पिछले वरà¥à¤· नेहा ने पहली बार वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨ किये, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ उसे इतना पसंद आया की कम घूमना पसंद करने वाली मेरी बीवी अब वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ हमेशा जाने को तैयार रहती है, यहाठतक की à¤à¤• बार तो वो अपनी होंडा à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¾ पे जा चà¥à¤•ी है ! काफी समय से उसकी फरमाइश थी की वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में रात रà¥à¤•ा जाये, सो हमने इस बार à¤à¤¸à¥€ ही योजना बनाई !
12 मई सà¥à¤¬à¤¹ 9 बजे अपने घर फरीदाबाद से निकले, तो पहले बलà¥à¤²à¤à¤—ढ़ फिर पलवल में हमें थोडा जाम मिला ! गरà¥à¤®à¥€ तेज़ थी à¤à¤¸à¥‡ में गाड़ी का AC किसी वरदान से कम नहीं होता ! पलवल से आगे होडल पड़ता है, मथà¥à¤°à¤¾ जाते हà¥à¤ होडल में बायीं हाथ पे à¤à¤• जगह डबà¥à¤šà¤¿à¤• पड़ती है, यह हरयाणा टूरिसà¥à¤® की à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह है ! यहाठà¤à¤• वताकà¥à¤¨à¥à¤²à¤¿à¤¤ रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾ है, à¤à¤• कृतà¥à¤°à¤¿à¤® à¤à¥€à¤² है जिसके किनारे कई बतखे बैठी रहती हैं, साथ ही में आप घोड़े, ऊà¤à¤ और हाथी की सवारी का à¤à¥€ लà¥à¤«à¥à¤¤ उठा सकते हैं !

डबà¥à¤šà¤¿à¤• में घोड़े, ऊà¤à¤ और हाथी, सवारी के लिठउपलबà¥à¤§ हैं
डबà¥à¤šà¤¿à¤• हमारा पहला पड़ाव था, कà¥à¤› समय यहाठबिता कर हम बरसाना की और निकल पड़े ! सà¥à¤¬à¤¹ नाशà¥à¤¤à¤¾ न करने के कारण थोडा रà¥à¤• कर à¤à¤• ढाबे पे मकà¥à¤–न और दही के साथ आलू के पराठो का लà¥à¤«à¥à¤¤ उठाया ! फिर कोसी पार करके बरसाना के लिठदायीं और मà¥à¤¡ गठ! सड़क अचà¥à¤›à¥€ बनी हà¥à¤¯à¥€ थी ! बरसाना पहà¥à¤šà¤•र हमने राधारानी मंदिर का मारà¥à¤— पूछा और गाड़ी पास में ही पारà¥à¤• कर दी ! पारà¥à¤•िंग बरसाना गà¥à¤°à¤¾à¤® पंचायत की और से थी शà¥à¤²à¥à¤• था 20 रà¥à¤ªà¤ ! हम मंदिर की ओर चल दिठजो की à¤à¤• पहाड़ी पे था, पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के लिठकरीब 350 सीढिया चढ़नी पड़ी ! बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ो के लिठपालकी की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ उपलबà¥à¤§ थी !
बरसाना मथà¥à¤°à¤¾ के पास सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• गाà¤à¤µ है जो राधा जी की जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤²à¥€ होने के कारण पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रहा है ! गौडीय वैषà¥à¤£à¤µ धरà¥à¤® को मानने वालो के लिठयह à¤à¤• तीरà¥à¤¥ से कम नहीं है ! यह रंग à¤à¤°à¥€ लठमार होली के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है, होली के दिन बरसाना में कà¥à¤› अलग ही धूम मची होती है ! बरसाना में राधारानी मंदिर अपने आप में à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ मंदिर है जो की à¤à¤• छोटी पहाड़ी पे अठारवी शताबà¥à¤¦à¥€ में बनाया गया था ! इसी के सामने à¤à¤• दूसरी पहाड़ी पे मान मंदिर à¤à¥€ देखा जा सकता है ! यह पहाड़ियां घेवरवन के नाम से जानी जाती हैं !

