आज सà¥à¤¬à¤¹ करीब 2 बजे अलारà¥à¤® बजने से पहले ही मेरी आà¤à¤– खà¥à¤² गयी, लगता था जैसे हमारे मचà¥à¤›à¤° मितà¥à¤° à¤à¥€ चाहते थे कि हम रात à¤à¤° माठगंगा के अलौकिक रूप का दरà¥à¤¶à¤¨ करते रहे और इसमें इन मचà¥à¤›à¤°à¥‹à¤‚ ने कोई कसर बाकी ना छोड़ी. ये मचà¥à¤›à¤° मितà¥à¤° ही थोड़ी थोड़ी देर में हमें जगा दिया करते, à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤²à¤¾ अलारà¥à¤® की कà¥à¤¯à¤¾ जरà¥à¤°à¤¤! उठते ही कà¥à¤‚दन को जगाया कि चल à¤à¤¾à¤ˆ, कहीं ये बस à¤à¥€ निकल गई तो फिर कहीं मà¤à¤§à¤¾à¤° में ना लटक जाà¤à¤. कà¥à¤‚दन कल रात की थकान के मारे उठने के मूड में नहीं था पर फिर हिमà¥à¤®à¤¤ दिखाकर उठही गया. गंगा की दो चार बूà¤à¤¦à¥‡à¤‚ अपने ऊपर छिडकी और हो गया गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨…तीन बजे से पहले ऋषिकेश बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था दिन की पहली बस पकड़ने के लिà¤, इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ अपने अपने à¤à¥‹à¤²à¥‡ टांगकर निकल पड़े हम लोग. सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ गलियों से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤, शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में ही हमें कà¥à¤› कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से दो चार होना पड़ा जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर अपनी हालत थोड़ी ढीली हो जाती है, बिना कोई पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¤° दिठऔर à¤à¤¸à¤¾ ढोंग रचकर कि जैसे इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा ही नहीं पतली गली से निकल लिà¤. थोड़ी दूर तक तो ये पीछा करते रहे, पर जब इनका पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ालीन राग बंद हà¥à¤†, तब कहीं जाकर जान में जान आयी. à¤à¥‚ला पà¥à¤² पर पहà¥à¤à¤šà¤•र, सà¥à¤¬à¤¹ के दो बजे गंगा की पावन लहरें असीम शानà¥à¤¤à¤¿ और शीतलता सी पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रही थी, à¤à¤¸à¥‡ में कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ यहाठइस अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® आनंद का सà¥à¤– à¤à¥‹à¤—कर फिर यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ कर दी. लोजी पà¥à¤² पार करते ही कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का à¤à¤• और à¤à¥à¤‚ड हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त करने को ततà¥à¤ªà¤° बैठा था, पर यहाठकà¥à¤› और लोग मौजूद थे जिससे हमें कà¥à¤› साहस मिला और हम इन कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से पीछा छà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤•र मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क पर पहà¥à¤à¤š गà¤. पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ के इस पहर में à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• नगरी में हमारे सिवा कà¥à¤› अनà¥à¤¯ लोगों के चहलकदमी जारी थी. घूमते घामते इस पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ालीन बेला का मजा लेते हà¥à¤ और फोटो खींचते हà¥à¤ चले जा रहे थे, à¤à¤¸à¥‡ में समय का पता ही नहीं चला. देखा तो तीन बजने में लगà¤à¤— 15 मिनट ही बाकी थे. à¤à¤¸à¥‡ में कà¥à¤› उतावली सी होने लगी और कदमों की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° बढ़ाने लगे, चलते चलते सोचा की कोई वाहन आदि मिल जाता तो अचà¥à¤›à¤¾ रहता. वैसे इस समय à¤à¥€ यहाठसडकों पर कà¥à¤› वाहन चल रहे थे. à¤à¤• विकà¥à¤°à¤® वाला आता दिखाई दिया तो हाथ देकर रोका और पूछा कि बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड चलोगे और वो सहरà¥à¤· ही राजी हो गया और रासà¥à¤¤à¥‡ से कà¥à¤› और सवारियाठà¤à¥€ उठा ली.
