यातà¥à¤°à¤¾ विवरण सामगà¥à¤°à¥€ तालिका – à¤à¤¾à¤— 1 : अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾- पोंटा साहिब – केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल- ऋषिकेश
बहà¥à¤¤ दिनों से केदारनाथ जाने की इचà¥à¤›à¤¾ थी। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2010 में जब अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ से लौट रहे थे तà¤à¥€ कà¥à¤› मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा की यार सहगल अगले साल कहीं और का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाओ। मैंने कहा चलो अगले साल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के चार धाम की यातà¥à¤°à¤¾ कर के आते हैं। जून में यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€,गंगोतà¥à¤°à¥€ ,केदारनाथ और बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ घूम आयेंगे और जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ में अमरनाथजी आ जायेंगे। साथियों ने कहा की दो यातà¥à¤°à¤¾ साथ-साथ करना मà¥à¤¶à¤•िल है इसलिठअगले वरà¥à¤· अमरनाथ को डà¥à¤°à¤¾à¤ª कर देते हैं। अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ को डà¥à¤°à¤¾à¤ª करना मà¥à¤à¥‡ मंजूर नहीं था ।मैं अमरनाथ जी जरूर जाना चाहता था । बातचीत आई गयी हो गयी ।
अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2011 में फिर से बात शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ की कहाठघà¥à¤®à¤¨à¥‡ चलें । जब à¤à¥€ हम गà¥à¤°à¥à¤ª में जाते हैं तो घà¥à¤®à¤¨à¥‡-फिरने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाने, रासà¥à¤¤à¤¾ व दिन तय करने,गाड़ी बà¥à¤• करने आदि की जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¥€ मेरी होती है जिसे बाकी साथियों के साथ विचार विमरà¥à¤¶ के बाद अंतिम रà¥à¤ª दे दिया जाता है। इस बार à¤à¥€ काफी विचार विमरà¥à¤¶ के बाद यह तय हà¥à¤† की जून में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड चार धाम की यातà¥à¤°à¤¾ करेंगे और जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ में जिसे अमरनाथ जी जाना हो वो चला जाये । मैंने बाकी साथियों से पूछा की जो अमरनाथजी जाना चाहते हों मà¥à¤à¥‡ बता दें ताकि मैं अपने साथ उनका à¤à¥€ रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा दूं । लेकिन सà¤à¥€ ने मना कर दिया । मैंने सोचा चलो पहले उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड घूम आयें बाद मैं अमरनाथजी का सोचेंगे इसीलिठमैंने à¤à¤• अनà¥à¤¯ दोसà¥à¤¤ को अमरनाथजी यातà¥à¤°à¤¾ के लिठदो रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ फॉरà¥à¤® लेने को बोल दिया ।11 जून 2011 का दिन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड चार धाम की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया गया। यातà¥à¤°à¤¾ के लिठकà¥à¤² 8 लोग सेलेकà¥à¤Ÿ किये गठबाकी 2 -3 लोगो को विनà¥à¤°à¤®à¤¤à¤¾ से मना किया गया ।इन 8 लोगों में से हम चार सहकरà¥à¤®à¥€ थे और दो मेरे बचपन के दोसà¥à¤¤ बाकी दो हमारे जानकार थे । à¤à¤• तवेरा गाड़ी 1 +9 सिटर यातà¥à¤°à¤¾ के लिठबà¥à¤• कर ली गयी । हमने जून का महीना इसलिठचà¥à¤¨à¤¾ था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि इन दिनों पहाडॊं में बारिश की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ कम होती है और à¤à¥‚सà¥à¤–लन का खतरा à¤à¥€ ।
जिस टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤² à¤à¤œà¥‡à¤‚ट से हमने गाड़ी बà¥à¤• की थी उसने यातà¥à¤°à¤¾ से 5 -6 दिन पहले फोन पर बताया की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में à¤à¤¾à¤°à¥€ बारिश की वजह से काफी à¤à¥‚सà¥à¤–लन हà¥à¤† है और बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और गंगोतà¥à¤°à¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡ बंद हो गठहैं à¤à¤µà¤‚ उसकी सà¤à¥€ गाड़ियाठवहीठफंसी हà¥à¤ˆ हैं ।यह समाचार सà¥à¤¨à¤•र हम सब को बहà¥à¤¤ चिंता होने लगी और अपना पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ लगने लगा । मैंने इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और गंगोतà¥à¤°à¥€ के कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¿à¤¨à¤¿à¤• टेलीफोन नंबर नोट किये और वहां बात की ।उनसे मालूम हà¥à¤† की रासà¥à¤¤à¥‡ बंद तो हà¥à¤ हैं लेकिन 1 -2 दिन में फिर से खà¥à¤² जायेंगे। इस खबर से सà¤à¥€ साथियों को संतोष हà¥à¤† की यातà¥à¤°à¤¾ की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ अà¤à¥€ बाकी है ।