ब्रज यात्रा – बरसाना गोवर्धन मथुरा वृन्दावन

पिछले वर्ष नेहा ने पहली बार वृन्दावन के दर्शन किये, वृन्दावन उसे इतना पसंद आया की कम घूमना पसंद करने वाली मेरी बीवी अब वृन्दावन हमेशा जाने को तैयार रहती है, यहाँ तक की एक बार तो वो अपनी होंडा एक्टिवा पे जा चुकी है ! काफी समय से उसकी फरमाइश थी की वृन्दावन में रात रुका जाये, सो हमने इस बार ऐसी ही योजना बनाई !

राधे राधे जपो चले आएँगी मुरारी

12 मई सुबह 9 बजे अपने घर फरीदाबाद से निकले, तो पहले बल्लभगढ़ फिर पलवल में हमें थोडा जाम मिला ! गर्मी तेज़ थी ऐसे में गाड़ी का AC किसी वरदान से कम नहीं होता ! पलवल से आगे होडल पड़ता है, मथुरा जाते हुए होडल में बायीं हाथ पे एक जगह डब्चिक पड़ती है, यह हरयाणा टूरिस्म की एक सुन्दर जगह है ! यहाँ एक वताकुनुलित रेस्तरा है, एक कृत्रिम झील है जिसके किनारे कई बतखे बैठी रहती हैं, साथ ही में आप घोड़े, ऊँठ और हाथी की सवारी का भी लुफ्त उठा सकते हैं !

डब्चिक में कृत्रिम झील

 

डब्चिक में घोड़े, ऊँठ और हाथी, सवारी के लिए उपलब्ध हैं

डब्चिक हमारा पहला पड़ाव था, कुछ समय यहाँ बिता कर हम बरसाना की और निकल पड़े ! सुबह नाश्ता न करने के कारण थोडा रुक कर एक ढाबे पे मक्खन और दही के साथ आलू के पराठो का लुफ्त उठाया ! फिर कोसी पार करके बरसाना के लिए दायीं और मुड गए ! सड़क अच्छी बनी हुयी थी ! बरसाना पहुचकर हमने राधारानी मंदिर का मार्ग पूछा और गाड़ी पास में ही पार्क कर दी ! पार्किंग बरसाना ग्राम पंचायत की और से थी शुल्क था 20 रुपए ! हम मंदिर की ओर चल दिए जो की एक पहाड़ी पे था, पहुचने के लिए करीब 350 सीढिया चढ़नी पड़ी ! बुजुर्गो के लिए पालकी की सुविधा उपलब्ध थी !

बरसाना मैं राधा रानी जी का मंदिर

बरसाना मथुरा के पास स्थित एक गाँव है जो राधा जी की जन्म स्थली होने के कारण प्रसिद्ध रहा है ! गौडीय वैष्णव धर्म को मानने वालो के लिए यह एक तीर्थ से कम नहीं है ! यह रंग भरी लठमार होली के लिए भी प्रसिद्ध है, होली के दिन बरसाना में कुछ अलग ही धूम मची होती है ! बरसाना में राधारानी मंदिर अपने आप में एक भव्य मंदिर है जो की एक छोटी पहाड़ी पे अठारवी शताब्दी में बनाया गया था ! इसी के सामने एक दूसरी पहाड़ी पे मान मंदिर भी देखा जा सकता है ! यह पहाड़ियां घेवरवन के नाम से जानी जाती हैं !

घेवरवन की पहाड़ी पे स्थित है राधारानी मंदिर, उसी पहाड़ी से बरसाना गाव का एक दृश्य