हम लोग समय से पहले ही यहाठपहà¥à¤à¤š गठथे पर टिकट काउंटर अà¤à¥€ à¤à¥€ बंद था, लेकिन à¤à¤• मिनी बस चलने को तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° खड़ी थी. पता चला कि रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— तक जाà¤à¤—ी, बिना समय गवाà¤à¤, हम लोग बस में चढ़ गà¤. मैंने बस में चढ़ने से पहले ही कà¥à¤‚दन को बताया था कि देख à¤à¤¾à¤ˆ अगर खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का आनंद लेते हà¥à¤ सफ़र करना हो तो आगे कि सीट में बैठेंगे और अगर सोना हो तो पीछे वाली किसी à¤à¥€ सीट पर बैठजाना. मैंने हमेशा की तरह अपनी पसंदीदा चालक के साथ वाली सीट चà¥à¤¨à¥€ और कà¥à¤‚दन ने à¤à¥€ इसमें मेरा साथ दिया. बस के चलने के साथ ही हमारी केदार यातà¥à¤°à¤¾ को हरी à¤à¤‚डी मिली और हम बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ से यातà¥à¤°à¤¾ का आनंद लेने लगे. आज का हमारा लकà¥à¤·à¥à¤¯ केदारधाम में बसेरा करने का था. फिर à¤à¥€ अगर कहीं फंस गठतो कम से कम गौरीकà¥à¤‚ड तो पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ ही था. रासà¥à¤¤à¤¾ सीधा साधा था देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी होते हà¥à¤ सीधा गौरीकà¥à¤‚ड जहाठसे केदारधाम की 14 किमी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होती है.
जैसा कि मà¥à¤à¥‡ पता था थोड़ी देर में जब नींद सताने लगेगी तो कà¥à¤‚दन अपने आगे बैठने के निरà¥à¤£à¤¯ पर पछतायेगा और हà¥à¤† à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही. उजाला होते ही कà¥à¤‚दन अपने लिठपीछे à¤à¤• सीट की तलाश करने लगा और à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ à¤à¤• सीट पर उसने कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ जमा ही लिया. बस इस बार बà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ ना रूककर सीधे देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जाकर रà¥à¤•ी जहाठहम लोगों ने शौच आदि से निवृत होकर, à¤à¤• ढाबे पर जमकर चाय पराà¤à¤ े पेले. बस फिर शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र होते हà¥à¤ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की और अगà¥à¤°à¤¸à¤° हो चली. यहाठपहà¥à¤à¤šà¤•र हमें गौरीकà¥à¤‚ड की बस लेनी थी, बस का पता किया तो इसके आने में अà¤à¥€ थोडा समय था. पर समय हमारे लिठबड़ा कीमती था, इसलिठजीप वालों से पूछतात करने पर à¤à¤• जीप सीधा गौरीकà¥à¤‚ड के लिठमिल ही गयी, पर वो à¤à¥€ फिलहाल सवारियों की बाट जोह रही थी. हालाà¤à¤•ि मेरी पसंदीदा आगे वाली सीट पर पहले ही किसी और ने कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ किया हà¥à¤† था, इसलिठपीछे की सीट से ही संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ रहना पड़ा. जलà¥à¤¦ ही जीप फà¥à¤² हो गयी और यातà¥à¤°à¤¾ फिर शà¥à¤°à¥‚. यहाठसे आगे की यातà¥à¤°à¤¾ में हमें सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ कहीं कà¥à¤› खास टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• जाम नहीं मिला. और हम लोग अगसà¥à¤¤à¤®à¥à¤¨à¤¿, गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी होते हà¥à¤ लगà¤à¤— दो बजे गौरीकà¥à¤‚ड पहà¥à¤‚चे. हमारी आज की पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग सफल रही, ऋषिकेश से गौरीकà¥à¤‚ड हमें कà¥à¤² मिलाकर लगà¤à¤— 11 घंटे लगे बस/जीप में सफ़र करते हà¥à¤.
