
बड़ा इमामबाडा और मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ बावली से कà¥à¤› यूठदिखती है
जो लोग लखनऊ से किसी न किसी रूप में जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हैं और à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• धरोहरों में रूचि रखते हैं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इमामबाड़ा, à¤à¥‚लà¤à¥‚लैया तथा रूमी दरवाजे की खूबसूरती को जरूर देखा होगा और वह इमारतें, उनकी वासà¥à¤¤à¥à¤•ला, विशालता तथा बेहतरीन कलाकारी दिलो-दिमाग पर ताजा रही होगी.

इमामबाडा के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° से बाई ओर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है शाही बावली
हालांकि इमामबाड़ा को देखने के लिठजो à¤à¤•ीकृत टिकट पचास रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में लेना पड़ता है उसके पैकेज में बड़ा इमामबाड़ा, à¤à¥‚लà¤à¥‚लैया, छोटा इमामबाड़ा, शाही बावली, पिकà¥à¤šà¤° गैलरी तथा शाही हमाम का टूर शामिल है पर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• बड़ा इमामबाड़ा तथा à¤à¥‚लà¤à¥‚लैया को ही देखकर वापिस लौट जाते हैं. इस à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शाही बावली की यदि बात करें तो उसका महतà¥à¤µ किसी à¤à¥€ रूप में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ इस बेहतरीन इमामबाड़े से काम नहीं है और इसे अगर अपने समय का वासà¥à¤¤à¥à¤•ला का बेजोड़ उदाहरण कहा जाठतो अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ न होगी.

शाही बावली का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
अपनी सेवा की à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ अवधि लखनऊ में बिताने के बावजूद मैं सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कà¤à¥€ इस परिसर तथा बावली में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ रूचि नहीं ले पाया इसका सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है. पिछले दिनों लखनऊ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान मैंने कौतूहलवश बड़ा इमामबाड़ा को à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया. शनिवार की सवेरे मैं अकेला ही अपने कैमरे के साथ इमामबाड़ा पहà¥à¤à¤š गया, जहाठपारà¥à¤•िंग के बाद सबसे पहले कैमरे का टिकट कटवाना पड़ता है. वीडियो कैमरे के लिठनिरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ शà¥à¤²à¥à¤• रू. २५ है लेकिन DSLR कैमरे से चूà¤à¤•ि फिलà¥à¤® à¤à¥€ शूट की जा सकती है अतः उसे वीडियो कैमरा मानते हà¥à¤ रà¥. २५ का ही शà¥à¤²à¥à¤• मà¥à¤à¤¸à¥‡ चारà¥à¤œ कर सà¥à¤²à¤¿à¤ª दी गयी. मà¥à¤–à¥à¤¯ परिसर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही इमामबाड़े की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ किसी का à¤à¥€ मन मोहने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है. विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कोणों से फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करते हà¥à¤ मैंने जब आगे टिकट ककà¥à¤· से टिकट लिया तब तक काफी फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ हो चà¥à¤•ी थी.

बावली के दोनों ओर राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² में बने à¤à¤°à¥‹à¤–े
इमामबाड़े की दूर तक फैली सीढ़ियां तथा बाईं ओर शाही बावली और दाईं और नायाब मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के चितà¥à¤° ततà¥à¤•ालीन वासà¥à¤¤à¥à¤•ला की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का सजीव चितà¥à¤°à¤£ कर रहे थे. मैंने जूते उतारकर इमामबाड़े का विचरण किया और पाया कि वासà¥à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤¦ ने उसके à¤à¤µà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में किसी à¤à¥€ तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी है. इतनी à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ तो आजकल के à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ आसानी से देखने को नही मिलती है.
चूà¤à¤•ि मेरा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ शाही बावली का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ था इसलिठमैंने परिसर के बाईं और सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस सà¥à¤¥à¤² का मà¥à¤†à¤‡à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया. बाहर से इसका डिजाइन राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ वासà¥à¤¤à¥à¤•ला से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ दीखता है, जहाठजगह-जगह à¤à¤°à¥‹à¤–ों का बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ से इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है. अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत रूप से बाहर से सामानà¥à¤¯ मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° की यह संरचना दोनों और à¤à¤°à¥‹à¤–ोà¤à¤¨à¥à¤®à¤¾ आकृति के वरांडे से सजà¥à¤œà¤¿à¤¤ है. इसके मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर आपको या तो रू. २० का अलग से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ टिकट लेना होगा या रà¥. ५० का à¤à¤•ीकृत टिकट दिखाना होगा . मैंने अपना टिकट दिखाया तो मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€à¤¤à¤° जाने की सà¥à¤µà¥€à¤•ृति मिल गई पर मेरे साथ ही à¤à¤• अधेड़ आयॠके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया कि कà¥à¤¯à¥‚ठन à¤à¤• गाइड के रूप में उसकी सेवाà¤à¤ ले ली जाà¤à¤ ताकि मैं बेहतर रूप से जानकारी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकूं. उसका रेट à¤à¥€ मातà¥à¤° रà¥. २० था जो नाम मातà¥à¤° का था. मà¥à¤à¥‡ इसमें सहमति देने में कà¥à¤› à¤à¥€ असहजता नहीं लगी और वे महाशय मà¥à¤à¥‡ बावली की सैर पर ले चले. आरमà¥à¤ से ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ के à¤à¤‚गलà¥à¤¸ बताने शà¥à¤°à¥‚ किये और वो वासà¥à¤¤à¤µ में बेहतर à¤à¤‚गलà¥à¤¸ थे.