राधा रानी के मंदिर के दर्शन करके हमने निचे उतारते हुए एक एक ग्लास लस्सी पी और निकल पड़े गोवर्धन की ओर ! गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का मन था ! बरसाना से गोवर्धन एक सड़क गयी है राधारानी मंदिर मार्ग से दाई तरफ को, सड़क ठीक ठाक थी, कही कही पे अभी बन रही थी ! गोवर्धन पहुचकर हमने परिक्रमा शुरू की जो की पूरे 21 किलोमीटर की थी ! परिक्रमा मार्ग अच्छा बना हुआ है ! कही कही पे संकरी गली मिलेंगी पर कुल मिला कर अच्छा मार्ग है ! थोड़ी थोड़ी दूरी पर आपको शेष मार्ग के बारें में बोर्ड मिलेंगे ! धूप तेज़ थी पर गाड़ी में कुछ खास परेशानी नहीं हुयी ! हरिदेव मंदिर, दान -घाटी मंदिर और मुखार्बिंद मंदिर यहाँ आप देख सकते हैं ! गुरु पूर्णिमा यहाँ इस जगह के लिए एक विशेष दिन है ! और जैसा की आप जानते हैं की गोवर्धन पूजा दिवाली से अगले दिन होती है, भी एक विशेष पर्व है यहाँ के लिए ! प्रचलित कहानी के अनुसार श्री कृष्ण ने दिवाली से अगले दिन जब गाव वालो को इन्द्र देव की पूजा की विशाल तयारी करते देखा तो उन्हें उनके धर्म की याद दिलाई और पूजा न करने को कहा ! गाव वालो के पूजा न करने से इन्द्र ने रुष्ठ होकर गाँव में भीषण वर्षा लाकर बाढ़ ला दी, तो इन्द्र का अहंकार कम करने के लिए और गाँव वालो की रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली से उठा लिया ! आखिरकार हार मान कर इन्द्र श्री कृष्ण से क्षमा मांग कर स्वर्ग लोट गए !

मंदिर की छत पे बना दृश्य जिसमें श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत उठाते हुए

गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत के समीप राधा कुंड

कुसुम सरोवर

गोवर्धन से मथुरा 22 किलो मीटर है, मन में श्री कृष्ण जन्मभूमि देखने की इच्छा लिए हमने मथुरा की ओर प्रस्थान किया, मार्ग सुगम ही था ! मथुरा पहुच हमने दोपहर का भोजन किया, फिर केशव देव मंदिर या कहलो कृष्ण जन्मभूमि की ओर प्रस्थान किया ! मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के अलावा और भी कई मंदिर हैं जैसे द्वारिकाधीश मंदिर, श्री गोपाल मंदिर, दुर्वासा ऋषि आश्रम, कंस टीला, श्री केशवजी गौडीय मठ, विश्राम घाट, रंगेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, मथुरा म्युसियम , बिरला मंदिर, गल्टेश्वर महादेव मंदिर और महाविध्या देवी मंदिर !

केशव देव मंदिर या कहलो कृष्ण जन्मभूमि

कृष्ण जन्मभूमि में काफी पुलिस दिखी, हर जगह पहरा था, शायद ऐसा साथ ही में सटी हुयी मस्जिद के कारण होगा ! व्यवस्था काफी अच्छी थी बस कैमरे पे पाबन्दी थोड़ी खली, पर सुरक्षा प्रबंधो के लिए यह जरुरी भी था ! खैर सख्त तलाशी के बाद अन्दर प्रवेश किया ! मंदिर बेहद भव्य था, श्री कृष्ण जन्मभूमि देख अच्छा लगा, मन भक्ति से भर उठा ! दक्षिण भारत से बहुत लोग आये हुए थे उस दिन वहाँ ! जन्मभूमि से सटे हुए एक मंदिर में चलित झाकी देखी ! श्री राम और कृष्ण के जीवन पे प्रदर्शित यह झाकियां देखने लायक हैं ! बच्चे इन्हें देखके बड़े खुश होंगे !

कृष्ण जन्मभूमि द्वार

अब वृदावन की ओर प्रस्थान का समय था, जो की मथुरा से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पे है ! 15 मिनट में हम वृन्दावन पहुच गए ! बांके बिहारी मंदिर के समीप ही एक पार्किंग में गाड़ी खड़ी की ही थी की बारिश ने हमारा वृन्दाबन में स्वागत किया ! मजा आ गया, गर्मी का जैसे कोई चिन्ह ही न बचा हो ! अब बारी थी रात्रि में रुकने के स्थान को धुंडने की ! कुछ धर्मशालाओ का मुआयना करने के बाद हम बांके बिहारी के मंदिर की समीपतम धर्मशाला जिसका नाम जैपुरिया धर्मशाला था में रुक गए ! वताकुनुलित ओर साफ़ सुथरा कमरा था ! कुछ समय आराम करके बाज़ार घुमने निकल गए ! दोपहर को 4 बजे खाना खाया था इस लिए ख़ास भूख नहीं थी, सो हल्का फुल्का नाश्ता ही किया ! फिर बांके बिहारी जी के दर्शन को निकल पड़े !