गौरीकà¥à¤‚ड पहà¥à¤à¤šà¤•र बड़ा सà¥à¤•ून मिला पर थोडा अचरज à¤à¥€ जरà¥à¤° हà¥à¤† जब हमने यहाठसेना की टà¥à¤•ड़ियों को इतनी तादात में काम करते हà¥à¤† पाया. सारा माजरा थोड़ी देर में वहां हो रही अनाउंसमेंट से समठमें आया. दरअसल केदारनाथ में कपाट खà¥à¤²à¤¨à¥‡ के पहले से ही लगातार बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ हो रही थी और 50 साल से ऊपर के लोगों और हà¥à¤°à¤¦à¤¯ के मरीजों को ऊपर जाने से रोका जा रहा था जिसका कारण था अब तक यहाठठणà¥à¤¡ के कारण हà¥à¤ˆ यहाठ5 मौतें, यह à¤à¤• हà¥à¤°à¤¦à¤¯ विदारक घटना थी. सेना के जवान यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार की मेडिकल सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रहे थे. चूà¤à¤•ि कà¥à¤‚दन इस तरह की ऊंचाई पर पहली बार आया था, इसलिठउसने à¤à¥€ सेना के शिविर में जाकर अपनी डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ जाà¤à¤š कराई और अपने लिठकà¥à¤› आवशà¥à¤¯à¤• दवाईयाठली. गौरीकà¥à¤‚ड से केदारनाथ की 14 किमी की पद यातà¥à¤°à¤¾ कोई à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ लगà¤à¤— 6 या 7 घंटे में पूरी कर सकता है. पद यातà¥à¤°à¤¾ के अलावा यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठखचà¥à¤šà¤°, पालकी और हेलिकॉपà¥à¤Ÿà¤° की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ मौजूद है. यातà¥à¤°à¤¾ के शà¥à¤°à¥‚ में ही डंडी व कंडी वाले काउंटर हैं जहाठसे आप इनकी बà¥à¤•िंग करा सकते हैं जबकि हेलिकॉपà¥à¤Ÿà¤° की बà¥à¤•िंग फाटा से की जा सकती है.
अà¤à¥€ लगà¤à¤— 2 ही बजे थे हमने सोचा पद यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ करते हैं, केदार ना सही तो कम से कम रामबाड़ा तक तो पहà¥à¤à¤š ही सकते हैं रात बिताने के लिà¤. तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के पास पहà¥à¤‚चे तो à¤à¤• बार मन किया कि à¤à¤• डà¥à¤¬à¤•ी लगा ही ली जाये, पर फिर समय की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ देकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ रदà¥à¤¦ कर दिया गया. रंगबिरंगे बाज़ार से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤, हम लोगों ने चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚ कर दी. चूà¤à¤•ि यातà¥à¤°à¤¾ अà¤à¥€ शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ दौर में ही थी इसलिठयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सामान ढोने वाले लोगों की तादात जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी जो अपनी दà¥à¤•ानों और यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआवशà¥à¤¯à¤• सामगà¥à¤°à¥€ ले जा रहे थे. हमारे लिठये अचà¥à¤›à¤¾ ही था, कम à¤à¥€à¤¡à¤à¤¾à¤¡ में यातà¥à¤°à¤¾ का जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आनंद लिया जा सकता है.
रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° कà¥à¤› तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा कई संतों की टोली के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤. पर à¤à¤• विदेशी महिला यहाठलोगों के आकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° लगातार बनी रही, ये à¤à¤—वा वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¥€ महिला à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से अà¤à¤¿à¤à¥‚त नंगे पैर ही पद यातà¥à¤°à¤¾ कर रही थी और थोड़ी थोड़ी हिंदी à¤à¥€ जानती थी, हमारे लिठये अनà¥à¤à¤µ किसी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से कम नहीं था. मनमोहक वादियाà¤, कलकल बहती हà¥à¤ˆ मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी, खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत à¤à¤°à¤¨à¥‡ और सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ सब मिलकर यातà¥à¤°à¤¾ को आनंददायी बना रहा था, अब बस इंतज़ार था बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियों के दरà¥à¤¶à¤¨ का. और रामबाड़ा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले ही इस विसà¥à¤®à¤¯à¤•ारी दृशà¥à¤¯ के दरà¥à¤¶à¤¨ हो गà¤. लगà¤à¤— 5 बजे से पहले ही हम लोग रामबाड़ा पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे, à¤à¤¸à¥‡ में कà¥à¤‚दन का थकान से बà¥à¤°à¤¾ हाल था. पर फिर à¤à¥€ हम दोनों ने यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. जैसे जैसे रामबाड़ा से परे जा रहे थे कà¥à¤¦à¤°à¤¤ हम पर अपना जादू बिखेरे जा रही रही थी.
