रात मे हलà¥à¤•ी- हलà¥à¤•ी बारिश हो रही थी ,  सà¥à¤µà¤¹Â होते होते काफ़ी पानी  à¤à¤° गया था, पता लग अà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ आगे जाने के लिठरोक दी है .सà¤à¥€ लोग अपने-अपने टेंट मे आराम करने लगे लगà¤à¤— सà¥à¤¬à¤¹  8-9 बजे लोगो का शोर सà¥à¤¨à¤¾ कि यातà¥à¤°à¤¾ का रासà¥à¤¤à¤¾ खोल दिया गया. सब लोग आगे जाने के लिठकॅंप के बाहर निकालने लगे. काफ़ी à¤à¥€à¤¡Â हो गये थी. इस कारण से घोड़े   वालो के नखरे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो गये थे यहाठहमे शेष नाग से पंचतरà¥à¤£à¥€Â के लिà¤Â 1600 -1700 के हिसाब से घोड़ा मिला
शेषनाग से चल कर महागà¥à¤¨  टॉप पर घोड़े वाले 10-15 मिनट के लिठरेसà¥à¤Ÿ करने के लिठरà¥à¤•े . महागà¥à¤¨ टॉप जिसे गणेश टॉप à¤à¥€ बोलते है समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 14400 – 14800 फिट उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ  पर है जो कि  शेषनाग से लगà¤à¤— 4.6 किलोमीटर की दूरी पर है ,यह à¤à¤• वारà¥à¤«à¥€à¤²à¤¾ दरà¥à¤°à¤¾ है. कà¥à¤› लोग कह रहे थे कि कई बार तो यहाठऑकà¥à¤¸à¤¿à¤œà¤¨ इतनी कम हो जाती है कि माचिस à¤à¥€ नही जलती, पर इस वकà¥à¤¤ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नही लग रहा था,.
चाय पी कर घोड़े  वाले फिर आगे पंचतरà¥à¤£à¥€ के लिठचल दिà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ मे पीयà¥à¤·à¤ªà¤¤à¥à¤°à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पड़ा यहा पर à¤à¥€ लंगर लगे हà¥à¤ थे, à¤à¤—वान शिव के गीतो की धà¥à¤¨ लाउडसà¥à¤ªà¤¿à¤•र पर बज रही थी. अब आगे को ढलान था ,लगà¤à¤— 4 बजे हम पंचतरà¥à¤£à¥€ पहà¥à¤à¤š  गये. पंचतरà¥à¤£à¥€Â काफ़ी चौड़ी घाटी है जिसमे कई पतली-पतली नदी की धारा बह रही है. यहा पाà¤à¤š नदी बह रही है. कà¥à¤› लोग यहाठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे थे. नदी पार  करके हमे घोड़े वाले ने कॅंप साइड पर उतार दिया. मैने तो सà¥à¤µà¤¹Â से कà¥à¤› खाया नही था , à¤à¥‚ख ज़ोर की लग रही थी, à¤à¤• लंगर मे जा कर जो कà¥à¤› खाने को मिला खा पी कर टेंट का इंतज़ाम करने लगे. यहाठपर टेंट 225/ पर बेड के हिसाब से मिला. यहाठपर कॅंप की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ शेषनाग  से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾  अचà¥à¤›à¥€ थी कॅंप के दोनो किनारो पर à¤à¤‚डारे लगे थे जहाठपर खाने-पीने का शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“  दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इंतज़ाम किया गया था.. यहाठà¤à¤•-दो कॅंप से फà¥à¤°à¥€ मेडिसिन à¤à¥€ दी जा रहे थी.
यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने से पहले मैने à¤à¤‚टेरनेट पर काफ़ी कà¥à¤› जानकारी कर ली थी . जिसमे से घोड़े  वालो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चारà¥à¤œ किठजाने का रेट चारà¥à¤Ÿ à¤à¥€ था. परंतॠकोई à¤à¥€ उसके हिसाब से चारà¥à¤œ नही कर रहा था. मैने पहले इस बारे मे फ़ौजी जवानो से शिकायत की पर उन लोगो ने कहा , शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ के कॅंप मे जा कर शिकायत  करू. कॅंप के लासà¥à¤Ÿ मे शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ का कॅंप लगा था. वहाठशà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ के सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ से मिला, उनसे बताया  यह लोग मनमरà¥à¤œà¤¼à¥€ चारà¥à¤œ कर रहे है, वो बोले इस मामले मे हम कà¥à¤› नही कर सकते, à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ की तरफ इशारा कर बताया की यह अनंतनाग के पà¥à¤²à¤¿à¤¸ सूपरेंटेंडेंट है पर इनसे à¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चारà¥à¤œ किया.
सामने ही हेलिपॅड बने हà¥à¤ थे बालटाल और पहलगाम से आने –जाने वाले यातà¥à¤°à¥€ यहाठसे ही आ- जा रहे थे. यहाठतक पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡Â – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡  हमारे साथ के लोग इतने पसà¥à¤¤ हो गये थे की सामने हेलिकॉपà¥à¤Ÿà¤° देख कर वापस हेलिकॉपà¥à¤Ÿà¤° से जाने को पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाने लगे. हम सब लोग à¤à¤‚कà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤°à¥€ करने लगे की किस तरह से टिकेट मिलेगा. वहाठपर à¤à¤•-दो लोगो ने बताया की सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे अगर लाइन मे आ कर लग जाओ तो टिकेट मिल सकता है. दूसरे दिन सà¥à¤à¤¹ 5 बजे जा कर लाइन मे लग  गया, 2 घंटे खड़े रहने के बाद टिकेट नही मिला.
अà¤à¥€ तो हमे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगà¥à¤«à¤¾ के लिठजाना था , फटा फट टेंट खाली कर के घोड़े किराठके लिठऔर गà¥à¤«à¤¾ के लिठचल दिà¤Â , थोडा सा आगे टà¥à¤°à¥…फिक जाम हो गया. घोड़े वाला बोला आप लोग उतर कर पैदल चलो  जब जाम खà¥à¤²à¥‡à¤—ा तब आगे आप बैठजाना. अब हम घोड़े से उतर कर पैदल धीरे -धीरे पहाड़ पर चढ़ाई  चढ़ने लगे . धीरे-धीरे हम काफ़ी उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ  तक पहà¥à¤à¤š गये, रासà¥à¤¤à¥‡ मे पैदल यातà¥à¤°à¥€ ओम नमा शिवाय , जै à¤à¥‹à¤²à¥‡ कीनारे लगाते हà¥à¤ चढ़ते  जा रहे थे, काफ़ी उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ   पर चढ़ने  पर देख कर ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† की हम कà¥à¤¯à¥‹ नही पैदल चढ़ाई  करते पहाड़  की टॉप पर वगैर किसी परेशानी के पहà¥à¤š गये, सोचा वापसी मे पैदल ही पंचतरà¥à¤£à¥€ जाà¤à¤‚गे .
पहाड़  के टॉप पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡Â – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡   जाम à¤à¥€ खà¥à¤² गया तब तक घोड़े  वाला आ गया अब हम फिर से घोड़े पर  बैठकर चल दिà¤. à¤à¤• जगह पर तो मेरा घोड़ा फिसलते –फिसलते बचा,  मà¥à¤¶à¥à¤•िल से मैने अपने आप को बचाया, à¤à¤• तरफ खाई थी और दूसरी तरफ पहाड़ .यहाठआ कर लगा कि  आपको अगर अमरनाथ  दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआना है तो आपके शरीर मे इतनी ताक़त होनी चाहिठकि  आप पैदल पहाड़  पर चढ़ाई कर सके अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ घर पर बैठे.  पलक à¤à¤ªà¤•ते राम नाम सतà¥à¤¯ हो सकता है. यह बात आपको डराने  के लिठनही लिख रहा हू. यह à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है. अगर आपने पेपर मे पड़ा हो तो आपको पता होगा की इस वरà¥à¤· 2011 मे लगà¤à¤— 115 लोगो की डेथ  हà¥à¤ˆ है. बचपन मे मैने नेहरू जी की मेरी कहानी , आतà¥à¤®à¤•था पढ़ा था  जिसमे उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡Â लिखा था कि  किस तरह से वह वरà¥à¤«à¤¼Â की खाई मे गिर गये थे और बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से निकल पाठथे.
