१à¥à¥¬à¥§à¥ अप तपोवन à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ मà¥à¤‚बई से चल कर ठाणे – इगतपà¥à¤°à¥€ से होती हà¥à¤ˆ सà¥à¤¬à¤¹ १०.१५ पर नासिक पहà¥à¤à¤š गई. हालाà¤à¤•ि मेरा आरकà¥à¤·à¤£ वातानà¥à¤•ूलित चेयर कार में था, परनà¥à¤¤à¥ मैंने तकरीबन साढ़े-तीन घंटे की अपनी यातà¥à¤°à¤¾ का अधिकांश हिसà¥à¤¸à¤¾ उस कोच के दरवाजे पर बिताया था, जहाठसे सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ की असंखà¥à¤¯ घाटियों का पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ देखते बनता था. परà¥à¤µà¤¤-शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला की हरी-à¤à¤°à¥€ घाटियों ने, à¤à¤°à¥€-पूरी नदियों ने और अनगिनत छोटे-बड़े जलपà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤à¥‹à¤‚ ने मेरा उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ दà¥à¤—ना कर दिया था. मानसून अपने चरम पर था और पà¥à¤°à¤•ृति शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार रस से वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ थी. वरà¥à¤·à¤¾-जल-बिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से मेरा चेहरा कई बार à¤à¥€à¤‚ग चà¥à¤•ा था और मसà¥à¤¤à¤• पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ केश à¤à¥€ जल से परिपूरà¥à¤£ हो गठथे. वह टà¥à¤°à¥‡à¤¨ इतनी लमà¥à¤¬à¥€ थी कि मेरी बोगी धीरे-धीरे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के टिन-शेड को पार करती हà¥à¤ˆ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® के बाहर जा कर रà¥à¤•ी, जहाठमà¥à¤¸à¤²à¤¾à¤§à¤¾à¤° वरà¥à¤·à¤¾ हो रही थी. चेहरा तो पहले से ही à¤à¥€à¤‚गा था और तब बदन à¤à¥€à¤‚गते à¤à¥€ देर न लगी. और इस तरह मैं ३१ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ २०१६ रविवार के दिन नासिक पहà¥à¤à¤š गया.

ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से अंजनेरी गाà¤à¤µ का हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर का दृशà¥à¤¯
समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ नासिक शहर वरà¥à¤·à¤¾ से ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था. सड़कें धà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆà¤‚ लगतीं थीं. à¤à¤µà¤¨ पूरे à¤à¥€à¤‚गे हà¥à¤ थे. सड़कों पर चलने वाले सà¤à¥€ वाहन à¤à¥€à¤‚गे हà¥à¤ थे. लोग-बाग अपनी-अपनी छतरियां ताने चल रहे थे और पेड़-पौधे जल की बूंदे बरसा रहे थे. à¤à¤¸à¥‡ मौसम में गेसà¥à¤Ÿ हाउस में गरà¥à¤®-गरà¥à¤® चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ियों का आनंद उठाने के बाद, तीन यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हमारी à¤à¤• छोटी टोली, बेहद खूबसूरत नासिक-तà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•ेशà¥à¤µà¤° राजमारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ के तलहटी की ओर चल पड़ी. नासिक से तà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•ेशà¥à¤µà¤° करीब २५ किलोमीटर के दूरी पर है. तà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•ेशà¥à¤µà¤° के ४-५ किलोमीटर पहले ही अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ की ओर जाने का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ राजमारà¥à¤— के बायीं तरफ खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है. वहाठà¤à¤• बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगा हà¥à¤† है, जिससे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मारà¥à¤— पहचानने में कोई असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं हो.

ऊंचाई से दिखने वाली à¤à¤• à¤à¥€à¤²
मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ से लगà¤à¤— २ किलोमीटर की दूरी पर अंजनेरी गाà¤à¤µ था. रासà¥à¤¤à¤¾ पथरीला और उबड़-खाबड़ और कीचड़-यà¥à¤•à¥à¤¤ छोटे-छोटे गडà¥à¤¢à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤¾ था. उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर गाड़ी चल सकती थी, जिससे हम सà¤à¥€ अंजनेरी गाà¤à¤µ तक पहà¥à¤à¤š गà¤. वहाठà¤à¤• हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर था, जिसके सामने गाड़ी पारà¥à¤• कर दी गई. वरà¥à¤·à¤¾ में à¤à¥€à¤‚गना तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ था, परनà¥à¤¤à¥ वहीठपर गाड़ी रोक कर हमलोगों ने बरसाती पहना और छतरी इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से लैस हो गà¤. हालाà¤à¤•ि यातà¥à¤°à¤¾ के बाद à¤à¤¸à¤¾ महसूस हो रहा था कि बरसाती इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ ना ही पहनते, à¤à¥€à¤‚गते चलते तो और à¤à¥€ आनंद आता. पर उस बरसाती ने, मà¥à¤à¥‡ तो नहीं, पर मेरे मोबाइल कैमरे को वरà¥à¤·à¤¾ और नमी से जरूर बचाया.

शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ का à¤à¤• खूबसूरत दृशà¥à¤¯
परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी वहाठसे लगà¤à¤— २ किलोमीटर दूर थी. वहाठतक का रासà¥à¤¤à¤¾ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤°, पथरीला और उबड़-खाबड़ था. उस पर चलने वाली गाड़ियाठà¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• हिचकोले ले रहीं थी. पर पदयातà¥à¤°à¥€ की लिà¤, उस मौसम में, वह रासà¥à¤¤à¤¾ बेहद ख़ूबसूरत नज़ारा पेश कर रहा था. मैं धरती पर नीचे उतर आये बादलों के बीच चल रहा था, पौधों और वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से हरे हो चà¥à¤•े पहाड़ों को निहार रहा था, कलकल बहने वाले à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ की आवाज सà¥à¤¨ रहा था, उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› हवा में साà¤à¤¸à¥‡ ले रहा था. à¤à¤¸à¥‡ में सड़कों का पथरीला होना कà¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤µ रखता है? तीन-चार घà¥à¤®à¤¾à¤µ के बाद रासà¥à¤¤à¤¾ समतल हो गया. अब तो पà¥à¤°à¤•ृति की छटा देखते ही बनती थी. बस à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये जिसमें आप दो पहाड़ों के बीच की समतल घाटी पर खड़े हों, ठंडी हवाà¤à¤‚ आपको हौले-हौले छू रहीं हों, हलà¥à¤•ी-हलà¥à¤•ी बारिश आपको à¤à¥€à¤‚गा रही हो, बादलों से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ परà¥à¤µà¤¤ आपको बà¥à¤²à¤¾ रहे हों और घाटियाठनरà¥à¤® घास की हरी-हरी चादर बिछाठहà¥à¤ हो.

अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ के खूबसूरत à¤à¤°à¤¨à¥‡
उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹-पूरà¥à¤µà¤• चलते हà¥à¤ हमलोग अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी तक पहà¥à¤à¤š गà¤. यहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों ने कà¥à¤› छोटे-मोटे इनà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¼à¤¾à¤®à¤¾à¤¤ कर रखे हैं. आपको कà¥à¤› नासà¥à¤¤à¤¾-चाय मिल सकता है, पारà¥à¤•िंग à¤à¥€ यहाठउपलबà¥à¤§ है. वन-विà¤à¤¾à¤— का à¤à¤• केबिन à¤à¥€ है. यहाठसे सीढियां शà¥à¤°à¥‚ हो जातीं हैं. पर हमलोग सीढ़ियों पर चढ़ने के बजाय तलहटी के किनारे-किनारे चलने लगे. वह रासà¥à¤¤à¤¾ हमलोगों को à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ले आया, जहाठसे अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ के तीन-चार à¤à¤°à¤¨à¥‡ à¤à¤•-साथ दिख रहे थे. ऊà¤à¤šà¥‡ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से गिरने वाले à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ ने शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का मन जीता है. हमलोग à¤à¥€ रीठगठथे. हर-à¤à¤• से दूसरा खूबसूरत लग रहा था. वहाठसे हटने का मन ही नहीं कर रहा था, परनà¥à¤¤à¥ वह रासà¥à¤¤à¤¾ हमारे गंतवà¥à¤¯ तक नहीं जा रहा था. इसीलिठउस जगह से वापस हो कर सीढ़ियों तक आना पड़ा.

