घुम्मकड़ के सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार है I आज मैं आपको शिरडी धाम की यात्रा के बारे में बताना चाहूंगा I
शिरडी दर्शन का प्लान मेरे को लंबे समय से था पर जैसे कहावत है कहावत कहूँ या फिर सचाई की जब तक बुलावा न आये तब तक कितने भी प्रयास कर लो आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते यह सीख तो मैंने मुकेश एंब कविता जी , विशाल जी नरेश और हेमंत जी के पोस्ट से ली है I
हुआ यूं की सन 2014 की मार्च में spicejet एयरलाइन्स ने मेगा सेल लगाई और में और मेरे चचेरे भाई अमित जी ने जाने की प्लानिंग करने लगे कभी कोलकाता तो कभी अमृतसर फिर छुट्टियों के ध्यान में फाइनली ४ दिन तय हुआ और फिर सोचा की इस बार पश्चिम की और चलें फिर द्वारका सोमनाथ सोचने के बाद सुई शिरडी धाम पे आकर रुकी और नवम्बर १४ २०१४ की टिकट्स बुक की गयी|
औरंगाबाद की जहाँ पर श्री घुश्मेष्वर ज्योतिर्लिंग और अजंता गुफा समूह देख के शिरडी दर्शन और नाशिक में त्रिम्बकेस्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन , समय चलता गया और मेरी उत्साह बढ़ता ही गया कि सितंबर महीने में मुझे नयी जगह जोइनिंग मिली और इस नए ऑफिस में मुझे पहली असाइनमेंट के लिए लंदन जाना पड़ा पूरे १ महीने के लिए नए ट्रांजीशन लेने के लिए वह भी नवम्बर ०१ से ३० तक I मुझे बहुत बुरा लगा कि चाहे जितनी भी सॉलिड प्लानिंग करलो आपका बुलावा जब तक नहीं आएगा तब तक आप जो चाहे करो प्लान बन नहीं पायेगा, अस्तु मेरे भाई अमित जी , मेरी चाची जी , मेरे माता पिता इन लोगों ने पूरे प्लान के मुताबिक दर्शन किये, मेरी वाइफ भी मायके में थी तो उन्होंने भी यह यात्रा मिस कर दी I
चलो जो होना था वह हो गया और फिर २ साल तक इस यात्रा का ख्याल मन में ही रह गया, कभी प्लान बनता तोह पूरा नहीं हो पाता, इसी बीच मेरी वाइफ साई पालकी की पूजा के दौरान एक आशिर्बाद पाया पालकी वाले पंडित जी से की बच्चा मन में ध्यान करो बाबा इस बार बुलाएँगे, मेरी स्त्री ने मुझशे जब यह बात बताई तो मैंने कहा इस बार मन में धारण कर यात्रा का प्लान बनाते है और बाबा के चरणों में समर्पित करते हैं, इसके बाद मैं इस योजना पे कार्यान्वित हो गया , 18th दिसम्बर को टिकेट बुक करा ली Goa एक्सप्रेस की 18 मार्च के liye , पीक सीजन होने से ऐसी की टिकट्स नहीं मिल पायी और जो मिली भी वह RAC 64 थी , उधर से वापसी की टिकट्स कर्नाटक एक्सप्रेस के वेटिंग लिस्ट ८/९ मिली , बाबा की इच्छा जान मन में कोई कसक नहीं रखी, वाइफ ने पुछा वेटिंग कैसे होगा, मैंने कहा जब बाबा ले जायेंगे उनकी ही इच्छा से चलो, कोई चिंता नहीं साई राम खुद करेंगे,
पाठकगण शिरडी की ऑनलाइन व्यबस्था सर्वोत्तम है आपको यह जानकारी देना चाहूंगा की साई बाबा संश्थान में रूम लेने की व्यबस्था ऑनलाइन उपलब्ध है और बहुत अच्छी है , आपको २ महीने पहले कमसे कम बुक करने के लिए आबेदन करना होगा और चार्ज बहुत ही मामूली है एबंग सुविधाएं सर्वोत्तम है, सबसे पहले आपको रजिस्टर्ड वेबसाइट https://online.sai.org.in/homePage.do?parameter=displayMessage
में जाके रजिस्टर करना होगा , आप सुबह ११ बजे के बाद कोशिश करियेगा क्योंकि औसतन यह वेबसाइट ११ बजे से पहले डाउन रहती है I वहां पर आप अपना अकाउंट बना के लॉगिन करने के बाद अककॉमोडेशन के ऑप्शन में जाके डेट डाले और नीचे आपको बहुत सारे रूम के विकल्प मिलेंगे I हमें बाबा की कृपा से ऐसी कमरे मिल गए और वह भी ५००/- प्रति दिन के हिसाब से , मैंने फिर आरती दर्शन की एक पर्ची और कटवा ली I मन खुश हो गया की यात्रा जैसे तैसे तय कर लेंगे क्योंकि बाबा ने ठहरने की व्यबस्था कर दी है, प्रस्सनचित होकर वाइफ को बताया तोह वह भी खुश हो गयी , बस हम फिंगरक्रोस करके दिन गिनने लगे , नया साल आया , हमारा मन बाबा के दर्शनों के लिए लालायित हो रहा था, और देखते ही देखते वह घड़ी आ गयी, बिटिया की परीक्षा हो गयी और होली का त्यौहार जाने के बाद बस पैकिंग की तैयारी करने लगे ।

