सफ़र सिक्किम का भाग 8 : फूलों की तरह लब खोल कभी, खुशबू की जुबाँ में बोल कभी…

प्रकृति कभी कभी अपने ऐसे रूपों को हमारे सामने ला देती है कि हमें उनके बारे में कहने या कुछ लिखने के लिए काफी मशक्क़त करनी पड़ती है। ऐसा ही एक मंज़र हमें तब देखने को मिला जब हम अगले दिन गंगटोक में हो रही आर्किड पुष्प प्रदर्शनी को देखने गए। सिक्किम में हर साल मार्च से अप्रैल तक ये प्रदर्शनी लगी रहती है।

आर्किड एक ऐसा फूल है जिसकी पूरे विश्व में करीब 25000 प्रजातियाँ हैं। उन्नीसवीं शताब्दी में जब इनके रखरखाव और अनुकूल वातावरण की पूरी पूरी जानकारी नहीं थी तो उस ज़माने के रईस इन्हें अपने बगीचे की शोभा बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा देते थे। आज तो आम वर्ग तक इन फूलों की पहुँच जरूर हो गई है पर फिर भी अपनी अकूत सुंदरता की वज़ह से ये फूल आज भी अपेक्षाकृत मँहगा ही बिकता है।



दुनिया जहान की छोड़िए हम तो बात सिक्किम की कर रहे थे। क्या आपके लिए ये आश्चर्य की बात नहीं है कि सिक्किम जैसे अत्यंत छोटे से प्रदेश में भी इस फूल की 600 प्रजातियाँ हैं। दरअसल सिक्किम का कुछ हिस्सा समुद्र तल के करीब है तो इसके कुछ हिस्से कुछ 17000 फीट से भी ऊँचे हैं। इसलिए इस पूरे इलाके की आबो हवा इतने तरह के आर्किड्स की रचना करने में सहायक होती है।

फूलों की इन वादियों में एक बार घुसने के बाद निकलने को जी नहीं चाहता। क्या रंग, क्या शेड्स, भाग्य विधाता ने भी कितनी तबियत से इन्हें रचा है।

ज़ाहिर सी बात है कि आर्किड को सिक्किम का राज्य पुष्प होने का गौरव प्राप्त है।

वैसे सिक्किम के सबसे मशहूर आर्किडों में Cymbidiums, Vanda, Cattaleya, Hookeriana, Farmeri, Dendrobium Amoenum का नाम लिया जाता है। पुष्प पर्दर्शनी में इनका जिक्र इनके नाम के साथ था जो अब तो मुझे बिल्कुल याद नहीं।

बस इतना याद है कि नीले रंग के फूलों ने मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित किया। इसकी वज़ह ये भी है कि मुझे नीले रंग का शायद ही कोई शेड पसंद नहीं आता। नीले फूलों के बाद मन को मोह रहे थे गुलाबी रंग की छटा बिखेरते ये आर्किड्स..

सच फूलों की इस बगिया को देखकर आपको क्या नहीं लगता कि गुलज़ार साहब कितना सही लिख गए हैं..
फूलों की तरह लब खोल कभी
खुशबू की जुबाँ में बोल कभी…

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