लेकिन टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤² à¤à¤œà¥‡à¤‚ट नखरे करने लगा कि रासà¥à¤¤à¥‡ बहà¥à¤¤ खराब हैं, मेरी गाड़ी अà¤à¥€ तक वापिस नहीं आई ,गंगोतà¥à¤°à¥€ नहीं जाऊà¤à¤—ा , आदि आदि । इसी कशमकश में 2 -3 दिन ओर निकल गठ। यातà¥à¤°à¤¾ से 3 दिन पहले टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤² à¤à¤œà¥‡à¤‚ट ने कहा की उसकी गाड़ियाठवहीठफंसी हà¥à¤ˆ हैं आपके जाने तक आ नहीं पाà¤à¤‚गी और जाने से मना कर दिया। बड़ी मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ हो गयी ।कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जून -जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ के महीने में सीजन के कारण, à¤à¤•दम से 8-10 दिन के लिठसे गाड़ी बà¥à¤• करना बड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल है और मिलती à¤à¥€ है तो बहà¥à¤¤ महंगी। हमारे साथ à¤à¥€ यही हà¥à¤†à¥¤ बारिश की वजह से उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड जाने को कोइ à¤à¥€ गाड़ी वाला तैयार नहीं हो रहा था ।बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से दूसरे शहर से à¤à¤• गाड़ी वाला तैयार हà¥à¤† वो à¤à¥€ सिरà¥à¤« बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और केदारनाथ के लिठ।यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ ,गंगोतà¥à¤°à¥€ का विचार तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना पड़ा ।
हमने सोचा की छà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤ तो ली ही हà¥à¤ˆ हैं और हम यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ ,गंगोतà¥à¤°à¥€ जा नहीं रहे तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हम वापसी में हेमकà¥à¤‚ड साहेब चलें जो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के रासà¥à¤¤à¥‡ में ही पड़ता है । हेमकà¥à¤‚ड साहिब सिखों का à¤à¤• पूजनीय सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है । सिखों के पूजà¥à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, गà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के नामों के आगे साहिब लगा दिया जाता है जैसे हरिमंदर साहिब, हेमकà¥à¤‚ड साहिब, आनंदपà¥à¤° साहिब। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ को à¤à¥€ कई लोग शà¥à¤°à¤§à¤¾ से गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साहिब कहते हैं। गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ साहिब कहा जाता है।जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ शà¥à¤°à¤§à¤¾ दिखानी हो तो साहिब जी à¤à¥€ कहा जाता है। तो दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ आखिर में केदारनाथ,बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और हेमकà¥à¤‚ड साहिब का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® फाइनल हà¥à¤† । 11 जून 2011 को सà¥à¤¬à¤¹ 7 बजे निकलने का तय हà¥à¤†à¥¤
चूंकि हम लोग गà¥à¤°à¥à¤ª में जा रहे थे इसलिये मà¥à¤à¥‡ अपने सब साथियों का परिचय आपसे करवा देना चाहिठ। इनमे से सिरà¥à¤« सतीश हमारे गà¥à¤°à¥à¤ª में नया था बाकी सब लोग पिछà¥à¤²à¥€ अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ में साथ जा चà¥à¤•े थे।
संजीव शरà¥à¤®à¤¾ जी : हमारे वरिषà¥à¤ सहकरà¥à¤®à¥€ हैं ।शांत सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के तथा मà¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥‚-à¤à¤¾à¤·à¥€à¥¤ अपने काम में काफी दकà¥à¤·, सजà¥à¤œà¤¨, दà¥à¤°à¥à¤¢à¤¼ निशà¥à¤šà¤¯à¥€ à¤à¤µà¤‚ बहà¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के धनी। मेरी तरह औसत दरजे के Tracker। मेरे साथ दो बार (2009,2010 ) अमरनाथ जा चà¥à¤•े है।
हरीश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी : मेरे सहकरà¥à¤®à¥€ हैं । वे इस यातà¥à¤°à¤¾ के अधिकृत खजांची थे और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥‚ पà¥à¤°à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€à¥¤ पूरी यातà¥à¤°à¤¾ में वे अपने परिचितों को फोन पर लगातार सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की पूरी जानकारी देते रहे और हम सबको पकाते रहे। वे इस यातà¥à¤°à¤¾ में समय-सारणी के सà¥à¤µà¤¯à¤‚-à¤à¥‚ असफ़ल अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ थे। कब खाना है, कब पीना है , कब सोना है , कब उठाना है, कब चलना है ,कब रà¥à¤•ना है आदि आदि। काफी बोलते हैं और ऊà¤à¤šà¤¾ बोलते हैं लेकिन उनका दिल बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह निरà¥à¤®à¤² है। जहाठà¤à¤• बार चले जाà¤à¤ दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ नहीं जाते इसीलिठहमारे साथ कà¤à¥€ अमरनाथ नहीं गठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरे संपरà¥à¤• में आने से पूरà¥à¤µ à¤à¤• बार अमरनाथ जी की यातà¥à¤°à¤¾ कर चà¥à¤•े हैं।