घेवरवन की पहाड़ी पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है राधारानी मंदिर, उसी पहाड़ी से बरसाना गाव का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
राधा रानी के मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करके हमने निचे उतारते हà¥à¤ à¤à¤• à¤à¤• गà¥à¤²à¤¾à¤¸ लसà¥à¤¸à¥€ पी और निकल पड़े गोवरà¥à¤§à¤¨ की ओर ! गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का मन था ! बरसाना से गोवरà¥à¤§à¤¨ à¤à¤• सड़क गयी है राधारानी मंदिर मारà¥à¤— से दाई तरफ को, सड़क ठीक ठाक थी, कही कही पे अà¤à¥€ बन रही थी ! गोवरà¥à¤§à¤¨ पहà¥à¤šà¤•र हमने परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की जो की पूरे 21 किलोमीटर की थी ! परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— अचà¥à¤›à¤¾ बना हà¥à¤† है ! कही कही पे संकरी गली मिलेंगी पर कà¥à¤² मिला कर अचà¥à¤›à¤¾ मारà¥à¤— है ! थोड़ी थोड़ी दूरी पर आपको शेष मारà¥à¤— के बारें में बोरà¥à¤¡ मिलेंगे ! धूप तेज़ थी पर गाड़ी में कà¥à¤› खास परेशानी नहीं हà¥à¤¯à¥€ ! हरिदेव मंदिर, दान -घाटी मंदिर और मà¥à¤–ारà¥à¤¬à¤¿à¤‚द मंदिर यहाठआप देख सकते हैं ! गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ यहाठइस जगह के लिठà¤à¤• विशेष दिन है ! और जैसा की आप जानते हैं की गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा दिवाली से अगले दिन होती है, à¤à¥€ à¤à¤• विशेष परà¥à¤µ है यहाठके लिठ! पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कहानी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने दिवाली से अगले दिन जब गाव वालो को इनà¥à¤¦à¥à¤° देव की पूजा की विशाल तयारी करते देखा तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके धरà¥à¤® की याद दिलाई और पूजा न करने को कहा ! गाव वालो के पूजा न करने से इनà¥à¤¦à¥à¤° ने रà¥à¤·à¥à¤ होकर गाà¤à¤µ में à¤à¥€à¤·à¤£ वरà¥à¤·à¤¾ लाकर बाढ़ ला दी, तो इनà¥à¤¦à¥à¤° का अहंकार कम करने के लिठऔर गाà¤à¤µ वालो की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ को अपनी सबसे छोटी ऊà¤à¤—ली से उठा लिया ! आखिरकार हार मान कर इनà¥à¤¦à¥à¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ से कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांग कर सà¥à¤µà¤°à¥à¤— लोट गठ!

मंदिर की छत पे बना दृशà¥à¤¯ जिसमें शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ उठाते हà¥à¤
गोवरà¥à¤§à¤¨ से मथà¥à¤°à¤¾ 22 किलो मीटर है, मन में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि देखने की इचà¥à¤›à¤¾ लिठहमने मथà¥à¤°à¤¾ की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया, मारà¥à¤— सà¥à¤—म ही था ! मथà¥à¤°à¤¾ पहà¥à¤š हमने दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया, फिर केशव देव मंदिर या कहलो कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया ! मथà¥à¤°à¤¾ में कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि के अलावा और à¤à¥€ कई मंदिर हैं जैसे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•ाधीश मंदिर, शà¥à¤°à¥€ गोपाल मंदिर, दà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¾ ऋषि आशà¥à¤°à¤®, कंस टीला, शà¥à¤°à¥€ केशवजी गौडीय मठ, विशà¥à¤°à¤¾à¤® घाट, रंगेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर, à¤à¥‚तेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर, मथà¥à¤°à¤¾ मà¥à¤¯à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤® , बिरला मंदिर, गलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर और महाविधà¥à¤¯à¤¾ देवी मंदिर !
कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि में काफी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दिखी, हर जगह पहरा था, शायद à¤à¤¸à¤¾ साथ ही में सटी हà¥à¤¯à¥€ मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के कारण होगा ! वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ काफी अचà¥à¤›à¥€ थी बस कैमरे पे पाबनà¥à¤¦à¥€ थोड़ी खली, पर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धो के लिठयह जरà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ था ! खैर सखà¥à¤¤ तलाशी के बाद अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया ! मंदिर बेहद à¤à¤µà¥à¤¯ था, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि देख अचà¥à¤›à¤¾ लगा, मन à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤° उठा ! दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से बहà¥à¤¤ लोग आये हà¥à¤ थे उस दिन वहाठ! जनà¥à¤®à¤à¥‚मि से सटे हà¥à¤ à¤à¤• मंदिर में चलित à¤à¤¾à¤•ी देखी ! शà¥à¤°à¥€ राम और कृषà¥à¤£ के जीवन पे पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ यह à¤à¤¾à¤•ियां देखने लायक हैं ! बचà¥à¤šà¥‡ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखके बड़े खà¥à¤¶ होंगे !