सजी हुई बांके बिहारी मंदिर की गली

बांके बिहारी मंदिर के दर्शन हेतु जाती हुई नेहा

मंदिर बड़ा सुन्दर है, मेरा इस बार यह तीसरी बार आना हुआ था, पूरी गली और मंदिर फूलो से सजे थे उस दिन, सजावट देखते ही बनती थी ! करीब सात बजे का समय होगा हमने प्रशाद लिया और मंदिर में प्रवेश किया, भीड़ मिलना स्वाभाविक था पर कोई किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी ! हम पोने दस बजे होने वाली आरती के समय तक मंदिर में ही रुके ! वापस आने का मन ही नहीं था ! सभी जोर जोर से भजन गाने में लगे थे ! मंदिर के पुजारी चढ़ावे में चढ़े हुए सभी सामान जैसे केले, आम, सेब, चोकोलेट, टाफी, बिस्कुट, फूल, जल आदि सभी सामान वहां आई भक्तो की भीड़ की ओर उछाल रहे थे और सब उत्साह से उन्हें लपक रहे थे ! सभी तो आनंद्विभुत थे ! ऐसी आरती भी पहली बार देखि, मंदिर के पुजारी ने बस ज्योत दिखाई बाकी आरती गीत वहां की भीड़ ही गा रही थी, पूरी धुन के साथ, जैसे recording चल रही हो, आपको बता दूं की बाके बिहारी जी के मंदिर में होने वाली वाली आरती में आरती गीत आसान नहीं है, बल्कि ब्रज भाषा में असाधारण रूप से मधुर है !

फूलो से सुन्दर सजा हुआ बांके बिहारी जी का मंदिर

बांके बिहारी जी की प्रतिमा के फोटो लेना निषेद था, सो मैंने नहीं लिया, हर थोड़ी देर में प्रतिमा को परदे से छिपाया जा रहा था, उद्देश्य ये था की कही बिहारी जी को भक्तो की नज़र न लग जाये ! वाकई में इतने सुन्दर है बांके बिहारी जी ! बांके बिहारी जी त्रिभंग मुद्रा में इस मंदिर में विराजित हैं ! उनका रूप ऐसा है की कोई भी मन्त्र-मुग्ध हो जाये !

इसी परदे के पीछे छुपे हैं बांके बिहारी जी

सोलहवी शताब्दी में, निम्बरका संप्रदाय के स्वामी हरिदास जी को यह बांके बिहारी जी की प्रतिमा मधुबन में मिली थी ! 1864 या 1874 में जब यह मंदिर बना तब यह प्रतिमा निधिवन से यहाँ लायी गयी ! जन्माष्टमी के सुभाव्सर पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती होती है, और सिर्फ अक्षय त्रितय के दिन ही श्री बांके बिहारी के श्री चरणों के दर्शन किये जा सकते हैं ! आरती के बाद हम प्रसंचित होकर सोने चले गए ! सुबह निधिवन, और कुछ दुसरे मंदिर देखने की योजना थी! अगले दिन सुबह उठ तैयार हो पुनः श्री बांके बिहारी जी के दर्शन को चल दिए, प्रशाद और फूल लिए और दर्शन किये !

श्री बांके बिहारी मंदिर के समीप का बाज़ार

हम एक गाईड कर चुके थे जो हमें समीप के ही राधा वल्लभ मंदिर में ले गया ! मंदिर पुराना था मगर था बहुत सुन्दर ! वहां एक फवारा चल रहा था मंदिर के बीचो बिच और लोग उसके निचे से गुजर के जा रहे थे, ऐसा अपने जोड़े के साथ करना था ! हम भी उस फवारे के निचे से निकले ! भगवान् की सुन्दर प्रतिमा के दर्शन किये ! यह मंदिर राधा-वल्लभ सम्प्रदाय के श्री हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा बनवाया गया था, यहाँ राधारानी जी का मुकुट श्री कृष्ण जी की प्रतिमा के साथ स्थापित किया गया है !

श्री राधा वल्लभ मंदिर – श्री राधा वल्लभ जिनके दर्शन दुर्लभ

श्री राधा वल्लभ मंदिर में शोभाएमान दिव्य फव्वारा

निधिवन जाते हुए हम चार विशेष गलियों से गुजरे जिनके नाम मान गली, दान गली, कुञ्ज गली और यमुना गली था ! यह वही गलियां थी जहा श्री कृष्ण खेल कूद किया करते थे !

