हरिद्वार एक दिन एक रात

घुम्मकड़ पर घूमते और पढ़ते हुए काफी समय हो चला तो सोचा क्यों न कुछ अपनी घुम्मकड़ी के बारे में लिखकर पूरी तरह से इस परिवार में सम्मिलित हो जाऊँ। अब सवाल था कि घुमक्कड़ी कि शरुआत कँहा से कि जाये। तब ध्यान आया क्यों न हरि के द्वार पर दस्तक दे कर यह शुभ काम किया जाये। बच्चों का परीक्षा परिणाम आने से पहले कि छुट्टी चल रही थी। इस तरह यात्रा का सपरिवार प्रोग्राम दिल्ली से हरिद्वार का फाइनल हुआ। रात को सपरिवार पहूँच गए कश्मीरी गेट बस अड्डे पर हरिद्वार कि रात्रि बस सेवा का लाभ उठाने। यंहा शुरू होती है असली यात्रा ,हमे जाना था चीन और पहूँच गये जापान। कश्मीरी गेट बस अड्डे का नवीनीकरण के चलते उत्तराखण्ड की सभी बस आनंद विहार स्थानान्तरित कर दी गयी थी। रात के दस बज रहे थे और बच्चों का साथ। एक बार तो दिल बोला की प्रोग्राम कल के लिये टाल दे पर बच्चों और पत्नी के साहस के आगे हथियार डाल दिए गए।आनंद विहार बस अड्डे पहूँच कर कर उत्तराखण्ड रोडवेज की रात्रि १०:३० की ऋषिकेश मेल में जा बैठे।

तड़के 4:00 बजे ब्रहम मुहूर्त में हरिद्वार आगमन हो गया पर समस्या से दो चार होना अभी बाकि था। पहली समस्या इस मुँह अंधरे सभी होटल बंद थे। दूसरी समस्या यातायात के जो साधन इस समय उपलब्ध थे उनके दाम चढे हुए थे।यानि की हर की पौड़ी के बस अड्डे से रू॰40 की जगह रू॰150 मांगे जा रहे थे।किसी तरह चलते हूए हर की पौड़ी पहुँच कर एक होटल का कमरा ले कर सब लोग बिस्तर पर निद्रा की गोद में चले गए।

जब निंद्रा की गोद में से निकले सवेरे के 9:00 बज चुके थे।हम सभी हर की पौड़ी की और चल पढ़ें नहाने के लिए। मार्च का महीना था पानी काफी ठंडा था। फिर भी सबसे अधिक बच्चों ने आनंद लिया नहाने का।

निर्मल गँगा


इसके बाद हम लोगो ने हल्का नाश्ता किया और चल पड़े मनसा देवी की तरफ।मनसा देवी दो तरह से जा सकते है। पहला पैदल मार्ग और दूसरा रोपवे ट्रोली द्वारा। हमने पैदल मार्ग जो कि हर कि पौड़ी बाजार में से ही सीढ़ियों द्वारा ऊपर मन्दिर की और जाता है चुना।सीढी शुरू में काफी टूटी और गंदी है कारण आसपास किनारे बैठे चाय और प्रसाद सामग्री बेचने वालो के कारण।जैसे -जैसे ऊपर चढते जाते ऊचाई के कारण साँस फूलने लगती इसलिये रुक-रुक कर चढते जाते। सीढ़ियों द्वारा मनसा देवी मन्दिर 30-40 मिनट में पहुच सकते है। आधी चढ़ाई के बाद ऊपर पहाड़ी पर मन्दिर के दर्शन होने लगते है।

बिलवा पर्वत के शिखर पर स्थित, मनसा देवी का मन्दिर

अब तो जैसे -जैसे ऊपर जाते ऊपर मन्दिर की से आते जय माता के जयकारों से उत्साह और बढ़ता जाता।ऊपर पहुचने पर भव्य मन्दिर के दर्शन कर सब थकान मिट जाती है।

भव्य मनसा देवी मन्दिर

मन्दिर के अंदर माँ मनसा देवी के दर्शन कर हम सभी अत्यंत प्रसन हो उठे।ऐसा लगा जैसा माँ के दर्शन कर मन की सभी इच्छा पूरी हो गयी।मन्दिर की सीढी उतरकर पास में ही एक ऊंची चट्टान है,जिस पर चढ़ कर हरिद्वार का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।