online Page
तय समय पर हम यात्रा के लिए निकल पड़े , होली के बाद दिल्ली में गर्मी पड़नी शुरू हो गयी थी , और हम समय से आधा घंटे पहले हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पे पहुच गए , जैसे मैंने कहा था बाबा को समर्पण कर दो वह ही आपको ले जायेंगे , हम तीनो की टिकेट RAC से कन्फर्म हो गयी थी,हम तीनो की टिकेट RAC से कन्फर्म हो गयी थी,जान के राहत मिली ।
ट्रैन सही समय से चल दी और गति पकड़ के अपने गंतव्य पर चलने लगी । पहले मथुरा आया श्री कृष्णा की कर्मभूमि मथुरा को नतमस्तक करके हम भी आगे बढ़ चले, कुछ देर बाद आगरा कैंट आ गया और बोगी में पेठा वालों की भीड़ सी लग गयी , जो लोग पहली बार इस रूट से जा रहे थे ,उन्होंने जी भरके पेठे ख़रीदे, रस भरे पेठे, अंगूरी पेठे पान पेठा और सूखे मेवे वाले पेठे , पर मेरे राय से यह सब लोकल क़्वालिटी के थे सो हमने नहीं ख़रीदे, हम जब भी आगरा जाते है तोह भीमसेन बैजनाथ , पंछी या श्री राम पेठा से ही लेते है, क्योंकि रियली में मानिये क़्वालिटी में जमीं आसमा का फर्क होता है ।
आगरा में हमने कुछ कचौड़िया खाई और आजकल IRCTC के पैंट्री की सर्विस में काफी इज़ाफ़ा हुआ है उन्होंने जब से comesome नाम के जॉइंट से हाथ मिलाया है यात्रियों के मेनू में बढ़ोतरी हुई है , अस्तु हमने एक एक मसाला चाय खरीदी और आगे बढ़ने लगे , रास्ते में चम्बल की घाटियों को चीरते हुए ऐसा लग रहा था मानो हम कहानियों की दुनिया में आ गए और सुंदर टीलों को देखते हुए ग्वालियर की और बड़े, ग्वालियर में मुझे आशा थी की साँची की दूकान से श्रीखंड मिलेगा , पर जिस प्लेटफार्म नंबर १ पर गाड़ी रुकी मुझे निराशा हाथ लगी क्योंकि वहां पर दूकान ही नहीं थी, हमने गाडी में बैठ अपना रात्रि का भोजन किया और बर्थ में सो गए, अगले दिन सुबह जब आँख खुली तो सामने भुसावल जंक्शन था गाड़ी का ठहराव २० मिनट का था, और मैंने खिड़की से झाँका तो देखा लोग सुबह का नाश्ता वहां का प्रसिद्द बड़ा पाव खरीद रहे थे, बस मैंने भी जुगत लगाई और पहुँच के २ प्लेट बड़ा पाव ले आया, यक़ीनन आप पाठको को राय दूंगा की एक बार आप इसे try करें , यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है और नार्थ इंडिया ख़ास तौर पर दिल्ली/मथुरा के आलू बोंडा टाइप से पूरा हट के होता है ।
हम धीरे धीरे कोपरगाँव की और बढ़ने लगे और बहार मनोविहंगम दृश्यों को देख के ख़ास तौर पे सह्याद्रि की छोटी मालाएं जो इगतपुरी की और जाती है देख के मन भिवोर हो उठा ।

