शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ से à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ का गहरा रिशता  रहा है । यह तथà¥à¤¯ इसी से पà¥à¤°à¤•ट होता है कि जीवन के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ के २५ वरà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¾à¤¸( चारà¥à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¸ ) बà¥à¤¦à¥à¤§ ने शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ मे ही बिताये । बà¥à¤¦à¥à¤§ वाणी संगà¥à¤°à¤¹ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤• के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त ८à¥à¥§ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ ( धरà¥à¤® उपदेशॊ ) को à¤à¤—वानà¥â€Œ बà¥à¤¦à¥à¤§ ने शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ मे ही दिये थे , जिसमें ८४४ उपदेशों को जेतवन – अनाथपिंडक महाविहार में व २३ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को मिगार माता पूरà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤® मे उपदेशित किया था । शेष ४ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ समीप के अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ मे दिये गये थे । à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ के महान आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गौरव का केनà¥à¤¦à¥à¤° बनी शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ का सांसà¥à¤•ृतिक पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ मे à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• विधà¥à¤µà¤‚सों के बाद वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मे à¤à¥€ यथावत है ।
इतिहास मे दृषà¥à¤Ÿà¤¿ दौडायें तो कई रोचक तथà¥à¤¯ दिखते हैं । पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में यह कौशल देश की दूसरी राजधानी थी। à¤à¤—वान राम के पà¥à¤¤à¥à¤° लव ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥€ बौदà¥à¤§ व जैन दोनो का तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है।
माना गया है कि शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आज आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सहेत महेत गà¥à¤°à¤¾à¤® है जो à¤à¤• दूसरे से लगà¤à¤— डेढ़ फरà¥à¤²à¤¾à¤‚ग के अंतर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। यह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤•ालीन नगर था, जिसके à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤· उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯ के, बहराइच à¤à¤µà¤‚ गोंडा जिले की सीमा पर, रापà¥à¤¤à¥€ नदी के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ किनारे पर फैले हà¥à¤ हैं।
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