हरिद्वार मनसा देवी से

इसके बाद हम वापिस नीचे उतरने लगे।अब कुछ वन्य प्राणियों से सामना होना था। पहले तो कुछ सभ्य लंगूर मिले,जो की आपके द्वारा चना और खाने की सामग्री देने पर ही आपके पास आते।बंदरों की तरह नहीं जो की आपके हाथ में खाने का सामान देख आप पर झपट पड़ते है।

सभ्य लंगूर

अभी हम नीचे उतर ही रहे थे की एक जगह पत्नी व मेरी बिटिया रुक कर फोटो खिचवाने लगे। अचानक पीछे से कई आवाजे सुनाई दी वंहा से हट जाओ।वे लोग तुरंत वंहा से हट गए।पीछे देखा तो हमारे होश उड गए ,लगभग तीन फुट लंबा साँप उन्हे डसने ही वाला था।

जहरीला साँप

हमने अपने सहयात्रियों व माँ मनसा देवी को धन्यवाद दिया की जिनकी वजह से हम लोग सकुशल थे। नीचे जाने पर बीच से एक रास्ता चंडी देवी के लिया जाता है।यह एक पक्का रोड है जिस पर ऑटोरिक्शा चल रहे थे। हम भी एक में सवार हो कर आगे के लिया चल दिए।चंडी देवी पर भी दो तरह से जाया जा सकता है, रोपवे द्वारा या पैदल। मनसा देवी की चढ़ाई कर लेने के बाद हम लोग काफी थक गए थे,व साँप से सामना होने के बाद पत्नी काफी डर गयी थी। इसलिये हम लोगो ने रोपवे का रास्ता चुना। पहली बार जो लोग रोपवे की ट्रोली में सवारी करते है,उनके मुख मंडल पर जो भय के भाव आते है। वह देखते ही बनते है पर मैने धर्मपत्नी जी का हाथ पकड़ उन्हे हिम्मत बंधाई। हमारे पांच वर्ष के पुत्र का तो ट्रोली से उतरने का मन ही नहीं किया वह बिलकुल नहीं डरा।

चंडी देवी रोपवे

प्रवेश द्वार माँ चंडी देवी

ऊपर पहुँच कर हमने माँ के दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया व वापिस हर की पौड़ी की और चल दिए।हर की पौड़ी पर होटल में पहुचकर कर सभी लोग बिस्तर पर ढेर हो गए।सवेरे से शाम चार बजे तक घूमने के कारण सभी लोग थक गए थे।शाम की गँगा आरती देखने की अभिलाषा लिए सभी निंद्रा की गोद में चले गए।जब नींद खुली तो आठ बज रहे थे।गँगा आरती को हम नहीं देख सके।सभी के पेट मे गणेश जी के वाहन(चूहे) चलने लगे थे।इसलिए हमने हर की पौड़ी पर एक दुकान पर गर्म -गर्म आलू परांठो का स्वाद लिया और गणेश जी के वाहनों को टा -टा किया।

इसके बाद सभी ने गँगा जी किनारे हर की पौड़ी पर मंद -मंद ठंडी हवा और दूर तक फैली शांति का आनंद लिया।जहाँ सवरे अत्यधिक चहल पहल होती है वंही इस समय शांति पसरी हुई थी।इसका भी अपना मजा है। रात में माँ गँगा मन्दिर की शोभा देखते ही बनती है।हर की पौड़ी पर रात्रि भर्मण का आनंद अवश्य ले।

रात मे हर की पौड़ी

माँ गँगा का मन्दिर

हर की पौड़ी पर घंटाघर

इसके साथ ही हमने माँ गँगा से फिर आने का वादा कर विदा ली।अगले दिन सुबह दिल्ली की बस पकड़ कर घर वापिस आ गए ।

28 Comments

  • सुस्वागतम राज जोगी जी , मै तो हैरान हूं कि अब तक आपने लिखा क्यों ​नही था …………आपकी लेखन शैली बढिया है आपके फोटोज बढिया है दूसरी बात हिंदी में लिखकर भी ग​लतिया न के बराबर हैं जो हिंदी में अक्सर होती हैं ………….और सांप के लिये तो क्लिक करने में वाकई आपने हिम्मत की क्योंकि इतनी देर में तो सांप निकल जाता है । ………….तो आपसे और यात्राओ का इंतजार रहेगा ………और हां इतनी अच्छी हिंदी में औरो का भी उत्साह बढाया किजीये

