शीरà¥à¤·à¤• पढ़कर आपको थोडा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो जरà¥à¤° हà¥à¤† होगा कि अरे ये कà¥à¤¯à¤¾ अà¤à¥€ तो यातà¥à¤°à¤¾ का मजा आने लगा था और अà¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ वापसी. जब आपको पढ़कर à¤à¤¸à¤¾ लगा तो सोचिये à¤à¤²à¤¾ मà¥à¤à¥‡ कैसा लगा होगा जब ये यातà¥à¤°à¤¾ बीच में ही अधूरी छोड़नी पड़ी. जैसा की आपने पिछले लेख में पढ़ा कि हम लोग मनमोहक à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके कई जगह तीखी ढलानों से उतरते हà¥à¤ मलारी वाले सड़क मारà¥à¤— तक पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे. हमारा आगे का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® केदारनाथ की ओर रà¥à¤– करने का था जिसके लिठहमें दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ था. वैसे इस सड़क पर दूर दूर तक किसी वाहन की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं दिख रही थी, सोचा चलो तपोवन से तो कà¥à¤› ना कà¥à¤› जà¥à¤—ाड़ मिल ही जाà¤à¤—ा. हम सà¤à¥€ गाइड साब को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ की नाकाम कोशिश करते हà¥à¤ आगे बढे चले जा रहे थे कि à¤à¤• जीप आती दिखाई दी. हाथ दिया तो चालक साब ने रोक दी. हमने जोशीमठजाने के बारे में पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें बिठा लिया और गाइड साब à¤à¥€ थोड़ी देर पीछा करने के बाद सलधार से वापस लौट गà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ में हमने पूछा कि à¤à¤¾à¤ˆ कहाठतक जाओगे, तो चालक साब बोले जहाठतक चलोगे वहीठले चलेंगे. à¤à¤¸à¥‡ निरà¥à¤œà¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से सीधा रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के लिठजीप पाकर हम लोग बड़े खà¥à¤¶ हà¥à¤.
सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जिस तूफानी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से हमने तीखी ढलानों पर उतराई की थी उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ अब दिखने लगा था. दोनों साथियों के पैर दरà¥à¤¦ के मारे जवाब दे रहे थे और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ का तो आगे बढ़ते बढ़ते दरà¥à¤¦ à¤à¥€ बढ़ने लगा था. à¤à¤¸à¥‡ में मà¥à¤à¥‡ आगे की यातà¥à¤°à¤¾ कà¥à¤› धà¥à¤‚धली सी पड़ती नज़र आ रही थी पर मैं अà¤à¥€ à¤à¥€ इस यातà¥à¤°à¤¾ को लेकर आशानà¥à¤µà¤¿à¤¤ था. यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान मैं पैर का दरà¥à¤¦ à¤à¤—ाने के लिठ‘मूव’ आदि साथ रखता हूठताकि आगे आसानी से मूव किया जा सके. थोडा ‘मूव’ लगाने से सबको आराम तो महसूस हà¥à¤† पर आगे बढ़ने की ईचà¥à¤›à¤¾ कमजोर सी पड़ती जा रही थी. थोडा आगे आने पर पà¥à¤¨à¥€à¤¤ ने चालक साब से पूछा कि कहाठतक जाओगे तो इस बार उसने कहा कि मà¥à¤à¥‡ रात होने से पहले शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ है जहाठसे उसकी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ की बà¥à¤•िंग थी. रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही पà¥à¤¨à¥€à¤¤ और दीपक ने आगे यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखने में अपनी असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ जताई. मैं हालांकि यातà¥à¤°à¤¾ को पूरी करना चाहता था, पर दोनों को à¤à¤¸à¥€ हालत में देखकर मà¥à¤à¥‡ उनका साथ देना ही मà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤¬ लगा.
रासà¥à¤¤à¥‡ में हम लोग लोग थोड़ी देर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में रà¥à¤•े और फिर चल दिठशà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र की ओर. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमें काफी देर हो चà¥à¤•ी थी और आज रात इससे आगे जाने का कोई साधन नहीं दिख रहा था. कोई जीप या बस मिलने की तो संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठहिमाचल की तरह रात को बसें नहीं चलती. à¤à¤¸à¥‡ में हमारे चालक साब ने हमें रात शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में ही बिताने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया और हमें रात गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का à¤à¤• ठिकाना à¤à¥€ दिखाया. हमने ठिकाना तो देख लिया पर अब किसी का à¤à¥€ यहाठरà¥à¤•ने का मन नहीं था और सब जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ चाहते थे. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल में वैसे तो रात को कोई वाहन नहीं चलते पर सबà¥à¤œà¤¼à¥€ फल आदि रसद पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ वाले टà¥à¤°à¤•ों की आवाजाही रात à¤à¤° चालू रहती है, सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना इसे ही आजमाया जाà¤. आज शायद किसà¥à¤®à¤¤ हम पर मेहरबान थी, थोडा पूछà¥à¤¤à¤¾à¤¤ करने पर ही हमें à¤à¤• टà¥à¤°à¤• मिल गया जो हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक जा रहा था. टà¥à¤°à¤• चलने में अà¤à¥€ लगà¤à¤— आधा घंटा बाकी था और सà¥à¤¬à¤¹ सिरà¥à¤« आशà¥à¤°à¤® में ही à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया था इसलिठà¤à¤• ढाबे पर जाकर थोड़ी पेट पूजा की गई.
टà¥à¤°à¤• पर वापस लौटे तो देखा की चालक के साथ वाली सीट पर पहले ही दो लोग बैठे हà¥à¤ थे. à¤à¤¸à¥‡ में वहाठहम तीनों का à¤à¤• साथ बैठना संà¤à¤µ और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं था. इसलिठदोनों की बà¥à¤°à¥€ हालत देखकर मैं टà¥à¤°à¤• के पीछे चला गया जहाठकà¥à¤› अनà¥à¤¯ लोग पहले से ही लेटे थे. इस टà¥à¤°à¤• के ऊपर à¤à¤• बरसातीनà¥à¤®à¤¾ दरी थी जो शायद सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को धूल और बारिश से बचाने के लिठडाली गयी थी और नीचे खाली पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‡ रखे हà¥à¤ थे जिनमे सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ रखी जाती हैं. इनà¥à¤¹à¥€ हिलते डà¥à¤²à¤¤à¥‡ पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ के ऊपर हम सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¼à¤¿à¤° लेटे हà¥à¤ थे. टà¥à¤°à¤• चलने पर कà¥à¤› समय तो बड़ा मजा आया पर जैसे जैसे रात गहराती गयी और नींद आने लगी तो इन हिलते हà¥à¤ डबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ पर सोना बड़ा दà¥à¤–दायी लग रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो ये डबà¥à¤¬à¥‡ आपस में टकराकर हिल रहे थे और टेढ़े मेढ़े होने की वजह से चà¥à¤ à¤à¥€ रहे थे. खैर मेरे लिठतो ये सब रोमांच था, लेकिन रोमांच धीरे धीरे बढ़ने लगा जब इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ अरà¥à¤§à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ में जागे और हम पर जमकर मेहरबान हà¥à¤. तिरछी पड़ती हà¥à¤ˆ मोटी मोटी बारिश की बूà¤à¤¦à¥‡ हमारे ऊपर à¤à¤• शॉवर की तरह पड़ रही थी जो à¤à¤• मंद मंद शीतल रात को à¤à¤• बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ सी महसूस होने वाली रात में बदलने के लिठकाफी थी. à¤à¤¸à¥‡ में ऊपर रखी हà¥à¤ˆ दरी ने ठणà¥à¤¡ से तो नहीं पर à¤à¥€à¤—ने से तो बचा ही लिया. ठणà¥à¤¡ में किटकिटाते हà¥à¤, बिना सोये जैसे तैसे करीब चार बजे के आस पास टà¥à¤°à¤• चालक ने हमें हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ मोड़ पर उतार दिया. जितना दरà¥à¤¦ मेरे शरीर में उस