सारा खेल शà¥à¤°à¤§à¤¾Â और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का है. जिसकी नियती मे जो लिखा है वही उसको मिलेगा. फिर à¤à¥€Â यही कहà¥à¤—ा की यह यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¤• कठिन यातà¥à¤°à¤¾ है और बहà¥à¤¤ सोंच समà¤Â कर ही इस यातà¥à¤°à¤¾ के लिठजाà¤. जाने कितने तो बीच रासà¥à¤¤à¥‡ से ही वापस लौट आते है या लौटना पड़ता है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि डॉकà¥à¤Ÿà¤° उनà¥à¤¹à¥‡ आगे जाने से मना कर देते है और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ बाते है जिनà¥à¤¹à¥‡ लिख कर डराना नही चाहता पर आपके हित के लिठही बता रहा हू. यातà¥à¤°à¤¾ करे तो पैदल. सबसे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤ घोड़े से ही होती है.
अब ढलान शà¥à¤°à¥‚ हो गया था . हम संगम पर पहà¥à¤š रहे थे, दूसरी तरफ से बालटाल के यातà¥à¤°à¥€  à¤à¥€ आ रहे थे. थोड़ा आगे जाने पर घोड़े वाले ने उतार दिया. यहा पर बहà¥à¤¤ से लोगो को गॅस पर पानी गरà¥à¤® कर नहलाते  हà¥à¤ देखा. पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦  बेचने वालो की लाइन से दà¥à¤•ाने  वरà¥à¤«à¤¼ के उपर लगी थी, जहाठअपना समान रख कर , सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करके आगे गà¥à¤«à¤¾Â दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजा सकते थे. हम  à¤à¥€ à¤à¤• दà¥à¤•ान पर रà¥à¤• गये जो बरà¥à¤« के उपर थी. दà¥à¤•ानदार ने à¤à¤• मोटी सी पोलीफिल बरà¥à¤« के उपर बिछा रखी थी. उस पर बैठकर लग ही नही रहा था की हम बरà¥à¤« पर बैठे है दà¥à¤•ानदार ने ही दà¥à¤•ान के पीछे गरà¥à¤® पानी का इतजाम किया था 50 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡Â मे à¤à¤• बालà¥à¤Ÿà¥€ पानी. दे रहा था हम लोग वही बरà¥à¤« के उपर बैठकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया , वरà¥à¤«à¤¼ पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ à¤à¥€ याद रहेगा . दà¥à¤•ानदार ने बताया यहाठ से गà¥à¤«à¤¾ लगà¤à¤— 2  किलोमीटर  है,

यहा घोड़े वाले ने उतार दिया गà¥à¤«à¤¾ लगà¤à¤— 2  किलोमीटर  है
अब हम पैदल दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल दिà¤. काफ़ी दूर से गà¥à¤«à¤¾ दिखने लगी पर वहा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ मे लगà¤à¤— 1-1.5 घंटा लग गया. यहाठहमे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° वरà¥à¤«à¤¼ के उपर ही चलना था. à¤à¤• जगह ढलान था और उपर जाना था वहाठवहूत से यातà¥à¤°à¥€ फिसल रहे थे. सबसे कठिन वरà¥à¤«à¤¼ पर चलना होता है जमी हà¥à¤ˆ वरà¥à¤«à¤¼ पर फिसलने का डर हर समय रहता है.
