ताज महल नहीं देखा, कà¥à¤¯à¤¾ मजाक कर रहे हो, जनà¥à¤® से दिलà¥à¤²à¥€à¤µà¤¾à¤¸à¥€ हो फिर à¤à¥€ ताज नहीं देखा। दिलà¥à¤²à¥€ से आगरा केवल 231 किमी ही तो है और बस, टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ या फिर हवाई जहाज (जिससे जाने की तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ हैसियत फ़िलहाल है नहीं) जैसे à¤à¤°à¤ªà¥‚र साधन उपलबà¥à¤§ होने के बावजूद तà¥à¤®à¤¨à¥‡ ताज नहीं देखा. अरे à¤à¤¾à¤ˆ अब तो यमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ वे से दिलà¥à¤²à¥€-आगरा की दूरी à¤à¥€ घंटो में तय हो जाती है यही कोई तीन साढ़े तीन घंटे लगते है और तà¥à¤®à¤¨à¥‡ कà¤à¥€ अपनी कार से जाने का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ नहीं किया, कमाल है. à¤à¤• बार देखो तो उस हसीं ईमारत को जिसे लगà¤à¤— बीस हजार मजदूरो ने दिन रात काम करने के बाद तैयार किया था और तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ पता है इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में लगाई गई सामगà¥à¤°à¥€ संगमरमर पतà¥à¤¥à¤° राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मकराणा से, अनà¥à¤¯ कई पà¥à¤°à¤•ार के कीमती पतà¥à¤¥à¤° à¤à¤µà¤‚ रतà¥à¤¨ बगदाद, अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, तिबà¥à¤¬à¤¤, इजिपà¥à¤¤, रूस, ईरान आदि कई देशों से इकटà¥â€à¤ ा कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¥€ कीमतों पर खरीद कर ताजमहल का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया. और à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¹à¤¬ कहते है की ताज नहीं देखा। अरे बाबा ताज केवल à¤à¤• दूधिया ईमारत ही नहीं है बलà¥à¤•ि शाहजहाठऔर मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œ महल के पà¥à¤°à¥‡à¤® की à¤à¤• अमिट निशानी है जिसे लोग जब देखते है तो देखने की इनà¥à¤¤à¤¹à¤¾ हो जाती है लेकिन मन नहीं à¤à¤°à¤¤à¤¾à¥¤
à¤à¤¸à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹ के चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह में मैं सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अकà¥à¤¸à¤° फंसा हà¥à¤† पाता था जब सामने उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ विपकà¥à¤·à¥€ दल को यह पता चलता था की मैंने कà¤à¥€ इंटरनेट के अलावा ताज नहीं देखा। वैसे à¤à¤• दो बार मैंने अपने मितà¥à¤°à¥‹ से सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¾à¤‚त में ताज देखने के लिठकहा तो अवशà¥à¤¯ था किनà¥à¤¤à¥ अब वो सब मेरी तरह आजाद पंछी तो रहे नहीं थे और उनके गले में सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से घंटी (शादी) बंधी जा चà¥à¤•ी थी जिनमे से अब à¤à¤•-आध घà¥à¤‚घरू (बचà¥à¤šà¥‡) à¤à¥€ बजने लगे थे. बेचारे चकà¥à¤•ी के दो पाटन (माता-पिता और सास-ससà¥à¤°) के बीच ही पिसे जाते है, अब उनके लिठशनिवार और इतवार की दफà¥à¤¤à¤° से छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का मतलब घर की नौकरी ही रह गया है जहाठसे छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ मिलना असंà¤à¤µ है….