बावली के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° में सीढियां चढ़ने पर कà¥à¤› यूठदीखता है
मोहमà¥à¤®à¤¦ असमत जी ने मà¥à¤à¥‡ बेहतरीन ढंग से बावली दिखने और उसका इतिहास बताने में पूरी लगन दिखाई. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के पास सà¥à¤Ÿà¥‡à¤ª वेल की वो सीढियां दिखाई जो नीचे उतरती हैं और उनकी विपरीत घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° आकृतियों और कॉरिडोर के पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक à¤à¤¯à¤° कंडीशनिंग के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को à¤à¥€ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾. यह दो मंजिला कॉरिडोर जगह-जगह से दरक रहा था और चूना उससे रिस रहा था. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया की पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसके संरकà¥à¤·à¤£ का कारà¥à¤¯ किया जा रहा है जिसमे इस हिसà¥à¤¸à¥‡ सहित लगà¤à¤— पूरी बावली के पà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤§à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ है, और यह कि अगली बार जब मैं यहाठआऊà¤à¤—ा तो शायद यह बावली मà¥à¤à¥‡ बेहतर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में दिखे.

पैसेज या कॉरिडोर
कà¥à¤› लोग अà¤à¥€ à¤à¥€ इसे पञà¥à¤š महल कहते हैं. उनका कहना है कि शाही मेहमानों के ठहरने के लिठइस पञà¥à¤š मंजिले विशाल à¤à¤µà¤¨ का उपयोग किया जाता था. मेहमानों के लिठगरà¥à¤® और ठनà¥à¤¡à¥‡ पानी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी. इसमें à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ हॉल तथा कई रेसà¥à¤Ÿ रूम निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किये गठथे. इसकी दो मंजिलें ही अà¤à¥€ दिखाई देती हैं जबकि तीन मंजिलें पानी में डूब चà¥à¤•ी हैं. जो à¤à¤¾à¤— अà¤à¥€ इसका इमामबाड़े की ओर से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने पर दीखता है, वह मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— नहीं है.

ऊपरी मंजिल की ओर जाने का रासà¥à¤¤à¤¾
अपने à¤à¤¾à¤°à¥€ शरीर तथा आयॠके कारण असà¥à¤®à¤¤ जी को ऊपरी मंजिल पर चढ़ना दà¥à¤·à¥à¤•र पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रहा था, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ निचली मंजिल से ही गाइड करते हà¥à¤ ऊपर की मंजिल पर जाने को कहा. वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के ठीक विपरीत दूसरी मंजिल के उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर खड़े होने को कहा जहाठसे मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के निकट पानी में वह आकृति उà¤à¤°à¤¤à¥€ थी जो दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की थी. यदà¥à¤ªà¤¿ पानी में सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ लगातार रहने वाली हलà¥à¤•ी सी लहर के कारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का चेहरा पहचानना तो आसान नहीं होगा लेकिन वेश à¤à¥‚षा तथा वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रंग से दोसà¥à¤¤ और दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ में अंतर किया जाता था, à¤à¤¸à¤¾ बताया गया है. इस परà¥à¤¸à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µ की à¤à¤• अनà¥à¤¯ विशेष बात यह थी कि मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के निकट खड़ा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यह देखने में समरà¥à¤¥ नहीं था कि कà¥à¤¯à¤¾ अनà¥à¤¦à¤° से कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उसे देख रहा है (बाद में मैंने बाहर जाकर इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¥€ की). कहते हैं कि यह शक होने पर कि पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ करने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कोई दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ है, उकà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर खड़ा तीरंदाज सैनिक उसे अपने सटीक निशाने से बेध डालता था.

