अब तक : ममलेशà¥à¤µà¤° व ओंकारेशà¥à¤µà¤° दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद हम शाम को इंदौर चले गठथे। वहां रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के बाद सà¥à¤¬à¤¹ उठकर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ की और चल दिà¤à¥¤ और अब आगे…

इंदौर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ मारà¥à¤— पर महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय दà¥à¤µà¤¾à¤°
महाकाल की नगरी में पहà¥à¤‚चते ही, बस से उतारकर ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ लिया और सीधा महाकाल के मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤ जब हम महाकाल के मंदिर के आगे से गà¥à¤œà¤°à¥‡ तो वहां काफ़ी लमà¥à¤¬à¥€ लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी लेकिन हम सीधा उस काउंटर की तरफ गठजहाठà¤à¤·à¥à¤® आरती में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने के लिठआवेदन किया जाता है लेकिन वहां पहà¥à¤à¤š कर हमें काफ़ी निराश होना पड़ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज का कोटा ख़तम हो चà¥à¤•ा था। हमने वहां मौजूद मंदिर के पंडों से पूछा की कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ है लेकिन निराशा ही हाथ लगी। सोचा, चलो कोई बात नहीं, à¤à¤·à¥à¤® आरती अगली बार सही। पहले कोई कमरा लेते हैं ,सामान वहां रखकर फिर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ कर के आयेंगे।
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में , महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर के आस-पास ही सब की जरà¥à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कमरे मिल जाते हैं जिनका किराया 300 रूपये से आरमà¥à¤ हो जाता है। थोड़ी सी खोजबीन और मोलà¤à¤¾à¤µ के बाद हमें à¤à¤• लॉज में 550 रूपये में à¤à¤• तीन बिसà¥à¤¤à¤° वाला कमरा मिल गया।
कमरे में सामान रखकर हम वापिस महाकाल मंदिर के पास आये और वहां मौजूद कई à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• में खाना खाने चले गà¤à¥¤ खाना बिलकà¥à¤² à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤¦ नहीं था, लेकिन पेट पूजा करना à¤à¥€ जरà¥à¤°à¥€ था इसलिठथोडा बहà¥à¤¤ खाकर काम चलाया। खाना खाने के बाद ,बाहर आकर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के सà¤à¥€ मंदिरों में घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठ250 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में à¤à¤• ऑटो ले लिया। वैसे महाकाल मंदिर के पास से मंदिरों में घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठऑटो, वैन व बस à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ होती हैं लेकिन वैन के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोग चाहिठऔर बस का समय निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ है। ऑटो हर समय मिलते हैं और उनका सब का रेट à¤à¤• ही होता है। हमारे ऑटो डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° का नाम नंदू था और वो गाइड का काम à¤à¥€ कर रहा था। लगà¤à¤— तीन घंटे में वो हमें बड़ा गणेश, शिपà¥à¤°à¤¾ घाट , राम मंदिर, चार धाम, सिधवट, कालà¤à¥ˆà¤°à¤µ, हरसिधी माता, गढ़कालिका, संदीपनी आशà¥à¤°à¤®, à¤à¤°à¥à¤¤à¥ƒà¤¹à¤°à¤¿ गà¥à¤«à¤¾ और मंगलनाथ में घà¥à¤®à¤¾ लाया। इस पोसà¥à¤Ÿ में हम सिरà¥à¤« हरसिदà¥à¤§à¤¿ â€à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ व उसमे होने वाली à¤à¤µà¥à¤¯ आरती की की चरà¥à¤šà¤¾ करेंगे।
हरसिदà¥à¤§à¤¿ â€à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤
हरसिदà¥à¤§à¤¿ â€à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ 51 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों में से à¤à¤• है। हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जहां-जहां सती के अंग के टà¥à¤•ड़े, धारण किठवसà¥à¤¤à¥à¤° या आà¤à¥‚षण गिरे, वहां-वहां शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आये। ये अतà¥à¤¯à¤‚त पावन तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहलाये। ये तीरà¥à¤¥ पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ उपमहादà¥à¤µà¥€à¤ª पर फैले हà¥à¤ हैं। देवीपà¥à¤°à¤¾à¤£ में 51 शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ ों का वरà¥à¤£à¤¨ है।