खैर, कोई बात नहीं अपने घर में जब पता लगा की पड़ोस वाली आंटी à¤à¤• बार ताज देखने के बाद फिर से ताज देखने जा रही है तो मेरी माताजी को à¤à¥€ अहसास हà¥à¤† की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न à¤à¤• बार हम à¤à¥€ देख आये उस दूधिया ईमारत को जिसे लोगो ने सात अजूबो की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में शामिल कर रखा है. à¤à¤¸à¥‡ ही बातो ही बातो में आगरा पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ की योजना बना ली गयी और नियत दिन वॠतय समय पर हम तीन लोग में सà¥à¤µà¤¯à¤‚, माताशà¥à¤°à¥€ और बहनाशà¥à¤°à¥€ अपनी विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ वैगनर पर सवार हो कर दिलà¥à¤²à¥€ की सड़को से निकलते हà¥à¤ सीधे पहà¥à¤à¤š गठयमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ वे जहाठसाफ़, खà¥à¤²à¥€ और चौड़ी सड़क आपको सीधे आगरा में ले जाकर छोड़ देती है. मौसम की नजर से यह महीना परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ हेतॠकाफी अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था, घरो में छिपे-दà¥à¤¬à¤•े लोग अब अपनी रजाइयों से बाहर à¤à¤¾à¤à¤•ने लगे थे और अधिकांशतः घरो की छतों पर सूखते रंग बिरंगे सà¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤° खेतो में खिले हà¥à¤ फूलो से कम नहीं लगते। मतलब साफ़ है की दिलà¥à¤²à¥€ की गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ धà¥à¤ª अब विदा लेने के लिठआतà¥à¤° है और अब हमे शीघà¥à¤° ही गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतू का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करने के लिठतैयार होना पड़ेगा।
दिन गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤°, दिनांक उनà¥à¤¨à¥€à¤¸ फरवरी दो हजार पंदà¥à¤°à¤¹, समय सà¥à¤¬à¤¹ के आठबजते ही हम लोग आगरा के लिठघर से रवाना हो गà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ में खाने के लिठवोही घर का बना खाना और साथ में नमकीन-बिसà¥à¤•िट पहले से ही पैक कर लिठथे. पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ मारà¥à¤— के रूप में यमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ को सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤à¤¿ से तरजीह दी गयी जो की हमारे निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ (दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिलà¥à¤²à¥€) से लगà¤à¤— पैंतालीस किलोमीटर दूर है. फिर à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ का समय होने के कारन अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• तो नहीं मिला और हमारी कार सरपट दौड़ते हà¥à¤ सीधे à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गयी. मौसम बिलकà¥à¤² साफ था और वरà¥à¤•िंग डे होने के कारन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वाहन à¤à¥€ नजर नहीं आ रहे थे और हमारी कार असà¥à¤¸à¥€ किलोमीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से आगरा की तरफ निरंतर बढ़ रही थी. वैसे à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ में कार के लिठसौ किलोमीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे की गति सीमा तय कर रखी है किनà¥à¤¤à¥ जिस मटेरियल से इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† है वो टायरों की सेहत के अनà¥à¤•ूल नहीं होता और अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• घरà¥à¤·à¤£ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में इनके गरà¥à¤® होकर बरà¥à¤¸à¥à¤Ÿ होने के आसार काफी बढ़ जाते है अतः वाहन को धीमा ही चलाया जाये तो सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ और पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ का साथ पà¥à¤°à¥‡ सफर में बना रहता है.