गरूड़चटà¥à¤Ÿà¥€ के नजदीक ही हमें पà¥à¤°à¤•ृति की तरफ से à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत उपहार मिला, हमारे जीवन की पहली बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€. à¤à¤¸à¤¾ मंज़र आज से पहले कà¤à¥€ नहीं देखा था, हलके हलके रà¥à¤“ं की तरह गिरती बरà¥à¤« à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ दिला रही थी. ये मौका à¤à¤²à¤¾ हम अपने हाथ से कैसे जाने देते और हम लोग बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ का आनंद लेते हà¥à¤ आगे बढ़ने लगे. धीरे धीरे अंधेरा सा होने लगा और अब रासà¥à¤¤à¤¾ देखने में à¤à¥€ दिकà¥à¤•त आने लगी थी. पर चिंता की कोई बात नहीं थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम केदारधाम से नजदीक ही थे.
चूà¤à¤•ि रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° हलकी हलकी पिघली हà¥à¤ˆ बरà¥à¤« पड़ी थी जिस पर चलना थोडा मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रहा था, पर हमने कर डाला और आखिरकार हम पहà¥à¤à¤š ही गठà¤à¥‹à¤²à¥‡ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ लगà¤à¤— 8 बजे. सà¥à¤µà¤¾à¤—त दà¥à¤µà¤¾à¤° से पहले और इसके बाद बरà¥à¤« का अमà¥à¤¬à¤¾à¤° लगा था, किसी तरह à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ को सहारा देते देते हम लोग ऊपर पहà¥à¤‚चे. चूà¤à¤•ि अà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आवाजाही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं हà¥à¤ˆ थी इसलिठहमें 300 रà¥à¤ªà¤ में रात बिताने का à¤à¤• ठिकाना मिल गया. थकान और ठणà¥à¤¡ के मारे हाल इतना बà¥à¤°à¤¾ हाल था का कि दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ बाहर जाने की हिमà¥à¤®à¤¤ ही नहीं पड़ी और हम लोग कल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर à¤à¥‹à¤²à¥‡ के दरà¥à¤¶à¤¨ का वायदा करके सो गअकà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ…
रोचक व त्वरित यात्रा थी… हमारी भी पुरानी यादें ताजा हो गयी … तुम इतना घूमने वाले और बर्फबारी पहली बार देखी ???
काली मठ रास्ते में कहां से आ गया ?? उसका रास्ता तो गुप्तकाशी से अलग हो जाता है.. कोइ ऐसा रास्ता तो नही जिसकी मुझे जानकारी नहीं है.
अगले भाग की इंतजार में
लेख पसंद करने व टिप्पणी के लिए शुक्रिया, एस एस जी. वैसे मैं अभी ज्यादा घूमा नहीं हूँ आप लोगों की तरह…पहली बर्फ़बारी हमने लगभग 10 बरस पहले वैष्णो देवी में देखी थी लेकिन दर्शन के लिए पंक्तिबद्ध होने के कारण हम उसका आनंद नहीं ले पाए थे…
आपने सही पकड़ा, कालीमठ का रास्ता थोडा सा अलग है…दरअसल कई बरस पहले की गई केदार की यात्राओं में कालीमठ भी शामिल था जिस कारण ये शब्द दिमाग के किसी कोने में केदार के साथ जुड़ गया…इस बार भी इस रूट पर केदार के साथ इसे शामिल करने की योजना तो थी पर हम अपने प्रोग्राम से एक दिन पीछे थे इसलिए इस बार इसे छोड़ दिया गया…इसे उपरोक्त लेख में ठीक कर लिया गया है…धन्यवाद!
Apka Post padh kar accha laga, himshikhar ka pic bahut hi sundar hai.
Aage wale post ki pratiksha me.