दूसरी मंजिल से मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°

बालकनी से निचली मंजिल का दृशà¥
दूसरी मंजिल से नीचे गहरे की ओर à¤à¤¾à¤à¤•ने से गहरा कà¥à¤†à¤ दिखाई देता है जो अब मिटà¥à¤Ÿà¥€ से à¤à¤°à¤¾ है. बताते हैं कि यह मिटà¥à¤Ÿà¥€ विगत कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई मरमà¥à¤®à¤¤ के दौरान जमा हà¥à¤ˆ थी जिसे बाहर फेंकने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर लापरवाही के कारण कà¥à¤à¤‚ में फेंकते रहे और अंततः इसमें कई फीट मिटà¥à¤Ÿà¥€ वॠमलबा जमा होने से यह केवल मलबे का ढेर बन गया. कहा जाता है कि यदि अà¤à¥€ à¤à¥€ इस कà¥à¤à¤‚ को साफ़ किया जाय तो लगà¤à¤— 6-7 मीटर नीचे ही पानी का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ निकल आà¤à¤—ा. à¤à¤¸à¤¾ इसलिठà¤à¥€ है की उस समय इस बावली के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा गया था कि इसके कà¥à¤à¤ का सà¥à¤¤à¤° निकट ही बह रही गोमती नदी के सà¥à¤¤à¤° पर रहे ताकि कà¤à¥€ पानी की किलà¥à¤²à¤¤ न हो.

बावली के कà¥à¤à¤‚ का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
बाद में मà¥à¤à¥‡ हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ, जो परिसर की समà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की देखà¤à¤¾à¤² करता है, के à¤à¤• करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, जो बावली की देखà¤à¤¾à¤² के लिठतैनात हैं, ने इन तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करते हà¥à¤ बताया कि इस शाही बावली के पà¥à¤¨à¥à¤°à¥‹à¤§à¥à¤¹à¤¾à¤° की कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ ही अपना मूरà¥à¤¤ रूप ले लेगी और तब इसकी असली सूरत निकल के सामने आà¤à¤—ी. शà¥à¤°à¥€ रिज़वी ने मà¥à¤à¥‡ बताया कि यह बावली नवाब आसिफ-उद-दौला ने इमामबाडा के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ से à¤à¥€ पहले निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ कराई थी. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•ता यह है कि इमामबाड़े तथा परिसर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की विशाल संरचना बनाठमें à¤à¤°à¤ªà¥‚र पानी का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होना था. इसी को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ संबंधित आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ के सà¥à¤à¤¾à¤µ पर यह बावली बनायी गई. बाद में मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ बनी और अंत में इमामबाडा. इन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में इस बावली के पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग हà¥à¤†. नवाब साहब ने पहले पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ का इंतज़ाम किया, फिर खà¥à¤¦à¤¾ के घर का और फिर इमामबाडा. शाही बावली का आरà¥à¤•िटेकà¥à¤šà¤° ईरानी आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ की देखरेख में किया गया लेकिन इसके खूबसूरत फरà¥à¤¶ की डिजाइनिंग à¤à¤• बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ वासà¥à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤¦ ने की थी.

नीचे उतरने के रासà¥à¤¤à¥‡ का à¤à¤• चितà¥à¤°
हà¥à¤¸à¥à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के शà¥à¤°à¥€ रिजवी ने यह à¤à¥€ बताया कि बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ अधिकारी इस विसà¥à¤®à¤¯à¤•ारी बावली के आरà¥à¤•िटेकà¥à¤šà¤° की बारीकियों तथा वहां मौजूद खजाने को हासिल करना चाहते थे परनà¥à¤¤à¥ जब नवाब साहब के खजांची मेवालाल रसà¥à¤¤à¥‹à¤—ी को लगा कि अब वह इसकी रकà¥à¤·à¤¾ करने में असमरà¥à¤¥ है तो वह बावली के नक़à¥à¤¶à¥‡ तथा खजाने की चाà¤à¥€ लेकर बावली के कà¥à¤à¤‚ में कूद गठऔर पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने के बाद à¤à¥€ न तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों के हाथ कोई नकà¥à¤¶à¤¾, चाà¤à¥€ या मेवालाल की लाश à¤à¥€ नहीं मिल पाई.