तकरीबन तीन घंटे की सà¥à¤®à¥‚थ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ के बाद आगरा शहर में दिशा निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹ का पीछा करते हà¥à¤ हम लोग होटल मधà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ के सामने आकर खड़े हो गà¤. यमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ से बाहर निकल कर जब आप आगरा शहर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते है तो नाक की सीध में चलते चले जाने से à¤à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾ के मकबरे (किले) की तरफ जाने वाले रसà¥à¤¤à¥‡ पर à¤à¤• टी पॉइंट आता है जिसमे यह होटल बिलकà¥à¤² कोने पर ही बना हà¥à¤† है और इस होटल से दो मारà¥à¤— जाते है पहला आपको रामबाग, मथà¥à¤°à¤¾, दिलà¥à¤²à¥€ की तरफ ले जाता है और दूसरा मारà¥à¤— à¤à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¦à¥à¤²à¤¾ और ताज महल की तरफ ले जाता है। इस होटल की à¤à¤• बात मà¥à¤à¥‡ और अचà¥à¤›à¥€ लगी की आगरा की à¤à¥€à¤¡à¤¼ से आप बचे à¤à¥€ रहेंगे और शांति à¤à¥€ बनी रहेगी अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ जैसे-२ आप शहर के à¤à¥€à¤¤à¤° बढ़ते चले जाते है बेतहाशा टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• और गनà¥à¤¦à¤—ी के ढेर आपको परेशान करते रहते है. और à¤à¤• बात जिसकी हमे बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤•ता थी वो थी कार पारà¥à¤•िंग जिसका बंद गलियो वाले रासà¥à¤¤à¥‹ पर मिलना बहà¥à¤¤ ही कठिन कारà¥à¤¯ लग रहा था और à¤à¤• पल को तो हमे लगा की कहीं हम इस à¤à¥‚ल à¤à¥à¤²à¥ˆà¤¯à¤¾ में ही घूमते हà¥à¤ न रह जाये। होटल के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में कार पारà¥à¤•िंग का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मिल जाने के कारन à¤à¤• मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ तो हल हो चà¥à¤•ी थी और अब बारी थी उस जोर के à¤à¤Ÿà¤•े की जो धीरे से लगने वाला था अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ कमरे का किराया। होटल के अंदर सà¥à¤µà¤¾à¤—त ककà¥à¤· में उपलबà¥à¤§ पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक साहब ने बताया की यह होटल अधिकतर बिजनेस मीटिंगà¥à¤¸ के लिठही बà¥à¤• रहता है जिसमे फॉरेन डेलीगेटà¥à¤¸ आकर ठहरते है अतः आपको à¤à¤• कमरा मिल तो जायेगा किनà¥à¤¤à¥ चारà¥à¤œà¥‡à¤œ लगेंगे पूरे पचà¥à¤šà¥€à¤¸ सौ रूपà¤à¥¤ अब मरता कà¥à¤¯à¤¾ न करता, आगरा के à¤à¥€à¤¤à¤° घà¥à¤¸à¤•र टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• से जूà¤à¤¨à¥‡ और कमरा ढूंढने की हिमà¥à¤®à¤¤ तो नहीं हो रही थी अतः महाशय को à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स में रूम चारà¥à¤œà¥‡à¤œ का à¤à¥à¤—तान करने के बाद अब हम लोग निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त होकर ताज देखने के लिठअपनी आगे की योजना बनाने लगे. वैसे यहाठà¤à¤• बात और बताना चाहूंगा की साफ़-सफाई और सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से होटल में कोई कमी नहीं थी, कार पारà¥à¤•िंग के अलावा अलमारी, सोफ़ा, à¤à¤•à¥à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ पलंग, कलर टीवी, à¤à¤¯à¤° कंडीशनर, संलगà¥à¤¨à¤¿à¤¤ बाथरूम, फ़ोन वॠफà¥à¤°à¥€ वाईफाई जैसे तमाम विकलà¥à¤ª मौजूद थे.

Hotel Madhushree with Car parking

Hotel Room – Sufficient for 3 persons
खैर कमरे में थोड़ी देर सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ और खाना खाने के बाद अब बारी थी ताज महल के दीदार की जिसके लिठतीन बजते-२ हम लोग तैयार हो गà¤, तीन बजे इसलिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैंने ताज की इ-टिकट बà¥à¤• करवा रखी थी जिसमे समय तीन बजे के बाद का था. यह टिकट केवल पूरà¥à¤µà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने हेतॠवैध थी जहाठतक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठऑटो वाले ने पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤• सौ असà¥à¤¸à¥€ रूपठलिà¤.