टà¥à¤°à¤• में सवारी करते हà¥à¤ हà¥à¤† उतना पूरी यातà¥à¤°à¤¾ कहीं नहीं हà¥à¤†, शरीर इतना अकड़ गया था कि टà¥à¤°à¤• से बाहर निकलने के लिठà¤à¥€ हिमà¥à¤®à¤¤ जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥€ पड़ रही थी. ठणà¥à¤¡ के मारे बà¥à¤°à¤¾ हाल था, सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गलियों से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम लोग बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की ओर बढ़ने लगे. à¤à¤¸à¥‡ में रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• चाय का ठेला देखकर चेहरे पर कà¥à¤› ख़à¥à¤¶à¥€ आयी, à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¬ के हाथ की गरà¥à¤®à¤¾à¤—रम चाय और बंद खाकर शरीर में कà¥à¤› ऊरà¥à¤œà¤¾ आई. फिर तो बस जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ कदम बढ़ाते हà¥à¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤šà¤•र, दिलà¥à¤²à¥€ की बस पकड़ी तो लगà¤à¤— दस या गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š कर ही राहत की साà¤à¤¸ ली. यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤!
अब थोडा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ की समीकà¥à¤·à¤¾! ये à¤à¤• बजट यातà¥à¤°à¤¾ थी, कà¥à¤² मिलाकर 7 रातें जिनमे से 2 रातें वाहनों में (दिलà¥à¤²à¥€ से ऋषिकेश + शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°), 2 रातें डोरमेटà¥à¤°à¥€ में (बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ – 60 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ + जोशीमठ– 70 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़) और बाकी 3 रातें मà¥à¤«à¥à¤¤ के ठिकानों में (उमरा नारायण मंदिर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— à¤à¥‹à¤œà¤¨ समेत + मासà¥à¤Ÿà¤° सलीम का आशियाना जोशीमठ+ साधू आशà¥à¤°à¤® à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ बदà¥à¤°à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨ समेत). जहाठतक याद पड़ता है यातà¥à¤°à¤¾ का कà¥à¤² खरà¥à¤šà¤¾ (दिलà¥à¤²à¥€ से दिलà¥à¤²à¥€ तक) 2000 रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ से नीचे ही रहा था जिसमे अधिकतर खरà¥à¤šà¤¾ सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• वाहनों पर ही किया गया था. पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में हमारा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करने का था जो जितना हो पाया हमने निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की और सफलता à¤à¥€ पायी. इस यातà¥à¤°à¤¾ से मà¥à¤à¥‡ अपने à¤à¤• विदेशी मेहमान की à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सोच की याद आती है जिसे आपके साथ साà¤à¤¾ करना चाहता हूà¤. कà¥à¤› साल पहले हमारे à¤à¤• अमरीकी मेहमान अपने दो छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ जिनकी उमर करीब 12 या 13 साल रही होगी और बीवी समेत लगà¤à¤— 40 दिन की à¤à¤¾à¤°à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ पर आये थे. उनसे बातचीत के दौरान à¤à¤• बड़ी रोचक बात पता चली, दरअसल ये परिवार à¤à¤• साल के लिठविशà¥à¤µ यातà¥à¤°à¤¾ पर निकला था जिसका अधिकतर हिसà¥à¤¸à¤¾ ये लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बिता रहे थे. à¤à¤¸à¥‡ में मेरे दिमाग में à¤à¤• सवाल कà¥à¤²à¤¬à¥à¤²à¤¾à¤¹à¤Ÿ ले रहा था और मैं à¤à¥€ इसे पूछे बिना रह नहीं पाया. सवाल बड़ा साधारण और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• सा था कि इतने लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक बाहर रहने से बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की पढाई अवशà¥à¤¯ ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होगी, तो à¤à¤²à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ रिसà¥à¤• कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? जवाब सà¥à¤¨à¤•र मैं पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ बिना नहीं रह सका, उन महाशय का मानना था कि ये बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤• वरà¥à¤· में घूमने से जितना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे वो à¤à¤• साल की पढाई से कई गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ होगा और इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ इंसान बनाने में à¤à¤• निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• à¤à¥‚मिका अदा करेगा. खैर हमारे लिठà¤à¥€ ये यातà¥à¤°à¤¾ कà¥à¤› इसी तरह की थी अलग अलग तरह की परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤à¤µ, कई पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ साथी, ढेर सारी रोचक जानकारी, à¤à¤°à¤ªà¥‚र रोमांच और मजा ही मजा. अपने इन दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ इसके बाद और à¤à¥€ कई यादगार यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ की और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ कई यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हैं, फिलहाल इनके अमरीका से लौटने का इंतज़ार है. इस यातà¥à¤°à¤¾ को लिखित रूप देने की मà¥à¤–à¥à¤¯ वजह थी उन सà¤à¥€ पलों को संजोये रखने और दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ जीने की कोशिश करना, जिसमे लगता है कà¥à¤› हद तक सफलता à¤à¥€ पायी. हालाà¤à¤•ि उन यादगार पलों को दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ जीने के लिठà¤à¤¸à¥€ ही किसी यातà¥à¤°à¤¾ पर दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ निकल पड़ना होगा, इंशालà¥à¤²à¤¾à¤¹ à¤à¤¸à¤¾ वकà¥à¤¤ जलà¥à¤¦ ही आयेगा…तब तक के लिठघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी जिंदाबाद!
विपिन जी ये बहुत रोमांचक यात्रा थी… और वापसी भी कुछ कम नही. आशा है भविष्य में ऐसी ही कोई और मजेदार यात्रा पढ़ने को मिलेगी
पसंद करने के लिए शुक्रिया, एस एस जी. कोशिश अवश्य रहेगी ऐसी यात्राओं की प्रस्तुति की आगे भी…
A very good & adverntures series.
Your adventure & experience can be felt by us but you have physically faced this. You have done all this only in Rs. 2000/- per head.
Great……….. Thanks for sharing your experience.
Regards.
Thank you Saurabh Ji for your kind words!
विपिन , ये सीरीज बहुत रोमांचक और समृद्ध रही । जेम्स बांड के बारे में मैने शुरू ही में ही ज़िक्र क्या था तो शायद उसी को निभाते है आपने वापसी की यात्रा की । सभी लेख बहत ही सुगठित हैं और विस्तार से लिखे है हैं और निश्चित तौर पर इस तरह के लेख सभी के लिए प्रेरणादायक बनेंगे ।
अमरीकी परिवार के बात से पूरी तरह सहमत हूँ । मैंने भी सोचा हुआ है की अपनी बेटी को एक साल का गैप इयर लेने के लिए सुझाव दूंगा । आज कल तो गैप इयर स्कूल भी हैं । खैर । एक लिंक छोड़े रहा हूँ ।
https://www.ghumakkar.com/2012/09/01/from-the-editor-if-we-had-a-year/
उम्मीद है, आप जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हों और वापस इसी तरह के यात्रा पर जोर शोर से निकलें ।
उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया, नंदन. उम्मीद है हम लोग भी जल्द ही इस गैप इयर का महत्व समझेंगे और अपने बच्चों को प्रोत्साहन देंगे…आप एक अच्छी शुरुआत करने जा रहे हैं इस दिशा में…आपका दिया लिंक वाकई बड़ा काम का है, जोश भर दिया इस लेख ने…एक साल का ना सही तो कम से कम छोटे छोटे गैप तो लिए ही जा सकते हैं…देखिये कोशिश जरुर करेंगे…
dear vipin jee
bahut hi uttam koti ka yatra vivran aur bahut hi sunder photo, dekhkar man purntah santusht hua lekin ye kya asha thi ki ye safar bahut dhoor tak jayega aur intervel me hi film samapti ki ghoshna.