तलहटी पर चढ़ाई के मारà¥à¤— की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤
इतनी बारिश में वे सीढियां गीली हो कर चिकनी हो गईं थीं. कहीं कहीं पर तो बिलकà¥à¤² टूट-फूट चà¥à¤•ीं थीं. उन पर चलने के लिठपैर सधे होने चाहिà¤, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ पैरों के मà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ का और फिसलने के डर होता है. परनà¥à¤¤à¥ मन का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥€ चरमोतà¥à¤•रà¥à¤· पर था, वैसे में à¤à¤¯ का कोई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं. सिरà¥à¤« थोड़ी सावधानी बरतते हà¥à¤ मैं आगे चलता रहा. हर थोड़ी-दूर पर छोटे-छोटे à¤à¤°à¤¨à¥‡ पहाड़ से गिर कर सीढियाठधो रहे थे. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पार करने के लिठउनà¥à¤¹à¥€à¤‚ में से जाना पड़ता था. उनकी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ और सहजता à¤à¤¸à¥€ थी कि मानों हर à¤à¤°à¤¨à¤¾ मà¥à¤à¥‡ रोक कर कहना चाहता हो कि कà¥à¤› देर तक मैं उसके पास बैठा रहूà¤. निसà¥à¤¸à¤‚देह मैं हर छोटे à¤à¤°à¤¨à¥‡ के पास बैठकर उनके कलकल धà¥à¤µà¤¨à¤¿ में उनकी आपबीती सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहता था. परनà¥à¤¤à¥ आगे पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ करना à¤à¥€ à¤à¤• मजबूरी थी. परनà¥à¤¤à¥ साथ ही à¤à¤• उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥€ था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जिस à¤à¤°à¤¨à¥‡ की छोड़ कर मैं उदास हो जाता था, उससे à¤à¥€ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, बलशाली और वृहत à¤à¤°à¤¨à¤¾ आगे के मारà¥à¤— में मिल कर उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹-वरà¥à¤§à¤¨ करता था.

बरसात से गीली हà¥à¤ˆà¤‚ सीढियाà¤
इसी तरह से छोटे-छोटे à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ से मिलते हà¥à¤ मैं चला जा रहा था, समतल घाटी नीचे छूटती जा रही थी, परà¥à¤µà¤¤ की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ बढती जा रही थी, परà¥à¤µà¤¤ के किनारों पर लगे रेलिंगà¥à¤¸ कहीं सहारा देते थे और बारिश लà¥à¤•ा-छिपी खेल रही थी. मानसून-कालीन पà¥à¤°à¤•ृति अपने उफान पर थी. तà¤à¥€ मैं दो परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ के बीच बनी à¤à¤• ऊà¤à¤šà¥€ घाटी के पास पहà¥à¤à¤š गया, जो बारिश में à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़े à¤à¤°à¤¨à¥‡ में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•ी थी. करीब ५०० सीढियां à¤à¤°à¤¨à¥‡ पर ही बनीं हà¥à¤ˆà¤‚ थीं. अब हमें इसी à¤à¤°à¤¨à¥‡ के बीचों-बीच चलना था. सीढ़ियों पर जल का बहाव बहà¥à¤¤ तीवà¥à¤° था. और à¤à¤°à¤¨à¥‡ की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯. इस à¤à¤°à¤¨à¥‡ में आप किसी à¤à¥€ तरह अपने जूतों को, पैरों को à¤à¥€à¤‚गने से नहीं बचा सकते और यदि सीढ़ियों पर बैठना चाहें तो अपने कपड़ों को à¤à¥€ नहीं बचा सकते. यहीं आ कर लगता था कि बरसाती मेरे लिठबेकार थी, सिरà¥à¤« मोबाइल बचाने के लिठथी. नीचे से उस à¤à¤°à¤¨à¥‡ की पूरी ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ का पता नहीं चलता. जैसे-जैसे आप ऊपर चलते जाते हैं, à¤à¤°à¤¨à¥‡ का उपरी à¤à¤¾à¤— दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता जाता है. जल अपनी मातà¥à¤° और अपने वेग के कारण जूतों के अनà¥à¤¦à¤° चला गया. इतना ठंडा पानी कि पैरों की उंगलियाठनरम हो गईं. हमलोग सीढ़ियों पर बहते उस विशाल à¤à¤°à¤¨à¥‡ के बीच चलते रहे. पर यह इस पदयातà¥à¤°à¤¾ का अनूठा अनà¥à¤à¤µ था. वहाठबड़ा मज़ा आया था.

