घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ पर घूमते और पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ काफी समय हो चला तो सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न कà¥à¤› अपनी घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ी के बारे में लिखकर पूरी तरह से इस परिवार में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हो जाऊà¤à¥¤ अब सवाल था कि घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी कि शरà¥à¤†à¤¤ कà¤à¤¹à¤¾ से कि जाये। तब धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हरि के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर दसà¥à¤¤à¤• दे कर यह शà¥à¤ काम किया जाये। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का परीकà¥à¤·à¤¾ परिणाम आने से पहले कि छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ चल रही थी। इस तरह यातà¥à¤°à¤¾ का सपरिवार पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® दिलà¥à¤²à¥€ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° का फाइनल हà¥à¤†à¥¤ रात को सपरिवार पहूà¤à¤š गठकशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ गेट बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° कि रातà¥à¤°à¤¿ बस सेवा का लाठउठाने। यंहा शà¥à¤°à¥‚ होती है असली यातà¥à¤°à¤¾ ,हमे जाना था चीन और पहूà¤à¤š गये जापान। कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ गेट बस अडà¥à¤¡à¥‡ का नवीनीकरण के चलते उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की सà¤à¥€ बस आनंद विहार सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ कर दी गयी थी। रात के दस बज रहे थे और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का साथ। à¤à¤• बार तो दिल बोला की पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® कल के लिये टाल दे पर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और पतà¥à¤¨à¥€ के साहस के आगे हथियार डाल दिठगà¤à¥¤à¤†à¤¨à¤‚द विहार बस अडà¥à¤¡à¥‡ पहूà¤à¤š कर कर उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ रोडवेज की रातà¥à¤°à¤¿ १०:३० की ऋषिकेश मेल में जा बैठे।
तड़के 4:00 बजे बà¥à¤°à¤¹à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° आगमन हो गया पर समसà¥à¤¯à¤¾ से दो चार होना अà¤à¥€ बाकि था। पहली समसà¥à¤¯à¤¾ इस मà¥à¤à¤¹ अंधरे सà¤à¥€ होटल बंद थे। दूसरी समसà¥à¤¯à¤¾ यातायात के जो साधन इस समय उपलबà¥à¤§ थे उनके दाम चढे हà¥à¤ थे।यानि की हर की पौड़ी के बस अडà¥à¤¡à¥‡ से रू॰40 की जगह रू॰150 मांगे जा रहे थे।किसी तरह चलते हूठहर की पौड़ी पहà¥à¤à¤š कर à¤à¤• होटल का कमरा ले कर सब लोग बिसà¥à¤¤à¤° पर निदà¥à¤°à¤¾ की गोद में चले गà¤à¥¤
जब निंदà¥à¤°à¤¾ की गोद में से निकले सवेरे के 9:00 बज चà¥à¤•े थे।हम सà¤à¥€ हर की पौड़ी की और चल पà¥à¥‡à¤‚ नहाने के लिà¤à¥¤ मारà¥à¤š का महीना था पानी काफी ठंडा था। फिर à¤à¥€ सबसे अधिक बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने आनंद लिया नहाने का।
निरà¥à¤®à¤² गà¤à¤—ा
इसके बाद हम लोगो ने हलà¥à¤•ा नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और चल पड़े मनसा देवी की तरफ।मनसा देवी दो तरह से जा सकते है। पहला पैदल मारà¥à¤— और दूसरा रोपवे टà¥à¤°à¥‹à¤²à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¥¤ हमने पैदल मारà¥à¤— जो कि हर कि पौड़ी बाजार में से ही सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ऊपर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की और जाता है चà¥à¤¨à¤¾à¥¤à¤¸à¥€à¤¢à¥€ शà¥à¤°à¥‚ में काफी टूटी और गंदी है कारण आसपास किनारे बैठे चाय और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ सामगà¥à¤°à¥€ बेचने वालो के कारण।जैसे -जैसे ऊपर चढते जाते ऊचाई के कारण साà¤à¤¸ फूलने लगती इसलिये रà¥à¤•-रà¥à¤• कर चढते जाते। सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनसा देवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° 30-40 मिनट में पहà¥à¤š सकते है। आधी चà¥à¤¾à¤ˆ के बाद ऊपर पहाड़ी पर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ होने लगते है।
बिलवा परà¥à¤µà¤¤ के शिखर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤, मनसा देवी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
अब तो जैसे -जैसे ऊपर जाते ऊपर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की से आते जय माता के जयकारों से उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और बà¥à¤¤à¤¾ जाता।ऊपर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर à¤à¤µà¥à¤¯ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ कर सब थकान मिट जाती है।