    धन्यवाद एवं सुस्वागतम

  • Ritesh Gupta says:

    राज जोगी जी ….घुमक्कड़ पर आपका स्वागत हैं ……| घुमक्कड़ पर हिंदी के एक और लेखक को देखकर प्रसन्नता हुई | आनंदायक वर्णन किया हरिद्वार बारे में …| मैं यहाँ पर कई बार जा चुका हूँ …. यहाँ पर गंगा के किनारे अलग ही आनंद का अहसास होता है और मन को बहुत शांति मिलती है ……|
    मनसा देवी पर भी तो रोपवे ट्राली चलती हैं आप उससे मंदिर क्यों नही गए और न ही आपने उसके बारे में कोई वर्णन किया …….| जहरीले सांप से सामना वाकई में एक डरावना अनुभव होता हैं ….और आपने उसकी फोटो भी बड़ी हिम्मत से खींची….| ….आपसे और भी यात्रा लेख के अपेक्षा रहेगी …|
    जैसा की आपने लिखा ” घुम्मकड़ पर घूमते और पढ़ते हुए काफी समय हो चला ” …..मनु जी की तरह मैं भी कहना चाहूँगा की आप भी घुमक्कड़ पर प्रकाशित होने वाले और भी लेखो का अपने अच्छी हिंदी के माध्यम से उनका उत्साह वर्धन किया करे…|
    आपके एक अच्छे शुरुआती लेख के लिए धन्यवाद…….| लिखते रहिये ……………..!
    रीतेश.गुप्ता

    • raj jogi says:

      मनसा देवी रोपवे से न जाने के दो कारण थे |पहला मनसा देवी पैदल मार्ग का रास्ता हमारे होटल के बिल्कुल समीप से जा रहा था| दूसरा मनसा देवी का पैदल मार्ग सरल व कम दूरी का है ,करीब आधे घंटे में तय हो जाता है |अंत में अगर हम रोपवे से जाते तो ये सिर्फ पर्यटन बन कर रह जाता इसमे घुमक्कड़ी का तड़का कैसे लगता|

  • राज जोगी जी, हरिद्वार के बारे में बहुत अच्छा लिखा हैं, फोटो भी अच्छे हैं, हरिद्वार तो ऐसी जगह हैं, जंहा तीर्थ तो हैं ही पर्यटन भी हैं.

  • नमस्कार राज जी ,

    घुमाक्कर में आपका स्वागत है. आपने बहुत सही निर्णय लिया घुमाक्कर में शुरुआत करना हरी के द्वार से अच्छी कोई जगह नहीं है.
    और हाँ जब हरी बुलाते है तो कैसे न कैसे पहुच ही जाते है . मुझे तो ऐसा लगता है की हरी बुलाते है तो ही हम जा सकते है हमारी इच्छा का कोई मतलब नहीं होता है. अगर वो नहीं चाहेंगे तो हम हरिद्वार तो क्या हमारे घर के सबसे पास वाले मंदिर में नहीं चाहेंगे.

    बाकी पोस्ट बहुत अच्छी व सरल थी . ऐसे ही लिखते रहिये.

    हरिद्वार , गंगा मैया , मानसी देवी और चंडी देवी का दर्शन कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

    आगे आपकी पोस्ट का इन्तेज़ार रहेगी…………………

  • sarvesh n vashistha says:

    जोगी जी हरी के द्वार से यात्रा शुरू की बहुत अच्छा हे
    २०११ से घुम्म्क्कर पर हिंदी वाले काफी लेख आ रहें हे . अब अच्छा मुकाबला पड़ने को मिला करेगा मेरे जैसे लोगों को जिनको अच्छे यात्रा लेख फोटो में रूचि हे. …… आगे भी जल्दी लिखना

  • raj jogi says:

    सभी घुमक्कड़ परिवारजनों का उत्साहवर्द्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद|आशा है आगे भी लिखने के लिए आपका सहयोग व मार्गदर्शन मिलता रहेगा|अगला लेख ” देहरादून कुछ जाना कुछ अनजाना ” शीघ्र उपलब्ध होगा |

  • SilentSoul says:

    मजेदार विवरण है और रात्रि की हर की पौढ़ी के चित्र तो मनमोहक है.. स्वागत इस धमाकेदार पोस्ट के साथ

