इस बार 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-2013 पर 2 दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ लेने पर हम लोगों को 5 दिन मिल रहे थे इसलिठदिलà¥à¤²à¥€ से दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® आफिस के लोगो के साथ बनाया।सà¤à¥€ लोग à¤à¤• नई जगह घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जाने के लिठउतà¥à¤¸à¥à¤• थे। हांलाकि मै 1996 में वहां गया था पर तब मै आफिस के काम से गया था वह à¤à¥€ à¤à¤• दिन à¤à¥€ नहीं रà¥à¤• सका था। वैसे à¤à¥€ मà¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि अगर घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जा रहे हैं तो जब तक कà¥à¤› à¤à¤• मितà¥à¤° , साथी न हो तब तक घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का असली मजा नहीं आता है। पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® तो करीब तीन महीने पहले ही बनना शà¥à¤°à¥‚ हो गया था पर रेलवे की बà¥à¤•िंग 60 दिन पहले ही आजकल होती है अत; जैसे ही बà¥à¤•िंग शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ तà¥à¤°à¤‚त ही हमने टिकेट बà¥à¤• करा ली। हम 16 लोग थे सà¤à¥€ की टिकेट à¤à¤• ही डिबà¥à¤¬à¥‡ में नारà¥à¤¥ ईसà¥à¤Ÿ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ से दिलà¥à¤²à¥€ से नई जलपाईगà¥à¤¡à¥€ के लिठबà¥à¤• हो गई। अà¤à¥€ टिकेट बà¥à¤• करवाठ10 -15 दिन ही हà¥à¤ थे कि तà¤à¥€ केंदà¥à¤° सरकार ने à¤à¤• नया राजनीतिक पैतरा चलते हà¥à¤ अलग तेलांगना राजà¥à¤¯ की घोषणा कर दी। और इस घोषणा के होते ही अलग दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग राजà¥à¤¯ की मांग राख में दबी हà¥à¤ˆ चिंगारी की तरह सà¥à¤²à¤— उठी। सोंचा अà¤à¥€ तो बहà¥à¤¤ दिन हैं , कà¥à¤› दिन में सब कà¥à¤› शांत हो जाà¤à¤—ा। पूरा महिना गà¥à¤œà¤° गया पर दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग के हालात में कोई सà¥à¤§à¤¾à¤° नहीं हà¥à¤† तब सोंचा कही और चलते हैं।
मन में आया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न सिकà¥à¤•िम की राजधानी गंगटोक चला जाय। वहां के बारे में थोड़ी – बहà¥à¤¤ जानकारी ही थी पर यह मालूम था कि बहà¥à¤¤ ही खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र जगह है। गंगटोक के बारे में सबसे पहले घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की साईट पर जा कर जानकारी हासिल करने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की। घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर कà¥à¤› à¤à¤• लेख गंगटोक के बारे में मिल à¤à¥€ गà¤à¥¤ यह सोंच कर कि वहां जाने के लिठà¤à¥€ पहले टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से नई जलपाईगà¥à¤¡à¥€ ही जाना होता है। टिकेट à¤à¥€ कैंसिल करवाना नहीं पड़ेगा। मैंने सबको गंगटोक चलने के लिठबोल दिया। अब कà¥à¤¯à¤¾ था कि टीम दो à¤à¤¾à¤—ो में बाà¤à¤Ÿ गई। आधे लोग गंगटोक की जगह डलहौजी जाने के लिठपà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाने लगे। पहले तो उनको समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि डलहौजी में पांच दिन में बोर हो जाओगे। वहां जाना है तो कà¤à¥€ à¤à¥€ दो – तीन दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में हो आना। पर वह लोग समà¤à¤¨à¥‡ को तैयार नहीं हो रहे थे।
अब मैंने महसूस किया कि à¤à¤• टीम को बनाना और उन सबको बांध कर रखना कितना कठिन काम होता है। खैर मै à¤à¥€ à¤à¤• बार जो सोंच लेता हूठफिर वही करता हूà¤à¥¤ मैंने à¤à¥€ कह दिया अगर तà¥à¤® लोगो को जाना है तो जाओ हम तो गंगटोक ही जायेंगे।