बाये= मान गली, दाये= दान गली, जहाँ से चित्र लिया= कुञ्ज गली और सामने= यमुना गली



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वृन्दावन के कुछ अन्य मंदिरों के बारे में आपको बताता हूँ:-

  • काली घाट पे स्थित मदन मोहन मंदिर को मुल्तान के कपूर राम दस जी ने बनवाया था !
  • N H -2 पे छतिकारा गाव में है गरुड़ गोविन्द मंदिर, यह गुरुर जी का दुर्लभ मंदिर है जोकि काल सर्प अनुष्ठान के लिए भी प्रसिद्ध है !
  • राधा वल्लभ मंदिर के बारे में आपको बता ही चूका हूँ !
  • जयपुर मंदिर जोकि सवाई माधो सिंह (द्वित्य), जयपुर के महाराजा द्वारा 1917 में बनवाया गया था, श्री राधा माधव जी को समर्पित है !
  • श्री राधा रमण मंदिर को 1542 में गोपाला भत्ता गोस्वामी जी के आग्रह पे बनवाया गया था, इस मंदिर में अब भी श्री कृष्ण की राधा रानी जी के साथ असली शालिग्राम की प्रतिमा है !
  • शाहजी मंदिर को लखनऊ के प्रसिद्ध सुनार शाह कुंदन लाल ने 1876 में बनवाया था, यहाँ भगवन को छोटे राधा रमण पुकारा जाता है !
  • 1851 में बना रंगजी मंदिर भगवान रंगनाथ जी को समर्पित है, 6 मंजिला और एक स्वर्ण परत चढ़े 50 फीट उच्चे स्तम्भ के साथ यह मंदिर बहुत सुन्दर दीखता है !
  • गोविन्द देव (गोविन्दजी) मंदिर कभी सात मंजिला भव्य मंदिर हुआ करता था, कहा जाता है की इसके बनाते समय, स्वयं अकबर ने आगरा के लाल किले से लाये गयी लाल पत्थर यहाँ दान किये थे ! राजा मान सिंह द्वारा 1 करोड़ की लागत पे इसे फिर बनवाया गया!
  • श्री कृष्ण-बलराम और इस्कोन मंदिर जिसे रमण रेती भी कहा जाता है वृन्दावन के सबसे सुन्दर मंदिरों में से एक है, और श्री क्रिशन और बलराम जी और राधा-श्यामसुंदर जी को समर्पित है !
  • सेवा कुञ्ज में स्थित राधा दामोदर मंदिर 1542 में श्री गोस्वामी द्वारा बनवाया गया, इसके पूज्य हैं श्री राधा दामोदर !
  • राधा बाघ में श्री माँ कात्यायनी मंदिर, रंगनाथ मंदिर के समीप ही है और शक्ति के शुद्ध शक्ति पीठो में से एक है !
  • चिंताहरण हनुमान मंदिर हनुमान जी को समर्पित है और अटलवन के समीप है !
  • श्री राधा गोविंदा मंदिर, जिसे महामंडलेश्वर महंत श्री कृष्ण बलराम स्वामीजी द्वारा बनवाया गया था ! यह नव-निर्मित मंदिर 2004 में बनके तैयार हुआ !
  • श्री वृन्दावन-चन्द्र मंदिर का उद्घाटन 2006 में रामनवमी के दिन हुआ !
  • वृन्दावन में और भी अनेक मनोरम स्थान और मंदिर हैं जैसे सेवा कुञ्ज, केसी घाट, श्रीजी मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, लाल बाबु मंदिर, राज घाट, कुसुम सरोवर, मीरा बाई मंदिर, इमली ताल, कालिया घाट, रमण रेती, वराह घाट और चीर घाट !

वृन्दावन में हमारा अंतिम पड़ाव निधिवन था, जहाँ श्री कृष्ण और राधा रानी की जुगल जोड़ी विश्राम करती थी, यहीं पर कानाह जी ने राधा रानी और उनकी सखियों के साथ महा रास भी रचाया था ! तानसेन के गुरु हरिदास जी की समाधी भी यहीं है, जिनके सम्मान में प्रत्येक वर्ष यहाँ हरिदास सम्मलेन आयोजित किया जाता है जिसमें देश के नामी संगीतकार हिसा लेते हैं ! प्रचलित है की राधा जी प्रमुख सखी ललिता जी ही हरी दास जी के रूप में अवतरित हुयी थी ! यह श्री राधा रस बिहारी अष्ट सखी मंदिर “लीला स्थान ” के नाम से भी प्रचलित है, जहाँ दिव्या रास लीला रची गयी थी !

