राजस्थान यात्रा: भाग २ (बीकानेर)
खैर हम पहले अपने होटल गए क्योंकि सब लोग ४-५ घंटे की सड़क यात्रा के बाद थक से गए थे और कुछ खाने पीने की ज़रूर दिखाई दे रही थे| होटल एक हवेलीनुमा मकान था, जो कि बाद में हमने देखा कि वहाँ आम बात है| किसी रिटायर्ड सरकारी अफसर का घर था जो कि उसने होटल में बदल दिया था| ये एक अच्छा व्यापार है बीकानेर में जहां यात्रियों, खासकर, विदेशी डालर यूरो वाले, की संख्या ज़्यादा है और लोकल लोगों के लिए ये पैसा कमाने का अच्छा ज़रिया है| होटल बहुत सस्ता तो नहीं था, करीब १५०० रुपये प्रति रात डबल बेड के लिए (घुसलखाने के साथ) लेकिन ठीक-ठाक था, सफाई ठीक थी और ऊपर एक रेस्तारेंट भी था जहां से नजारा काफी अच्छा था| लेकिन जिस बात ने हमारा पहुँचते ही मूड आफ किया वो ये थी कि स्टाफ विदेशी लोगों में ज़्यादा मशगूल थे और भारतीय ग्राहकों को नज़रंदाज़ कर रहे थे| इस बात को लेकर हमारी थोड़ी कहा-सुनी हुई और फिर स्टाफ का रवैया एक दम बदल गया| रात को खाना खा-पीकर हम बिस्तरों में घुस गए क्योंकि अगले दिन कई सारी जगह देखने जाना था|
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