Way to Shilpgram – Eastern Gate
हालांकि होटल से यहाठतक की दूरी बमà¥à¤¶à¥à¤•िल ही पांच से छह किलोमीटर रही होगी। अब जब सर दिया ओखल में तो मूसल से कà¥à¤¯à¤¾ डरना, यही सोच कर हम लोग ऑटो वाले से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बहस नहीं कर पाये और जलेबी नà¥à¤®à¤¾ गलियो से घूमते हà¥à¤ à¤à¤¾à¤ˆà¤¸à¤¾à¤¹à¤¬ ने हमे ताज तक छोड़ दिया। यहाठगेट पर टिकट चेक की गयी और थोड़ी बहà¥à¤¤ फà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤•िंग à¤à¥€ हà¥à¤¯à¥€, वैसे इस गेट पर विदेशी सैलानी ही अधिक नजर आ रहे थे और सà¤à¥€ ने हमारी तरह इ-टिकट हाथ में पकड़ रखी थी. यहाठपर à¤à¤• बात बताना चाहूंगा की इ-टिकट होने के बावजूद आपके पास à¤à¤• पहचान पतà¥à¤° होने अनिवारà¥à¤¯à¥‡ है ताकि आपकी जांच करने में समà¥à¤¬à¤‚धित सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ अधिकारी को किसी पà¥à¤°à¤•ार की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ न होने पाये। वैसे हमसे तो किसी ने पहचान पतà¥à¤° माà¤à¤—ा नहीं फिर à¤à¥€ हम तो ले ही गठथे.
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤° जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ काफी à¤à¤µà¥à¤¯ है से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही आपको à¤à¤• खूबसूरत नजारा दिखाई देता है ताज पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° से गारà¥à¤¡à¤¨ का जिसकी हरियाली और रंग-बिरंगे फूलो की चमक आपका मन मोह लेती है

Entry Gate to Taj Mahal

Taj Campus – Beautiful Gardens

Lovely Garden
किनà¥à¤¤à¥ हमे तो इंतजार था दीदार-अ-ताज का जिसकी खूबसूरती और à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के चरà¥à¤šà¥‡ हमने बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨ रखे थे और अब तो बस उस पर à¤à¤• नजर डालना चाहते थे. शीघà¥à¤° ही हमारा इनà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¾à¤° ख़तà¥à¤® हà¥à¤®à¤¾ और जो दृशà¥à¤¯ हमारे समकà¥à¤· था उस पर यकीं ही नहीं हो पा रहा था, à¤à¤• अति विशाल सफ़ेद ईमारत जिसे बनाने और बनवाने वाले दोनों ने ही जà¥à¤¨à¥‚न, दीवानगी, जी-तोड़ मेहनत और पागलपन की सà¤à¥€ हदो को शायद तक पर रख कर à¤à¤¾à¤µà¥€ पीढ़ी को à¤à¤• अचंà¤à¤¿à¤¤ कर देने की जिद पकड़ रखी थी. और जिसमे वह सौ फीसदी सफल à¤à¥€ हà¥à¤.

First Deedar-E-Taj
बरबस ही ताज को देख ग़ालिब की कà¥à¤› पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ जेहन में आ गयी जिन पर गौर फरमाइयेगा –
की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की ईदों से मेरा कà¥à¤¯à¤¾ वासà¥à¤¤à¤¾, मेरा चाà¤à¤¦ जब दीखता है तà¤à¥€ मेरी ईद हो जाती है….
ताज को देखते हà¥à¤ à¤à¤•बारगी अपने अवतार जी और à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ जी की à¤à¥€ याद आयी और उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हà¥à¤ मैंने à¤à¥€ धड़ाधड़ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ पर हाथ आजमा लिया जिसमे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के आलावा कलकल बहती यमà¥à¤¨à¤¾ और ईदगाह को à¤à¥€ कैमरा में उतार लिया गया.

People running towards the Taj

Yamuna Ji

Another Fort in Taj Campus

Its Selfie time now
इस तरह हमारा आज का दिन संपनà¥à¤¨ हà¥à¤† और मन में à¤à¤• संतोष à¤à¥€ हà¥à¤† की चलो इस धरती पर मौजूद सात अजूबो में से कोई à¤à¤• तो देखने को मिला। वैसे यह मानव जीवन à¤à¥€ किसी अजूबे से कम नहीं होता और जिस तरह की उठक-पाठक आये दिन हमे देखने को मिलती रहती है उससे तो यह ही लगता है, उदहारण के लिठहाल ही में संपनà¥à¤¨ अपने डेलà¥à¤¹à¥€ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹ के नतीजों पर ही नजर डालिये à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‚ लेकर सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया किसी और ने और à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‚ जीत गयी किसी और की…… हे न कमाल की बात.