अब वृदावन की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ का समय था, जो की मथà¥à¤°à¤¾ से मातà¥à¤° 10 किलोमीटर की दूरी पे है ! 15 मिनट में हम वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ पहà¥à¤š गठ! बांके बिहारी मंदिर के समीप ही à¤à¤• पारà¥à¤•िंग में गाड़ी खड़ी की ही थी की बारिश ने हमारा वृनà¥à¤¦à¤¾à¤¬à¤¨ में सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया ! मजा आ गया, गरà¥à¤®à¥€ का जैसे कोई चिनà¥à¤¹ ही न बचा हो ! अब बारी थी रातà¥à¤°à¤¿ में रà¥à¤•ने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को धà¥à¤‚डने की ! कà¥à¤› धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤“ का मà¥à¤†à¤¯à¤¨à¤¾ करने के बाद हम बांके बिहारी के मंदिर की समीपतम धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ जिसका नाम जैपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ था में रà¥à¤• गठ! वताकà¥à¤¨à¥à¤²à¤¿à¤¤ ओर साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ कमरा था ! कà¥à¤› समय आराम करके बाज़ार घà¥à¤®à¤¨à¥‡ निकल गठ! दोपहर को 4 बजे खाना खाया था इस लिठख़ास à¤à¥‚ख नहीं थी, सो हलà¥à¤•ा फà¥à¤²à¥à¤•ा नाशà¥à¤¤à¤¾ ही किया ! फिर बांके बिहारी जी के दरà¥à¤¶à¤¨ को निकल पड़े !

बांके बिहारी मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠजाती हà¥à¤ˆ नेहा
मंदिर बड़ा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है, मेरा इस बार यह तीसरी बार आना हà¥à¤† था, पूरी गली और मंदिर फूलो से सजे थे उस दिन, सजावट देखते ही बनती थी ! करीब सात बजे का समय होगा हमने पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ लिया और मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया, à¤à¥€à¤¡à¤¼ मिलना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• था पर कोई किसी पà¥à¤°à¤•ार की असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं थी ! हम पोने दस बजे होने वाली आरती के समय तक मंदिर में ही रà¥à¤•े ! वापस आने का मन ही नहीं था ! सà¤à¥€ जोर जोर से à¤à¤œà¤¨ गाने में लगे थे ! मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ चढ़ावे में चढ़े हà¥à¤ सà¤à¥€ सामान जैसे केले, आम, सेब, चोकोलेट, टाफी, बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, फूल, जल आदि सà¤à¥€ सामान वहां आई à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ की ओर उछाल रहे थे और सब उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लपक रहे थे ! सà¤à¥€ तो आनंदà¥à¤µà¤¿à¤à¥à¤¤ थे ! à¤à¤¸à¥€ आरती à¤à¥€ पहली बार देखि, मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ने बस जà¥à¤¯à¥‹à¤¤ दिखाई बाकी आरती गीत वहां की à¤à¥€à¤¡à¤¼ ही गा रही थी, पूरी धà¥à¤¨ के साथ, जैसे recording चल रही हो, आपको बता दूं की बाके बिहारी जी के मंदिर में होने वाली वाली आरती में आरती गीत आसान नहीं है, बलà¥à¤•ि बà¥à¤°à¤œ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में असाधारण रूप से मधà¥à¤° है !

फूलो से सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सजा हà¥à¤† बांके बिहारी जी का मंदिर
बांके बिहारी जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के फोटो लेना निषेद था, सो मैंने नहीं लिया, हर थोड़ी देर में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को परदे से छिपाया जा रहा था, उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ये था की कही बिहारी जी को à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ की नज़र न लग जाये ! वाकई में इतने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है बांके बिहारी जी ! बांके बिहारी जी तà¥à¤°à¤¿à¤à¤‚ग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में इस मंदिर में विराजित हैं ! उनका रूप à¤à¤¸à¤¾ है की कोई à¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤°-मà¥à¤—à¥à¤§ हो जाये !