वृन्दावन में सुप्रसिद्ध निधिवन का द्वार

निधिवन में रास लीला स्थल

यह 84 कोस व्रज परिक्रमा यात्रा पूरी करने वालो के लिए अवश्यक तीर्थ है ! शताब्दियों पुराना यह मंदिर अपने आप में अकेला मंदिर है जो भव्य युगल जोड़ी और उनकी अष्ट सखियों को समर्पित है ! सम्पूर्ण वन में तुलसी ही तुलसी हैं जो थोड़ी विचित्र भी लगती हैं, दो अलग अलग किस्म के तुलसी के पेड़ एक साथ लगे हुए हैं जोड़ो में, जिनकी जड़े तो अलग हैं पर शाखाएं एक दुसरे में इस प्रकार गुथी हुयी हैं की मनो एक ही वृक्ष हो ! इन दोनों किस्म की तुलसी वृक्षों में एक कानाह जी का और दूसरा उनकी प्रेमिका का प्रतीक है ! कहते रात्रि में यह तुलसी वृक्ष कृष्ण और राधा सखियों के रूप ले कर रास रचाते हैं !

तुलसी वृक्ष, कान्हा और उनकी सखी के प्रतीक

ललीता कुंड – श्री कृष्ण ने ललिता जी के आग्रह पर अपनी बासुरी द्वारा इस कुंड की रचना की

निधि वन के समीप ही यमुना तट है, जहाँ हमने केवट का वृक्ष देखा जिसपे कृष्ण गोपियों के वस्त्र लेकर चढ़ गए थे !

केवट वृक्ष

यमुना तट

निधिवन, यमुना घाट और अन्य मंदिरों के दर्शन के बाद हमने अपने होटल से प्रस्थान किया और चल दिए वापस फरीदाबाद की ओर ! इस बार वृन्दावन आने का आनंद ही कुछ ओर रहा ! हम दिल्ली के आस पास के लोग एक ही दिन में वृन्दावन आना जाना कर लेते हैं, पर मैं समझता हूँ की एक दो रात यहाँ रुके तो बात कुछ ओर ही हो !

36 Comments

  • Surinder Sharma says:

    बहुत अच्छे से आपने लिखा है और फोटो भी सुन्दर हैं. आप का बहुत बहुत धन्यबाद

  • राधे राधे विनय जी, बहुत अच्छी पोस्ट, बहुत अच्छा लेखन. पर ये पोस्ट आप २-३ भागो में बाँट सकते थे. क्योंकि मथुरा वृन्दावन के बारे में जितना लिखा जाए, जितने फोटो हो कम हैं. धन्यवाद ..

    • vinaymusafir says:

      आपको लेख पसंद आया जानकार ख़ुशी हुयी ! दो भागो में बटने से शायद यह अपना महत्त्व खो देता, लेय्बंद करना जरुरी था!

  • Mukesh Bhalse says:

    विनय,
    वृन्दावन, गोवर्धन तथा मथुरा का संपूर्ण बोध कराता यह यात्रा संस्मरण हर द्रष्टिकोण से उत्कृष्ट तथा हर मानक पर खरा उतरता प्रतीत होता है. उम्दा लेखन तथा सुन्दर छायाचित्र संयोजन पाठकों को बांधे रखने में सक्षम है.

    आजकल आपकी घुमक्कड़ पर आवाजाही कुछ कम हो रही है. अपने यात्रा संस्मरणों तथा प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हम सब से जुड़े रहिये. आपकी अगली प्रस्तुति की प्रतीक्षा में………………

    • vinaymusafir says:

      इतने सुन्दर शब्दों में की गयी सराहना के लिए धन्यवाद्!

      अब ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं, मेरी वाइफ भी वर्किंग हो गयी हैं! हाल ही में वैष्णो देवी गए थे ! जल्दी ही लिखूंगा!

      अभी मन है ऋषिकेश के नील कंठ महादेव जाने का! मेरे लिए भोले बाबा से प्रार्थना करियेगा की वोह मुझे जल्दी वहां बुलाएं!