गà¥à¤«à¤¾ के आस पास जमà¥à¤®à¥‚ -कशà¥à¤®à¥€à¤°Â पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का इंतज़ाम था. बाकी सारे रासà¥à¤¤à¥‡ बॉरà¥à¤¡à¤° सेकà¥à¤¯à¥‚रिटी फोरà¥à¤¸Â के पहरे मे हम लोग चल रहे होते है पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ मे हमने देखा चपà¥à¤ªà¥‡Â –चपà¥à¤ªà¥‡ पर बॉरà¥à¤¡à¤° सेकà¥à¤¯à¥‚रिटी फोरà¥à¤¸Â के जवानहमारी  सà¥à¤°à¤šà¥à¤›à¤¾ के लिठतैनात थे. पवितà¥à¤°Â गà¥à¤«à¤¾ से करीब 500 गाज पहले सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ की जाà¤à¤š की जा रही थी. मोबाइल , कॅमà¥à¤°à¤°à¤¾ जमा किठजा रहे थे , किसी को à¤à¥€ गà¥à¤«à¤¾ मे फोटो खिचने की इजाज़त नही थी. यहाठगà¥à¤«à¤¾ मे जाने के लिठसीढ़ी बनी हà¥à¤ˆ थी.
गà¥à¤«à¤¾ मे घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही उपर से पानी की बूंदे सर पर गिरी à¤à¤¸à¤¾ लगा कि वारिश का पानी हो पर जब सर उठा कर उपर देखा तब पता लगा कि पहाड़ की छत से बूà¤à¤¦ -बूà¤à¤¦ कर टपक रहा है . बाद मे देखा कà¥à¤› लोग कोशिश कर रहे थे की उन पर पानी की बूà¤à¤¦ गिरे मैने चारो ओर निगाहे घà¥à¤®à¤¾ कर कबूतरो को देखने की à¤à¥€ चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की जिसके बारे मे किदवंती है की उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤—वान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ जा रही अमर कथा को सà¥à¤¨à¤¾ है और वो अमर है.
मà¥à¤à¥‡ वो सफेद कबूतर तो नही दिखे हाà¤Â  जंगली कबूतर ज़रूर दिखे. हो सकता है कि यही वह कबूतर हो . गà¥à¤«à¤¾ समà¥à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤² से 13,600 फà¥à¤Ÿ की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इस की लंबाई (à¤à¥€à¤¤à¤° की ओर गहराई)19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गà¥à¤«à¤¾ 11 मीटर ऊà¤à¤šà¥€ है। , गà¥à¤«à¤¾ मे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर के हम à¤à¤—वान शिव  के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआगे बढ़े देखा पूरा चबूतरा उपर तक लोहे के जाल से बंद किया हà¥à¤† है, जबकि फोटो मे 2-3 फिट उà¤à¤šà¤¾ लोहे का जाल देखा था .
सीधे हाथ पर à¤à¤—वान शिव वरà¥à¤«à¤¼ के रूप मे विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थे. यहाठसही वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ना होने के कारण हर कोई à¤à¤•-दूसरे को धकà¥à¤•ा देकर जाल के पास जा कर दरà¥à¤¶à¤¨ करना  चाह रहा था. मैने  दूर से दरà¥à¤¶à¤¨ किà¤. गà¥à¤«à¤¾ मे शिवलिंग जिस चबूतरे पर विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है , पूरे  चबूतरे पर आधा से à¤à¤• फिट बरà¥à¤«Â जमा थी. हम 3 फिट नीचे खड़े थे वहाठबिलà¥à¤•à¥à¤² बरà¥à¤« नही थी थोड़ी देर गà¥à¤«à¤¾ मे बिता कर अब हम वापस चले,
यहाठगà¥à¤«à¤¾ के पास à¤à¥€ शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ ने à¤à¤‚डारे का इंतज़ाम किया हà¥à¤† था. कà¥à¤› खाया नही था à¤à¤• à¤à¤‚डारे मे रà¥à¤• कर à¤à¥‹à¤œà¤¨Â किया. यहाठà¤à¤‚डारे मे ख़ान के लिठउतना ही लेना चाहिठजितना खा सके, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ मे छॉडà¥à¤¨à¤¾ मना है,  दरà¥à¤¶à¤¨ हो गये थे अब हमे वापस लोटने की जलà¥à¤¦à¥€ थी. लगà¤à¤— 4 बजे हम वापस उसी दà¥à¤•ान पर पहà¥à¤šà¥‡ जहाठहमने अपना समान छोड़ा था. तब तक तेज हवा बहने लगी, à¤à¤¸à¤¾ लग तेज बारिश-तूफान आ सकता है.