इसी परदे के पीछे छà¥à¤ªà¥‡ हैं बांके बिहारी जी
सोलहवी शताबà¥à¤¦à¥€ में, निमà¥à¤¬à¤°à¤•ा संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिदास जी को यह बांके बिहारी जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ मधà¥à¤¬à¤¨ में मिली थी ! 1864 या 1874 में जब यह मंदिर बना तब यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ निधिवन से यहाठलायी गयी ! जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ के सà¥à¤à¤¾à¤µà¥à¤¸à¤° पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती होती है, और सिरà¥à¤« अकà¥à¤·à¤¯ तà¥à¤°à¤¿à¤¤à¤¯ के दिन ही शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी के शà¥à¤°à¥€ चरणों के दरà¥à¤¶à¤¨ किये जा सकते हैं ! आरती के बाद हम पà¥à¤°à¤¸à¤‚चित होकर सोने चले गठ! सà¥à¤¬à¤¹ निधिवन, और कà¥à¤› दà¥à¤¸à¤°à¥‡ मंदिर देखने की योजना थी! अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ उठतैयार हो पà¥à¤¨à¤ƒ शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी के दरà¥à¤¶à¤¨ को चल दिà¤, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ और फूल लिठऔर दरà¥à¤¶à¤¨ किये !

शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी मंदिर के समीप का बाज़ार
हम à¤à¤• गाईड कर चà¥à¤•े थे जो हमें समीप के ही राधा वलà¥à¤²à¤ मंदिर में ले गया ! मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ था मगर था बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° ! वहां à¤à¤• फवारा चल रहा था मंदिर के बीचो बिच और लोग उसके निचे से गà¥à¤œà¤° के जा रहे थे, à¤à¤¸à¤¾ अपने जोड़े के साथ करना था ! हम à¤à¥€ उस फवारे के निचे से निकले ! à¤à¤—वानॠकी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ किये ! यह मंदिर राधा-वलà¥à¤²à¤ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के शà¥à¤°à¥€ हित हरिवंश महापà¥à¤°à¤à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया था, यहाठराधारानी जी का मà¥à¤•à¥à¤Ÿ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के साथ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है !

शà¥à¤°à¥€ राधा वलà¥à¤²à¤ मंदिर – शà¥à¤°à¥€ राधा वलà¥à¤²à¤ जिनके दरà¥à¤¶à¤¨ दà¥à¤°à¥à¤²à¤

शà¥à¤°à¥€ राधा वलà¥à¤²à¤ मंदिर में शोà¤à¤¾à¤à¤®à¤¾à¤¨ दिवà¥à¤¯ फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾
निधिवन जाते हà¥à¤ हम चार विशेष गलियों से गà¥à¤œà¤°à¥‡ जिनके नाम मान गली, दान गली, कà¥à¤žà¥à¤œ गली और यमà¥à¤¨à¤¾ गली था ! यह वही गलियां थी जहा शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ खेल कूद किया करते थे !

बाये= मान गली, दाये= दान गली, जहाठसे चितà¥à¤° लिया= कà¥à¤žà¥à¤œ गली और सामने= यमà¥à¤¨à¤¾ गली
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वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के कà¥à¤› अनà¥à¤¯ मंदिरों के बारे में आपको बताता हूà¤:-
- काली घाट पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मदन मोहन मंदिर को मà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के कपूर राम दस जी ने बनवाया था !
- N H -2 पे छतिकारा गाव में है गरà¥à¤¡à¤¼ गोविनà¥à¤¦ मंदिर, यह गà¥à¤°à¥à¤° जी का दà¥à¤°à¥à¤²à¤ मंदिर है जोकि काल सरà¥à¤ª अनà¥à¤·à¥à¤ ान के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है !
- राधा वलà¥à¤²à¤ मंदिर के बारे में आपको बता ही चूका हूठ!
- जयपà¥à¤° मंदिर जोकि सवाई माधो सिंह (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥à¤¯), जयपà¥à¤° के महाराजा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 1917 में बनवाया गया था, शà¥à¤°à¥€ राधा माधव जी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है !