नरेश सरोहा : ये à¤à¥€ मेरे सहकरà¥à¤®à¥€ हैं। देखà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में डीले-डाले लगते हैं। धीरॆ- धीरॆ बोलते हैं और धीरॆ- धीरॆ चलते हैं। पहाड़ों को देखते ही बीमार हो जाते है। सà¤à¥€ बीमारियॉ जाग उठती हैं लेकिन फिर à¤à¥€ मेरे साथ 2 बार (2009,2010 ) अमरनाथ जा चà¥à¤•े हैं। ये हमारे अनà¥à¤¯ सह-यातà¥à¤°à¥€ सोनू के जीजा जी हैं ।
राजीव @ सोनू : काफी à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ है और टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग में काफी तेज। à¤à¤• बार 2010 में हमारे साथ अमरनाथ जी की यातà¥à¤°à¤¾ कर चà¥à¤•े हैं। नरेश सरोहा के साला साहेब। वैसे तो जीजा जी और साले में बहà¥à¤¤ बनती है लेकिन पहाड़ पर चड़ते हà¥à¤ बिलकà¥à¤² नहीं बनती ।सोनू सबसे आगे चलने वाला और नरेश सबसे पीछे।
शतीश जी: सोनू के दोसà¥à¤¤ थे ओर पेशे से वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ । पहली बार हमारे साथ जा रहे थे। उनके बारे मे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जानकारी नहीं थी ,लेकिन धारà¥à¤®à¤¿à¤• परà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€ के लग रहे थे ।
शà¥à¤¶à¥€à¤² मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾: मेरे बचपन का और पà¥à¤°à¤¿à¤¯ दोसà¥à¤¤à¥¤ फिट और à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ, काफ़ी मनोरंजक परà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€ का। मेरे साथ बहà¥à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ कर चà¥à¤•ा है और अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ साथी है ।हमारी आपस में काफी अचà¥à¤›à¥€ समठहै ।à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के मन की बहà¥à¤¤ सी बातें हम बिना कहे समठजाते हैं ।
सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ ऊरà¥à¤«à¤¼ सीटी : यह à¤à¥€ मेरे बचपन का दोसà¥à¤¤ है। तीन बार छोड़कर अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ साथी। काफ़ी कमीना आदमी है। कहीं à¤à¥€ जाना हो , आखिरी वक़à¥à¤¤ तक ना मना करेगा ना ही हाठ।अगर हम मना कर दें तो गà¥à¤°à¤¹ मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ से सिफ़ारिश करवा देगा। हाठकरने के बाद सबसे लेट पहà¥à¤à¤šà¤—ा, फिर नखरेबाजी। लेकिन हम à¤à¥€ कम थोड़े हैं ,उसके दोसà¥à¤¤ है। सारे रासà¥à¤¤à¥‡ में सà¤à¥€ चà¥à¤Ÿà¥à¤•लो का केनà¥à¤¦à¥à¤° बिनà¥à¤¦à¥‚ उसे ही बनाते हैं । वैसे तो इनका अपना बिजनस है लेकिन यदि कà¤à¥€ गाड़ी को कोई पोलिस वाला रोक ले तो सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ @ सीटी जी तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ हरियाणा पोलिस के जवान (ASI) बन कर अपना परिचय देतें हैं।
सà¤à¥€ साथियों के परिचय के बाद चलो फिर से यातà¥à¤°à¤¾ पर लौटà¥à¤¤à¥‡ हैं।
हमारा पहली रात ऋषिकेश में रà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था जो अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से सीधे सिरà¥à¤« 200 किलोमीटर है। यानि की हमारे पास काफी समय था और इसलिठहमने रासà¥à¤¤à¥‡ में जाते हà¥à¤ पोंटा साहिब और मसूरी में केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल जाने का निशà¥à¤šà¤¯ किया।इस रासà¥à¤¤à¥‡ से ऋषिकेश 50 -60 किलोमीटर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पड़ रहा था लेकिन दो महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ कवर हो रहे थे ।सà¤à¥€ लोगों से कहा गया की पहले दिन का लंच घर से लेकर आयें ,इसके अलावा हमने काफी बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और सà¥à¤¨à¥ˆà¤• रासà¥à¤¤à¥‡ के लिठखरीद लिठ।और आखिरकार 11 जून 2011 , दिन शनिवार आ ही गया । सà¤à¥€ लोग तैयार होकर पहले से निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मिलते रहे और गाड़ी में सवार होते गठ.