महाकालेशà¥à¤µà¤° की कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¼à¤¾-सà¥à¤¥à¤²à¥€ अवंतिका (उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨), पावन कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ के दोनों तटों पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। पारà¥à¤µà¤¤à¥€ हरसिदà¥à¤§à¤¿ देवी का मंदिर- शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ , रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¸à¤¾à¤—र या रà¥à¤¦à¥à¤° सरोवर नाम के तालाब के निकट है, शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ के मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जब सती बिन बà¥à¤²à¤¾à¤ अपने पिता के घर गई और वहां पर राजा दकà¥à¤· के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने पति का अपमान सह न सकने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी काया को अपने ही तेज से à¤à¤¸à¥à¤® कर दिया। à¤à¤—वान शंकर यह शोक सह नहीं पाठऔर उनका तीसरा नेतà¥à¤° खà¥à¤² गया। जिससे तबाही मच गई। à¤à¤—वान शंकर ने माता सती के पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ शरीर को कंधे पर उठा लिया और जब शिव अपनी पतà¥à¤¨à¥€ सती की जलती पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ देह को दकà¥à¤· पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ की यजà¥à¤ž वेदी से उठाकर ले जा रहे थे शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥ ने सती के अंगों को बावन à¤à¤¾à¤—ों में बांट दिया । यहाठसती की कोहनी का पतन हà¥à¤† था। अतः वहाठकोहनी की पूजा होती है। यहाठकी शकà¥à¤¤à¤¿ ‘मंगल चणà¥à¤¡à¤¿à¤•ा’ तथा à¤à¥ˆà¤°à¤µ ‘मांगलà¥à¤¯ कपिलांबर’ हैं-
उजà¥à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤‚ कूरà¥à¤ªà¤°à¤‚ व मांगलà¥à¤¯ कपिलामà¥à¤¬à¤°à¤ƒà¥¤
à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤ƒ सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤ƒ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ देवी मंगल चणà¥à¤¡à¤¿à¤•ा।
कहते हैं- पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर रà¥à¤¦à¥à¤° सरोवर के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था तथा सरोवर सदैव कमलपà¥à¤·à¥à¤ªà¥‹à¤‚ से परिपूरà¥à¤£ रहता था। इसके पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ तट पर ‘देवी हरसिदà¥à¤§à¤¿ का तथा पूरà¥à¤µà¥€ तट पर ‘महाकालेशà¥à¤µà¤° का मंदिर था। 18वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में इन मंदिरों का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤†à¥¤ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर चारदीवारी से घिरा है। मंदिर के मà¥à¤–à¥à¤¯ पीठपर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ‘शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤°’ है। इस पर सिंदूर चढ़ाया जाता है, अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं पर नहीं और उसके पीछे à¤à¤—वती अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है। गरà¥à¤à¤—ृह में हरसिदà¥à¤§à¤¿ देवी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ की पूजा होती है। मंदिर में महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, महाकाली, महासरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤ हैं। मंदिर के पूरà¥à¤µà¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर बावड़ी है, जिसके बीच में à¤à¤• सà¥à¤¤à¤‚ठहै, जिस पर संवतॠ1447 अंकित है तथा पास ही में सपà¥à¤¤à¤¸à¤¾à¤—र सरोवर है। शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यहाठशà¥à¤°à¥€à¤¯à¤‚तà¥à¤° की पूजा होती है। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विकà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¥à¤¯ की आराधà¥à¤¯à¤¾ माना जाता है। सà¥à¤•ंद पà¥à¤°à¤¾à¤£ में देवी हरसिदà¥à¤§à¤¿ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है। मंदिर परिसर में आदिशकà¥à¤¤à¤¿ महामाया का à¤à¥€ मंदिर है, जहाठसदैव जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤µà¤²à¤¿à¤¤ होती रहती है तथा दोनों नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में यहाठउनकी महापूजा होती है-
नवमà¥à¤¯à¤¾à¤‚ पूजिता देवी हरसिदà¥à¤§à¤¿ हरपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