- शà¥à¤°à¥€ राधा रमण मंदिर को 1542 में गोपाला à¤à¤¤à¥à¤¤à¤¾ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के आगà¥à¤°à¤¹ पे बनवाया गया था, इस मंदिर में अब à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की राधा रानी जी के साथ असली शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है !
- शाहजी मंदिर को लखनऊ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¨à¤¾à¤° शाह कà¥à¤‚दन लाल ने 1876 में बनवाया था, यहाठà¤à¤—वन को छोटे राधा रमण पà¥à¤•ारा जाता है !
- 1851 में बना रंगजी मंदिर à¤à¤—वान रंगनाथ जी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, 6 मंजिला और à¤à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ परत चढ़े 50 फीट उचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ के साथ यह मंदिर बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दीखता है !
- गोविनà¥à¤¦ देव (गोविनà¥à¤¦à¤œà¥€) मंदिर कà¤à¥€ सात मंजिला à¤à¤µà¥à¤¯ मंदिर हà¥à¤† करता था, कहा जाता है की इसके बनाते समय, सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अकबर ने आगरा के लाल किले से लाये गयी लाल पतà¥à¤¥à¤° यहाठदान किये थे ! राजा मान सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 1 करोड़ की लागत पे इसे फिर बनवाया गया!
- शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£-बलराम और इसà¥à¤•ोन मंदिर जिसे रमण रेती à¤à¥€ कहा जाता है वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के सबसे सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिरों में से à¤à¤• है, और शà¥à¤°à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¶à¤¨ और बलराम जी और राधा-शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤‚दर जी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है !
- सेवा कà¥à¤žà¥à¤œ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ राधा दामोदर मंदिर 1542 में शà¥à¤°à¥€ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया, इसके पूजà¥à¤¯ हैं शà¥à¤°à¥€ राधा दामोदर !
- राधा बाघ में शà¥à¤°à¥€ माठकातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€ मंदिर, रंगनाथ मंदिर के समीप ही है और शकà¥à¤¤à¤¿ के शà¥à¤¦à¥à¤§ शकà¥à¤¤à¤¿ पीठो में से à¤à¤• है !
- चिंताहरण हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है और अटलवन के समीप है !
- शà¥à¤°à¥€ राधा गोविंदा मंदिर, जिसे महामंडलेशà¥à¤µà¤° महंत शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ बलराम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया था ! यह नव-निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मंदिर 2004 में बनके तैयार हà¥à¤† !
- शà¥à¤°à¥€ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨-चनà¥à¤¦à¥à¤° मंदिर का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ 2006 में रामनवमी के दिन हà¥à¤† !
- वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में और à¤à¥€ अनेक मनोरम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और मंदिर हैं जैसे सेवा कà¥à¤žà¥à¤œ, केसी घाट, शà¥à¤°à¥€à¤œà¥€ मंदिर, जà¥à¤—ल किशोर मंदिर, लाल बाबॠमंदिर, राज घाट, कà¥à¤¸à¥à¤® सरोवर, मीरा बाई मंदिर, इमली ताल, कालिया घाट, रमण रेती, वराह घाट और चीर घाट !
वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में हमारा अंतिम पड़ाव निधिवन था, जहाठशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और राधा रानी की जà¥à¤—ल जोड़ी विशà¥à¤°à¤¾à¤® करती थी, यहीं पर कानाह जी ने राधा रानी और उनकी सखियों के साथ महा रास à¤à¥€ रचाया था ! तानसेन के गà¥à¤°à¥ हरिदास जी की समाधी à¤à¥€ यहीं है, जिनके समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· यहाठहरिदास समà¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ आयोजित किया जाता है जिसमें देश के नामी संगीतकार हिसा लेते हैं ! पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है की राधा जी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सखी ललिता जी ही हरी दास जी के रूप में अवतरित हà¥à¤¯à¥€ थी ! यह शà¥à¤°à¥€ राधा रस बिहारी अषà¥à¤Ÿ सखी मंदिर “लीला सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ †के नाम से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है, जहाठदिवà¥à¤¯à¤¾ रास लीला रची गयी थी !

वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ निधिवन का दà¥à¤µà¤¾à¤°
यह 84 कोस वà¥à¤°à¤œ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ पूरी करने वालो के लिठअवशà¥à¤¯à¤• तीरà¥à¤¥ है ! शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ यह मंदिर अपने आप में अकेला मंदिर है जो à¤à¤µà¥à¤¯ यà¥à¤—ल जोड़ी और उनकी अषà¥à¤Ÿ सखियों को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है ! समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वन में तà¥à¤²à¤¸à¥€ ही तà¥à¤²à¤¸à¥€ हैं जो थोड़ी विचितà¥à¤° à¤à¥€ लगती हैं, दो अलग अलग किसà¥à¤® के तà¥à¤²à¤¸à¥€ के पेड़ à¤à¤• साथ लगे हà¥à¤ हैं जोड़ो में, जिनकी जड़े तो अलग हैं पर शाखाà¤à¤‚ à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ में इस पà¥à¤°à¤•ार गà¥à¤¥à¥€ हà¥à¤¯à¥€ हैं की मनो à¤à¤• ही वृकà¥à¤· हो ! इन दोनों किसà¥à¤® की तà¥à¤²à¤¸à¥€ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ में à¤à¤• कानाह जी का और दूसरा उनकी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤•ा का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है ! कहते रातà¥à¤°à¤¿ में यह तà¥à¤²à¤¸à¥€ वृकà¥à¤· कृषà¥à¤£ और राधा सखियों के रूप ले कर रास रचाते हैं !

तà¥à¤²à¤¸à¥€ वृकà¥à¤·, कानà¥à¤¹à¤¾ और उनकी सखी के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•

ललीता कà¥à¤‚ड – शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने ललिता जी के आगà¥à¤°à¤¹ पर अपनी बासà¥à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस कà¥à¤‚ड की रचना की
निधि वन के समीप ही यमà¥à¤¨à¤¾ तट है, जहाठहमने केवट का वृकà¥à¤· देखा जिसपे कृषà¥à¤£ गोपियों के वसà¥à¤¤à¥à¤° लेकर चढ़ गठथे !
निधिवन, यमà¥à¤¨à¤¾ घाट और अनà¥à¤¯ मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हमने अपने होटल से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया और चल दिठवापस फरीदाबाद की ओर ! इस बार वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ आने का आनंद ही कà¥à¤› ओर रहा ! हम दिलà¥à¤²à¥€ के आस पास के लोग à¤à¤• ही दिन में वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ आना जाना कर लेते हैं, पर मैं समà¤à¤¤à¤¾ हूठकी à¤à¤• दो रात यहाठरà¥à¤•े तो बात कà¥à¤› ओर ही हो !
बहुत अच्छे से आपने लिखा है और फोटो भी सुन्दर हैं. आप का बहुत बहुत धन्यबाद
आपको लेख पसंद आया जानकार ख़ुशी हुयी !
धन्यबाद
राधे राधे विनय जी, बहुत अच्छी पोस्ट, बहुत अच्छा लेखन. पर ये पोस्ट आप २-३ भागो में बाँट सकते थे. क्योंकि मथुरा वृन्दावन के बारे में जितना लिखा जाए, जितने फोटो हो कम हैं. धन्यवाद ..
आपको लेख पसंद आया जानकार ख़ुशी हुयी ! दो भागो में बटने से शायद यह अपना महत्त्व खो देता, लेय्बंद करना जरुरी था!
विनय,
वृन्दावन, गोवर्धन तथा मथुरा का संपूर्ण बोध कराता यह यात्रा संस्मरण हर द्रष्टिकोण से उत्कृष्ट तथा हर मानक पर खरा उतरता प्रतीत होता है. उम्दा लेखन तथा सुन्दर छायाचित्र संयोजन पाठकों को बांधे रखने में सक्षम है.
आजकल आपकी घुमक्कड़ पर आवाजाही कुछ कम हो रही है. अपने यात्रा संस्मरणों तथा प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हम सब से जुड़े रहिये. आपकी अगली प्रस्तुति की प्रतीक्षा में………………
इतने सुन्दर शब्दों में की गयी सराहना के लिए धन्यवाद्!
अब ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं, मेरी वाइफ भी वर्किंग हो गयी हैं! हाल ही में वैष्णो देवी गए थे ! जल्दी ही लिखूंगा!
अभी मन है ऋषिकेश के नील कंठ महादेव जाने का! मेरे लिए भोले बाबा से प्रार्थना करियेगा की वोह मुझे जल्दी वहां बुलाएं!