à¤à¤• बार मन हà¥à¤† रात यही रà¥à¤• जाते है , आख़िर वहाठरà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® कॅनà¥à¤¸à¤² कर के वापस पंचतरà¥à¤£à¥€ के लिठचल दिà¤. मैने पहले ही तय कर लिया था की पैदल ही लौटना है हम कà¥à¤› लोग तो पैदल अपना पिटà¥à¤Ÿà¥‚ बैग कंधो पर लटकाठचल दिठकà¥à¤› लोग घोड़े से गये. पंचतरà¥à¤£à¥€  पहà¥à¤šà¤¤à¥‡Â –पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ तेज बारिश आ गई. दौड़ कर हम à¤à¤• खाली पड़े सरकारी टेंट मे घà¥à¤¸Â गये. अब रात यही पंचतरà¥à¤£à¥€ मे गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥€ थी , हमारे साथियो ने जो पहले घोड़े से पहà¥à¤à¤š गये थे , टेंट कर लिया था कोई दिकà¥à¤•त नही थी. सब लोग आराम करने लगे.
दूसरे दिन वापस पहलगाम लोटना था,  à¤à¤• राय बनी, तय किया की यहा से पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप तक तो घोड़े से और पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप से पैदल चंदनवाड़ी पहà¥à¤šà¥‡à¤‚गे. वà¥à¤°à¤¹à¤¸à¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤°Â सà¥à¤¬à¤¹ करीब 7 -8 बजे हम  घोड़े वाले को पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप तक के लिठघोड़े किठइस बार हमे घोड़ा ससà¥à¤¤à¤¾ मिल गया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी नही. 1300/- घोड़ा , पंचतरà¥à¤£à¥€ से पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप तक. जबकि जाते समय शेषनाग से पंचतरà¥à¤£à¥€ तक के 1700 रà¥à¤¸. घोड़े वाले को देने पड़े थे. अब हम लॉट रहे थे इसलिठजी à¤à¤° कर रासà¥à¤¤à¥‡ की सà¥à¤‚दरता को मन मे बैठा लेना चाहता  था . लगà¤à¤— 3 बजे हम लोग पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप पर पहà¥à¤à¤š गये. यहाठहमने घोड़े छोड़ दिठअब यहाठसे पैदल चंदनवाड़ी  के लिठचल दिà¤.
पहाड़ो पर उतरना à¤à¥€ इतना आसान नही होता है, दूसरे पीछे से घोड़े -पालकी वाले तेज़ी से आते है उनसे à¤à¥€ बच कर चलना होता है,  à¤à¤• रासà¥à¤¤à¥‡ मे घोड़े  पैदल, और पालकीवालो सà¤à¥€ को चलना होता है  , रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कई जगह पर इतना संकीरà¥à¤£ कि बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाता था अपने आप को बचाना . रासà¥à¤¤à¥‡ मे à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ने मेरी पतà¥à¤¨à¥€ से पूछा आप लोगो को दरà¥à¤¶à¤¨ हो गये, हमारे हाठकहने पर वो इतना à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो गया के à¤à¤¾à¤µà¥à¤•ता वश वो पैर छूने लगे.