दो परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤• विशाल à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाला रासà¥à¤¤à¤¾
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤• समतल शिखर आया, जो पूरी तरह से कोहरे से ढका हà¥à¤† था. कोई संकेत à¤à¥€ नहीं दिख रहा था. यहाठहमलोग कà¥à¤› देर के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤• गठऔर à¤à¤• छोटी पहाड़ी बरसाती नदी की धारा के पास पहà¥à¤à¤š गà¤. वहां बहà¥à¤¤ ही तीवà¥à¤° गति से हवा चल रही थी. वहाठखड़े होकर हमलोग सोचने लगे कि अब नदी के उस तेज बहाव को किस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पार किया जाय, तà¤à¥€ खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया कि हमारे अलावा और कोई à¤à¥€ अब तक उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं आया? इस पà¥à¤°à¤•ार सोच कर कà¥à¤› देर और यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का इंतज़ार करने लगे. जब कोई à¤à¥€ नहीं आया, तो हमलोग वापस लौट कर उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तक आये जहाठसे हम पहले मà¥à¤¡à¤¼à¥‡ थे. à¤à¤• परिवार उस वक़à¥à¤¤ वहां बैठकर अपनी थकान मिटाते हà¥à¤ घर से लाया हà¥à¤† à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर रहा था. उनसे सही मारà¥à¤— पूछ कर हमलोग आगे बढे.

कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¥‡ से à¤à¤°à¤¾ शिखर जहाठहम à¤à¤Ÿà¤• गà¤
अंजनी माता का मंदिर वहाठसे लगà¤à¤— डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर होगा. कोहरे से पटे शिखर पर रासà¥à¤¤à¤¾ लगà¤à¤— समतल हो चला था. बारिश से जगह-जगह कीचड़ लगे थे, जिन पर जूते फिसलते थे. पर जब दूर से अंजनी माता का मंदिर दिखाई दिया, तो रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤•ने का à¤à¤¯ जाता रहा और मन में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ छा गई. सधे क़दमों से चलते हà¥à¤, तीवà¥à¤° ठंडी हवाओं के मधà¥à¤¯ हमलोग अंजनी माता मंदिर पहà¥à¤à¤šà¥‡ और दरà¥à¤¶à¤¨ किया. इस मंदिर में माता अंजनी की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है, जिसकी हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी पूजा कर रहे हैं. पर यह मंदिर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ का जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं है. मंदिर के सामने à¤à¤• मानव-निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ पोखरा था. à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ परिवार, मंदिर के नजदीक à¤à¤• à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ में, यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को चाय-जलपान इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ उपलबà¥à¤§ करा रहा था. उसके à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥‡ से निकल कर गरà¥à¤®-गरà¥à¤® मैगी की सà¥à¤—ंध उस नम वातावरण में फैल रही थी. पर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠअà¤à¥€ तो हमें à¤à¤• और परà¥à¤µà¤¤ चढ़ना शेष था.

अंजनी माता का मंदिर
दूसरी परà¥à¤µà¤¤ चोटी अंजनी माता मंदिर से लगà¤à¤— डेढ़ किलोमीटर पर थी. किमà¥à¤µà¤¦à¤‚ती है कि माता अंजनी ने वहाठतपसà¥à¤¯à¤¾ की थी, जिससे à¤à¤—वानॠशिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गठथे. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का जनà¥à¤® हà¥à¤† था. सीढ़ियों वाला रासà¥à¤¤à¤¾ अंजनी माता मंदिर के पीछे से शà¥à¤°à¥‚ होता है. जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग अंजनी माता मंदिर को ही वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ समठकर लौट जाते हैं. पर हमलोगों को मालूम था कि अà¤à¥€ और जाना है. बादलों के धरातल पर आ जाने से à¤à¤• गहरा कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¤¾ छाया हà¥à¤† था. उस पर हमारे जूतों में पानी चले जाने से पैर à¤à¤•दम ठंढे और उंगलियाठकोमल हो चà¥à¤•ीं थीं. सीढ़ी घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° थी और तà¥à¤°à¤‚त ही बड़ी ऊंचाई लेने वाली थी. वहां धीरे-धीरे चल कर पहाड़ के ऊपर चढ़ना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हितकारी था. शिखर के पास सीढियां समापà¥à¤¤ हो जातीं हैं और à¤à¤• सपाट पहाड़ी शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है. सपाट रासà¥à¤¤à¤¾ चिकने कीचड से पटा था, जिसमें पैर फिसलते थे. बीच-बीच में घनघोर बारिश à¤à¥€ होने लगती थी. कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¥‡ के कारण शिखर दीखता नहीं था. à¤à¤¸à¥‡ में आगे के रासà¥à¤¤à¥‡ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ या आà¤à¤¾à¤¸ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाता है. रासà¥à¤¤à¤¾ समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकहीं-कहीं धरातल पर नारंगी-पीले रंग से तीर का निशान बनाया गया था, जिसे ढूà¤à¤¢-ढूà¤à¤¢ कर हमलोग निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त à¤à¤¾à¤µ से आगे बढ़ते रहे.