Breakfast at Bhusaval Junction
कुछ घंटे बाद बाबा का नाम जप करके हम कोपरगांव स्टेशन पहुँच गए , ट्रैन पूरी तरह से समय पर थी I
ख़ुशी से हम उतरे और ऑटो में बैठ गए , आपको बता दूँ की कोपरगाँव से शिरडी की दूरी मात्र १३ किमी है और हर ऑटो वाला आपसे ३०० रुपए मांगेगा पर रेट २००-२५० रूपए है । हमने भी ऑटो ठीक किया २५०/- में और शिरडी की और बढ़ चले, रास्ते में गांव की हरियाली देख कर मुझे और वाइफ को पूर्वी राज्यों के हरियाली के समान थी, नारियल खजूर के वृक्ष , केले अनार ऐसा लग रहा था की कोलकाता आ गए है, इसी बीच कब शहर आ गया पता ही नहीं चला, चूंकि आप पाठक गण बहुत ज्ञानी है मैं तोह तुच्छ हूं आपको ज्ञान बांटने में फिर भी थोड़ी जानकारी दे रहा हूं शिरडी के बारे में

Kopargaon Ka Railway station
शिर्डी गाँव राहता तहसील अहमदनगर जिले में है यह कोपर्गावं से १५ किमी दूर है
शिर्डी गावं अच्छी तरह सडको रेलमार्गों से जुदा हुआ है कोपर्गावं १५ किमी की दुरी पर है शिर्डी गावं से जिस पर दिल्ली से बंगलौर कर्नाटका,गोवा ,झेलम, साईंनगर एक्सप्रेस आती है, पास वाले रेलवे स्टेशन
कोपरगाँव १५ किमि
मन्मद ५८किमि
मुख्य शहरों से दुरी
मुंबई : २६६ किमी
दिल्ली :११६६ किमी
सूरत : ३७३ किमी
नागपुर : ६१८किमि
नासिख : ९० किमी
हैदराबाद :६१० किमी
पुणे : २०७ किमी
हवाई यात्रा :
नाशिक ७५ किमी की दुरी पर है शिर्डी से औरंगाबाद १५० किमी और मुबई २९६ किमी पर है
शिरडी अब पूरा कमर्शियल शहर बन चुका है , कही से भी आपको गांव की झलक नहीं मिलेगी, डोमिनोस कॉफ़ी डे पिज़्ज़ा हट आदि रेस्टुराँ से भरा है , थोड़ी देर में हम अपने गंतव्य साई संसथान के साई आश्रम भक्त निवास पर पंहुचा दिए गए, अहा कितना बड़ा गेस्ट हाउस काम्प्लेक्स वह भी सूंदर प्रकृतिक रूप से सजा हुआ है, वहां पर दो ब्लॉक होते है A – G ब्लॉक और दूसरी और H -N A – G ब्लॉक AC है और H -न नॉन-AC .