man nahi man raha aapke agale yatra vartant ka intajar ……
bhupendra
फिल्म इंटरवल में ही ख़त्म करने का खेद है, चलिए आपकी उत्सुकता को देखते हुए आपके लिए अगला लेख जल्द ही…इसी श्रृंखला की अगली कड़ी, इंटरवल के बाद की फिल्म…:)…केदार यात्रा…आपके नजदीकी घुमक्कड़.कॉम पर…जल्द ही…खुबसूरत शब्दों के लिए धन्यवाद, भूपेंद्र जी!
This whole journey was well written. Espacially – Tapovan part, pictures as well description were mesmerizing.
I am glad that you liked the entire journey, Praveen Ji.
Lovely pics. I have not read the text due to poor Hindi reading skills but will try when I have some time.
Thank you, Gita Ji for liking the photos.
Hi Vipin,
आपके इस रोमांचकारी यात्रा में हमें सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद .
इसे पढ़कर हमें अपने रुद्रप्रयाग/ उखीमठ का सफ़र याद आ गया (जो की रोमांच के लिहाजे से इस सफ़र से बहुत कम था ).
इसी तरह लिखते रहिये।
Auro
उत्साह बढ़ाने के लिए शुक्रिया, औरोजित जी.
वाह विपिन भाई, मज़ा आ गया। वाकई में आपका गढ़वाल घुमक्कड़ी श्रृंखला लाजवाब रहा और मेरे दिल को लुभाया।
जहां तक gap year का सवाल है, it is an idea whose time has come. The purpose of an education is to learn how to become a good and productive member of the society we live in. In India, we equate the ability to read or write or know calculus or accounting with education. They are just skills and can not be truly called an education. We need to learn the dignity of hard work and labour, to respect the laws of the land, to respects others and see them as our equals irrespective of their social or financial status, to be sensitive to the environment we live in. Which is why I say that in spite of growing literacy, we remain largely uneducated. Travel, reading, learning subjects which are not related to the way we make a living are important and education is a life-long process. And, what better way to learn than to travel….In this respect, your generation are far better than those of my generation.
आप का अगले लेख का इंतज़ार है। तब तक के लिए घुमक्कड़ी जिंदाबाद!
Sorry for the typo…the last English sentence in the above post should read “In this respect, your generation is far better than my generation.”
शुक्रिया डी एल जी, जानकार ख़ुशी हुई की ये श्रृंखला आपको पसंद आयी. And also thanks for sharing these words of wisdom with us…
जैसा मैं पहले भी कह चूका हूँ आपकी घुमक्कड़ी देख मन करता आपके साथ कोई यात्रा करी जाये !
आपकी यह श्रंखला बहुत पसंद आई और आशा है के आप जल्द ही केदार नाथ यात्रा का भी वर्णन यहाँ लिखेंगे .
