घुमक्कड़ी – कुछ खट्टी…कुछ मीठी (3)
नारकण्डा में कुछ देर रुकने के बाद हम लोग वापिस चल दिये. चारों ओर बरफ पड़ी हुई थी, हम लोग धीरे-2 स्कूटर चलाते हुए, गाने सुनते हुए वापिस शिमला-दिल्ली की ओर चल रहे थे. ठियोग ठीक ठाक निकल गया और अब हम फागू वा कुफरी के बीच कहीं थे. प्रदीप आगे चेतक पर था और मैं पीछे अपने सुपर पर. अचानक देखा, प्रदीप लड़खड़ा कर नीचे गिरा… विजय सड़क पर पड़ा था और प्रदीप स्कूटर के साथ घिसट रहा था…मैने जोर से बोला – प्रदीप क्या हुआ, और ब्रेक लगाई… बस हमारा स्कूटर भी लड़खड़ाया और मैं और अवस्थी भी जमीन पर घिसटने लगे. किस्मत बड़ी अच्छी थी कि हम दोनों का स्कूटर ऐसे कोण पर गिरा था कि हम और हमारे स्कूटर खाई की ओर न जाकर पहाड़ की तरफ फिसले और साइड पर पड़े बर्फ के ढेर से टकरा कर. हम रुक गये…
कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हुआ क्या है..