à¤à¤¸à¥‡ पहà¥à¤‚चे हम मà¥à¤‚बई !
हमें पशà¥à¤šà¤¿à¤® à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ पकड़नी थी जो रातà¥à¤°à¤¿ 10 बज कर 45 मिनट के लगà¤à¤— नई दिलà¥à¤²à¥€ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर अवतरित हà¥à¤ˆà¥¤ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर लगे हà¥à¤ चारà¥à¤Ÿ में पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करके हमने अपनी कोच में जाकर सामान वगैरा शायिका के नीचे ठीक से लगाया, रेलवे की हिदायत का अनà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करते हà¥à¤ चेन से à¤à¥€ बांधा। मितà¥à¤°à¥‹à¤‚-संबंधियों को हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देकर विदा किया, गाड़ी चलने पर वस़à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ बदल कर लेट गये। बाहर अंधकार का सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ था, मिडिल बरà¥à¤¥ खोली जा चà¥à¤•ी थीं अतः नीचे वाली बरà¥à¤¥ पर सिरà¥à¤« लेटा ही जा सकता था, तब à¤à¥€ दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को वही नीचे की बरà¥à¤¥ चाहिये थीं ताकि खिड़की से बाहर के दृशà¥à¤¯ देखते रह सकें। पता नहीं दोनों कितनी देर तक खिड़की से बाहर अंधेरे में आंख गड़ाये बैठे रहे होंगे। अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में चल टिकट परीकà¥à¤·à¤• ने दरà¥à¤¶à¤¨ दिये। नींद से उठकर उनको सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ की और à¤à¤• टिकट के लिये बकाया किराये हेतॠरसीद बनाने के लिये कहा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ सहित जितनी राशि मांगी, दे दी। हमें नींद आ रही थी अतः फिर सो गये परनà¥à¤¤à¥ इस शोषण को देखकर मन में à¤à¤• असंतोष बना रहता है और जब à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ अवसर पà¥à¤¨à¤ƒ आता है, यही मनसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती है।
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