बावली में ऊपरी मंजिल से मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर खड़े वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का कà¥à¤› इस तरह से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ बनता था
दरअसल à¤à¤• तो वह बावली की संरंचना के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पहलà¥à¤“ं का à¤à¥€ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना कहते थे, दूसरे बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ हà¥à¤•ूमत को संदेह था कि इस बावली का उपयोग à¤à¤• सेना के अडà¥à¤¡à¥‡ के रूप में हो रहा है जहाठसे विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ किया जा सकता था. वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•ता यह थी कि जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ पर निगाह रखने के लिठवहां मातà¥à¤° सतरà¥à¤•तावश सैनिकों को तैनात किया गया था.

बावली से बाहर निकते समय मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं
हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ की वेबसाइट पर इस बावली के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में मातà¥à¤° यह विवरण दरà¥à¤œ है, जो अधिकृत माना गया है:
लखनऊ में नवाब आसफà¥à¤¦à¥à¤¦à¥Œà¤²à¤¾ के इमामबाड़ा के बायी ओर बनी बावली बनी हà¥à¤ˆ है। कहा जाता है कि सनॠ1784 के अकाल में अवध के चौथे नवाब आसफà¥à¤¦à¥à¤¦à¥Œà¤²à¤¾ ने मचà¥à¤›à¥€ à¤à¤µà¤¨ के निकट ये आलीशान इमामबाड़ा, à¤à¥‚लà¤à¥à¤²à¤‡à¤¯à¤¾, रूमी गेट, आसफी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ और शाही बावली बनवायी थी। साथ में यह à¤à¥€ कहा जाता है कि बावली इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बहà¥à¤¤ पहले से मौजूद थी और इसका जीरà¥à¤£à¤¾à¥‡à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° कराके इसे इमामबाड़े में शामिल कर लिया गया। बावली के इरà¥à¤¦-गिरà¥à¤¦ इसी à¤à¤µà¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ शैली में बनी इमारतों का लमà¥à¤¬à¤¾ सिलसिला आज à¤à¥€ à¤à¥‚मिगत है।

हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ रिज़वी जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ इस बावली की à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤•ता समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया
बहुत बढ़िया लेख, पढ़कर मन गदगद हो गया ! मेरा भी लखनऊ जाने का विचार है आपका लेख पढ़कर इच्छा प्रबल हो गई है !
धन्यवाद प्रदीप जी. शाही बावली का लेख एक छोटा सा प्रयास मात्र है. बड़े इमामबाड़े के विषय में ही यदि लिखा जाय तो काफी समय लगेगा. इसके साथ ही बहुत कुछ और भी है लखनऊ में घूमने के लिए सांस्कृतिक विरासत के रूप में . और पिछले लगभग १५ सालों में लखनऊ की तो काया ही पलट हो गयी है. पूर्ववर्ती तो सरकारों ने अपने स्मृति चिन्ह बनाने में जो प्रतिस्पर्धा दिखाई है उससे जनता का भला ही हुआ है. जरूर घूमें लखनऊ. शुभकामनायें.
प्रिय वर्मा जी
आपने बावड़ी का सजीव चित्रण किया है. चित्र भी अच्छे आये हैं.
आशा है कि और भी रचनायें पढने को मिलेंगी..
धन्यवाद.
धन्यवाद बख्शी जी, आप जैसे विशिष्ट लेखकों की रचनाएँ पढ़कर मन में इच्छा होती है तो कुछ लिख देता हूँ। आपको अच्छा लगा इससे मुझे बल मिला। अवश्य लिखूंगा और।
I have visited LKO at least once every year for last 10 years. I have been visiting here to meet (and select) the bright students of IET, Lucknow. For every trip, like a opportunistic traveler (Ghumakkar), I would steal some time to visit one place or the other. Your log has refreshed my visit and yes indeed, Imambada (and Baoli and other big monuments) is one must-visit place.
You have done quite an elaborate description of the architecture of the Baoli as well interesting anecdotes of the era gone by.
One thing which I remember from my visit was the presence of homeless beggars right throughout the passage, as you enter the main building. That didn’t seem right and on enquiry we were told by our Guide that since it is a privately managed place, there is lesser control on these things. May be it has changed for better now.
Thank you Mr. Verma for the illustrated tour.
Thanks Nandan that you have liked the post. The place has gone quite a change, of late and no begger or squatter was seen on my two visits. The place was clean and looks refreshing as the maintenance was looking good. Yes, it is being maintained by the Hussainabad Trust.