यहाठपर à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ यही थी कि केवल à¤à¤• पूरा दिन ही घूमने को मिल रहा है जबकि इतनी दूर जाकर à¤à¥€ अगर दो- तीन दिन न रहा जाय तो फायदा कà¥à¤¯à¤¾à¥¤ पर कà¥à¤¯à¤¾ करते सà¤à¥€ लोगो की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का हिसाब à¤à¥€ तो देखना था। सà¤à¥€ के लिठसà¥à¤¬à¤¹ के नाशà¥à¤¤à¥‡ और दोपहर के खाने का काफी कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध मैं कर के चला था पर बाकी लोग à¤à¥€ कà¥à¤› न कà¥à¤› ले कर आये थे इसलिठटà¥à¤°à¥‡à¤¨ में नाशà¥à¤¤à¤¾ और खाना घर से लाये हà¥à¤ से ही हो गया। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का खाना खाने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं पड़ी। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में सà¤à¥€ लोग आपस में बाते करते , खेलते हà¥à¤ चले जा रहे थे समय तेजी से गà¥à¤œà¤° रहा था। कोई बोरियत नहीं हो रही थी। यह सà¥à¤ªà¤° फ़ासà¥à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ है आशा के विपरीत टà¥à¤°à¥‡à¤¨ नई जलपाईगà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ लगà¤à¤— साढ़े तीन घंटे लेट हो गई। अब समय काटे नहीं कट रहा था बस लग रहा था जलà¥à¤¦à¥€ से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤à¤š जाय पर जà¥à¤¯à¥‹ – जà¥à¤¯à¥‹ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ नजदीक आ रहा था तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ – तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थोड़ी सी चलती फिर रà¥à¤• जाती करते – करते जैसे- तैसे नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤à¤š गई।
पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® से बाहर आकर गंगटोक जाने के लिठटैकà¥à¤¸à¥€ ढूढने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं पड़ी। कई टैकà¥à¤¸à¥€ वाले गंगटोक के लिठतैयार खड़े थे पर जब मैंने उनसे à¤à¤¾à¤¡à¤¾ पूछा तो 2500/- से कम पर कोई तैयार ही नहीं था। जबकि इंटरनेट पर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सूचना के आधार पर मै 150/- रूपये के हिसाब से 1500/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿ टैकà¥à¤¸à¥€ देने की बात कर रहा था। शायद वह पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ जानकारी थी फ़िलहाल इस समय 250 /- सवारी के हिसाब से टैकà¥à¤¸à¥€ गंगटोक जाती हैं। काफी मोल à¤à¤¾à¤µ के बाद 4100/- में दो टाटा सूमो से हम लोग गंगटोक के लिठदोपहर 12 बजे चल दिà¤à¥¤

गंगटोक जाने की रोड से सामने दिखते पहाड़
सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ से बाहर निकलते ही मौसम काफी अचà¥à¤›à¤¾ होने लगा था। हलà¥à¤•ी -हलà¥à¤•ी रिमà¤à¤¿à¤® शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर तक नहीं चली। सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ से लगà¤à¤— 20 किलोमीटर आगे बढ़ते ही हमें तीसà¥à¤¤à¤¾ नदी के दरà¥à¤¶à¤¨ होने शà¥à¤°à¥‚ हो गà¤à¥¤ अब हमारी कार तीसà¥à¤¤à¤¾ के किनारे – किनारे आगे बढ़ रही थी।
यहाठआकर पता लगा कि नई जलपाईगà¥à¤¡à¥€ से गंगटोक जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग के अंतरà¥à¤—त आता है, आज दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग बंद का à¤à¤²à¤¾à¤¨ किया गया था तà¤à¥€ रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ने वाले छोटे – छोटे होटल , दà¥à¤•ाने बंद थे या आधा शटर खोल कर अपना काम चला रहे थे।
लगà¤à¤— दो बजे टैकà¥à¤¸à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने à¤à¤• जगह दोपहर का खाना खाने के लिठटैकà¥à¤¸à¥€ रोकी। यहाठपर à¤à¥€ बंद के कारण सà¥à¤¨à¤¾ सा पड़ा हà¥à¤† था। हम लोग ने à¤à¥€ à¤à¤• छोटे से होटल में बैठकर दोपहर का खाना खाया। खाना बहà¥à¤¤ ही साधारण सा था। हाठचाउमीन और मोमोज फिर à¤à¥€ ठीक थे। वैसे à¤à¥€ आप जिस जगह जाते हैं अगर वही का खाना खाते हैं तो वह तो ठीक ही मिलेगा। यहाठपर हम लोगो को करीब आधे घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वकà¥à¤¤ लग गया।

रासà¥à¤¤à¥‡ में तीसà¥à¤¤à¤¾ के पास बने होटल , यहाठदोपहर के खाने के लिठरà¥à¤•े