जो लोग पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप की ओर चढ़ाई कर रहे थे पूछते जा रहे थे अà¤à¥€ कितना और चढ़ना है, हालाà¤à¤•ि  यहाठसे ही चढ़ाई  शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ थी और मंज़िल दूर थी पर किसी को à¤à¥€ हतोतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ ना करते हà¥à¤ हम यही कहते थे à¤à¥‹à¤²à¥‡ की जे करते चले जाओ , पहà¥à¤à¤š जाओगे, उतरते समय ही à¤à¤• गेरà¥à¤† वसà¥à¤¤à¥à¤° धरी साधॠकंवर लिठहà¥à¤ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजा रहे थे , उतà¥à¤¸à¥à¤•तावश मैने पूछा की आप हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से गंगा जल ला रहे है कà¥à¤¯à¤¾,पर सà¥à¤¨ कर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† की वह गंगोतà¥à¤°à¥€ से गंगा जल ले कर यहाà¤Â अमरनाथ मे à¤à¤—वान शिव पर चढ़ाने के लिया जा रहे थे.
लोगो की हिमà¥à¤®à¤¤Â , à¤à¤—वान शिव के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अगाध शà¥à¤°à¤§à¤¾ देख मे  गदगद हो गया. उतरते समय यही चिंतन मन मे चल रहा था. इस जटिल मारà¥à¤— पर यातà¥à¤°à¤¾ करना ही इतना कठिन है वहाठकितने ही शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ ने à¤à¤‚डारे लगाठहà¥à¤ थे और यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ की सेवा कर रहे थे. कितना बड़ा पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾ का कम यह लोग कर रहे है.  शाम होते-होते हम चंदनवाड़ी पहà¥à¤à¤š गये और यहाठसे टॅकà¥à¤¸à¥€ कर के वापस पहलगाम के उसी होटेल मे गये जहाà¤Â पहले ठहरे थे.
अब रश कम था होटेल मे कई रूम खाली थे, हमने होटेल वाले से मोल-à¤à¤¾à¤µ करके रूम किराया रà¥à¤¸. 1000/ ठहराया. रूम अपनी पसंद का रोड साइड के लिया, रूम के  सामने पारà¥à¤• और उसके साथ लिदà¥à¤¦à¤° नदी बहती हà¥à¤ˆ दिख रही थी. आज वà¥à¤°à¤¹à¤¸à¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤°Â  था और हमारी टिकेट शनिवार शाम की बà¥à¤• थी. आज तो हमे यही रà¥à¤•ना था पर दूसरे दिन  शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को या तो जमà¥à¤®à¥‚ जा कर रà¥à¤•ते या पहलगाम मे.
सà¤à¥€ लोग पहलगाम मे दूसरे दिन à¤à¥€ रà¥à¤•ने को तैयार हो गये. और यह अचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥€ था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि à¤à¤• तो यह समसà¥à¤¯à¤¾ थी की जमà¥à¤®à¥‚ जा कर फिर होटेल ढूढ़ना  पड़ता. वैसे à¤à¥€ पहलगाम की सà¥à¤‚दरता के आगे जमà¥à¤®à¥‚ जा कर à¤à¤• दिन ठहरना कोई समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ का निरà¥à¤£à¤¯Â नही  होता.इसलिठहम सब शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को पहलगाम मे ही रà¥à¤•े. यहाठपर हमारे पास आस पास घूमना या शॉपिंग करना  ही था..