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ छह कप चाय / दो कप पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पीने और नमकीन-बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ का नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद लगà¤à¤— साढ़े नौ बजे हम लोग अपने होटल से दिलà¥à¤²à¥€ की तरफ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर चà¥à¤•े थे और कà¥à¤› नया टà¥à¤°à¤¾à¤ˆ करने के चकà¥à¤•र में इस बार हम दिलà¥à¤²à¥€-आगरा हाइवे पर आगे बढ़ चले इस उमà¥à¤®à¥€à¤¦ में की मथà¥à¤°à¤¾ में रà¥à¤• कर दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर लेंगे किनà¥à¤¤à¥ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात यह है की सà¥à¤¬à¤¹ से ही कार का à¤à¤¯à¤° कंडीशनर चालू करना पड़ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आगरा में तापमान बहà¥à¤¤ बढ़ चूका था, और धूल-मिटटी के गà¥à¤¬à¤¾à¤° à¤à¥€ वातावरण को दूषित कर रहे थे. आगरा के सिकंदरा की तरफ बढ़ते हà¥à¤ रेड लाइट पर गाड़ी रà¥à¤•ी तो देखकर हंसी आ गयी की हमारे समीप ही काफी मातà¥à¤°à¤¾ में पालतू पशॠà¤à¥€ टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नियमो का पालन कर रहे थे और वो आगरा के उन टà¥à¤°à¤•/ऑटो चालकों से कहीं अधिक समà¤à¤¦à¤¾à¤° थे जो आपको साइड नहीं देते, आप à¤à¤²à¥‡ ही गाडी बैक कर रहे हो लेकिन वो आपके लिठनहीं रà¥à¤•ते, कà¥à¤¯à¤¾ हाथ गाडी, कà¥à¤¯à¤¾ साइकिल वाला और कà¥à¤¯à¤¾ पैदल यातà¥à¤°à¥€ सà¤à¥€ को जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ कहीं पहà¥à¤‚चना है फिर चाहे वो आपसे टकराये या आप उनसे।
खैर बाहर के पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ हमने फिलहाल à¤à¥‹à¤œà¤¨ न करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया और पलवल पहà¥à¤à¤š कर à¤à¤• साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¥‡ होटल (तंदूरी तड़का) में दोपहर का शà¥à¤¦à¥à¤§ शाकाहारी à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया। यहाठà¤à¤• बात कहना चाहूंगा की आगरा-दिलà¥à¤²à¥€ हाईवे की हालत बहà¥à¤¤ ही दयनीय है और यमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में यह कहीं नहीं ठहरता। किनà¥à¤¤à¥ धैरà¥à¤¯ और सावधानी दोनों ही जगह अति आवशà¥à¤¯à¤• है अतः धीरे चले और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहे.
और इस पà¥à¤°à¤•ार हमारी दिलà¥à¤²à¥€-आगरा की यातà¥à¤°à¤¾ सफलतापूरà¥à¤µà¤• संपनà¥à¤¨ हà¥à¤¯à¥€à¥¤
अरुण जी,
जितना खूबसूरत ताज है उतनी ही खूबसूरती से आपने यह पोस्ट लिखी है. मैने सोचा प्रतिक्रियाओं के द्वार पर पहली दस्तक मेरी ही होनी चाहिए. बहुत सुन्दर लेख तथा मनभावन चित्र. आगरा का क़िला भी देखने के लिए बहुत अच्छी जगह है, और वहां से दिखाई देता ताज महल तो माशा अल्लाह…..
मुकेश ……
प्रथम टिप्पणी व् लेख की सराहना करने हेतु धन्यवाद भालसे जी.