भाई साहब,
मथुरा तो में जिंदगी भर नहीं भूल सकता. वहाँ की चाय इतनी जबर्दस्त है की बस पूछो मत वैसी चाय मैने आजतक कही भी नहीं पी. वृन्दावन बहुत अच्छा है पर सर्दियों में बहुत ज्यादा.
है की नहीं..
मोंटी भाई वृन्दावन सर्दियों में तो अच्छा लगता ही है!
और इस बार मैंने चाय नहीं लस्सी पी वहां, गर्मियां जो थी! लस्सी भी अच्छी थी!
विनय, काफी कसा हुआ और व्यवस्थित तरीके से लिखा हुआ लेख है | सरल और सोम्य भाषा में आपने अपनी यात्रा का ज़िक्र किया और सभी फोटोस, मंदिर या स्थानों के लगाये जो की पाठकों के लिए बहुत प्रासंगिक और यथोचित होते हैं , बहुत बढ़िया | और जैसे की मुकेश ने लिखा, आपकी आवाजाही थोड़ी कम है इस तरफ तो बने रहिये और अगला लेख जल्द ही लिखिए | जय हिंद |
And guessing that you like to go to Vrindavan, I am leaving a link of a old story which Ram wrote a while back. It is a very popular story and have been viewed in excess of 60K views.
https://www.ghumakkar.com/2008/03/10/vrindavan-–-jai-shri-radhe/
Thanks Nandan.
I have read this post and liked it.
I will write my next post soon.
विनय……जय श्री कृष्णा जय श्री राधे …..|
अति उत्तम वर्णन ….उत्तम लेख….सर्वोत्तम फोटो….| कुल मिलाकर हिंदी भाषा में लिखा बहुत ही संतुलित लेख ……|
मैं यह स्थान कई बार घूम चुका हूँ……आगरा (केवल ५५ किमी० दूर ) से पास जो हैं | सम्पूर्ण ब्रज प्रदेश का कण कण श्री कृष्ण और माता राधा रानी की महिमा से परिपूर्ण हैं…..यहाँ आकार मन को एक अलग ही आध्यात्मिक शांति का अहसास हो जाता हैं…..इस ब्रज प्रदेश के हर मंदिर की अपनी महिमा हैं |
आपने गोबर्धन की ७ कोस (२१ किमी० ) परिक्रमा शायद कार से लगाईं हैं, पर हमने तो कई बार पैदल (लगभग ७ या ८ बार ) ही इस परिक्रमा को पूरा किया हैं……. हर पूर्णिमा को हजारों कि संख्या में और मुड़िया पूर्णिमा को लाखो के संख्या में भक्तो के द्वारा यह परिक्रमा मुखारबिंद (श्री गोबर्धन महाराज का मंदिर ) से शुरू होती हैं और मानसी गंगा पर समाप्त होती हैं..|
वृन्दावन का निधि वन के बारे में एक रोचक तथ्य हैं कि यहाँ रात में भगवान श्री कृष्णा और श्री राधा रानी रास रचाने इस वन में आते हैं …….यदि कोई देख ले तो वह व्यक्ति अंधा हो जाता हैं या पागल ……इसी कारण यहाँ रात में किसी को इस वन में जाने की इजाजत नहीं हैं और बंद करने से पहले यहाँ के सेवक वन की एक जगह को अच्छे से छानबीन कार लेते हैं की कोई रह तो नहीं गया …..स्वयं सेवक भी यहाँ नहीं रुकते हैं ……|
आपका लेख बहुत अच्छा लगा पर हिंदी की मात्राओं में कई जगह गडबड़ी हो गयी..पकृपया आगे से ध्यान देने की आवश्यकता हैं……जिससे पाठकों पर सही भाषा में सही जानकारी उपलब्ध हो सके ….| मुकेश जि और नंदन की तरह मैं भी यही कहना चाहुगा कि अपने यात्रा संस्मरणों तथा प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हम सब से जुड़े रहिये |
सुन्दर ब्रज प्रदेश दर्शन कराने के लिए आपका बहुत धन्यवाद …..|
विनय भाई बढिया लेख, मुझे ज्यादा कुछ नहीं ढूंढना पडा, क्योंकि अधिकतर स्थल देखे हुए है, लेख अच्छा लगा।
Dhanyawad, Jaat Devta
Excellent.