शाम को हम लोग à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥Œà¤°à¥‡à¤‚ट मे बैठे थे, मैने देखा à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ऑफीसर à¤à¥€ वहाठरेफà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤®à¥‡à¤‚ट ले रहा है, तà¤à¥€ à¤à¤• और ऑफीसर à¤à¥€ उसके पास आ कर बात करने लगा, मेरी नज़र उस पर टिक गयी मॅ देखना चाहता था की यहाठहोटेल वाले को खाने-पीने का बिल पेमेंट करते है या नही, थोड़ी देर मे देखा दोनो ऑफीसर होटेल वाले के पास गये और परà¥à¤¸ निकाल कर पेमेंट करने लगे.à¤à¤¸à¥‡ ही मारà¥à¤•ेट मे टहलते हà¥à¤ मैने देखा 2-4 खोà¤à¤›à¥‡ वाले सड़क किनारे खड़े है, यह यहाठके मूल निवासी नही थे, यातà¥à¤°à¤¾ पर रोज़गार के चकà¥à¤•र मे यहाठपहà¥à¤š गये थे, जिगयसा वश मैने उनसे पूछा  कà¥à¤¯à¤¾ यहाठखड़े होने पर यहाठकी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ तो नही परेशान करती है, उन लोगो ने बताया की मà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤² बोरà¥à¤¡ वाले डेली .
20 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की रसीद काट देते है और कोई परेशान नही करता है. सोचने लगा देहली और उसके आस-पास के शहरो मे सरकार को तो इन खोà¤à¤›à¥‡ वालो से कà¥à¤› मिलता नही है हाठपà¥à¤²à¤¿à¤¸ वालो की ज़रूर जेब गरà¥à¤® हो जाती है. यहाठआकर इस बात का अहसास होता है की अमरनाथ  की यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान लोखो कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ को रोज़गार मिलता है, सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ की इनकम बदती है,  हम 7 लोगो का घोड़े का खरà¥à¤š 37500/- हà¥à¤† था जबकि कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ पर हम पैदल à¤à¥€ चले थे. इसके अलावा टॅकà¥à¤¸à¥€Â , टेंट, होटेल, आदि कितने खरà¥à¤šà¥‡. हम लोगो का पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ लगà¤à¤— 8000 से 10000 खरà¥à¤š आया था. à¤à¤• तरह से यह यातà¥à¤°à¤¾ कितने कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के लिठआय का बड़ा साधन है,  परंतॠफिर à¤à¥€ कà¥à¤› कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ लीडर वहाठकी जनता को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ करके यातà¥à¤°à¤¾ के खिलाफ à¤à¤¾à¤·à¤£ वाजी , विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करवाते रहते है. बहà¥à¤¤ तकलीफ़ होती है जब इंसान अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के कारण दूसरो की रोज़ी रोटी पर लात मारता है.
4 बजे जमà¥à¤®à¥‚ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤¾ दिया. हमारी चिंता दूर हो गयी हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ 7 बजे की थी , हम समय से पहà¥à¤à¤š गये थे.
अमरनाथ के वारे मे यहाठविशेष जानकारी दी जा रही है
पहलगाम से चंदनवाड़ी  की दूरी लगà¤à¤— 16 किलोमीटर  है, चंदनवाड़ी समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 9500 फीट   उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ  पर है, चंदनवाड़ी से पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप की दूरी लगà¤à¤— 3 किलोमीटर है,पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप की समà¥à¤¦à¥à¤° तल से उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ 11200 फीटहै,पिसà¥à¤¸à¥‚ टॉप से शेषनाग की दूरी लगà¤à¤—  11 किलोमीटर है,शेषनाग समà¥à¤¦à¥à¤° तल से लगà¤à¤— 12000 फीट   उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ  पर है,शेष नाग से महागà¥à¤¨à¤¾à¤¸ टॉप की दूरी लगà¤à¤— 4.60 किलोमीटर है,महागà¥à¤¨à¤¾à¤¸ टॉप 14500 फीट   उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ  पर है, महागà¥à¤¨à¥‚स टॉप से पंचतरà¥à¤£à¥€ 9.40 किलोमीटर है. पंचतरà¥à¤£à¥€ 12500 फीट   उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ  पर है,पंचतरà¥à¤£à¥€ से संगम  3 किलोमीटर है,संगम से पवितरा गà¥à¤«à¤¾  3 किलोमीटर है. गà¥à¤«à¤¾Â समà¥à¤¦à¥à¤° तल से लगà¤à¤— 13600 फीट   उà¤à¤šà¤¾à¤ˆÂ  पर है
बहुत सुंदर यात्रा विवरण , शानदार फोटो पर लेख विस्तृत होता तो और मजा आता ………लास्ट के दो पैराग्राफ वाकई में गजब के हैं एक जानकारी और दूसरी यात्रा के उपर राय ……6 लाख से ज्यादा लोग अमरनाथ के दर्शन कर चुके हैं और इस इन्कम से कितनो के घर चलते होंगे पर जब इन नेताओ को सिरफिरा पन हो जाता है तो फिर ये भोले भाले लोगो को धर्म के नाम पर भडका देते हैं ……..