  • आपका स्वागत है यहाँ घुमक्कडों के झुण्ड में, यहाँ का परिवार ऐसे ही दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता रहे। कई बार इस स्थल पर जाना हुआ है लेकिन जैसा कि आपने कहा है कि यहाँ पैदल जाने में आधा घन्टा लगता है जबकि मैं तो कई बार परिवार सहित यहाँ गया हूँ कभी भी 15 मिनट से ज्यादा नहीं लगे है, हाँ आने-जाने के मिलाकर आधे घन्टे का समय एकदम सही है।

    • raj jogi says:

      जाट देवता की जय हो |आपका और नीरज जी का ब्लॉग पढ़-पढ़ कर ही, हम जैसे लोगो का घुम्मकड़ी का सोया हुआ कीड़ा जाग उठता है |संदीप जी और नीरज जी आप तो हमारे ” Mentor” हो |इसलिये आपकी गति से 15 मिनट मे मनसा देवी चढ़ पाना वो भी पहली बार की ट्रेकिंग मे सम्भव नहीं है |फिर मेरे साथ 5 वर्ष का मेरा पुत्र भी साथ था इसलिये शायद समय अधिक लगा | आशा है आपका मार्गदर्शन और स्नेह मिलता रहेगा|

    • Sanjay Kaushik says:

      और भाई जाट देवता जी,

      आपने तो जोगी जी की तारीफ़ करने के बजाये उनकी क्लास हे ले ली, ये कह के की हम तो 15 मिनट मैं पहुँच गए थे.

      हम तो उनकी इस बात की तारीफ़ करते हैं कि इस कल(motor)-युग मैं भी उन्होंने माँ मनसा के दर्शन पैदल करने कि ठानी… और वो भी भाभी जी और बच्चों के साथ होने के बावजूद…

      जोगी जी बहुत अच्छे … लगे रहो…

  • Jatinder Sethi says:

    Hum KO Na hindi likhni aati hai na hee dhung say angrazi.Hum to ghumakkar say bahir?But I must say that all the Hindi writers in ghumakkar are,really, great story tellers.Once you start reading,even haltingly,you cant leave without finishing. Well you are joining a great company of Tyagis,Silent Souls,
    Jatdevta and others.

    Jatinder Sethi

    • आपके पढने की वजह से ही हिंदी में लिखने का उत्साह मिलता है अपनी भाषा मे लिखने से मन के सारे भाव कह पाते हैं बस और क्या

      धन्यवाद सेठी जी

      • Jatinder Sethi says:

        Arre Bhai,Hindi Likhna sikhao computer pay?Zara Hindi literate banao.

        • Sanjay Kaushik says:

          सेठी साहब, मेरे हाथ जो फोर्मुला लगा है वो असल मै सबके SYSTEM पे काम नहीं कर रहा. मैंने कईयों को बताया पर 2-4 पे हे कामयाब हो पाया.

          आपको भी बता रहें हैं, आप भी टराई कर लें.. शायद चल जाये…

          Google पे “googlehindiinputer.exe” सर्च मार लें और install कर लें…. अगर चल गया तो तो आप भी BALLE-BALLE को बल्ले-बल्ले लिख पाओगे….

          जय राम जी की….

  • D.L.Narayan says:

    स्वागतम सुस्वागतम। राज जोगी जी, घुमक्कड़ में आप का हार्दिक स्वागत है। आप ने यहाँ देर आया मगर दुरुस्त आया इस ज़बरदस्त वृत्तांत के साथ। आपका लिखने का ढंग बहुत ही मजेदार है।

  • vinaymusafir says:

    Ghumakkar pe aapka swaagat hai. Haridwar wakai khubsurat jagah hai, yahan mandir aur gangaji dono hi mann moh lete hain. Kabhi aagey Rishikesh bhi jaiye. Main dono hi jagah jata rehta hoon.
    https://www.ghumakkar.com/2011/04/09/visit-at-chandi-devi-haridwar-and-parmarth-ashram-ram-jhula-rishikesh/

  • Sanjay Kaushik says:

    जोगी जी, बहुत अच्छी शुरुआत ….

    और एक हम हम हैं.. हरिद्वार की यात्राओं कि अगर “golden” जुबली न भी बना पायें होंगे तो “silver” jublee तो कन्फर्म बना चुके हैं… और आज तक दो लाइने नहीं लिख पाए..