यदि में यह कहूँ की लेख कहीं न कही आपकी और अवतार जी की ताज यात्रा से प्रभावित और प्रेरित था तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी. आप दोनों के ही पदचिन्हो पर चलते हुए हम भी पहुँच गए ताज के दीदार करने के लिए… अतः आप दोनों को हमारी तरफ से बहुत-२ धन्यवाद।
अभी हाल ही में मैंने सिंघल जी के कुछ लेखो को पढ़ा और आपके द्वारा की गयी मेहमाननवाजी के बारे में पढ़ कर आपके सात्विक परिवार और दिलदारी के बारे में ज्ञात हुआ, जिससे मन को बहुत संतोष भी मिला की आज इस बदलते परिवेश में भी कुछ लोग ऐसे मिल जाते है.
अरुण
बेहद शानदार लेख. और बहुत ही रोचक। देख कर मजा आ गया. मार्च प्रथम सप्ताह में हम लोग भी सोच रहे है. ताज को देख आये.
यह मेरे पहली हाईवे यात्रा होगी। अतः अगर कुछ और सूचना आप दे पाये तो बेहतर होगा।
लेख की सराहना करने हेतु धन्यवाद गौरव जी.
प्रथम हाईवे यात्रा के बारे में सोचते ही ह्रदय रोमांच से भर जाता है किन्तु यदि कुछ अति महत्वपूर्ण बातो को यदि याद रखा जाये तो यात्रा सुगम व् सुरक्षित भी बन जाती है.
यदि आप दिल्ली-आगरा हाईवे से जाने के बारे में सोच रहे है तो कृपया निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दीजियेगा –
1. इस मार्ग पर आगरा से लेकर दिल्ली तक हमने नब्बे+नब्बे+पच्चीस रूपए का तीन बार में भुगतान किया था,
2. इस मार्ग की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है और स्मूथ ड्राइविंग को तो भूल ही जाइये परिणामतः सफर में लगने वाला समय बड़ा ही थकाऊ और लम्बा रहा,
3. इस मार्ग पर जगह-२ सड़क बनाने का काम चल रहा है जिससे सीधा असर ट्रैफिक पर पड़ता है परिणामता जाम या रुक-रुक कर चलना स्वाभाविक है,
4. धूल-मिटटी के अच्छे खासे गुबार पुरे मार्ग पर उड़ते हुए मिल जायेंगे अतः कर के शीशे बंद ही रखे परिणामता ‘ऐसी’ चलना ही पड़ता है,
5. साइकिल से लेकर हाथ गाड़ी और बस से लेकर ट्रक तक सभी प्रकार के वाहन यहाँ आपको मिल जायेंगे अतः भीड़ से बचना मुश्किल है.
यदि आप यमुना एक्सप्रेसवे से जाने के बारे में सोच रहे है तो कृपया निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दीजियेगा-
1. सड़क बहुत ही सख्त है और टायर के गर्म होकर फटने का अंदेशा अधिक है अतः गति सीमा का पालन करे और यदि मेरी व्यक्तिगत राय लेना चाहेंगे तो गति अस्सी-नब्बे के बीच में ही रखे,
2. अपनी गाड़ी सड़क के बीच वाली लेन पर एक नियमित गति में ही रखे ताकि कोई भी दूसरी गाडी आपको दायें तरफ से आसानी से ओवरटेक कर सके और आपको बार-बार लेन भी चेंज नहीं करनी पड़ेगी,
3. यदि लेन चेंज करनी ही पड़े तो सदैव इंडिकेटर देकर ही करे और हाँ एक बार अपनी दोनों तरफ व् पीछे की तरफ भी अवश्य देखे और थोड़ा भी संदेह होने पर हड़बड़ी न करे,
4. जहाँ तक हो सके गाड़ी किसी रेस्टोरेंट में नियत पार्किंग स्थल पर ही रोके जहाँ आपको स्वछ जन सुविधाएँ भी मिलेंगी और सेफ्टी भी बानी रहेगी क्योंकि एक्सप्रेसवे में कहीं भी साइड में गाड़ी रोकना यातायात नियमो के विरुद्ध है और दूसरे वाहन चालकों की मनः स्थिति व् ड्राइविंग स्किल्स का भी तो कुछ पता नहीं होता।
5. यहाँ दिल्ली से लेकर आगरा तक टोल तीन सौ तीस रूपए है. अतः यदि सौ-डेढ़ सौ रूपए अधिक लग भी जाएँ तो क्या आखिर हमे विश्वस्तरीय सुविधा भी तो मिल रही है.