खाने से निपटने के बाद फिर सà¤à¥€ लोग टैकà¥à¤¸à¥€ में बैठगंगटोक के लिठचल दिà¤à¥¤ तीसà¥à¤¤à¤¾ नदी जो कि यहाठकी जीवन रेखा है उसके किनारे – किनारे हम लोग आगे बढ़ रहे थे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° बसà¥à¤¤à¥€ इस नदी के किनारे बसी हà¥à¤ˆ है। जिनमे à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¤ªà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ नहीं बलà¥à¤•ि साफ – सà¥à¤¥à¤°à¥‡ मकान बने हà¥à¤ हैं।
लगà¤à¤— 4 बजे से पहले ही हम लोग सिकà¥à¤•िम के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ यहाठपर हम लोगो से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर à¤à¤• अधिकारी ने पहिचान पतà¥à¤° मांगे। टैकà¥à¤¸à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने हमें पहले ही बता दिया था कि अपने – अपने पहिचान पतà¥à¤° निकाल ले। हांलाकि गà¥à¤°à¥à¤ª में सबके पास होना आवशà¥à¤¯à¤• नहीं होता है। मैंने जब उसे बताया कि हम सब à¤à¤• ही गà¥à¤°à¥à¤ª में घà¥à¤®à¤¨à¥‡ आये हैं तब उसने केवल à¤à¤• -दो के देखने के बाद आगे जाने दिया।
सिकà¥à¤•िम में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही हमारे दोनों तरफ ही पांच – छह मंजिलो के मकानों की कतारे नजर आने लगी। à¤à¤¸à¤¾ लग ही नहीं रहा था कि हम हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर हैं। सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° साफ – सà¥à¤¥à¤°à¤¾ क़सà¥à¤¬à¤¾ था। पहाड़ो के घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹ से होते हà¥à¤ लगà¤à¤— 4.30 बजे हम गंगटोक पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤
अब हमें शहर के अनà¥à¤¦à¤° होटल डेनà¥à¤œà¥‹à¤‚ग जाना था पर पता लगा कि यह बड़ी टैकà¥à¤¸à¥€ शहर के अनà¥à¤¦à¤° नहीं जा सकती। वहां पर जाने के लिठछोटी टैकà¥à¤¸à¥€ से ही जाना होगा और उसमे à¤à¥€ 4 लोगो से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं बैठसकते। हाठसà¥à¤¬à¤¹ आठबजे से पहले अवशà¥à¤¯ यह टैकà¥à¤¸à¥€ वहां जा सकती हैं। शहर की परिवहन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ इन छोटी टैकà¥à¤¸à¥€ पर ही टिकी हà¥à¤ˆ है। लोग या तो अपने वाहन से चलते है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ इन टैकà¥à¤¸à¥€ पर ही निरà¥à¤à¤° रहते हैं। यहाठपर ऑटो , टेमà¥à¤ªà¥‹ , गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ सेवा आदि नहीं चलते हैं। सिरà¥à¤« छोटी कार वाली टैकà¥à¤¸à¥€à¥¤ इन छोटी टैकà¥à¤¸à¥€ का किराया à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं है। पंदà¥à¤°à¤¹ रूपये सवारी के हिसाब से लोग सफर करते हैं।
हमें लाल बाजार, डेनà¥à¤œà¥‹à¤‚ग सिनेमा के साथ लगे हà¥à¤ डेनà¥à¤œà¥‹à¤‚ग होटल जाना था , टूरिसà¥à¤Ÿ समठकर हम लोगो से वहां पर टैकà¥à¤¸à¥€ वाले 150/- रूपये पà¥à¤°à¤¤à¤¿ टैकà¥à¤¸à¥€ मांगने लगे। मैंने होटल फोन कर जानकारी ले लेना उचित समà¤à¤¾ कि यह लोग जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसे तो नहीं मांग रहे हैं। होटल वाले ने बताया कि 90 – 100 रूपये से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं लगता है। आप लोग टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से बाहर आकर टैकà¥à¤¸à¥€ कर लो। टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से बाहर सड़क पर आये तो à¤à¤• ने 100/- रूपये मांगे तो हमें लगा सही à¤à¤¾à¤¡à¤¾ मांग रहा है उससे 4 लोग होटल रवाना हो गठदà¥à¤¸à¤°à¥‡ ने 80/- मांगे उसके बाद दो टैकà¥à¤¸à¥€ वाले 60/- रूपये में ही चल दिà¤à¥¤ मतलब यह कि अगर आप मोल -à¤à¤¾à¤µ करना नहीं जानते या सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो से नहीं पूछेंगे तो आपकी जेब जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हलà¥à¤•ी हो जाà¤à¤—ी।