Keep travelling, keep writing.
लेख पसंद करने के लिए शुक्रिया, अभीरुची जी. अगले लेख में हिमशिखर को और करीब से देख पाएंगे, उम्मीद है आपको पसंद आएगा…
वाह विपिन भाई, आप ने ग़ज़ब कर दिया। बहुत ही सुन्दर वर्णन, ख़ास करके बर्फ़बारी का। वाकई में मज़ा आ गया,धन्यवाद।
शुक्रिया, डी एल जी…
केदार बाबा की जय हो .
मजेदार यात्रा रही . काफी बड़ा सफर तय कर लिया . मैं होता तो यकीनन गौरीकुंड में रुक जाता. केदारनाथ जाने की इच्छा बहुत होती है देखते है बाबा कब बुलाते है .
भोले बाबा का बुलावा आपके लिए जल्द ही आये, ऐसी कामना है….धन्यवाद, विशाल भाई!
Dear Vipin jee,
bhut hi shandar varnan. aapke lekh se hamari kedar yatra ki yad taza ho gayee.hamne bhi jamin par barf sabse pahle manali (rohtang) me aur aasman se girti hue barf kedarnath se vapas utrte samay dekhi thee.
aapse ek nivedan hai ki es site ke res manager ko boliyega ki kuch esa serch adjusment kare ki hindi aur english ke yatra vivran alag alag ho jaye aur koi bhi agar kisi place ko search kare to language ke hisab se sare vivran ek sath mil jaye.
bhupendra singh raghuwanshi
लेख पसंद करने और टिप्पणी के लिए शुक्रिया, भूपेंद्र जी!
Well written post with well clicked pics.
Waiting for next part.
Minimum how many days needed for Kedarnath yatra, if one travels in public transport?
Thanks Vinay bhai for liking the post. Minimum this trip can be done in 4 nights (2 nights in buses & other 2 nights at Gaurikund & Kedarnath)/5 days on a hectic program (not recommended for family travelling together). Leisurely a week (from Delhi) is enough to see Kedarnath & surrounding places.
विपिन जी…..
कुदरत का काम तो है ही जादू बिखेरना और केदारनाथ जी के रास्ते में प्रकृति ने अपना अनुपम सौंदर्य लुटा रखा हैं । आपकी यात्रा काफी मजेदार रही सुबह अंधेंरे में चलकर काफी लंबा रास्ता तय किया हैं, यह पहाड़ी सफ़र बहुत थका देने वाला होता हैं । हम जैसे मैदानी इलाके में रहने वालो को यदि कही बर्फ पड़ते हुए मिल जाए तो अनूठा संयोग ही होता हैं….हमने पहली बार पटनीटॉप में बर्फ पड़ते देखी थी….. ।
अच्छे लेख और जानकारी के लिए धन्यवाद !
शुक्रिया रितेश भाई, पहाड़ों में जाकर शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है, थकान मिटाने के लिए कुदरती नज़ारे काफी होते हैं…
कमाल की उर्जा रखतें हैं विपिन भाई । पहले तो गंगा तट पर रात बिताना , फिर बीच रात में सोये हुए शहर में , मुश्किल का सामना करते है, एक बहुत ही लम्बी जीप यात्रा से आप गौरीकुंड पहुंचे और फिर जैसे की अभी कुछ ख़ास हुआ न हो, आप केदार पहुँच गए । बम बम भोले है ये तो । इस बात के लिए सलामी है । :-) , अंग्रेजी में कहतें हैं की .”Take a Bow”
@ भूपेंद्र जी – इस बारे में कोशिश की जायेगी । आप चाहे तो गूगल में हिंदी में सर्च करें “केदार नाथ ghumakkar.com” और आपको सभी संगत लिंक मिल जायेंगे । आपसे आग्रह भी है की देवनागरी में लिखें , पढने में सुविधा रहती है ।
शुक्रिया नंदन, इसे सिर्फ और सिर्फ कुदरत का करिश्मा ही मानिए इन वादियों की आबो हवा एक जोश, उत्साह और नई उर्जा पैदा कर देती है. यकीन मानिए जब में सिर्फ पहाड़ों की फोटो भर भी देख लेता हूँ तो एक प्रेरणा और उत्साह सा जाग जाता है…”a great Bow to mother nature”…
विपिन भाई, दिल खुश हो गया यह लेख पढ़ कर .