Very nice description, good photos. Thanks a lot
again very beautiful photos, bahut sundar varnan, jai baba barfani, vandematram
Har Har Mahadev!
Bada hi sundar yatra vritant hai, woh bhi saawan ke maheeney mein.
Apka bada hi abhar hai.
Isi tarah Likhte rahiye.
“कमालांश” – जो मैं आपके नाम का translation कर पाया, बहुत ही नया (मैंने तो पहली बार सुना है, मेरा मतलब पढ़ा है.) और सुंदर नाम. पता नहीं है या नहीं लेकिन “विष्णु भगवन” के नाम से मिलता जुलता जरूर है.
बहुत ही सुंदर पोस्ट, पढते हे पिछले साल की यादें ताज़ा हो आई, जब हमें भी बाबा बर्फानी के दर्शनो का सोभाग्य प्राप्त हुआ था.
जय भोले नाथ की, जय हो बाबा बर्फानी की…..
कमालंश जी बहुत सुंदर फोटो वाला एक अच्छा वर्णन है . थकावट के कारन तथा घोड़े पर होने के कारन ज्यादा फोटो नहीं खिंची जाती लेकिन फिर भी फोटो अच्छे हैं
२००८ में तो हमे कर्फु में यात्रा करनी पड़ी पहलगांव पूर्ण रूप से बंद था . चन्दन वादी के रास्ते में पथराव होता था
जय भोले नाथ, बेहतरीन लेख
सच बात लिखी है कि पलक झपकते राम नाम सत्य हो सकता है. यह बात आपको डराने के लिए नही लिख रहा हू. यह एक सच्चाई है. यह बात हर जगह हो सकती है वैसे यहाँ कुछ ज्यादा ही खतरा है
अपने विशाल राठौर आज यही अमरनाथ गुफा या पंचतरणी में से किसी एक स्थल पर मौजूद है
Thank you so much, KBR, for the lovely post. The pictures were simply superb, especially those of a sea of blue and yellow tents and of course, of the holy cave itself. Looking forward to more such travelogues from you.
रस्तोगी जी,
बहुत ही सुन्दर तस्वीरें एवं रुचिकर लेखन. पहले चित्र में इतने सारे टेंट एक साथ देखकर मज़ा आ गया. आपने बिलकुल सही कहा ये यात्रा आसन तो नहीं है, कई तरह की मुश्किलों से पाला पड़ता है. और डरने डराने वाली कोई बात नहीं है, जो सच्चाई है वो आपने बता दी, इससे भविष्य में इस यात्रा पर जाने वाले लोग इन मुश्किलों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहेंगे.
आपका शुक्रिया.
जय बाबा अमरनाथ की…..
आपका स्वागत हैं……
आपका अति सुन्दर और बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी युक्त लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा ….| फोटो बहुत ही आकर्षक और सुन्दर लगे….| लिखते रहिये……
धन्यवाद |
यात्रा की उपयोगी बातों का ब्यौरा आपने अच्छे से दिया है | एक जगमोहन और चाहिए , बाबा अमरनाथ गुफा के लिए |
very nice
very nice tour.