लेकिन अà¤à¥€ सीटी साहेब नहीं पहà¥à¤šà¥‡ थे । हमने गाड़ी को महेश नगर में रà¥à¤•वा कर उसका इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥ किया। हम पिछले à¤à¤• घनà¥à¤Ÿà¥‡ से उसे फोन कर रहे थे ताकि वो लेट ना हो जाये और अब तो उसने फोन उठाना à¤à¥€ बनà¥à¤¦ कर दिया, घर पर फोन किया तो बताया कि चले गये हैं, लेकिन गाड़ी पर नहीं पहà¥à¤šà¥‡ जबकि सिरà¥à¤«à¤¼ 3-4 मिनट का रासà¥à¤¤à¤¾ था । हमें ( मà¥à¤à¥‡ और सà¥à¤¶à¥€à¤² को ) मालूम था कि अà¤à¥€ वो तैयार नहीं हà¥à¤† होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो हमारा बचपन से दोसà¥à¤¤ है और हम उसकी रग रग से वाकिफ़ हैं। हम सबको काफ़ी गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आ रहा था, अरे जब सात लोग à¤à¤• आठवें की काफ़ी देर इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° करेंगें तो गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आयेगा ही। हमने यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया कि यदि वो 8:30 तक नहीं आया तो हम उसे छोड़ कर चले जायेंगे और वो पठठा पूरे 8:28 पर वहाठपहà¥à¤à¤š गया और वो à¤à¥€ अकेले नहीं ,साथ में अपने 9-10 साल के बेटे को à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ के लिये ले आया। हम उसका सà¥à¤µà¤¾à¤—त गालियों से करने को तैयार बैठे थे लेकिन उसके बेटे के कारण वैसा ना कर पाये। लेकिन फिर à¤à¥€ उसका ‘यथायोगà¥à¤¯â€™ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया गया।
लगà¤à¤— सà¥à¤¬à¤¹ 8:30 पर हम अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से पोंटा साहिब के लिठनिकल गà¤à¥¤ अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से पोंटा साहिब की दà¥à¤°à¥€ 100 किलोमीटर है और हम मौज मसà¥à¤¤à¥€ करते हà¥à¤ 10 :30 तक पोंटा साहिब पहà¥à¤à¤š गठ।
(पांवटा साहिब हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सिरमौर जिले के दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में à¤à¤• सà¥à¤‚दर शहर है।राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 72 इस शहर के मधà¥à¤¯ से चला जाता है।यह सिखों के लिठà¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² और à¤à¤• औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक शहर है। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पौंटा साहिब, पौंटा साहिब में पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ है।सिखों के दसवें गà¥à¤°à¥, गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में पौंटा साहिब के गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ को बनाया गया था। दशम गà¥à¤°à¤‚थ, गà¥à¤°à¥ गोबिंद सिंह जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यहीं लिखा गया था। इस तथà¥à¤¯ की वजह से इस गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ को विशà¥à¤µ à¤à¤° में सिख धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और बहà¥à¤¤ ही उचà¥à¤š धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। )

रà¥à¤ª फ़ोटो : (बाà¤à¤ से दाà¤à¤ )सोनà¥, मैं ,पीछे हरीश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, नरेश सरोहा, शà¥à¤¶à¥€à¤²,सीटी व उसका बेटा राहà¥à¤² तथा सतीश
डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने गाड़ी को गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के बाहर पारà¥à¤•िंग में लगाया और हम लोग गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में दरà¥à¤¶à¤¨ को चले गठ।हम सà¤à¥€ लोग वहां पहली बार गठथे। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अंदर से बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर और सजाया हà¥à¤† था । वहां माथा टेकने के बाद हलवे का परशाद लिया और पिछली तरफ से बाहर निकले ।गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के पिछली तरफ यमà¥à¤¨à¤¾ नदी बह रही थी । पूरा घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के बाद वापिस गाड़ी पर पहà¥à¤à¤š गठ। दो चार फोटो खीचने के बाद वापिस गाड़ी में सवार हो गठऔर अगले लकà¥à¤·à¥à¤¯ की और चल दिठ।