बाकी आपकी और आपके परिवार की यात्रा मंगलमय व् शुभ हो ऐसी हम सभी घुमक्कड़ परिवार के सदस्य कामना करते है.
हैप्पी जर्नी,
अरुण
जितना सुन्दर आपका लेख है. उससे भी बेहतर आपके सुझाव है.
ये सुझाव सबके लिए बड़े काम आएंगे। वैसे एक्सप्रेसवे से जाने का सोचा जायेगा।
बस थोड़ा सावधानी बरतने की आवश्यकता है
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
ताज को चित्रों में देखकर या उसके बारे में पढ़कर. जिसने भी ताज देखा है उसके यादें ताजा हो जाती है. घुमक्कड़ पर आज ताज की चर्चा करके यादें ताज़ा करने के लिए धन्यवाद. लेखन और चित्रों का अनूठा मिश्रण प्रशंसनीय है.
लेख की सराहना करने हेतु धन्यवाद मुनीश जी.
वैसे आपके ग़ालिब वर्णन का खुमार अभी तक उतरा नहीं है और अभी भी हम उसी शायराना अंदाज में बने हुए है. आपके लिए कुछ पंक्तियाँ अर्ज करना चाहूंगा, गौर फरमाइयेगा –
की हाथो की लकीरों पे मत जा ऐ ग़ालिब,
नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते।
एक बार फिर से आपको धन्यवाद,
अरुण
वाह अरुण वाह। एक उम्दा पोस्ट। ताज का दीदार एवं विवरण बेहद खूबसूरत।
लेख की सराहना करने हेतु धन्यवाद नरेश जी.
वैसे यह तो ताज की ही चमक का कमाल है जिसका रिफ्लेक्शन इस अधकचरा लेखक के लेख व् चित्रो पर छाया हुआ है.
अरुण
अरुण जी
आपने बड़े ही अच्छे ढंग से अपनी यात्रा का वर्णन किया है। पढ़ कर मजा आ गया। काफी सूचनाएं आपने दी हैं जिस से यात्रियों को सुविधा मिलेगी। फोटोग्रॅफ्स भी बड़े ही सुन्दर आयें हैं।
धन्यवाद।
लेख की सराहना करने हेतु धन्यवाद उदय जी.
तो आप मेरे प्रथम पैराग्राफ को लिखने का आशय समझ ही गए, बहुत खूब….
वैसे हाल ही में घुमक्कड़ के माध्यम से हमने भी आपके साथ बहुत सी यात्रायें की है जिसका अनुभव बहुत ही शानदार रहा.
अरुण
Bah Taj!! Wow Photos! Wow Post! Absolutely mind blowing post! Great Arun!
दादा तोमार भालो बाषा सवसमय रैखो।
धोनयाबाद।
Arun,
This was a really well written light and funny post. The pictures are beautiful.
Thanks Mr. Tarun for leaving your lovely comments on the post.
Arun
lekh to kavita ki tarah rasmasai liye hue tha. bahut accha.