  • Monty says:

    भाई साहब,

    मथुरा तो में जिंदगी भर नहीं भूल सकता. वहाँ की चाय इतनी जबर्दस्त है की बस पूछो मत वैसी चाय मैने आजतक कही भी नहीं पी. वृन्दावन बहुत अच्छा है पर सर्दियों में बहुत ज्यादा.

    है की नहीं..

    • vinaymusafir says:

      मोंटी भाई वृन्दावन सर्दियों में तो अच्छा लगता ही है!

      और इस बार मैंने चाय नहीं लस्सी पी वहां, गर्मियां जो थी! लस्सी भी अच्छी थी!

  • Nandan Jha says:

    विनय, काफी कसा हुआ और व्यवस्थित तरीके से लिखा हुआ लेख है | सरल और सोम्य भाषा में आपने अपनी यात्रा का ज़िक्र किया और सभी फोटोस, मंदिर या स्थानों के लगाये जो की पाठकों के लिए बहुत प्रासंगिक और यथोचित होते हैं , बहुत बढ़िया | और जैसे की मुकेश ने लिखा, आपकी आवाजाही थोड़ी कम है इस तरफ तो बने रहिये और अगला लेख जल्द ही लिखिए | जय हिंद |

    And guessing that you like to go to Vrindavan, I am leaving a link of a old story which Ram wrote a while back. It is a very popular story and have been viewed in excess of 60K views.
    https://www.ghumakkar.com/2008/03/10/vrindavan-–-jai-shri-radhe/

  • Ritesh Gupta says:

    विनय……जय श्री कृष्णा जय श्री राधे …..|
    अति उत्तम वर्णन ….उत्तम लेख….सर्वोत्तम फोटो….| कुल मिलाकर हिंदी भाषा में लिखा बहुत ही संतुलित लेख ……|
    मैं यह स्थान कई बार घूम चुका हूँ……आगरा (केवल ५५ किमी० दूर ) से पास जो हैं | सम्पूर्ण ब्रज प्रदेश का कण कण श्री कृष्ण और माता राधा रानी की महिमा से परिपूर्ण हैं…..यहाँ आकार मन को एक अलग ही आध्यात्मिक शांति का अहसास हो जाता हैं…..इस ब्रज प्रदेश के हर मंदिर की अपनी महिमा हैं |

    आपने गोबर्धन की ७ कोस (२१ किमी० ) परिक्रमा शायद कार से लगाईं हैं, पर हमने तो कई बार पैदल (लगभग ७ या ८ बार ) ही इस परिक्रमा को पूरा किया हैं……. हर पूर्णिमा को हजारों कि संख्या में और मुड़िया पूर्णिमा को लाखो के संख्या में भक्तो के द्वारा यह परिक्रमा मुखारबिंद (श्री गोबर्धन महाराज का मंदिर ) से शुरू होती हैं और मानसी गंगा पर समाप्त होती हैं..|

    वृन्दावन का निधि वन के बारे में एक रोचक तथ्य हैं कि यहाँ रात में भगवान श्री कृष्णा और श्री राधा रानी रास रचाने इस वन में आते हैं …….यदि कोई देख ले तो वह व्यक्ति अंधा हो जाता हैं या पागल ……इसी कारण यहाँ रात में किसी को इस वन में जाने की इजाजत नहीं हैं और बंद करने से पहले यहाँ के सेवक वन की एक जगह को अच्छे से छानबीन कार लेते हैं की कोई रह तो नहीं गया …..स्वयं सेवक भी यहाँ नहीं रुकते हैं ……|

    आपका लेख बहुत अच्छा लगा पर हिंदी की मात्राओं में कई जगह गडबड़ी हो गयी..पकृपया आगे से ध्यान देने की आवश्यकता हैं……जिससे पाठकों पर सही भाषा में सही जानकारी उपलब्ध हो सके ….| मुकेश जि और नंदन की तरह मैं भी यही कहना चाहुगा कि अपने यात्रा संस्मरणों तथा प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हम सब से जुड़े रहिये |

    सुन्दर ब्रज प्रदेश दर्शन कराने के लिए आपका बहुत धन्यवाद …..|

  • JATDEVTA says:

    विनय भाई बढिया लेख, मुझे ज्यादा कुछ नहीं ढूंढना पडा, क्योंकि अधिकतर स्थल देखे हुए है, लेख अच्छा लगा।

  • Sudhir Sobti says:

    Excellent.

