करीब à¤à¤• साल हो चà¥à¤•ा था हमारी नैनीताल यातà¥à¤°à¤¾ को और समय à¤à¥€ ठीक ही था। ओकà¥à¤Ÿà¥‚बर आते ही वैसे à¤à¥€ मौसम अचà¥à¤›à¤¾ हो जाता हैं, गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मैं इसलिठजाने का मन नहीं करता कà¥à¤¯à¥‚ंकी सब जगह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° की à¤à¥€à¤¡à¤¼ हो जाती हैं और दाम 4 गà¥à¤¨à¤¾ तक बड़ जाते हैं। वैसे à¤à¥€ पिछà¥à¤²à¥‡ साल नैनिताल से वापस आने के बाद ही हम सब दोसà¥à¤¤à¥‹ ने अगली बार à¤à¥€ घूमने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मैं ही बनाया था.
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड की खूबसूरती इतनी बस गयी थी की इस बार à¤à¥€ तय किया की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड ही जाà¤à¤‚गे. पता नहीं à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हैं हिमालय की वादियों मैं की बस वहीं हर बार जाने का मन करता हैं। जून जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ के अंत मैं तय किया गया की ओकà¥à¤Ÿà¥à¤¬à¤° में जाà¤à¤‚गे।
अब जगह तय करनी थी, और वो ही शायद सबसे मà¥à¤¶à¥à¤•िल काम था। कà¥à¤¯à¥‚ंकी हम लोग काफी समय बाद कहीं घूमने जा रहे थे और जाते à¤à¥€ साल में à¤à¤• बार ही थे, इसलिठचाहते थे की जगह शानदार हो और हमेशा के लिठयादगर à¤à¥€à¥¤ मैं खà¥à¤¦ à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ जगह जाना चाहता था इसलिठशायद काफी खोजबीन करनी पड़ी। अब अपना à¤à¤• उसूल है की जाओ तो शान से और आओ तो शान से, अब इसे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी कहलो या परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨à¥¤ लेकिन घर से निकलकर कंजूसी हमसे नहीं होती, और दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ कह दिया था “à¤à¤¾à¤ˆ पैसे चाहे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लग जाये, पर हमारी मौजमसà¥à¤¤à¥€ मैं कोई कमी न आये। आखिर रोज़ रोज़ थोड़े न घर से निकलते हैं”| हम दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ मैं खास बात यह थी की हम लोग आस पास ही रहते है, लगà¤à¤— 2-4 घर छोड़कर॥
इसलिठकिसी को कहीं से उठाना तो था नहीं, और कहीं मिलना à¤à¥€ नहीं था। बस घर के बाहर à¤à¤• मंदिर के पास ही सबको मिलना था, जो à¤à¤• तरह से पारà¥à¤•िंग à¤à¥€ हैं॥
पिछली बार à¤à¥€ हम लोगों ने सोनू की गाड़ी ली थी और इस बार à¤à¥€ हम लोगों ने निशà¥à¤šà¥‡à¤¯ किया की उसी की गाड़ी मैं जाà¤à¤à¤—े। अपनी गाड़ी मैं काफी फायदे हैं, हाठथोड़ा सा महंगा जरूर पड़ता हैं लेकिन काफी सà¥à¤–दाई साबित होता हैं। रासà¥à¤¤à¥‡ के लिठजरूरी सामान और घूमने की जगह à¤à¥€ तय कर ली गयी थी, मैं à¤à¤• à¤à¤¯à¤° लाइन मैं कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हूठऔर मेरा à¤à¤• मितà¥à¤° à¤à¤• जानी मानी टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¤² कंपनी मैं काम करता हैं जिसके साथ à¤à¥€ काफी दिनो से घूमने का विचार बन रहा था, चकराता के बाद उसी के साथ à¤à¥€à¤®à¤¤à¤¾à¤² होकर आया था। जिसकी वजह से मà¥à¤à¥‡ हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¥à¤¨à¥à¤¸ की थोड़ी बहà¥à¤¤ जानकारी हो गयी हैं।
मेरे मितà¥à¤°à¥‹ ने à¤à¥€ यह काम मà¥à¤à¥‡ ही दिया। रासà¥à¤¤à¥‡ के लिठजरूरी समान से लेकर किस रासà¥à¤¤à¥‡ से जाना हैं यह सब मà¥à¤à¥‡ ही करना था।