होटल जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं था 10 मिनट à¤à¥€ नहीं लगे वहां पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में। लेकिन अब तक शाम ढलनी शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी और बूंदा – बांदी à¤à¥€ होने लगी थी। कà¥à¤² मिलाकर मौसम बहà¥à¤¤ ही खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ हो गया था। यह होटल नेट सफरिंग करके ढूंढा था और मà¥à¤–à¥à¤¯ बाजार में होने के बाबजूद किराया काफी कम मैंने करवा लिया था। 800/- रूपये में हमें डबल बेड रूम मिला था और सिंगल के लिठकेवल 500 /- चारà¥à¤œ किया था। वैसे à¤à¥€ आजकल सीजन à¤à¥€ नहीं था। होटल के मैनेजर राज कà¥à¤®à¤¾à¤° से फोन पर ही सब कà¥à¤› तय हà¥à¤†à¥¤ राज कà¥à¤®à¤¾à¤° छेतà¥à¤°à¥€ अचà¥à¤›à¥€ हिंदी बोल लेता था। होटल बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ लोकेशन में था। होटल बहà¥à¤¤ पसंद आया। सà¤à¥€ लोग अपने – अपने कमरों में फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के लिठचले गà¤à¥¤ सोंच तो यह रहे थे कि तैयार हो कर मारà¥à¤•िट घà¥à¤®à¤¨à¥‡ चलेंगे। परनà¥à¤¤à¥ अब बारिश तेज होने लगी थी। लगà¤à¤— घंटे à¤à¤° बाद बारिश थोड़ी कम हà¥à¤ˆ तो सब लोग छाते लेकर लालबाजार घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठनिकल पड़े।

शाम के समय , होटल की बालकनी से बाहर के दृशà¥à¤¯

शाम के समय , होटल की बालकनी से बाहर के दृशà¥à¤¯
लालबाजार जो कि सीढ़ी नà¥à¤®à¤¾ मारà¥à¤•िट है, यह मारà¥à¤•िट होटल के गेट से ही शà¥à¤°à¥‚ होती है। इस समय काफी चहल कदमी इस मारà¥à¤•िट में थी। जबकि रिम – à¤à¤¿à¤® , रिम – à¤à¤¿à¤® बारिश हो रही थी। यह सीढ़ी नà¥à¤®à¤¾ मारà¥à¤•िट M .G .ROAD पर पहà¥à¤à¤š कर ख़तà¥à¤® होती है।

हलà¥à¤•ी बारिश में M .G .Road पर कलà¥à¤šà¤°à¤² पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®
गंगटोक की M .G .ROAD मारà¥à¤•िट à¤à¤• खास तरह की मारà¥à¤•िट है और मै समà¤à¤¤à¤¾ हूठà¤à¤¸à¥€ मारà¥à¤•िट हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कही नहीं है। यह बहà¥à¤¤ बड़ी मारà¥à¤•िट नहीं है पर जितनी बड़ी है, है बहà¥à¤¤ शानदार। लगà¤à¤— 80 या 100 फà¥à¤Ÿ चौड़ी रोड है जिसमे बीच में लोगो के बैठने के लिठबेंचे पड़ी है। सड़क पर डामर की जगह खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत टाइलà¥à¤¸ लगे हà¥à¤ हैं। सड़क पर कोई वाहन नहीं चलता है। रात में जगमगाती रोशनी में यहाठका नजारा देखने लायक होता है।
इस समय यहाठM .G .ROAD पर कà¥à¤› कलà¥à¤šà¤°à¤² पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® चल रहा था। वह लोग माइक पर अपनी सिकà¥à¤•िमकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में ही कà¥à¤› कह रहे थे पर गाने बालीबà¥à¤¡ के ही गा रहे थे। हम लोगो के पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के समय जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° दूकानदार अपनी दà¥à¤•ाने बंद करने जा रहे थे। आठबजे तक तो सारी मारà¥à¤•िट बंद हो जाती है केवल दो-चार दà¥à¤•ाने या रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ ही खà¥à¤²à¥‡ होते हैं। वह à¤à¥€ अधिक से अधिक रातà¥à¤°à¤¿ 9 बजे तक ही। अगर कोई रात के दस बजे खाना खाने के लिठरेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट ढूढना चाहे तो उसे निराशा ही हाथ लगेगी।





रस्तोगी साब , काफ़ी दिनो बाद आप का लेख देख कर अच्छा लगा|
गंगटोक जाने की अपनी भी काफ़ी इच्छा है पता नही कब पूरी होगी |
महेश जी
सही कहा आपने , काफी समय के बाद घूमने जाने का इस बार प्रोग्राम बना था। हमारे बहुत सारे घुमक्कड़ के लेखक हैं जो कि अकेले निकल पड़ते हैं पर मुझे जब तक कुछ लोग साथ में न हो तब तक घूमने जाने मजा नहीं आता है। जहाँ तक गंगटोक कि बात है तो जब भी जाए कम से कम 4 -5 दिन के लिए जाए क्योकि वहाँ पर घूमने को बहुत कुछ है। मै तो समझ ले कि छू कर लौट आया हूँ।
खूबसूरत जगह के बारे में खूबसूरती से लिखा गया और खूबसूरत तस्वीरों से सजा एक बेहद खूबसूरत सफरनामा………
सच में , मुकेश जी मुझे तो बहुत ही खूबसूरत यह जगह लगी।
Rastogi ji,
Very nice post, I have heard a lot about beauty of Gangtok, but never got a chance to visit there. I can see this place through your post. Very well described with amazing photographs. Waiting for next post.