मंदिर की सीढ़ियाठचढ़ते ही वाहन सिंह की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है। दà¥à¤µà¤¾à¤° के दाईं ओर दो बड़े नगाड़े रखे हैं, जो पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ सायं आरती के समय बजाठजाते हैं। मंदिर के सामने दो बड़े दीपसà¥à¤¤à¤‚ठहैं। इनमे से à¤à¤• शिव हैं जिसमे 501 दीपमालाà¤à¤ हैं , दूसरा पारà¥à¤µà¤¤à¥€ है जिसमे 500 दीपमालाà¤à¤ हैं तथा दोनों दीपसà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ पर दीप जलाठजाते हैं।हमने वहां मंदिर के à¤à¤• करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ से पूछा की कà¥à¤¯à¤¾ इन पर दीप जलाते à¤à¥€ हैं तो उसने कहा शाम को 6 बजे आरती में आ जाना और खà¥à¤¦ देख लेना ।
मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर में गरà¥à¤ गृह की छत पर काफ़ी अचà¥à¤›à¥€ चितà¥à¤°à¤•ारी की हà¥à¤ˆ है। मंदिर में अचà¥à¤›à¥€ तरह घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के बाद हम बाकि मंदिरों में दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचले गठलेकिन यह तय कर लिया की शाम को आकर आरती में शामिल होंगे और यह देखेंगे की इतनी ऊà¤à¤šà¥€ जगह पर दीपक कैसे जलाते हैं।
शाम को ठीक 6 बजे हम फिर से हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर पहà¥à¤à¤š गठऔर आरती की तैयारियों को देखने लगे। हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर महाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर के पीछे की और लगà¤à¤— 500 मीटर की दà¥à¤°à¥€ पर है।
हमारे मंदिर में पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद वहाठतीन लोग, जो शायद à¤à¤• ही परिवार से थे , आये और सिरà¥à¤« निकर और बनियान में इन दीपसà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ पर चढ़ गये। सबसे पहले उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इन दीपसà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ पर मौजूद सà¤à¥€ दीपकों की सफाई की और फिर à¤à¤• à¤à¤• कर सà¤à¥€ दीपकों में तेल डाला। यह सब काम वे बड़ी तेजी और सावधानी से कर रहे थे। जब सब दीपकों में तेल डल गया तो फिर उन सब में रà¥à¤ˆ से बनी बतियाठडाली गयी। ऊपर चड़ने के लिठवे दीपकों का ही इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर रहे थे यानी की उनà¥à¤¹à¥€ को पकड़ कर व उनà¥à¤¹à¥€ पर पैर रख कर।
बतियाठडालने के बाद सबसे मà¥à¤¶à¥à¤•िल काम था दीपक जलाने का और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अगà¥à¤¨à¤¿ से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखने का। यह काम à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बखूबी किया। सà¤à¥€ ने छोटी -छोटी मशालें ले रखी थी और लगà¤à¤— 5 मिनट में 1001 दीपकों में जोत जला दी, जबकि पूरा काम करने में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगà¤à¤— à¤à¤• घंटा लग गया ।
बाकि सब आप तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ से देख सकते हैं।
जब वे सारा काम कर चà¥à¤•े तो हमने उनसे बातचीत की तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें बताया की à¤à¤• समय में तीन टिन रिफाइंड तेल यानी की कà¥à¤² 45 लीटर तेल लग जाता है और सब मिलाकर इस काम पर à¤à¤• समय का खरà¥à¤š 7000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का है जिसमे उनकी लेबर à¤à¥€ शामिल है, और यह सब कà¥à¤› दानी सजà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ होता है। लोग पहले से ही इसकी बà¥à¤•िंग करवा देते हैं और लगà¤à¤— तीन महीने की अगà¥à¤°à¤¿à¤® बà¥à¤•िंग हो चà¥à¤•ी है।

दोनों दीपसà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ हरसिदà¥à¤§à¤¿ मंदिर
सà¤à¥€ दीपक जलते ही मंदिर में नगाड़े बजने लगे व आरती शà¥à¤°à¥‚ हो गयी। आरती समापà¥à¤¤ होने के बाद हम लोग परशाद लेकर महाकाल के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ लिठमहाकालेशà¥à¤µà¤° मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤
(कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ में कैमरे में गलत सेटिंगà¥à¤¸ के कारन मास और वरà¥à¤· गलत है। सà¤à¥€ तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ 2013 की हैं। जिन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤· 2012 है उन में मास और वरà¥à¤· में à¤à¤• जोड़ लें। समय व तिथि ठीक है। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦!)