मेरे सारे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने सब जो नाम सà¥à¤¨ रखे थे वे सब किसी मशहूर जगहों के नाम थे जैसे नैनीताल, मससूरी, शिमला इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¥¤ मैंने à¤à¥€ घरवालों और कई लोगों से सिरà¥à¤« इन ही जगहों के नाम सà¥à¤¨à¥‡ थे। नैनीताल हम लोग जा चà¥à¤•े थे और à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤°à¥€ जगहों पर नहीं जाना चाहते थे और 10 दिन पहले ही घरवालो के साथ मसूरी का à¤à¤• चकà¥à¤•र मार कर आठथे। “मसूरी का चकà¥à¤•र†इसलिठकह रहा हूठकà¥à¤¯à¥‚ंकी यह दिलà¥à¤²à¥€ के काफी नजदीक हैं और आसानी से पाहà¥à¤šà¤¾ जा सकता हैं, इसी वजह से मेरे घरवाले अब तक 3 बार हो कर आ चà¥à¤•े हैं। मà¥à¤à¥‡ लगा इस बार किसी à¤à¤¸à¥€ जगह पर जाते हैं जहाठसिरà¥à¤« सà¥à¤•ून हो और बस शांति ही शांति॥
जब घरवालो के साथ गया था तो केंपटी फॉल के पास à¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर चकराता लिखा देखा था, à¤à¤• लोकल दà¥à¤•ान वाले से पूछा तो उसने सारा à¤à¥‚गोल और इतिहास बता दिया। तो काफी सोच विचार और इंटरनेट के सहायता से हमने चकराता ही चà¥à¤¨à¤¾ जो मेरे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पसंद आया॥
अब कà¥à¤› चकराता के बारे मैं : चकराता समà¥à¤¦à¥à¤° ताल से करीब 7000 फीट के ऊंचाई पर सà¥à¤¤à¤¿à¤¥ हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हैं जो हिमाचल और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल की सीमा पर पड़ता हैं।
देहारादून से इसकी दूरी करीब 90 किमी के आसपास हैं।
आप सहारनपà¥à¤° से हरà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤Ÿà¥à¤ªà¥à¤° और विकासनगर होते हà¥à¤¯à¥‡ या फिर देहारादून- मसूरी -केंपटी फाल होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ पहà¥à¤à¤š सकते हैं।
à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ पोंटा साहिब से à¤à¥€ निकलता हैं। चूंकि हमें मसूरी होते हà¥à¤¯à¥‡ आना था इसलिठहमने हरà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤Ÿà¥à¤ªà¥à¤°-विकासनगर जाना तय किया था॥
चकराता मैं देखने के लिठबहà¥à¤¤ कà¥à¤› है जैसे टाईगर फॉल, कनासर, देव बन, लखमंडल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿
सब के समरà¥à¤¥à¤¨ के बाद हम लोगों ने अपने कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® पर मोहर लगा दी.!
बस इंतेजार करने लगे 12 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर का।
निशिचित तारीख को हम लोगो का कारवां निकाल पड़ा अपनी मंजिल के तरफ॥!
अब 12 तारीख को सà¥à¤¬à¤¹ से ही सब दोसà¥à¤¤ लोग तयारियों मैं जà¥à¤Ÿ गà¤, मेरी सà¥à¤¬à¤¹ की शिफà¥à¤Ÿ थी सो दोपहर करीब 3 बजे घर पहà¥à¤‚चा, देखा तो सोनू अà¤à¥€ तक नहीं आया था जबकि उसको पहले ही बोल दिया था की 2-3 बजे तक आ जाना॥
चलो जब तक सोनू आà¤à¤—ा तब तक अपनी पैकिंग ही कर लेते हैं। यह सोच कर सब को फोन कर शाम को 8 बजे तैयार रहने को बोल दिया।
दिलà¥à¤²à¥€ से करीब हम लोगों ने 8 बजे पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। दिलà¥à¤²à¥€ के जाम से निपटकर अà¤à¥€ गाज़ियाबाद ही पहà¥à¤šà¥‡ थे की सब लोगों को à¤à¥‚ख लग आई और सब ढूंढने लगे कोई खाने पीने की बड़िया सी जगह।
हम सब लोग खाने और पीने के शौकीन थे इसलिठयह पहले ही तय कर लिया गया था की खाने पीने के टाइम कोई नहीं टोकेगा!