बहुत ही अच्छी पोस्ट है विनय. फोटो भी बहुत ही सुंदर हैं. मैं २००९ में मथुरा-वृन्दावन-भरतपुर-आगरा की यात्रा पर गया था, उसकी याद ताज़ा हो गयी. आजकल काम के सिलसिले में हर हफ्ते मथुरा जाना हो रहा है जो अगले कुछ महीनों में जारी रहेगा. आपके द्वारा बताये गए मंदिरों की जानकारी काम आएगी, यदि समय मिला तो :). धन्यवाद.
arey wah yeh to acchi baat hai.
jarur jaiyga in mandiro mein samay nikal kar aur likhega bhi inke barein mein.
post pasand karne ke liye dhanyawad.
Thanks for sharing, aap ne bahut kuch samjha diya jo waha jane par bhi pata nahi chalta, thankyou so much for sharing this Post.
मथुरा वृन्दावन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। बेहतरीन लेख।
Dhanyawad. mujhe khushi huyi ki yeh post apko pasand aya
विनय जी बहुत ही बढ़िया पोस्ट है और मुझे बहुत अच्छी लगी . वृन्दावन मथुरा के बारे में बढ़िया जानकारी दी है आपने. मंदिरों के साथ साथ आपने जो दिव्या स्थानों के बारे में बताया है वोह सोने पे सुहागा जैसे हो गया . बहुत ही विवरण है. और बहुत ही अच्छे चित्र . यह लेख मेरी यात्रा के वक्त बहुत काम आयेगा.
इसमें कोई शक नहीं कि यह एक बहुत अच्छा लेख है लेकिन मन तृप्त नहीं हुआ इस लिए यह लिख रहा हूँ कि अगर और बारीकियों से लिखते २ पोस्ट में तो मुझे और मजा आता.
अब आप वैष्णो देवी कि यात्रा जल्दी लिखिए . मैं जुलाई में पहली बार जा रहा हूँ . बड़ी काम में आयेगी .
वृन्दावन मथुरा और बरसाना के दर्शन लिए धन्यवाद.
नीरज जी ने आपके लेख को बेहतरीन कहा …
आपको पुरे १०० नंबर .
koti koti Dhanyawad
A very detailed post , helpful for the follow ghumakkars .
Thanks Mahesh ji.
विनय भाई बहुत बढिया चित्रो और जानकारी से भरी पोस्ट
Maine kabhi mathura vrindavan nahi dekha hai.. parantu aapne vrindavan ki sair karayi dhanyavad….
बहुत बढिया!
धन्यवाद तुम्हारा vijayhindicom@yahoo.in
Your post is very helpful for visitors, this may be more useful if you give details of lodging facility in your post.
Thanks
very nice information for toour
अति उत्तम जानकारी अति उत्तम लेख आपके लेख के माध्यम से हर किसी की मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन के पवित्र स्थल की जानकारी बढ़ रही है।
My name parmod Kumar dharma nit fardabad
अति उतà¥à¤¤à¤® जानकारी व अति उतà¥à¤¤à¤® लेख। फ़रीदाबाद से मथà¥à¤°à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ के बीच शनि मंदिर (कोकिला वन),3 कि.मी. आगे नंदगाà¤à¤µ और 8 कि.मी. आगे राधा रानी मंदिर है। राधा रानी मंदिर के पास से फ़रीदाबाद-मथà¥à¤°à¤¾ हाइवे के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ है। फ़रीदाबाद से मथà¥à¤°à¤¾ हाइवे पर छटà¥à¤Ÿà¥€à¤•रा चौराहे से 100 मी. पहले गरà¥à¤£ गोविंद मंदिर (1 कि.मी.) के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ है।
पूरे मथà¥à¤°à¤¾ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨ घर बैठे करवा दिà¤| बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ जानकारी दी है| आपका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦|
Jai Shri RadheKrishna Nice Darshan
Thank God , n You Also (Writer) पूरे मथà¥à¤°à¤¾ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨ घर बैठे करवा दिà¤| बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ जानकारी दी है|
VINAY you had given every detail of your travelogue it is very help full to those who will be visiting braj vrindavan and gowardan for first time thanks for sharing keep up the good work
Thanks for sharing, aap ne bahut kuch samjha diya jo waha jane par bhi pata nahi chalta, thankyou so much for sharing this Post.