Asa deepak stand mene pehli bar dekha hai.
Thanks for sharing !
Thanks Mahesh Ji..
It was first for us also..
Wow…. bahut jabardast log and photos are very crisp and clear.
Thanks Tiwari Ji ..
बहुत सुन्दर वर्णन नरेश जी, चित्र भी लाजवाब हैं। हम लोग हर चार छह महीने में उज्जैन महाकाल दर्शन के लिये जाते हैं लेकिन फिर भी हमें हरसिद्धि मंदिर की इतनी सुन्दर आरती तथा प्रज्जवलित दीपस्तंभों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और इसीलिये हम आज तक ये नज़ारा देख नहीं पाए। अब आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद हम जरूर हरसिद्धि मंदिर की इस आरती में शामिल होंगे ……आपका बहुत बहुत शुक्रिया। ….
मुकेश जी, धन्यवाद
जब अगली बार उज्जैन जाएँ तो यहाँ आरती में जरुर शामिल हों। एक अलग ही अनुभव होगा।
बहुत ही सुन्दर और अनोखा तरीका है यहाँ पर आरती का, इस से पहले आरती के नाम पर सिर्फ हरिद्वार की माँ गंगा की आरती ही जानी जाती थी पर ऐसी महा आरती के दर्शन कराने के लिए आपका धन्यवाद।
धन्यवाद जितेंदर जी ,
सही कहा आपने यहाँ पर आरती का बहुत ही सुन्दर और अनोखा तरीका है ।
Naresh Ji, Hi.
We have visited Ujjain this year,and went to this temple but we were not familiar with this Arti. You have written full detail of Arti along with photographs showing what you are saying.Jai ho..
Thanks for Sharing..
Thanks Anil Ji,
We, too, were not familiar with this one. I asked one of Sewadar about this and he replied with invitation for Live Arti in night.
hi,
Excellent post.. Carry on..
Thanks Sukhvinder Ji..
Welcome on Ghumakkar..
good post with beautiful photos.
Thanks Ashok Ji..
Hi Naresh ji
बहुत बढ़िया पोस्ट, दीयों का इस तरह जलना तो वाकई में हासिले-महफिल है…
इसके फ़ोटोज़ भी मस्त लिये हैं आपने |
Thanks Avtar Singh Ji..
It is a FOG, Naresh and I guess those ‘Deep Sthambhs’ are a real treat. When I saw the pic where two people are climbing on it to put diyas, I could get the real scale of it. It is indeed huge. Thank you for sharing this new thing with us. We missed Ujjain in our trip and it is on the radar.
Thanks Nandan Ji..
These ‘Deep Sthambhs ‘ are available almost in every temple of Ujjain. But Diyas are lighted only at Mata Harsidhi Mandir for Arti.