तो मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¨à¤—र मैं à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ सा ढाबा देखकर हम लोगों ने वही डेरा दाल दिया और जिसको जो खाना पीना था खा पीकर चल पड़े। खाते ही सब लोग लà¥à¤¡à¤¼à¤• गà¤
बस इसके बाद तो सीधे मà¥à¤œà¤œà¤«à¤°à¤¨à¤—र जाकर ही आà¤à¤– खà¥à¤²à¥€, घड़ी मैं समय देखा तो 2 बज रहे थे। कà¥à¤¯à¥‚ंकी सोनू को गाड़ी रातà¤à¤° चालानी थी तो उसको वहाठचाय पीने के लिठगाड़ी रà¥à¤•वाई और चाय वागेरह पीकर चल पड़े, इसके बाद हमने सीधा रà¥à¤– किया सहारनपà¥à¤° की तरफ जो की हमारी बहà¥à¤¤ बड़ी गलती साबित हà¥à¤ˆà¥¤!!
हà¥à¤† यूं की इस तरफ का रासà¥à¤¤à¤¾ बड़ा ही बेकार था, पूरे 60 – 70 किमी तक ऊबड़ खाबड़ और खडà¥à¤¡à¥‹ से à¤à¤°à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ था
खैर कà¥à¤¯à¤¾ कर सकते थे बस सब लोग मà¥à¤à¥‡ कोसते हà¥à¤¯à¥‡ जा रहे थे। किसी तरह सहारनपà¥à¤° पार हà¥à¤†à¥¤
सà¥à¤¬à¤¹ करीब 7 बजे विकासनगर से पहले हरबरà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤° मैं चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के लिठगाड़ी फिर रोकी। चाय वागेरह पीकर हम लोग विकासनगर पहà¥à¤‚चे।! किसी से पता किया तो पता चला की अà¤à¥€ चकराता काफी दूर हैं। विकासनगर पार करते ही दूर से चकराता के पहाड़ियाठनज़र आने लगी। हथिनीकà¥à¤‚ड बैराज के बाद तो रोड और अचà¥à¤›à¤¾ हो गया था और रासà¥à¤¤à¥‡ की सारी नींद उतार गयी। बस अब इंतज़ार करने लगे कब चकराता पहà¥à¤‚चे।
खैर, किसी तरह दोपहर 12 बजे हम लोग चकराता पहà¥à¤‚चे, वहाठजाकर देखा तो सचमà¥à¤š लगा किसे हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर हैं। यह जगह और à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ वाले हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से बिलकà¥à¤² जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ थी। पहली बार किसी à¤à¤¸à¥‡ जगह हम लोगों का आना हà¥à¤¯à¤¾ था अब तक को बस हमने मसूरी जैसे जगह ही देखी थी, कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† अगर थोड़ी दूर थी तो?