पोंटा साहिब से बहार निकलते ही à¤à¤• चाय की दà¥à¤•ान पर गाड़ी रोकी और चाय का आरà¥à¤¡à¤° दिया । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤¬à¤¹ सब ने हलà¥à¤•ा नाशà¥à¤¤à¤¾ किया था और थोडी à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी इसलिठबैग से पैक किये हà¥à¤ परांठे और आचार निकाला और सब शà¥à¤°à¥‚ हो गठ।डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° साहिब को à¤à¥€ परांठे खिलाये ।परांठो के साथ à¤à¤• चाय कम पड़ गयी इसलिठà¤à¤•-2 चाय और मंगाई गयी । पेट पूजा करने के बाद मसूरी के कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल की और चल दिà¤à¥¤ पोंटा साहिब से कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल (मसूरी) की तरफ जाने के दो रासà¥à¤¤à¥‡ हैं । पहला रासà¥à¤¤à¤¾ NH -7 से हरà¥à¤¬à¤¤à¤ªà¥à¤°, देहरादून से जाते हà¥à¤ मसूरी पहà¥à¤‚चता है । मसूरी से 15 किलोमीटर आगे कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल है यानि की कà¥à¤² दà¥à¤°à¥€ लगà¤à¤— 100 किलोमीटर । दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ विकास नगर ,डाक पतà¥à¤¥à¤° ,यमà¥à¤¨à¤¾ पà¥à¤² होते हà¥à¤ (SH -123 ) सीधा केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल पहà¥à¤‚चता है। यह दà¥à¤°à¥€ लगà¤à¤— 70 किलोमीटर है। यही रोड आगे मसूरी चली जाती है । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ छोटा था और हमारे लिठनया à¤à¥€ इसलिठहमने इसी रासà¥à¤¤à¥‡ से जाने का निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया । गाड़ी शीघà¥à¤° ही मैदानी रासà¥à¤¤à¥‡ को छोड़ कर पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ पर पहà¥à¤à¤š गयी और रासà¥à¤¤à¤¾ धीरे-२ खतरनाक होता गया ।सड़क पर नाममातà¥à¤° टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• था और सड़क की हालत काफी ख़राब थी और कà¥à¤› जगह तो सड़क की चौडाई केवल à¤à¤• गाड़ी के लिठही थी । धीरे-२ चलते हà¥à¤ आखिरकार, लगà¤à¤— 2 बजे केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल पहà¥à¤à¤š गठ।
गाड़ी से उतर कर नीचे केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल की और चल पड़े । इसके लिठलगà¤à¤— 300 -400 मीटर नीचे उतरना पड़ता है। गरà¥à¤®à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की छà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वहां बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी । लोग à¤à¤°à¤¨à¥‡ के नीचे नहाते हà¥à¤ काफी मौज मसà¥à¤¤à¥€ कर रहे थे ।à¤à¤°à¤¨à¥‡ के नीचे पानी को रोक कर 2 -2.5 फीट गहरी कृतिम à¤à¥€à¤² बनाई हà¥à¤ˆ है जिसमे लोग अपने परिवार और साथियों के साथ खूब मसà¥à¤¤à¥€ कर रहे थे । हमारा मन à¤à¥€ नहाने को किया लेकिन हम अपना सारा सामान तो ऊपर गाड़ी में ही रखकर आये थे और ऊपर गाड़ी में जाने को कोई तैयार नहीं था , लेकिन इस समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान à¤à¥€ हमें वहीठमिल गया । वहां कई दà¥à¤•ानदार नहाने के लिठकपडे किराये पर देते है हम सबने à¤à¥€ 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के हिसाब से हाफ पैनà¥à¤Ÿ किराये पर ली और à¤à¤°à¤¨à¥‡ के नीचे नहाने के लिठà¤à¥€à¤² में कूद पड़े ।
जून की गरà¥à¤®à¥€ में ठंडे पानी का à¤à¤°à¤¨à¤¾ , बताने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं कि कितनी मसà¥à¤¤à¥€ कि होगी ।काफी देर बाद थक कर बाहर निकले और चलने के लिठतैयार हो गठ। मैं तो यहाठपहले à¤à¥€ 3 बार आ चूका था लेकिन हम में से 5 लोग यहाठपहली बार आये थे।कà¥à¤› फोटो के बाद हम लोग वापिस गाड़ी में पहà¥à¤‚चे और चल पड़े ।

कैमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फॉल के पास बनायी à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ का उपर से लिया गया चितà¥à¤°
थोड़ी दूर चलने के बाद à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ सी जगह देखकर खाने के लिठरà¥à¤• गठ। नहाने के बाद à¤à¥‚ख à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ लगी हà¥à¤ˆ थी, सà¤à¥€ लोगों ने अपना-२ खाना निकाला और सबने कई तरह के खाने का आनंद लिया ।खाना खाने के बाद चाय पीने का काम à¤à¥€ निपटा लिया गया और जलà¥à¤¦à¥€ से मसूरी की तरफ चल दिठ। मसूरी बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के पास काफी जबरदसà¥à¤¤ टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम था और हमारी गाड़ी à¤à¤• घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इस में फ़सी रही । काफी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से इस टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम से निकल कर देहरादून की तरफ निकल लिठऔर वहां पहà¥à¤‚चते-२ शाम हो गयी और अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने लगा ।देहरादून से सीधा ऋषिकेश की सड़क पकड़ी और गाड़ी à¤à¤—ा ली । देवपरà¥à¤¯à¤¾à¤— की तरफ जाने वाली सड़क पर ऋषिकेश में लकà¥à¤·à¥à¤®à¤¨ à¤à¥‚ले के पास पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बैरियर है जहाठरात 8 बजे गेट बंद कर दिया जाता है उससे आगे नहीं जाने दिया जाता । हम लोग लेट हो रहे थे और काफी कोशिश के बाद à¤à¥€ 8:45 पर ही वहां पहà¥à¤‚च सके ।