मेरा तो केवल एक छोटा सा प्रयास था किन्तु आप जैसे दिग्गज घुमक्कड़ सदस्यों की स्नेहपूर्ण टिप्पणियॉ से स्वतः ही यह लेख मनोरंजक बन पड़ा होगा।
धन्यवाद जयश्री जी…
बहुत खूबसूरती और सहजता से आपने वर्णन लिखा है,पढ़कर लगा जैसे कि हम भी वह यात्रा कर आए हो।
स्वाती जी, सुंदरता और सहजता तो पाठकों के नजरिये में है जिसके फलस्वरूप एक साधारण सा यात्रावृतांत भी आप लोगो की वाह-वाही बटोर जाता है…. लेख को पसंद करने हेतु धन्यवाद।
अरुण जी
ताज का मनमोहक विवरण पढ़ के मज़ा आ गया
फोटो बहुत ही शानदार है।
आगरा में प्रदूषण ही सबसे ज्यादा अखर जाता है।
आगे के लेखो के लिए शुभकामनायें।
रिंकू जी स्नेहपूर्ण टिप्पणी के लिए आपका दिल से शुक्रिया।
वैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्सप्रेसवे का निर्माण तो कर दिया किन्तु शायद वो आगरा शहर पर अधिक ध्यान नहीं दे पाये, चलिए आज नहीं तो कल बदलाव तो होना ही है….. तब तक आप और हम मिल कर इन्तेजार करते है…अगर समय हो तो एक मशहूर पुराने हिंदी गाने के कुछ बोल आपकी शान में कहना चाहूंगा की –
यह कली जब तलाक फूूल बनकर खिले, इन्तेजार, इन्तेजार, इन्तेजार करो, इन्तेजार करो.
बहुत सुन्दर वर्णन…शुरूआत मे अपने ऊपर ही व्यंगात्मक टिप्पनी की मेने अब तक नही देखा ताज पढ कर मजा आया
इस खूबसूरत हौसलाफजाई के लिए आपका शुक्रिया सचिन जी
प्रिय अरुण सिंह,
बहुत अच्छा लिखते हो, पढ़ते हुए निर्मल आनन्द की अनुभूति बनी रहती है। आज अचानक ही इस साइट पर आया हूं और आपकी पोस्ट के intro ने विवश कर दिया कि पूरी पोस्ट पढ़ी जाये। फोटो और उन पर दिये गये शीर्षक भी अच्छे लगे। लिखते रहिये और यूं ही आनन्द बिखेरते रहिये !
सस्नेह,
सुशान्त सिंहल
सुशांत जी,
आपसे इतना स्नेह प्राप्त होगा इसकी आशा न थी, आपको पढ़ते हुए एक अलग ही चुटीले पन का अहसास होता है, जिसमे बारम्बार बैग खोलना, चार्जर रखना, बाल बनाना और रानी रूपमती की शारीरिक विशेषता जिससे अवगत कराया तो भालसे जी ने था किन्तु हम सभी के समक्ष प्रस्तुत किया आपने, यह सब तो सच मानिये भुलाये नहीं भूलते और हँसते-२ पेट में बल पड़ जाते है वो अलग.
पोस्ट को पढ़ने और पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद।
सादर
अरुण
अरुण भाई , आपकी टिप्पणियां (Comments) और लेख बड़े रोचक और दिलचिस्प (कुछ लोग वैसे दिलचस्प भी कहतें है) होतें हैं और न जाने कब हम ताज पहुंचे (१८० रुपये का तो जैसे जुरमाना लग गया वरना ६ किलो मीटर के इतने पैसे, बाप रे बाप ) , ताज के मज़े लिए, और कब लौटे , ये मालूम ही नहीं चला ।
आलम तो ये है की दिल्ली-आगरा न च ३ हाईवे की करुणाजनक यात्रा भी महसूस नहीं हुई ।
अंग्रेजी में इसे कहेंगे ‘ब्रावो’ । थैंक यू ।
नंदन सर,
लेख पर आपकी प्रतिक्रिया थोड़ी देर से ही सही किन्तु मिल गयी, यही अपने लिए काफी है।
यूपी में है दम क्योंकि जुर्म है यहाँ कम जैसी पंक्तियों को चरितार्थ करती हुयी घटनाएं (180 का जुरमाना) तो होती रहती है। वैसे मुझे दिलचस्प कहना शायद मेरे अन्य मित्रों को हजम न हो क्यूंकि अपनी इमेज तो OBSOLETE वाली है।
Bhut hi dilchasp or rochak andaj hai aapka apne safar ko darshane ka..maan gye aapko to..kya khub likhte hai..