बस हम लोगों ने होटल के लिठछानबीन शà¥à¤°à¥‚ की। पता चला की चकराता मैं सिरà¥à¤« 4 ही होटल हैं, जिसमे से दो तो चकराता से काफी दूर हैं।
जो दो होटल चकराता मैं थे वो थे “होटल हिमगिरि और होटल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤¨â€ और यह दोनों होटल ही मारà¥à¤•ेट के बीचों बीच थे। होटल हिमगिरि मैं जैसे ही घà¥à¤¸à¥‡ वैसे ही “हाऊसफà¥à¤²â€ का बोरà¥à¤¡ दिख गया। तà¤à¥€ के तà¤à¥€ हम लोग दोड़ पड़े “होटल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤¨â€ की तरफ, होटल मैं रूम तो मिल गया वो à¤à¥€ ससà¥à¤¤à¤¾ पर सब लोगों ने माना कर दिया जिसका कारण था उस होटल की लोकेशन, होटल काफी संकà¥à¤²à¤¿à¤¤ जगह मैं था जिसके वजह से हम लोगों का वहाठरहने का मन नहीं करा और वहाठसे निकाल गठकाफी निराशा हà¥à¤ˆà¥¤ à¤à¤• बार फिर मैं सब लोगों के निशानो पर था, कसम से अगर उस चारो मैं से किसी के पास बंदूक होती तो…… फिर किसी से पूछा के “होटल सà¥à¤¨à¥‹ वà¥à¤¯à¥‚†कहाठपड़ेगा तो हमे बताया गया की 1 किमी दूर कहीं पर हैं और दूसरा “होटल हिमालयन पैराडाइसे†करीब 7 किमी दूर हैं और वो तो चकराता के सीमा से ही बाहर हैं, अà¤à¥€ शायद à¤à¤• और होटल बन गया हैं दोनों होटेलों के बीच में“होटल हिल नाइटà¥à¤¸â€à¥¤
काफी दूर जाने पर à¤à¤• दाहिनी हाथ पर à¤à¤• छोटा सा रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाये पड़ा जहां होटल सà¥à¤¨à¥‹ वà¥à¤¯à¥‚ का बोरà¥à¤¡ लगा हà¥à¤¯à¤¾ था। रोड़ से देखने पर वहाठसे कà¥à¤› नहीं दिखाई दे रहा था, फिर हिमà¥à¤®à¤¤ कर के गाड़ी उसी मोड पर घà¥à¤¸à¤¾ दी।
होटल पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही सब लोगों की थकान à¤à¤• ही सेकंड मैं छू हो गयी। कà¥à¤¯à¤¾ करें नज़ारा ही इतना सà¥à¤‚दर था तीन तरफ पहाड़ी से घिरा हà¥à¤† à¤à¤• होटल जहां नज़रें घà¥à¤®à¤¾à¤“ं सिरà¥à¤« पहाड़ ही पहाड़।
तà¥à¤°à¤‚त ही मैनेजर साहब को आवाज़ मारी, और कमरों के बारें मैं पूछा और उनके यह बोलते ही “मिल गाà¤à¤—ा†सांस मैं सांस आई। फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ किसी लड़के को बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और कमरा दिखने को बोला।
इस होटल मैं दो तरह के रूम थे, à¤à¤• छोटा जिसमे सिरà¥à¤« à¤à¤• डबल बेड हैं और दूसरा “सà¥à¤‡à¤Ÿâ€ जिसमे दो कमरे और दो डबल बेड थे। सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨ के हिसाब से यह छोटे कमरे काफी अचà¥à¤›à¥‡ थे। और बिलकà¥à¤² कोनो पर बने हà¥à¤¯à¥‡ थे, और किराया à¤à¥€ काफी ठीक था। जबकि सà¥à¤‡à¤Ÿ जैसे कमरो का दाम बिलकà¥à¤² डबल था। छोटे कमरे के 700 रॠऔर बड़े के 1400 रà¥à¥¤
हम लोगों ने à¤à¤• बड़ा कमरा लिया कà¥à¤¯à¥‚ंकी हम लोग à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थे। फिर अपना अपना समान रखकर हम लोग à¤à¤• à¤à¤• करके फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने को गà¤à¥¤ मेरा मन तो कमरे के अंदर लग ही नहीं रहा था।
पहले तो तसलà¥à¤²à¥€ से à¤à¤• कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बेठकर सिरà¥à¤« दूर तक जहां नज़रें देख सकती थी देखता रहा।
अब à¤à¥‚ख à¤à¥€ काफी लग आई थी, सो पहले खाना ऑरà¥à¤¡à¤° किया। यहाठरहने की सिरà¥à¤« यही à¤à¤• दिकà¥à¤•त हैं की आप खाना खाने बाहर नहीं जा सकते और अगर जाना हो तो à¤à¤• किमी वापस मारà¥à¤•ेट जाओ।
फिर कà¥à¤› देर आराम करने के बाद सोचा थोड़ा कहीं बाहर घूम आयें तो पता चल की थोड़ी दूर लगà¤à¤— 5 किमी पेदल की यातà¥à¤°à¤¾ के बाद à¤à¤• बोहà¥à¤¤ ही जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ à¤à¤°à¤¨à¤¾ हैं जिसका नाम हैं टाइगर फॉल।














यात्रा वर्णन बहुत अच्छा है, फोटो भी बहुत सुंदर हैं , पर एक बात “जाओ तो शान से और आओ तो शान से”, एक कार में ६ जन जायेंगे तो शान वाली बात कुछ पता नहीं लगी.