Bhakta niwas

Entrance
हम रिसेप्शन पर पहुँच के ठहरने की पर्ची दिखा के रूम नंबर अलॉट करवाया , रूम भूतल पर ही था सुंदर साधारण वातानुकूलित कमरा मात्र ५००/- ऐसा किसी साधारण होटल में भी नहीं मिलेगा, सामान रखने के बाद हम तीनो ने स्नान आदि किया और भोजन करने साई प्रसाद कैंटीन में पहुचे आपको बताना चाहूंगा, की संसथान के तीन आश्रम संचालित है जहाँ पर भोजन की फ्री व्यबस्था है और एक अलग से साई प्रसादालय है जो मंदिर से २ किमी दूर है और वहां फ्री और शुल्क टोकन की व्यबस्था है ।
अस्तु हमने साई कैंटीन से भोजन करने का निस्चय किया और यह कैंटीन मुख्या रिसेप्शन के बायें और प्रथम तल पर है, वहाँ आप पहले फ्री टोकन लीजिये और लाइन में २-३ मिनट खड़े होके थाली लीजिये यहाँ पर Self Service है , खाने में उसदिन दाल ,चावल, पूरी ,चने की सब्ज़ी और पेठे की मीठी सब्ज़ी मिली, भूख लग रही थी और खाने में आनंद आ गया , खा के हम बाहर आये और कमरे में जाके आराम किया । शाम ५ बजे हम चाय के लिए बाहर निकले आपको बता देना चाहता हूं की संसथान की तरफ से एक चाय कैंटीन हर ब्लॉक में रहता है ।
मराठी में लिखा चाहा कैंटीन वहां पैर भक्तों की लाइन थी देश के कोने कोने से भक्त आये हुए थे , कैंटीन का मूल्य था
१. चाय २/-, कॉफी ३/- दूध -३/- और बिसकिट्स MRP , पानी की बोतल ५/- & १०/- मेरा अनुरोध यह रहेगा की आप जब भी शिरडी जाए और संस्थान में रुके तो आप जरूर यहाँ पर चाय और जलपान करें।

AC Room @500

Ashram Ka Prasad Free Food
जलपान होने के बाद हमने मंदिर संसथान के सामने ऑटो करने का फैसला किया पर सामने तांगेवाले को देख के मन ललचा गया और बुक करके मंदिर की और चल पड़े, मंदिर संसथान से १ किमी दूर है और १००० मीटर आपको पैदल चलना होगा रस्ते में दुकान वाले आपको चादर और प्रसादी के लिए बोलेंगे पर आप सिर्फ चादर और गुलाब का फूल लीजियेगा क्योंकि बाबा को प्रसाद बाहर का नहीं चढ़ता सिर्फ फूल और चादर चढ़ती है, हमारा समय दर्शन का ८ बजे का था पर जैसे ही हम ६:३० पे पहुचे आरती शुरू हो गयी ।
आपको बता दूँ की ऑनलाइन पर्ची वालों के लिए गेट नंबर ३ या शनि गेट से एंट्री होती है जलपान होने के बाद हमने मंदिर संसथान के सामने ऑटो करने का फैसला किया पर सामने तांगेवाले को देख के मन ललचा गया और बुक करके मंदिर की और चल पड़े, मंदिर संसथान से १ किमी दूर है और १००० मीटर आपको पैदल चलना होगा रस्ते में दुकान वाले आपको चादर और प्रसादी के लिए बोलेंगे पर आप सिर्फ चादर और गुलाब का फूल लीजियेगा क्योंकि बाबा को प्रसाद बाहर का नहीं चढ़ता सिर्फ फूल और चादर चढ़ती है,