ऋषिकेश में लकà¥à¤·à¥à¤®à¤¨ à¤à¥‚ले के पास पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बैरियर से लगà¤à¤— 4 किलोमीटर आगे महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दया राम दास जी महाराज का बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€ नाम से आशà¥à¤°à¤® है। हमारा वहीठरà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था , लेकिन पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले हमे आगे नहीं जाने दे रहे थे । मैं अपनी कंपनी का सरकारी पहचान पतà¥à¤° साथ ले गया था । उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वो कारà¥à¤¡ दिखाया और à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ दिया की हम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€ आशà¥à¤°à¤® ही जा रहे हैं ,उससे आगे नहीं जायेंगे । काफी विनती के बाद पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने हमे जाने दिया ।बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€ आशà¥à¤°à¤®, जाते हà¥à¤ सड़क के दायीं तरफ गंगा मैया के किनारे बना हà¥à¤† है । कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सड़क काफी उचाई पर है और आशà¥à¤°à¤® काफी नीचे, दिन की रौशनी में à¤à¥€ आशà¥à¤°à¤® सड़क से दिखता नहीं है सिरà¥à¤« à¤à¤• साइन बोरà¥à¤¡ सड़क पर लगा हà¥à¤† है । अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ की वजह से और दिकà¥à¤•त हो रही थी । हम में से सिरà¥à¤« मैं ही पहले वहां à¤à¤• बार आशà¥à¤°à¤® गया था इसलिठसà¤à¥€ मà¥à¤ पर चिलà¥à¤²à¤¾ रहे थे ” अबे कहाठले कर आ गया है जंगल में। कहीं आशà¥à¤°à¤® दिख à¤à¥€ रहा है?” गाड़ी से उतर कर सड़क के किनारे कà¥à¤› लोकल लोग बैठे थे , उनसे पूछा, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया की थोडा सा ही आगे है और इस तरह à¤à¤Ÿà¤•ते -२ , रात लगà¤à¤— 9:00 बजे आशà¥à¤°à¤® पहà¥à¤à¤š गठ। महाराज जी आशà¥à¤°à¤® पर ही थे उनसे जाकर मिले ,अपना परिचय दिया और रà¥à¤•ने की विनती की । तà¥à¤°à¤‚त ही हमें दो कमरे मिल गठऔर आदेश मिला की सामान कमरों में रखकर तà¥à¤°à¤‚त खाना खाने के लिठपंगत में पहà¥à¤à¤šà¥‹ । हमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥‚ख नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि लंच लेट ही किया था फिर à¤à¥€ परसाद समà¤à¤•र खाना खाकर आये । कमरों से 40-50 सीढ़ी नीचे की तरफ़ गंगा मैया जी बड़े शांत à¤à¤¾à¤µ से बह रही थी ।हम सà¤à¥€ लोग सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के लिठवहां पहà¥à¤‚चे और सबने शà¥à¤°à¤¦à¤¾-पूरà¥à¤µà¤• गंगा जी में जी à¤à¤° कर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया ।मेरे ,शà¥à¤¶à¥€à¤² और सीटी के अलावा बाकी सà¤à¥€ लोगों का गंगा जी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का पहला अवसर था। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद हम सब कमरों में आये और थोड़ी देर में सो गà¤à¥¤
पाठको से निवेदन: पà¥à¤°à¤¿à¤¯ दोसà¥à¤¤à¥‹, यह मेरा हिनà¥à¤¦à¥€ में पहला लेख है। हम उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये हिनà¥à¤¦à¥€ बोलना जितना आसान है, कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर पर लिखना उतना ही मà¥à¤¶à¥à¤•िल। सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है वà¥à¤¯à¤¾à¤•रण की काफ़ी गलतियॉ होगीं, कृपà¥à¤¯à¤¾ नजर-अदांज न करें, टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ अवशà¥à¤¯ करें जिससे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिये मदद मिल सके। दोसà¥à¤¤à¥‹ ,लेखक à¤à¥€ दो पà¥à¤°à¤•ार के होते हैं, à¤à¤• जबरदसà¥à¤¤ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के और दूसरे जबरदसà¥à¤¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के। पहली शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के लोगो में लिखने की अदà¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ होती है जैसे की नंदन à¤à¤¾ जी, पà¥à¤°à¤µà¥€à¤¨ वधवा जी, विशाल जी, आदि-आदि बहà¥à¤¤ से लेखक हैं ( जिनका नाम नही लिखा, कृपà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ न हों , आप आदि-आदि में शामिल हैं )। दूसरी शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के मà¥à¤ जैसे लेखकों की à¤à¥€ कोई कमी नहीं है जो दूसरों के लेख पढ़ – पढ़ कर लेखक बनने लगते हैं लेकिन जब लिखने बैठते हैं तो समठही नहीं आता कि कà¥à¤¯à¤¾ लिखा जाये। मैने à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही दà¥à¤ƒà¤¸à¤¾à¤¹à¤¸ किया है लगà¤à¤— 18000 शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला लिखने के लिये 40 दिन से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लग गये। इसलिये आप सब से निवेदन है कि हर à¤à¤¾à¤— (आठà¤à¤¾à¤—) को पढने के बाद टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ अवशà¥à¤¯ करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपकी हर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ दूसरी शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के मà¥à¤ जैसे जबरदसà¥à¤¤à¥€ के लेखक के लिये खà¥à¤°à¤¾à¤• का काम करेगी। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦








I think u r good writer and I enjoyed this. Pl let me know that is every one can stay at Ashram and procedure of booking.
Thanks for enjoying Hemant.
There is no procedure for advance booking. We just went there and give reference of some people, well known to them and Maharaj ji personally knew me. I think they will not refuse anyone if rooms are vacant.
Naresh Ji, Aa ape aap ko zabardast lekhkon mein hi maanein yeh mei guzarish hai. Ab isse aage kehne ki zaroorat shayad rahi nahin.
Thanks for encouragement Bawa ji..But i know I am not a writer..
नरेश जी बहुत सुंदर लिखा है, फोटो भी सुंदर हैं। धन्यवाद
thanks Sharma ji..
An excellent start to your new travelogue, Naresh. Your introduction to your travel mates is beautifully written and the pictures of Kemptee falls and Paonta Saheb Gurudwara look great. Someone who has travelled a dozen times to Amarnath is an extraordinary ghumakkar and must surely be having hundreds of travel stories to share. Keep traveling and keep sharing your experiences with us.
BTW, I think that writing 18,000 words in 40 days is very good. I do not think that I could have managed to write so many words in even a year.
Thanks Narayan Sir,
As we were in a group , I personally feel to introduce all to the readers.
सहगल साहब , वैसे तो सच कहूँ केम्पटी फाल जैसी भीड़ भरी जगह ज्यादा अच्छी नहीं लगती, परन्तु आपके लिए फोटो में वाकई में बहुत ही बढ़िया एवं सुंदर लगी! ऋषिकेश न जाने सैकड़ो बार जाना हुआ लेकिन आपके द्वारा बताये आश्रम से एक दम अनजान हूँ, कृपया हमर भी मार्गदर्श करें की कैसे वहां रुकने की व्यवस्था की जाती है……
Thanks Pankaj..
Regarding staying in the Ashram, I have already replied.
Naresh Saab, but your’s own post is great. 18000 words in 40 days; well – you spent that much time to make it perfect.
I guarantee you that it will take 20 days for next 18k words and then further down the road – 10 days for the further batch.
Thanks for declaring me a Bona-Fide-Mahan author, very soon you’d be catching up and we all be be Khalifa here.
Thanks Praveen Ji..
Actually it took 30 days to write the whole story and then 3-4 more days to read and editing. I include the days which are required by editor team of Ghumakkar Team for publishing it.
सहगल साहब बहुत बढ़िया लिखा आपने, बिलकुल मंझे हुए लेखकों की तरह .
ख़ासकर आपके के साथिया का विवरण बहुत पसंद आया :-)
अगले लेख की प्रतीक्षा में
Thanks Stone..
Next episode on Sunday..03/03/2013
आदरणीय सहगल जी
बहुत शानदार और जबरदस्त (जबरदस्ती नहीं) शुरुआत .
एक बार में पठनीय यात्रा व्रतांत बहुत कम देखने को मिलता है और उसमे भी प्रथम बार लिखने वाले लेखक का यह प्रयास बहुत ही शानदार है.
में आपके प्रथम लेखन को प्रणाम करता हूँ और अगले भाग का इंतजार करता हूँ.
मेरे बड़े भाई नाडी में सर्विस करते है और वहा जाने का मेरा बहुत मन करता है लेकिन बस के सफ़र से में बहुत डरता हूँ आपके लेख में पोंटा साहिब का नाम पड़कर आपसे एक जानकारी छठा हूँ.