धन्यवाद
धन्यवाद सुरिन्दर जी,
जैसा के नीचे नन्दन जी ने कहा की वैन थी, और उसमे 8 लोग आराम से बैठ सकते हैं। हम लोग 5 पीछे बैठे थे
जिसके कारन काफी सुविधा हुयी॥
धन्यवाद योगेश, यह तो मजाक की बात थी, मैं जब आता हूँ तो बोईंग में ४०० यात्री होते हैं और यह हालत खराब वाली यात्रा होती है, पर देल्ही में जैसे ही कुली साहिब ट्रेन की तरफ मेरा अटेची ले कर चलते हैं तो अच्छा लगता है और मैंने उनकी फोटो एल्बम में लगाई हुई है.
चकराता के बारे में अच्छी पोस्ट हैं. धन्यवाद… वन्देमातरम…
धन्यवाद प्रवीण गुप्ता जी
बहुत बढ़िया और अच्छा लिखा हैं आपने | चकराता हम गए तो नहीं पर आप के लेख से इसके बारे में जानने को मिला |कुछ फोटो तो बहुत ही अच्छे है….|
हिंदी में अच्छी शुरुआत कि हैं आपने…..पर अभी आपको थोड़ी और मेहनत करने की जरुरत हैं…..क्योकि कही कही थोड़ा मात्राओं की गड़बड़ी हो गयी है ….|
धन्यवाद !
धन्यवाद
आगे ध्यान रखा जाएगा।
योगेश, काफी दिनों बाद आपका लेख आया है | बढ़िया लिखा हुआ है | जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, हम लोग भी इसी होटल में रुके थे, वाकई में लोकशन अमेजिंग है |
@ शर्मा जी – एक फोटो से ऐसा आभास हो रहा है की मारुती वैन है तो उसमे तो ६ लोग आसानी से आ जातें हैं , बाकी योगेश ही बता सकतें हैं | अगले लेख के इंतज़ार में |
धन्यवाद नन्दन जी,
जी सही कहाँ आपने लोकेशन वाकई जबर्दस्त हैं। और गाड़ी के बारे मैं भी सही विचार हैं॥
श्रीमान मेजामेस चार उ,
चकराता का अच्छा विवरण लिखा है आपने, और तस्वीरें भी बहुत अच्छी हैं. लिखते रहिये………..
आपका लेख देख चकराता की याद हो आयी, श्रीखन्ड यात्रा से वापसी में हम अपनी-अपनी बाइक से यहाँ इसी टाईगर फ़ॉल को देख कर आये थे, अब आपके लेख से देखेंगे कि अब एक साल बाद यह कैसा होगा?
मस्ती भरी यात्रा चलने दो, घुमक्कडी जिन्दाबाद,
इस बार मैं भी चकरौता ही घूमने जाऊंगा ! होटल भी यही चलेगा भले ही कित्ता भी दूर हो ! खाना पैक करा कर ले जायेंगे या वहीं बनवा लेंगे !
Really CHAKRATA is a good place for Ghumakkars . your post remind me my trip to Chakrata . I have also visited Chakrata , Lakhamandal etc. four years ago.
Dear
Rahul sanskritayan ke bad etana badiya yatra vivran padne ko mila. dil khush ho gaya.
chakrata ke bare me dehradun yatra ke samay suna tha lekin aapka vivran pad kar laga me svayam yatra kar raha hoo. hindhi me likhane ke liye bahut bahut saduvad.