Sai Nath-Courtesy Google

Baba Ke Dwar Pe
हमारा समय दर्शन का ८ बजे का था पर जैसे ही हम ६:३० पे पहुचे आरती शुरू हो गयी । आपको बता दूँ की ऑनलाइन पर्ची वालों के लिए गेट नंबर ३ या शनि गेट से एंट्री होती है , यहाँ भी बाबा की कृपा देखने को मिली और ८ बजे की प्रवेश पत्र पैर प्रमुख सिक्योरिटी इंचार्ज ने हमें देखते ही न जान इ क्यों बोला इधर से जाईये आरती शुरू हो गयी है, हम ख़ुशी से बाबा की कृपा मानकर अंदर प्रवेश कर गए एंट्री के बाद हम लाइन में मात्र २० मिनट लगे और आरती LED टीवी के स्क्रीन में देख के दर्शन के लिए बढ़ गए अहा क्या सूंदर समाः बंध गया था|
बाबा के दर्शन पाते ही नैनो में आनंदाश्रु आ गए होते भी क्यों नहीं तीन सालों से कोशिश कर रहे थे, सामने स्वर्ण मंडित द्वारों के मध्य सुन्दर स्वर्ण सिह्न्गसन में अनंतकोटी ब्रह्मण्ड नायक सचिद्दानंद साईनाथ महाराज की विराजमान मूरत को देख अंतरात्मा तृप्त हो गयी बस नतमस्तक हो के बाबा के स्थान को प्रणाम किया और बस दर्शन कर मंदिर काम्प्लेक्स में आ गए वहां बाबा के प्रसादी बूंदी मिलती है , वह जरूर लीजियेगा , फिर सामने गुरुस्थान में माथा टेक आप उदी भस्म काउंटर से उदी भस्म लेना न भूलें ।
हमने उसके बाद बाबा की चावड़ी , द्वारकामाई मस्जिद में जहाँ अखंड धूनी जलती है उसके दर्शन किये और फिर प्रसाद काउंटर से प्रसाद ख़रीदा और चल पड़े बड़े प्रसादालय के लिए वहां से प्रसादालय बस ०.५ किमी है और हमने मंदिर के सामने के चाहा कैंटीन से एक एक कप चाय और पी और एनर्जी पाकर निकल पड़े ।

gurusthan

Chavadi Shirdi
लगभग २० मिनट की पैदल यात्रा के बाद हम प्रसादालय के सामने पहुंचे , श्री साई प्रसादालय के मुख्या द्वार पर साई बाबा की विशाल मूर्ति गरम चूल्हे पे हांड़ी में हाथ डालके पकाने की तस्वीर देख के मन श्रद्धा से भर गया, और हम काउंटर से पर्ची काटने के लिए गए, यहाँ पर ४ तरह के कूपन मिलते है
१. निशुल्क
२. १०/-
३. २०/-
४. ५०/- ।
हमने ५०/- के कूपन काटे और पहली मंज़िल पे गए, वहाँ पर भी व्यबस्था बहुत ही सुंदर थी , यहाँ बैठने की व्यबस्था थी और प्रसाद देने के लिए प्रॉफेश्नल सर्वर थे, प्रसाद भोजन में चपाती, सलाद, दही, चावल, दाल, २ सब्ज़ी और हलुआ था । अस्तु प्रसाद भोजन का मजा ही खूब होता है. हमने झिक के प्रसाद पाया और ऑटो से वापिस आश्रम में लौट आये. मन में सिर्फ एक धुनि थी “ॐ साई नमो नमः, श्री साई नमो नमः, जय जय साई नमो नमः, सद्गुरु साई नमो नमः ” मन में यह धुन लिए आखों में साईनाथ की कृपा लिए हमने सोने के लिए प्रस्थान किया, ताकि अगले दिन सुबह शिंगणा पुर जा सके

Baba Ka Prasadalay

Baba ka Prasad

Prasadalay Ki vyabastha
मेरी अगली पोस्ट शिरडी से शिंगणा पुर की है ।
अत्यंत मनभावन पोस्ट है श्रीमान अनिमेष जी।
शिरडी के सांई बाबा के दर्शन आपके साथ हमें भी अच्छे से हो गए। बाबा का प्रसाद चख तो नहीं पाए किन्तु स्वाद की अनुभूति अवश्य हो गयी है। आपके अग्रिम यात्रा संस्मरण का इंतज़ार है, शीघ्र प्रस्तुत करियेगा।
जय सांई नाथ।
अरुण
Bahut bahut dhanyabad arun ji….aapki feedback se protsahan milta hai next post agle hafte release hogi shingnapur ki
What a detailed description of the place. I almost felt like walking with you. Thank you Animesh for the tour. Jai Sai Nath.
बहुत ही अच्छी जानकारी दी अनिमेष जी। मैंने एक सज्जन से सुना है कि जो आनलाइन दर्शन (जो। शायद ₹200 का है) पहले से साईबाबा संस्थान की वेबसाइट से बुक कर लेते हैं उन्हें दूर से ही साईबाबा की समाधि के दर्शन होते हैं मतलब समाधि पर मत्था टेकने का सुख प्राप्त नहीं होता क्या ये सही है?