शुक्रिया।
केदार यात्रा आपको जल्द ही देखने और पढने को मिलेगी, संदीप जी. मई माह से हिमालयी क्षेत्रों (उत्तरांचल और हिमाचल) में कुछ यात्राएँ प्रस्तावित हैं, आपका इनमे शामिल होने के लिए तहे दिल से स्वागत है! लेख पसंद करने के लिए साधुवाद…
प्रिय विपिन,
मैने जो सारी की सारी पोस्ट एक बार में ही पढ़ने का निर्णय लिया था, वह बहुत दूरदर्शितापूर्ण साबित हुआ, जिसके लिये मैने अपनी पीठ ठोक ली है। जो रोमाचं से भरपूर यात्राएं हम अपनी युवावस्था में नहीं कर सके, वह हमारी युवा पीढ़ी कर रही है, यह देख कर मन बहुत आह्लादित है । मेरे बड़े बेटे ने जब एक दिन मुझे फोन पर बताया था कि वह मानचेस्टर से स्कॉटलैंड की यात्रा (आना जाना लगभग 2700 किमी ) कार से करने वाला है और उसमें लगभग 2400 किमी बर्फ में ही होगी तो मैने अपना सिर पीट लिया था (वह मुझ से सात समुन्दर पार था, अतः उसका सिर तो पीट नहीं सकता था।) पर जब उसने मुझे रास्ते में से ही वहां के चित्र भेजने शुरु किये तो मेरे ज्ञानचक्षु खुले ।
आप तीनों बुद्धिमानों की यह सारी की सारी यात्रा मुझे बहुत कुछ सिखा गई है। इसका समापन भले ही आकस्मिक हुआ हो, पर आपने अंत में गैप ईयर वाली जो लाख टके की बात कह डाली, उसके बाद कुछ कहने को बाकी बचता नहीं है। आपने अपने ये अविस्मरणीय अनुभव और देवलोक के से चित्र हम सब के साथ साझा किये, इसके लिये भगवान आप को सदैव प्रसन्न रखें ।
कोटिशः आभार !
सुशान्त सिंहल
आपके इस प्यार के लिए तहे दिल से शुक्रिया, सुशान्त जी.
Good written post nice photos. But in future you can well planned your journey and Budget should be arrange properly. Proper rest and transportation can be arranged. Thanks a lot share your journey.
Thank you Surinder Ji for your valuable words!
Dear Vipin ,
This is a great series . I loved every bit of it. Garhwal attracts me more than anything else . Once I come I want finish each and everything . I hope Lord fulfills my wish.This series will be helpful in my Garhwal trip . Thanks for sharing .
Hope you get well and fully fit soon and do ghumakkari soon.
Thanks Vishal bhai for your wishes. May you soon get to visit this devbhumi! Though it is difficult for anyone to cover each & everything in one visit (until & unless one decides to stay back for years & years), hope you won’t mind coming here again & again…:)…the entire land is scattered with gems here & there…
बहुत बढ़िया विपिन भाई, मजा आ गया लेख पढ़कर …….| आपको अपनी यात्रा बीच में छोड़नी पड़ी….कभी-कभी समय और हालत के अनुसार चलाना पड़ता हैं….| गेप इयर वाली बात अच्छी लगी…..सही हैं….घूमने फिरने और अलग माहौल से ज्ञान में वृद्धि तो होती ही हैं….|
चालिये इस रोमांचक लेख के लिए धन्यवाद…|
लेख पसंद करने के लिए धन्यवाद, रितेश भाई…अपनी इस बीच में छोड़ी हुई कड़ी को जल्द ही केदार यात्रा से पूरी करने की कोशिश करेंगे…
Hello Vipin Jee,
Mein last 6 Month Se Ghumakkar.com ko Pad Raha houn or aaj finaly meine ise join bhee kara hai
meine aapki puri trip ek sath padi, Thanks itna shandar likhne k liye or ham jaisee naye logo ko likhne k prerna dene k liye.
ye mere 1st comment hai, aabhi pata nahi kaisee likhte hai par i wish mein bhee jaldi hee seekh jaunga.
Regards
Jitendra Upadhyay
उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया, जितेन्द्र जी…जल्द ही आपकी ओर से कुछ पढ़ने को मिलेगा ऐसी आशा करते हैं…:)
I read number of times,every time i feel that it is a fresh one,beautiful defined visit,no words to say thanks,nice clicks,though every click is beautiful but i liked most Tapovan side clicks.Thanks a lot Vipin n party.