कà¥à¤¹à¤°à¥‡ से à¤à¤°à¥€ सीढियां
सपाट शिखर पर करीब ढेढ़ किलोमीटर चल कर अंजनी माता का तपसà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤² आ गया, जो कà¥à¤¹à¤°à¥‡ से बिलकà¥à¤² ढका हà¥à¤† था. मंदिर के अहाते में मानसून के दिनों में à¤à¤• टिन-शेड लगा दिया गया था. हमलोग à¤à¥€ ठीक वहीठजा कर रà¥à¤•े और मंदिर में अनà¥à¤¦à¤° जाने हेतॠजूते उतारने के लिठचबूतरे पर बैठगà¤. बिलकà¥à¤² गीले हो चà¥à¤•े जूतों से पैर निकालने पर पता चला कि जल से à¤à¥€à¤‚ग कर कोमल हो चà¥à¤•े पैरों की à¤à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤ छिल चà¥à¤•ीं हैं. खैर, दो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नवयà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मंदिर के दरवाजे पर खड़ी हो कर फूल-पतà¥à¤¤à¥‡-नारियल और अगरबतà¥à¤¤à¥€ बेच रहीं थीं. उनसे पूजन-सामगà¥à¤°à¥€ खरीद कर मैं मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° गया और दरà¥à¤¶à¤¨-पूजन किया. वहाठदो पिंडियाठहैं-à¤à¤• अंजनी माता और à¤à¤• बाल हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ की. उनके ऊपर कई घंटे बंधे हैं. बरामदे पर बोरà¥à¤¡ पर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चालीसा मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ है. वहाठबैठने में काफी शांति का अनà¥à¤à¤µ होता है. उस वक़à¥à¤¤ दोपहर के साढ़े तीन बज चà¥à¤•े थे और अà¤à¥€ नीचे लौटना बाकी था. अंजनी गाà¤à¤µ से वहाठतक की दूरी करीब ८.५ किलोमीटर थी.

बादलों से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ अंजनी माता का तपसà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤²

तपसà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤² का विगà¥à¤°à¤¹
मन मसोस कर मैंने फिर से जूते पहने और नीचे उतरने की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दी. शिखर का वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कई पà¥à¤°à¤•ार की जà¥à¤žà¤¾à¤¤-अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ जड़ी-बूटियों वाला पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ मालूम पड़ता था. थोड़ी दूर पर à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आया जहाठà¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° के ऊपर दूसरा पतà¥à¤¥à¤° रख कर कई छोटे-छोटे टीले बने हà¥à¤ थे. पता नहीं इनका कà¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤¤à¥à¤µ है? कौन इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बनाता है? उसके थोड़ी ही दूर पर à¤à¤• गहरी खाई नज़र आई. जिसमें बादल की बूंदे नीचे से ऊपर की और बह कर à¤à¤• उलटे à¤à¤°à¤¨à¥‡ का अहसास दिला रहीं थीं. वहाठपर हवा इतनी तेज थी कि à¤à¤• असावधान मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उड़ा ले जाà¤. पैरों को दबा कर मैं सीढ़ियों से उतर रहा था कि मधà¥à¤¯ में à¤à¤• शिला पर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ की और इशारा करने वाला संकेत दिखाई दिया. उस संकेत की दिशा में हमलोग चल पड़े. वह रासà¥à¤¤à¤¾ संकरा था, जिसके à¤à¤• तरफ खाई और दूसरी तरफ पहाड़ की ढाल थी. कà¥à¤› दूर उस संकरे रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलने से à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾-दà¥à¤µà¤¾à¤° मिला, जिसके à¤à¤• किनारे पर à¤à¤• बरसाती à¤à¤°à¤¨à¤¾ बड़े वेग से पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो रहा था.

हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ गà¥à¤«à¤¾-दà¥à¤µà¤¾à¤° का à¤à¤°à¤¨à¤¾

जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ वाली गà¥à¤«à¤¾ में सà¥à¤Ÿà¥€à¤² की गदा
à¤à¤°à¤¨à¥‡ से उड़ती हà¥à¤ˆ जल-बिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने वहाठकà¥à¤¹à¤°à¥‡ की à¤à¤• विशेष चादर बना दिया था, जिससे सबकà¥à¤› धà¥à¤‚धला दिख रहा था. उस गà¥à¤«à¤¾ में à¤à¤• साधू लेता हà¥à¤† था. वहीठपर à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥€à¤² की बनी हà¥à¤ˆ लमà¥à¤¬à¥€ गदा रखी थी. गà¥à¤«à¤¾ करीब १५ फीट गहरी होगी और उसके अनà¥à¤¦à¤° अंजनी माता को इंगित करती हà¥à¤ˆ पिंडी थी. वहाठà¤à¤• दान-पातà¥à¤° और सà¥à¤Ÿà¥€à¤² के खाने-बनाने के बरà¥à¤¤à¤¨ à¤à¥€ थे. उस साधू ने बताया की वह वहीठनिवास करता है. उसी ने बताया कि वही हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. उसी गà¥à¤«à¤¾ के किनारे की दीवाल से à¤à¤• और गà¥à¤«à¤¾ अनà¥à¤¦à¤° कटती है, जिसका मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ तो छोटा है परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° जा कर वह गà¥à¤«à¤¾ कà¥à¤› फैल जाती है. पर वहाठसà¤à¥€ लोग नहीं जाते.

हिंगलाज देवी की गà¥à¤«à¤¾
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ देख कर मैं पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया. वहाठà¤à¥€ कà¥à¤› समय बिताने के बाद नीचे की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤¨à¤ƒ आरमà¥à¤ किया गया. सीढियां जहाठपर ख़तम तो रहीं थीं, वहीठसे à¤à¤• संकरा पहाड़ी मारà¥à¤— कट रहा था. इस बार हमलोग उस पहाड़ी मारà¥à¤— पर चलने लगे. वह मारà¥à¤— हमें à¤à¤• दूसरी गà¥à¤«à¤¾ के समà¥à¤®à¥à¤– ले आया, जिसके दरवाजे पर ही मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तराशीं हà¥à¤ˆà¤‚ थीं. यह हिंगलाज देवी की गà¥à¤«à¤¾ थी. किमà¥à¤µà¤¦à¤‚ती है कि वहाठसीताजी और अंजनी माता à¤à¥€ आयीं थीं. हिंगलाज देवी आदिशकà¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¥à¤—ा/पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की सà¥à¤µà¤°à¥‚प मानी जातीं हैं. इस गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° घà¥à¤ªà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था. गà¥à¤«à¤¾ में दो ककà¥à¤· थे. बाहरी ककà¥à¤· में धनà¥à¤°à¥à¤§à¤¾à¤°à¥€ राम और लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ के साथ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ तराशी हà¥à¤ˆ थी. अंदरूनी ककà¥à¤· में इतना अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ था और मकड़ी के जाले लगे थे कि उसमें हमलोगों ने जाना उचित नहीं समà¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बारिश में सरà¥à¤ª और बिचà¥à¤›à¥‚ à¤à¥€ हो सकते थे.

दतà¥à¤¤ मंदिर परिसर
उस गà¥à¤«à¤¾ से थोड़ी दूर पर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दौर का बना हà¥à¤† दतà¥à¤¤ मंदिर का परिसर था. वह धरती से थोड़ी नीचे जमीन पर बना था. उस दिन उसके चारों ओर की जमीन की मिटटी गीली हो कर इतनी पतली हो गई थी कि उसमें पैर धंस रहे थे. इसीलिठसिरà¥à¤« à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° खींच कर मैं वहाठसे लौट आया. वैसे à¤à¥€ अà¤à¥€ तक हमलोग अंजनी माता मंदिर तक नहीं पहà¥à¤à¤šà¥‡ थे. ४.३० बज चà¥à¤•े थे. अतः अब हम लोग जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ चलना चाहते थे. परनà¥à¤¤à¥ हमलोग à¤à¤¸à¤¾ नहीं कर सके कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहाठकी मिटà¥à¤Ÿà¥€ पर पैर थम ही नहीं रहे थे. बिलकà¥à¤² गीले हो चà¥à¤•े उस जमीन पर धीरे-धीरे ही चला जा सकता था. रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• à¤à¥€à¤² मिली, जिसका नाम अंजनेरी à¤à¥€à¤² था. निरंतर बारिश से à¤à¥€à¤² लबालब à¤à¤° चà¥à¤•ी थी. कहा जाता है कि बाल हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जब सूरà¥à¤¯ को निगलने के लिठउछले थे तब, उनके पैर से दब कर इस à¤à¥€à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† था. उस समय कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¥‡ में ढकी à¤à¥€à¤² का नजदीकी हिसà¥à¤¸à¤¾ ही नज़र आ रहा था.