    एक सलाह है.. आइंदा कभी भी हरिद्वार जाएँ तो ऋषिकेश का प्रोग्राम जरूर रखे.. उसमे भी ‘राम’ झूले पे उतरो वहाँ गंगा जी के किनारे किनारे कई बहुत हे सुंदर आश्रम हैं, भ्रमण करो, “गीता भवन” वालों कि शुद्ध देसी घी कि “no profit no loss” वाली दूकान से ‘माल-पानी’ खाओ और रास्ते और घर के लिए भी पैक कराओ और पैदल हे ‘लक्ष्मण’ झूले पहुँच जाओ…. और वहाँ के मंदिरों के दर्शन करके (सिर्फ दर्शन करके…. वहाँ मंदिरों जैसी दुकानें ज्यादा हैं, नग आदि बेचने वाली) .. सीधी जीप पकड़ो नीलकंठ महादेव की …..

    बस एक बार ऐसा कर लो फिर ना तो “गीता भवन’ भूल पाओगे और न ऋषिकेश….

    बोलो उमापति महादेव कि जय……

    हाँ .. यदि समय हो तो

  • Kavita Bhalse says:

    राज जोगी जी,
    घुमक्कड़ पर आपका स्वागत है. आपकी डेब्यू पोस्ट सचमुच बड़ी मजेदार थी. सांप का वाकया पढ़कर तो मैं सहम सी गई थी, चलो अच्छा हुआ सांप ने किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया.

    लेखन शैली तथा फ़ोटोज़ दोनों ही काबिले तारीफ़ थे, लेकिन आपके परिवार के किसी भी सदस्य का एक भी फोटो नहीं दिखाई दिया, कोई विशेष कारण है क्या?

    घूमते रहिये, लिखते रहिये और अपनी कमेंट्स के माध्यम से अन्य लेखकों का उत्साहवर्धन भी करते रहिये.

    धन्यवाद.

    • raj jogi says:

      कविता जी नमस्कार ,
      आपने परिवार की फोटो न डालने की बात की है |अगली पोस्ट देहरादून कुछ जाना …….अनजाना जो अभी रिविऊ पर्किर्या मे है आप अवस्य मेरे व अन्य परिवार सदस्यों से मिल पाएंगे |

  • Harish Bhatt says:

    Welcome to ghumakkar Jogi ji…Bahut hi achchi shuruat ki hai aapne…. Hari ke darshan se jis kaam ki shuruaat hoti hai woh hamesh safal hota hai…saanp ka photo wakai achcha hai..Jaise ki Manu bhai ne kaha jitni der me aap camera ready karte hain utni der me to saanp kahin ka kahin nikal jata hai…Ek baar fir swagat hai aapka…

  • Nandan Jha says:

    घुमक्कड़ पर स्वागत है राज जोगी जी | आपको किस नाम से बुलाया जाए, ये बता दें , राज या जोगी ?

    हरिद्वार का छोटा और सुन्दर (Short and Sweet) ट्रिप रहा | होटल के बारे में थोड़ी जानकारी दें ( नाम, किराया, कैसा था) उससे घुमक्कड़ों को लाभ होगा | दून के इंतज़ार में |

    • raj jogi says:

      नंदन जी नमस्कार,
      आपका मेल मिला देहरादून कुछ जाना कुछ अनजाना प्रकाशित करने के लिए सब्मिट कर दिया अभी रिविऊ की प्रकिर्या मे है |

  • Vibha says:

    घुमक्कड पर आपका स्वागत है राज जी।

    आपकी यात्रा बहुत रोचक रही यह जान कर खुशी हुई।

    आप लोग शायद बेचारे सांप को गलत समझ रहें हैं। वो तो लगता है कि फोटो खिंचवाने आया था। देखिये कैसे शान से बैठा है। चलिये मज़ाक एक तरफ़। भगवान भला करे उन लोगों का जिन्होंने शोर मचा कर आप लोगों को सतर्क कर दिया।

    लिखते रहिये।

  • Giriraj Shekhawat says:

    योगी साहब घुमाक्कर पर आपका अभिनन्दन और स्वागत …………… यह ठीक किया आपने पढ़ते पढ़ते अब लिखने भी लगे …………..देर आये पर दुरुस्त आये
    यादें ताज़ा करा दी आपने मेरी हर की पोडी की आरती की ……………..

  • Surinder Sharma says:

    राज जोगी जी,
    बहुत अच्छा लिखा है और फोटो बहुत सुंदर हैं. सांप वाला फोटो लगाने से यात्रा यादगार रहेगी. धन्यवाद

  • Pravesh says:

    Excellent narration.

    Keep it up.

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