  • बहुत ही अच्छी पोस्ट है विनय. फोटो भी बहुत ही सुंदर हैं. मैं २००९ में मथुरा-वृन्दावन-भरतपुर-आगरा की यात्रा पर गया था, उसकी याद ताज़ा हो गयी. आजकल काम के सिलसिले में हर हफ्ते मथुरा जाना हो रहा है जो अगले कुछ महीनों में जारी रहेगा. आपके द्वारा बताये गए मंदिरों की जानकारी काम आएगी, यदि समय मिला तो :). धन्यवाद.

  • Neeraj Jat says:

    मथुरा वृन्दावन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। बेहतरीन लेख।

  • विनय जी बहुत ही बढ़िया पोस्ट है और मुझे बहुत अच्छी लगी . वृन्दावन मथुरा के बारे में बढ़िया जानकारी दी है आपने. मंदिरों के साथ साथ आपने जो दिव्या स्थानों के बारे में बताया है वोह सोने पे सुहागा जैसे हो गया . बहुत ही विवरण है. और बहुत ही अच्छे चित्र . यह लेख मेरी यात्रा के वक्त बहुत काम आयेगा.
    इसमें कोई शक नहीं कि यह एक बहुत अच्छा लेख है लेकिन मन तृप्त नहीं हुआ इस लिए यह लिख रहा हूँ कि अगर और बारीकियों से लिखते २ पोस्ट में तो मुझे और मजा आता.
    अब आप वैष्णो देवी कि यात्रा जल्दी लिखिए . मैं जुलाई में पहली बार जा रहा हूँ . बड़ी काम में आयेगी .
    वृन्दावन मथुरा और बरसाना के दर्शन लिए धन्यवाद.

  • sarvesh n vashistha says:

    नीरज जी ने आपके लेख को बेहतरीन कहा …
    आपको पुरे १०० नंबर .

  • Mahesh Semwal says:

    A very detailed post , helpful for the follow ghumakkars .

  • विनय भाई बहुत बढिया चित्रो और जानकारी से भरी पोस्ट

  • Bhanu Parsai says:

    Maine kabhi mathura vrindavan nahi dekha hai.. parantu aapne vrindavan ki sair karayi dhanyavad….

  • vijay says:

    बहुत बढिया!
    धन्यवाद तुम्हारा vijayhindicom@yahoo.in

  • Anil says:

    Your post is very helpful for visitors, this may be more useful if you give details of lodging facility in your post.

    Thanks

  • kamal kumar dubey says:

    very nice information for toour

  • HITESH SHARMA says:

    अति उत्तम जानकारी अति उत्तम लेख आपके लेख के माध्यम से हर किसी की मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन के पवित्र स्थल की जानकारी बढ़ रही है।

  • parmod kumar sharma says:

    My name parmod Kumar dharma nit fardabad

  • Aditya Awasthi says:

    अति उत्तम जानकारी व अति उत्तम लेख। फ़रीदाबाद से मथुरा यात्रा के बीच शनि मंदिर (कोकिला वन),3 कि.मी. आगे नंदगाँव और 8 कि.मी. आगे राधा रानी मंदिर है। राधा रानी मंदिर के पास से फ़रीदाबाद-मथुरा हाइवे के लिए रास्ता है। फ़रीदाबाद से मथुरा हाइवे पर छट्टीकरा चौराहे से 100 मी. पहले गरुण गोविंद मंदिर (1 कि.मी.) के लिए रास्ता है।

  • पूरे मथुरा वृन्दावन के दर्शन घर बैठे करवा दिए| बहुत ही अच्छी जानकारी दी है| आपका धन्यवाद|

  • Siddharth says:

    Jai Shri RadheKrishna Nice Darshan

    Thank God , n You Also (Writer) पूरे मथुरा वृन्दावन के दर्शन घर बैठे करवा दिए| बहुत ही अच्छी जानकारी दी है|

  • ROHIT DEV SINGH MANHAS says:

    VINAY you had given every detail of your travelogue it is very help full to those who will be visiting braj vrindavan and gowardan for first time thanks for sharing keep up the good work

  • Poonam says:

    Thanks for sharing, aap ne bahut kuch samjha diya jo waha jane par bhi pata nahi chalta, thankyou so much for sharing this Post.

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