अंजनेरी à¤à¥€à¤²
०४.४५ बजे, जब हमलोग अंजनी माता मंदिर के निकट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥‡ पर पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो à¤à¥‚ख से बà¥à¤°à¤¾ हाल हो चà¥à¤•ा था. गरà¥à¤®-गरà¥à¤® मैगी की सà¥à¤—ंध से हम वाकिफ़ थे. अतः à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥‡ पर रà¥à¤• कर पहले मैगी का सेवन किया और फिर पहाड़ से नीचे उतरने लगे. à¤à¤• बार फिर सीढ़ी वाले विशाल à¤à¤°à¤¨à¥‡ को पार किया और लगà¤à¤— ०५.३० बजे तलहटी तक पहà¥à¤à¤š गà¤. वहाठसे २ किलोमीटर पर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर के पास हमारी गाड़ी हमें वापस ले जाने के लिठखड़ी थी. हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर पर आ कर अपने मोबाइल à¤à¤ª में देखा तो करीब १६ किलोमीटर की पदयातà¥à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ी थी. पर अब थकान नहीं, आनंदà¥à¤µà¤°à¥à¤§à¤• उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ की अनà¥à¤à¥‚ति हो रही थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तब अंजनेरी परà¥à¤µà¤¤ à¤à¥€ फ़तह हो चà¥à¤•ा था.
 
     
                
उदय जी, यह लेख तो श्रृंगार रस से सरोबोर था, खास कर इसका आगाज़ । उस विशाल सीढ़ी वाले झरने में क्या अनुभूति होती होगी, इसका व्याख्यान आपने बखूबी किया है । उम्दा ।
ऊपर पहुंचे तो लगता था की यही गंतव्य है पर एक के बाद एक मंदिर आते रहे, लगता है की पूरा एक काम्प्लेक्स है अंजनी पर्वत पर । स्टील की गदा बदलते समय को दर्शाती है पर आश्चर्य ये है की अभी भी ऐसी ग़ुफाओं में, साधू निवास करते हैं । वास्तव में हम इनक्रेडिबल इंडिया में हैं ।
आपके साथ साथ थोड़ा बहुत हमने भी फतह कर लिया । जय हिन्द ।
खेद है कि कुछ जरूरी व्यस्तताओं की वज़ह से मैं पहले जवाब नहीं दे पाया. आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद. सच में अंजनी पर्वत धार्मिक मान्यताओं से परिपूर्ण है. जैन धर्म के लिए भी यह पर्वत महत्त्व रखता है. इसकी तलहटी पर जैन मंदिर भी है और सुना है कि पर्वत पर कुछ जैन गुफाएं भी हैं, जिन्हें मैं उस दिन नहीं देख पाया.
एक बार पुनः धन्यवाद.
उदय जी, आपकी यात्रा पढ़ कर बहुत मज़ा आया. “अंजनेरी पर्वत के खूबसूरत झरने” वाले फोटो को देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे हॉलीवुड के किसी Sci-Fi मूवी का सीन है. ऐसी जगहों पर तो जब चारो तरफ बारिश और कुहरा हो वहाँ घूमने का एक अलग ही मजा आता है.
संगम जी, मुझे जान कर ख़ुशी हुई कि आपको मेरा यह लेख पसंद आया. खेद है कि कुछ जरूरी व्यस्तताओं की वज़ह से मैं पहले जवाब नहीं दे पाया था. यह सच है कि मानसून के चंद महीनों में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के पर्वतों और वनों में घूमना अत्यंत मनोहारी अनुभव होता है. हालाँकि बारिश भी जम कर पड़ती है.
तथापि आपको धन्यवाद.
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Thankyou in advance!