कमरा मिलने में काफ़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रही थी इसलिये हमारे दो अनà¥à¤¯ साथी à¤à¥€ कमरा ढूढ़ने लगे और 15-20 मिनट के बाद दो कमरे 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कमरा के हिसाब से मिल गये या यूठकहो कि धकà¥à¤•े से ले लिये। वहाठसामान रख कर थोड़ी देर आराम किया और फिर हम सब बारी-बारी से तपà¥à¤¤à¤•à¥à¤‚ड में नहाने गये। तपà¥à¤¤à¤•à¥à¤‚ड हमारे कमरोठके पास ही था। कà¥à¤¨à¥à¤¡ छोटा सा ही है सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤• कमरे के आकार का।महिलाओं व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठयहां पर अलग-अलग सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤•à¥à¤¨à¥à¤¡ बनाठगठहै।आराम से नहा धो कर वापिस कमरे पर आये और तैयार होकर बाहर टहलने निकले।
गौरीकà¥à¤‚ड में होटल, लॉज, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤“ं और à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा पूजा सामगà¥à¤°à¥€ तथा केदारनाथ यातà¥à¤°à¤¾ में काम आने वाली जरूरी चीजों (ऊनी कपड़े, छड़ी, छाता आदि) की दà¥à¤•ानों की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° है । यहाठà¤à¤• गरम पानी का कà¥à¤‚ड (तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड ), पारà¥à¤µà¤¤à¥€ मंदिर और गोरखनाथ मंदिर पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤² हैं। यातà¥à¤°à¤¾ सीजन में हजारों तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व सैलानियों की à¤à¥€à¤¡à¤¼à¤à¤¾à¤¡à¤¼ देखकर लगता नहीं कि केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद होते ही यहाठवीरानी छा जाती होगी। काशीपà¥à¤° के à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• घराने के सौजनà¥à¤¯ से गौरीकà¥à¤‚ड व केदारनाथ में सौंदरà¥à¤¯à¥€à¤•रण तथा जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° का अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ हà¥à¤† है, लेकिन अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• मकानों के कारण यहाठपà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता को खोजना कठिन लगता है। कूड़े-कचरे तथा मलमूतà¥à¤° के समà¥à¤šà¤¿à¤¤ निसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤£ का à¤à¥€ कोई इंतजाम नजर नहीं आया। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ योजनाओं के नाम पर कà¥à¤› शौचालय और कूड़ादान दिखे, लेकिन उनका उपयोग होता नहीं दिखा या वे इस लायक थे ही नहीं। पवितà¥à¤° मंदाकिनी नदी को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित होते देखना संवेदनशील मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये दà¥à¤ƒà¤–द अनà¥à¤à¤µ है।
खाने के लिठकमरे के पास ही के à¤à¤• साफ़ से ढाबे वाले के पास खाना खाया और कमरे में आकर अपना सारा सामान हमने à¤à¤• बैग में कर दिया अपने पिठà¥à¤ ू बैग में वरà¥à¤·à¤¾ से बचने के लिये सिरà¥à¤«à¤¼ रेन-कोट डाल लिया। अगली सà¥à¤¬à¤¹ हमें जलà¥à¤¦à¥€ केदारनाथ जाना था इसलिये सà¥à¤¬à¤¹ 3:30 का आलरà¥à¤® लगाकर सब सो गये।













बहुत सुंदर वर्णन ……………..
आप ने हमारी जून में की केदारनाथ व बद्रीनाथ की यात्रा की याद दिला दी|
Thanks Mahesh ji..
you are always first to comment..
Lovely journey… one correction … 3rd and 4th pic are devprayag, not rudrprayag.
Thanks Deepak..
You are right, 3rd and 4th pic are of Devprayag, not Rudrprayag.
thanks for correction.
नरेश जी
इतना सुंदर कथा वर्णन आपने कहा से सीखा मज़ा आ गया फोटो भी बहुत सुंदर है हम जब बद्रीनाथ गए थे तब समय की कमी की वजह से यमुनोत्री की यात्रा नहीं कर पाए थे अत: उसका इंतजार है यमुनोत्री का वर्णन किस भाग में आवेग.
भूपेंद्र सिंह रघुवंशी
Bhupender Ji..
as mentioned in the first post that Gangotri and Yamunotri were dropped and Hemkund was selected.
Thanks you enjoyed reading
So far so good Naresh. I guess during Yatra season, it gets a little tough to find space (roads as well as hotels). May be in off season (post rains), it would be simpler/easier. I have only been to Ukhimath. May be this summers. :-)
Thank you for all the mytho details.
Yor are right Nandan ,
May- June is considered as peak season for Char Dham Yatra of Uttrakhand and due to this all things cost more.
October is the best month to visit these Places.
thanks..
Thanx for interesting post… & vry nice pics tooooo…..
Nice description.
This will surely help many of us.
Lovely Naresh
This yatra is getting in my skin . I want to do this as early as possible.
Thanks Vishal Bhai..
Jai Bhole ki.. Aamin.. May Baba kedar Call you this year.
ॐनम:शिवाय
अक्षय कुमार राजभर मोहन नगर गाज़ियाबाद उ.प.201007