सचमुच आपके stamina और जोश का ज़वाब नहीं , अब लगता है मुझे पहले कुछ महीने ट्रेनिंग करनी पड़ेगी आपके साथ किसी यात्रा पर जाने से पहले :-)
अगले अंक की प्रतीक्षा में।
संदीप जी, आप खुश हुए तो हमारा लेख सफल रहा. वैसे मेरा मानना है, साधारण पहाड़ी यात्राओं में ट्रेनिंग से ज्यादा इच्छाशक्ति की जरुरत पड़ती है, गढ़वाल की इस यात्रा और पिछली यात्रा, दोनों में वो लोग मेरे साथ थे जो शायद पहली बार पहाड़ों की इन ऊँचाईयों पर आये थे, फिर आप तो घुमक्कड़ प्रजाति से हैं…:)…वैसे भी अब फिलहाल कम से कम एक साल तक तो कोई कठिन यात्रा करना थोडा मुश्किल है, उम्मीद है आपके साथ जल्द ही किसी पहाड़ी सफ़र पर जाने का सौभाग्य प्राप्त होगा…
Wonderful post Vipin and very good description.
what more shall I say.
I just wish to write a similar post sometime by mid of this year…pending for almost a decade now!
anxiously waiting for the next one.
Thank you, Amitava Ji for the encouragement. Hope to hear your story soon here…
विपिन,
आपने तो बस आज मेरा दिन ही बना दिया। बहुत ही रोचक वर्णन था, बड़े शौक तथा रूचि से मैंने इसका एक एक शब्द पढ़ा और आनंद लिया। बर्फ़बारी का चित्र सचमुच बहुत ही ख़ूबसूरत लग रहा है। चित्र से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की आपलोगों ने उन लम्हों का कितना आनंद उठाया होगा। अगली पोस्ट में बाबा केदारनाथ के दर्शनों की लालसा तथा प्रतीक्षा रहेगी।
“भोले की फौज करेगी मौज”
उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया, मुकेश जी. केदार दर्शन जल्द ही…
विपिन जी ,
पहले भी बहुत लेख केदारनाथ के पढ़ चुके है पर हर बार एक रोमांच बढ़ता जाता है और पढने और देखने की इच्छा बढ़ जाती है .उम्दा लेखन और फोटो भी लाजवाब . बर्फ़बारी का बहुत ही अच्छा लगा .
वैसे यह जगहे तो हमारे लिए स्वप्न जैसे सी है बहुत जल्द ही साकार होने की आशा है .अगली कड़ी के इंतजार में .
धन्यवाद .
शुक्रिया, कविता जी…जिस तरह आप लोग शिवालयों के दर्शन करते जा रहे हैं, उम्मीद है भालसे परिवार केदार में जल्द ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा और भोले के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करेगा…
You are great Vipin Ji.
कहा से लाते हो इतना जोश और हिम्मत। और टीवी सीरियल की तरह ” शेष अगले भाग मे ” लिखकर सस्पेंस बढ़ा देते हो।
What a good style you have of writing but don’t keep us waited for the rest part and in last” Saadhu baba ki jai ho” a good watchman for ladies on ghat.
thanks for sharing the wonderful trip.
Thanks for the encouragement, Saurabh Ji…
machar ya alarm clock ..ha ha ha …chalo bhala kia unka bhi thoda blood donate karke aapne.. gali ke kutte raat mein sher ban jaate hai … kabhi bhi koi kutta gurraye to us se darna nahi balki neeche jhuk kar patthar uthaane ki acting karni chahiye…ye dekhkar kutta apne aap hi bhaybheet jo jata hai …
rambana ke peeche himalay ke himshikhro ka photu mujhe bahut aacha laga ….
aapne bahut acha likha …. aisa lag rha tha ki mein aapko kisi khidki se ye sab karte dekh rha hun …
aur haan isey kramashah (to be continued) tak na chode bhai ….. gaadi ko dusre gear mein daalo aur aage ka raasta likhkar batao …
Bye and Good night