à¤à¤µà¥à¤¯ मनसा देवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के अंदर माठमनसा देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ कर हम सà¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¨ हो उठे।à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसा माठके दरà¥à¤¶à¤¨ कर मन की सà¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ पूरी हो गयी।मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की सीढी उतरकर पास में ही à¤à¤• ऊंची चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ है,जिस पर चॠकर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° का विहंगम दृशà¥à¤¯ देखा जा सकता है।
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° मनसा देवी से
इसके बाद हम वापिस नीचे उतरने लगे।अब कà¥à¤› वनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सामना होना था। पहले तो कà¥à¤› सà¤à¥à¤¯ लंगूर मिले,जो की आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चना और खाने की सामगà¥à¤°à¥€ देने पर ही आपके पास आते।बंदरों की तरह नहीं जो की आपके हाथ में खाने का सामान देख आप पर à¤à¤ªà¤Ÿ पड़ते है।
सà¤à¥à¤¯ लंगूर
अà¤à¥€ हम नीचे उतर ही रहे थे की à¤à¤• जगह पतà¥à¤¨à¥€ व मेरी बिटिया रà¥à¤• कर फोटो खिचवाने लगे। अचानक पीछे से कई आवाजे सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दी वंहा से हट जाओ।वे लोग तà¥à¤°à¤‚त वंहा से हट गà¤à¥¤à¤ªà¥€à¤›à¥‡ देखा तो हमारे होश उड गठ,लगà¤à¤— तीन फà¥à¤Ÿ लंबा साà¤à¤ª उनà¥à¤¹à¥‡ डसने ही वाला था।
जहरीला साà¤à¤ª
हमने अपने सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व माठमनसा देवी को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया की जिनकी वजह से हम लोग सकà¥à¤¶à¤² थे। नीचे जाने पर बीच से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ चंडी देवी के लिया जाता है।यह à¤à¤• पकà¥à¤•ा रोड है जिस पर ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ चल रहे थे। हम à¤à¥€ à¤à¤• में सवार हो कर आगे के लिया चल दिà¤à¥¤à¤šà¤‚डी देवी पर à¤à¥€ दो तरह से जाया जा सकता है, रोपवे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ या पैदल। मनसा देवी की चà¥à¤¾à¤ˆ कर लेने के बाद हम लोग काफी थक गठथे,व साà¤à¤ª से सामना होने के बाद पतà¥à¤¨à¥€ काफी डर गयी थी। इसलिये हम लोगो ने रोपवे का रासà¥à¤¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¥¤ पहली बार जो लोग रोपवे की टà¥à¤°à¥‹à¤²à¥€ में सवारी करते है,उनके मà¥à¤– मंडल पर जो à¤à¤¯ के à¤à¤¾à¤µ आते है। वह देखते ही बनते है पर मैने धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ जी का हाथ पकड़ उनà¥à¤¹à¥‡ हिमà¥à¤®à¤¤ बंधाई। हमारे पांच वरà¥à¤· के पà¥à¤¤à¥à¤° का तो टà¥à¤°à¥‹à¤²à¥€ से उतरने का मन ही नहीं किया वह बिलकà¥à¤² नहीं डरा।
चंडी देवी रोपवे
पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° माठचंडी देवी
ऊपर पहà¥à¤à¤š कर हमने माठके दरà¥à¤¶à¤¨ कर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया व वापिस हर की पौड़ी की और चल दिà¤à¥¤à¤¹à¤° की पौड़ी पर होटल में पहà¥à¤šà¤•र कर सà¤à¥€ लोग बिसà¥à¤¤à¤° पर ढेर हो गà¤à¥¤à¤¸à¤µà¥‡à¤°à¥‡ से शाम चार बजे तक घूमने के कारण सà¤à¥€ लोग थक गठथे।शाम की गà¤à¤—ा आरती देखने की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ लिठसà¤à¥€ निंदà¥à¤°à¤¾ की गोद में चले गà¤à¥¤à¤œà¤¬ नींद खà¥à¤²à¥€ तो आठबज रहे थे।गà¤à¤—ा आरती को हम नहीं देख सके।सà¤à¥€ के पेट मे गणेश जी के वाहन(चूहे) चलने लगे थे।इसलिठहमने हर की पौड़ी पर à¤à¤• दà¥à¤•ान पर गरà¥à¤® -गरà¥à¤® आलू परांठो का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया और गणेश जी के वाहनों को टा -टा किया।
इसके बाद सà¤à¥€ ने गà¤à¤—ा जी किनारे हर की पौड़ी पर मंद -मंद ठंडी हवा और दूर तक फैली शांति का आनंद लिया।जहाठसवरे अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• चहल पहल होती है वंही इस समय शांति पसरी हà¥à¤ˆ थी।इसका à¤à¥€ अपना मजा है। रात में माठगà¤à¤—ा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की शोà¤à¤¾ देखते ही बनती है।हर की पौड़ी पर रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¤°à¥à¤®à¤£ का आनंद अवशà¥à¤¯ ले।
रात मे हर की पौड़ी
माठगà¤à¤—ा का मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
हर की पौड़ी पर घंटाघर
इसके साथ ही हमने माठगà¤à¤—ा से फिर आने का वादा कर विदा ली।अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ दिलà¥à¤²à¥€ की बस पकड़ कर घर वापिस आ गठ।