प्रदीप जी
सही बात है कि एक नई जगह कुछ ज्यादा ही आकर्षित करती है। वैसे यहाँ पर अगर मौसम साफ़ हो तब ही जाने का फायदा है।
Hi Kamlansh ji
सिक्किम की काफी तारीफ़ सुनी है लोगों से, और अधिकतर पर्यटक इसे हिंदुस्तान का सबसे ज्यादा tourist friendly destination मानते हैं, उम्मीद है आपका अनुभव भी अच्छा रहा होगा ।
अवतार जी
बिलकुल सही बात है कि वहाँ पर सभी लोग बहुत अच्छे से व्यवहार करते हैं। बहुत ही खूबसूरत जगह है। मेरा मन करता है एक बार फिर जायेंगे।
Long time Rastogi Jee. Nice to see your story.
I think most of these long distance trains get delayed by the time they reach their destination. Hailing a Taxi is indeed quite a hassle. Recently we went to Shillong and it was same situation when we were trying to get a taxi from Guwahati airport.
I went to Sikkim in 2006 and still have vivid memories of the place. Looking forward to next part.
Dear Nandan
जाने से पहले मैंने आपकी पोस्ट देखी और पढ़ी थी लेकिन समय के साथ काफी कुछ बदलाव आ जाते हैं। जहाँ तक ट्रेन कि लेट लतीफी कि बात है तो मनुष्य का आक्रोशित होना स्वाभाविक ही है। एक व्यवस्था है और अगर उसका सही ढंग से पालन नहीं होता है तो उसे गलत ही कहा जाएगा।
Rastogi Ji,
Nice Post. Thanks for sharing a lot of information, It will surely help the first timer..
नरेश जी
मेरी कोशिश यही है कि अधिक से अधिक जानकारी पाठको को मिले जिससे जब कभी वह जाने का प्रोग्राम बनाये तो उनको सुविधा हो।
nice post.the blue color of the sky in your photographs is almost impossible to be found in NCR.How boring is this grey colored sky and plenty of smog that prevents even the sun light to enter this highly polluted part of our beloved India.
Cheating is very depressing for the tourism industry,whether it is taxi drivers,hoteliers or others. Tourism can be promoted only by love,truthfulness and honesty. It is a great job provider for the masses as well as earns money for the state too. Many developed countries earn a lot thro’ tourism.It is time we start promoting it honestly.
अशोक जी
अगले भाग 2 नवम्बर को प्रकाशित होगा उसमे मैंने इसी विषय पर लिखा है, जैसा वहाँ पर देखा और अनुभव किया, आप भी पढ़ना, आपकी जानकार ख़ुशी होगी।
रस्तोगी जी
बहुत ही सुन्दर सफरनामा सिक्किम यात्रा का। …………. आपके लेख में थोड़े विस्तार कि चाहत है। ………
बस अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है
dear laddha
कोशिश तो रहती है कि अधिक से अधिक जानकारी प्रस्तुत करूँ फिर भी कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाती है। अगले लेख को पढ़ने के बाद बताये।
Hi Kamlanshji,
Sikkim looks really pretty in the photos.
Recently it has been voted as the best tourist destination in India.
Thanks for sharing!
dear Nirdesh
i am not aware about this( best tourist destination in India)
but really i like this destination and will try to visit again