अम्बाला से पोंटा साहिब बस से पहुचने में कितना समय लगता है और बस की आवृति क्या है.
साथियो से परिचय करवाने का आपका तरीका पसंद आया.
धन्यवाद
भूपेंद्र सिंह रघुवंशी
Thanks Bhupendra Singh Raghuwanshi ji for liking the post .
There are two ways to go Paonta Sahib from Ambala.
1. Ambala to Jagadhari (YamunaNagar) and from Jagadhari to Paonta Sahib.Total 100 KM ..2hrs
2.Ambala to Naraingarh and Naraingarh to Paonta Sahib via Nahan (we follow this route)
Great !!!!
Thanks …
नरेश जी…
बहुत ही बढ़िया यात्रा विवरण दर्शन रिपोर्ट …और फोटो भी मन को खूब भाये…
वैसे कैम्पटी फाल के ठन्डे पानी में नहाने का अपना अलग ही मजा होता हैं…..
लिखते रहिये…..
Thanks Ritesh Bhai..
Naresh, the first log has come out really really well. When I started reading, I thought that you are sharing a lot of details around the preparation and other personal things, which may not be very useful to fellow readers. But as I read more, I realised that by giving such a terrific introduction, you have been able to give you a wonderful context to your readers.
I also liked your response to DL’s comment. So many times, we write a log and sort of miss to even correctly mention our fellow riders. That talks a lot of you. :-)
I have been to Paonta Sahib few times, a close friend’s home town is Poanta and have great memories of the place and the Gurudwara Sahib. Good, useful details about Kempty.
And I am also not a writer, just an average Ghumakkar trying to share what comes to me. :-) Great beginning. I got caught up with some backend work and could read only now. Now on to next ones.
Thanks Nandan Ji, for your so kind words.
This is the specialty of Ghumakkar. Editor team comes itself to encourage new writer. Now, do not require dinner for today .
Nice start…enjoyed the first part
Most of us are here just to share our experiences of a place that we visited…there is a difference between a blogger and a writer…so don’t hesitate to express yourself in your own way.
Already four posts published and I am late in reading…will read them one by one now…
Thanks Amitava for encouragement ..
जबरदस्ती के लेखक तो आप कही से नहीं लगते नरेश जी, आप से तो काफी कुछ सीखा जा सकता है।
देरी से लिख रख रहा हूँ क्योकि कुछ समय से काफी बिजी था, अभी कोशिश है की चारो पोस्ट एक साथ पढ़ लू . धन्यवाद
Thanks Saurabh Ji.
Benefit of reading late is that you can read many post together. You mat take this advantage.
Well done Naresh as usual very well narrated experience. I enjoyed more in reading your beautiful description than to actually travel there. Keep going you are nowhere like a new writer. Once again very well done and keep going. Also a lot of thanks for describing us (friends) in such wonderful words.
Thanks Sharma Ji.. for your kind words..
Still learning from the experience of the others like you..
Naresh jee
You are just awesome . What a wonderful write up. Have read lot of articles in ghumakkar about Himalayas . But none like this one . The pictures are just out of this world. HEAVEN. specially that Kempty Falls . OH !
Great. Keep it up Sir…
Thanks Vishal Ji..
I am a fan of your writing abilities..You are among those few writers whose Blogs inspired me to write..
Jai Bhole Ki..
Hi Naresh,
A very well written post with the supporting pics… I have been to Kempty 5-6 times but unable to shot the photos as you did. The place now a days is not so enchanting and scenic but you managed to do it with such perfect shots.
Keep Going…
Thanks ASG..
main aaj pehli baar aapka ye article padh raha hun isliye pehla bhag se shuru kia hai,aur meri aadat hai padhne ke baad comment karne ki, to apne ko rok nahi pa raha ,tippani karne se,waise ye aapka kutchh purana post hoga,dusro ke liye jo apni-2 tippani de chuke hain,par mere liye ye naya post hee hai.hun to main hindi bhasi lekin hindi me likhna nahi seekh paaya.aapka ye post mujhe ghummakro ka badshah jat devta ki yaad dila gaya.bahut hee saral bhasa me likhi huee hai,aapka ye post.bahut achchha lag a padhne me,ab dusre post ko padhne ja raha hun ,ummeed hai aage bhi kafi mazedar yatra padhne ko milegi.dhanywad
Thanks Rajesh ji for liking the cost..
सुंदर लेखन.. अच्छा वर्णन.. साथ में यदि कुछ फोन नं भी उपलब्ध होते तो नए लोगो को सहायता हो जाती.. अनेक अनेक धन्यवाद.. रमेश तोरावत जैन अकोला महाराष्ट्र मोबा 9028371436